UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 4 सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय (अनुभाग – दो)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 4 सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय (अनुभाग – दो)

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सर्वोच्च न्यायालय के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को अपदस्थ करने की क्या प्रक्रिया है ? [2015]
या

सर्वोच्च न्यायालय प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत किन-किन मुकदमों की सुनवाई कर सकता है? किन्हीं दो प्रकार के मुकदमों का वर्णन कीजिए। [2014]
              या
भारत के उच्चतम न्यायालय की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए। [2012, 14]
              या
सर्वोच्च न्यायालय को संविधान का रक्षक क्यों कहा जाता है ? [2010]
              या
सर्वोच्च न्यायालय किस प्रकार के मुकदमों की सीधी सुनवाई कर सकता है? इसे संविधान का संरक्षक क्यों कहा जाता है? [2015]
              या
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के संगठन पर प्रकाश डालिए। [2015]
              या

सर्वोच्च न्यायालय के संगठन पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए। [2010, 11]
              या
सर्वोच्च न्यायालय क्षेत्राधिकार में आने वाले किन्हीं दो बिन्दुओं का वर्णन कीजिए। [2009]
              या
सर्वोच्च न्यायालय नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा किस प्रकार करता है? [2010]
              या
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य कार्य क्या हैं? [2010]
              या
अभिलेख न्यायालय के रूप में उच्चतम न्यायालय के क्या अधिकार हैं? स्पष्ट कीजिए। [2009]
              या
अभिलेख न्यायालय पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। [2009]
              या
सर्वोच्च न्यायालय के प्रारम्भिक एवं अपीलीय क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए। [2017]
              या
भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है? उसकी दो अर्हताएँ लिखिए। [2018]
उत्तर :
संरचना अथवा संगठन- संविधान की धारा 224 के अनुसार, भारतीय संघ में एक सर्वोच्च न्यायालय होगा। सर्वोच्च न्यायालय का संगठन इन सन्दर्भो में समझा जा सकता है। मूल संविधान में सर्वोच्च न्यायालय के लिए एक मुख्य न्यायाधीश तथा 7 अन्य न्यायाधीशों की व्यवस्था की गयी थी। सन् 2008 से संसद ने न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाकर 31 कर दी है। अब सर्वोच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और 30 अन्य न्यायाधीश हैं। मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के उन न्यायाधीशों से परामर्श करता है, जिन्हें वह आवश्यक समझे। सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के समय राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश से मन्त्रणा कर लेता है। संवैधानिक अध्यक्ष होने के कारण राष्ट्रपति मन्त्रिपरिषद् के परामर्श से ही नियुक्तियाँ करता है। तदर्थ न्यायाधीश की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति की स्वीकृति से करता है। सर्वोच्च न्यायालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। वर्तमान में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री दीपक मिश्रा हैं।

न्यायाधीशों की योग्यताएँ– संविधान द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की निम्नलिखित योग्यताएँ (अर्हताएँ) निश्चित की गयी हैं

  • वह भारत का नागरिक हो।
  • उसकी आयु 65 वर्ष से कम हो।
  • वह किसी उच्च न्यायालय में या ऐसे दो अथवा दो से अधिक न्यायालयों में लगातार 5 वर्ष तक । न्यायाधीश रह चुका हो।
  • वह किसी उच्च न्यायालय में अथवा अन्य न्यायालयों में लगातार 10 वर्ष तक अधिवक्ता (एडवोकेट) रह चुका हो।
  • राष्ट्रपति के मत से वह कोई पारंगत एवं प्रतिष्ठित विधिवेत्ता रहा हो।

शपथ-ग्रहण- न्यायाधीश को पद पर आसीन होने से पहले राष्ट्रपति के समक्ष संविधान के प्रति निष्ठा एवं निष्पक्ष रूप से कार्य करने की शपथ लेनी पड़ती है।

वेतन और भत्ते- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को १ 2,80,000 मासिक वेतन तथा अन्य न्यायाधीशों को १ 2,50,000 मासिक वेतन मिलता है। इसके अतिरिक्त उन्हें नि:शुल्क आवास तथा यात्रा-भत्ता मिलता है। इनके वेतन-भत्ते भारत की संचित निधि से दिये जाते हैं। ये वेतन-भत्ते संसद द्वारा निश्चित किये जाते हैं। इनके कार्यकाल में ये घटाये नहीं जा सकते। सेवानिवृत्त होने पर मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों को वार्षिक पेंशन प्राप्त होती है। इन सभी सुविधाओं के उपरान्त उन पर एक प्रतिबन्ध यह है। कि वे सेवानिवृत्त होने के पश्चात् किसी न्यायालय में वकालत नहीं कर सकते। यदि राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को न्याय से सम्बन्धित कोई विशेष कार्य सौंपता है तो उस कार्य के लिए न्यायाधीश को पारिश्रमिक प्रदान किया जाता है।

कार्यकाल तथा महाभियोग- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की अवधि तक अपने पद पर कार्य करते हैं। पैंसठ वर्ष की आयु पूर्ण होने पर उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया जाता है। इस अवधि से पूर्व वे स्वेच्छा से त्याग-पत्र दे सकते हैं अथवा संसद महाभियोग लगाकर उन्हें पदच्युत कर सकती है। न्यायाधीशों को अयोग्यता तथा कदाचार के आधार पर भी पदच्युत किया जा सकता है। इसके लिए व्यवस्था की गयी है। कि संसद के दोनों सदनों के उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत और समस्त संख्या के बहुमत से उक्त न्यायाधीश पर कदाचार अथवा असमर्थता का आरोप लगाकर राष्ट्रपति के पास विचारार्थ भेजें और राष्ट्रपति उस प्रस्ताव पर अपने हस्ताक्षर कर दे। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि महाभियोग का प्रस्ताव संसद के एक ही सत्र में स्वीकृत हो जाना चाहिए। सम्बन्धित न्यायाधीश को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का पूर्ण अवसर दिया जाता है।

अभिलेख न्यायालय- उच्चतम न्यायालय को अभिलेख न्यायालय इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय अभिलेख (रिकॉर्ड) न्यायालय के रूप में भी कार्य करता है। अभिलेख न्यायालय का अर्थ यह है कि न्यायालय के समस्त निर्णयों को अभिलेख के रूप में सुरक्षित रखा जाता है। इन अभिलेखों को भविष्य में किसी भी न्यायालय के निर्णय, अन्य अधीनस्थ न्यायालयों में आवश्यकता पड़ने पर नजीर (केस लॉ) के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।

भारत के उच्चतम या सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार/कार्य

भारत के सर्वोच्च या उच्चतम न्यायालय को व्यापक क्षेत्राधिकार प्राप्त हैं। इसके क्षेत्राधिकार का अध्ययन चार रूपों में किया जा सकता है–

  1. प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार,
  2. अपीलीय क्षेत्राधिकार,
  3. परामर्शदात्री क्षेत्राधिकार तथा
  4. अन्य अधिकार।

1. प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार- कुछ विवाद ऐसे होते हैं जिन्हें केवल उच्चतम न्यायालय को ही सुनने तथा सुलझाने का अधिकार होता है। ये विवाद निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

  • जब कोई विवाद भारत सरकार और एक या एक से अधिक राज्यों के बीच हो।
  • जब किसी विवाद में एक ओर भारत सरकार और एक या एक से अधिक राज्य सरकारें हों तथा दूसरी ओर एक अथवा अधिक राज्य सरकारें हों।
  • जब विवाद दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य हो।
  • जब विवाद राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बन्धित हो।

2. अपीलीय क्षेत्राधिकार- सर्वोच्च न्यायालय को राज्यों के उच्च न्यायालयों के निर्णय के विरुद्ध अपील सुनने का अधिकार प्राप्त है। सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार को अग्रलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है

  1. संवैधानिक अपीलें- संविधान के अनुच्छेद 132 के अनुसार, जब कोई उच्च न्यायालय किसी मुकदमे के सम्बन्ध में यह प्रमाण-पत्र दे देता है कि उसमें संविधान की किसी धारा की व्याख्या का प्रश्न निहित है तो उस मुकदमे की अपील उच्चतम न्यायालय में होती है। यदि उच्च न्यायालय प्रमाण-पत्र नहीं देता है तो उच्चतम न्यायालय स्वयं भी ऐसे मामलों में अपील की आज्ञा दे सकता
  2. दीवानी अपीलें- उच्च न्यायालय के प्रमाण-पत्र देने पर किसी भी दीवानी मुकदमे की अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है।
  3. फौजदारी की अपीलें- निम्नलिखित स्थितियों में फौजदारी मुकदमों की अपीलें उच्चतम न्यायालय में की जा सकती हैं
    • जब उच्च न्यायालय ने किसी मुकदमे को अपने अधीन न्यायालय से मँगवाकर अपराधी को मृत्यु-दण्ड दे दिया हो।
    • यदि किसी अपराधी को उच्च न्यायालय ने अपने अधीन न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध मृत्यु दण्ड दे दिया हो।
  • ऐसे मुकदमों की अपील उच्चतम न्यायालय में की जा सकती है जिनके सम्बन्ध में उच्च न्यायालय इस आशय का प्रमाण-पत्र दे दे कि वह उच्चतम न्यायालय में सुनने योग्य है।
  • यदि सर्वोच्च न्यायालय किसी मुकदमे में यह अनुभव करता है कि किसी व्यक्ति के साथ वास्तव में अन्याय हुआ है तो वह सैनिक न्यायालयों के अतिरिक्त किसी भी न्यायाधिकरण के विरुद्ध अपील करने की आज्ञा प्रदान कर सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय भारत के किसी भी उच्च न्यायालय या न्यायाधिकरण के निर्णय, दण्ड या आदेश के विरुद्ध संरक्षण प्रदान कर सकता है, चाहे भले ही उच्च न्यायालय ने अपील की आज्ञा से इन्कार ही क्यों न किया हो।

3. परामर्शदात्री क्षेत्राधिकार-अनुच्छेद 143 –
के अन्तर्गत, राष्ट्रपति द्वारा किसी कानूनी प्रश्न या विषय पर परामर्श माँगने पर सर्वोच्च न्यायालय उसे परामर्श देता है, किन्तु राष्ट्रपति ऐसे किसी भी परामर्श को मानने के लिए बाध्य नहीं है।

4. अन्य अधिकार :

  • मूल अधिकारों की रक्षा- अनुच्छेद 32 के अन्तर्गत संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किये गये मौलिक अधिकारों की रक्षा का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को सौंपा गया है। इसके लिए वह आदेश, निर्देश तथा लेख (Writs) जारी करता है।
  • संविधान की रक्षा एवं व्याख्या- सर्वोच्च न्यायालय संसद द्वारा पारित ऐसे कानूनों को अवैध घोषित कर सकता है, जो संविधान की किसी व्यवस्था के विरुद्ध हैं। संविधान की व्याख्या करने | का अन्तिम अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को ही प्राप्त है।
  • अधीनस्थ न्यायालयों पर नियन्त्रण- सर्वोच्च न्यायालय को अधीनस्थ न्यायालयों के कार्यों की देखभाल करने तथा उन पर नियन्त्रण रखने का अधिकार होता है। यह अधीनस्थ न्यायालय से किसी मुकदमे को मॅगाकर उस पर विचार कर सकता है। यह अधीनस्थ न्यायालयों के नियमों का निर्माण भी करता है।
  • पुनर्विचार का अधिकार– भारत के सर्वोच्च न्यायालय को अपने निर्णय के पुनरावलोकन करने का भी अधिकार प्राप्त है। यदि ऐसा अनुभव हो कि उच्चतम न्यायालय निर्णय में कोई भूल कर बैठा है या उसके निर्णय में कोई कमी रह गयी है तो उस विवाद पर फिर से विचार करने की प्रार्थना की जा सकती है। इस अधिकार के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय ने अपने पहले निर्णयों को बदलकर अनेक बार निर्णय दिये हैं।

प्रश्न 2.
उच्च न्यायालय के संगठन और शक्तियों का वर्णन कीजिए। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की योग्यता, वेतन, भत्ते तथा सेवा शर्त पर प्रकाश डालिए। [2011, 18]
              या
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यताएँ क्या हैं? उनके अधिकार-क्षेत्रों का वर्णन कीजिए। [2012]
              या
उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए निर्धारित योग्यताओं का उल्लेख कीजिए। [2013]
              या
राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है? इन न्यायालयों के न्यायाधीशों का कार्यकाल कितना होता है? [2010, 11]
              या
उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए निर्धारित कोई तीन योग्यताएँ लिखिए। [2015]
              या
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए निर्धारित अर्हताएँ क्या हैं? उनका कार्यकाल कितना |
              या
होता है? उनका प्रारम्भिक और अपीलीय कार्य क्षेत्र क्या है? [2016]
उत्तर :

उच्च न्यायालय का संगठन

न्यायाधीशों की संख्या– संविधान के अनुसार न्यायाधीशों की संख्या निश्चित नहीं है। यह समय-समय पर बदलती रहती है। राष्ट्रपति इनकी संख्या राज्य के क्षेत्रफल, जनसंख्या तथा कार्यभार के आधार पर निश्चित करता है। उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश है तथा 160 पद न्यायाधीशों के लिए सृजित हैं। वर्तमान समय में 81 न्यायाधीश कार्यरत हैं। अन्य न्यायाधीश हैं, जिनमें 67 स्थायी तथा 14 अस्थायी हैं। राष्ट्रपति अतिरिक्त व अवकाश-प्राप्त न्यायाधीशों की भी नियुक्ति कर सकता है।

न्यायाधीशों की योग्यताएँ– राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए आवश्यक है कि वह भारत का नागरिक हो। वह भारत के किसी भी न्यायालय में कम-से-कम 10 वर्षों तक न्यायाधीश के पद पर कार्य कर चुका हो अथवा भारत के किसी एक या अधिक उच्च न्यायालयों में 10 वर्षों तक लगातार अधिवक्ता रह चुका हो अथवा राष्ट्रपति की दृष्टि में विधिशास्त्र का उच्चकोटि का विद्वान हो तथा उसकी आयु 62 वर्ष से कम हो।

न्यायाधीशों की नियुक्ति– उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। ऊपर उल्लिखित योग्यता वाले किसी व्यक्ति की नियुक्ति उस प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा न्यायाधीश के पद पर की जा सकती है, परन्तु उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में राष्ट्रपति भारत के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं उस राज्य के राज्यपाल से परामर्श लेता है।

न्यायाधीशों की शपथ- नियुक्ति के उपरान्त न्यायाधीशों को अपने पद पर निष्ठापूर्वक कार्य करने की शपथ लेनी पड़ती है। कर्तव्यों के परिपालन में योग्यता, निष्पक्षता एवं न्यायप्रियता के प्रति उनको सत्यव्रती एवं निष्ठावान् होना पड़ता है।

वेतन एवं भत्ते- उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 2,50,000 मासिक वेतन तथा अन्य न्यायाधीशों को १ 2,25,000 मासिक वेतन मिलता है। इसके अतिरिक्त इन्हें मासिक भत्ते तथा प्रत्येक न्यायाधीश को नि:शुल्क निवासस्थान, यात्रा सम्बन्धी सुविधाएँ, सवेतन छुट्टियाँ और अवकाश ग्रहण करने पर पेंशन प्राप्त होती है। किसी न्यायाधीश के कार्यकाल में उसके वेतन, भत्तों आदि की कटौती नहीं की जा सकती है। कार्यकाल-साधारणत: प्रत्येक न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्य करता रहता है। यदि वह चाहे तो समय से पूर्व भी अपने पद से त्याग-पत्र दे सकता है। इसके अतिरिक्त यदि किसी न्यायाधीश पर भ्रष्टाचार अथवा अयोग्यता का आरोप लगाया जाए तो वह संसद द्वारा पारित एवं राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव द्वारा पदच्युत किया जा सकता है। राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का स्थानान्तरण भारत के किसी भी उच्च न्यायालय में कर सकता है। यह कार्य वह उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से करता है।

उच्च न्यायालय की शक्तियाँ/कार्य

उच्च न्यायालय को अग्रलिखित शक्तियाँ प्राप्त हैं–
1. न्याय-सम्बन्धी अधिकार- इस अधिकार क्षेत्र के अन्तर्गत उच्च न्यायालय को अग्रलिखित शक्तियाँ प्राप्त हैं

  • प्रारम्भिक अधिकार-उच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों की रक्षा, वसीयत, विवाह| विच्छेद, विवाह-विधि, कम्पनी कानून, उच्च न्यायालय की अवमानना आदि के मुकदमे सुनने का अधिकार प्राप्त है।
  • अपील-सम्बन्धी अधिकार-उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध दीवानी, फौजदारी तथा माल के मुकदमों की अपीलें सुनता है। आयकर, बिक्रीकर तथा अन्य करों से सम्बन्धित अपीलें भी इसी न्यायालय में की जाती हैं।
  • मौलिक अधिकारों की रक्षा-उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। इस उद्देश्य के लिए वह बन्दी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार-पृच्छा तथा उत्प्रेक्षण लेख जारी कर सकता है।
  • संविधान की रक्षा एवं व्याख्या-उच्च न्यायालय को संविधान की रक्षा तथा व्यवस्था करने का भी अधिकार प्राप्त है। यदि विधानमण्डल संविधान की किसी धारा के विरुद्ध कोई कानून पारित करता है तो उच्च न्यायालय उसे अवैध घोषित कर सकता है।
  • मृत्यु-दण्ड की स्वीकृति-सत्र न्यायाधीश किसी व्यक्ति को तब तक मृत्यु-दण्ड नहीं दे सकता, जब तक वह उच्च न्यायालय से इसकी पूर्व स्वीकृति प्राप्त नहीं कर लेता है।
  • अभिलेख न्यायालय का कार्य-उच्च न्यायालय अपने निर्णयों को प्रकाशित करवाता है, जो अधीनस्थ न्यायालयों में मान्य होते हैं। न्यायालय अपनी मान-हानि के लिए भी दण्ड दे सकता है।

2. प्रबन्ध-सम्बन्धी अधिकार- उच्च न्यायालय को अधीनस्थ न्यायालयों के प्रबन्ध एवं देखभाल करने का भी अधिकार प्राप्त है। वह अपने अधीन किसी भी न्यायालय के किसी भी मुकदमे के कागजात मँगवाकर देख सकता है। न्यायालयों की कार्य-पद्धति एवं रिकॉर्ड रखने सम्बन्धी नियम बना सकता है। उच्च न्यायालय मुकदमे को एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में स्थानान्तरित कर सकता है। उच्च न्यायालय अधीनस्थ न्यायालयों के अधिकारियों की सेवा-शर्तों को निर्धारित करता है।

प्रश्न 3.
उत्तर प्रदेश की न्याय-व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
उत्तर प्रदेश की न्याय-व्यवस्था उत्तर प्रदेश में भी अन्य राज्यों की भाँति ही स्वतन्त्र न्यायपालिका की व्यवस्था की गयी है। यहाँ के जिला न्यायालय उच्च न्यायालय की अधीनता एवं संरक्षणता में कार्य करते हैं। उत्तर प्रदेश की न्याय व्यवस्था का स्वरूप निम्नलिखित है

1. उच्च न्यायालये- 
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद नगर में उच्च न्यायालय की स्थापना की गयी है। यह राज्य का सबसे बड़ा न्यायालय है। संविधान के अनुसार न्यायाधीशों की संख्या निश्चित नहीं है। यह समय-समय पर बदलती रहती है। राष्ट्रपति इनकी संख्या राज्य के क्षेत्रफल, जनसंख्या तथा कार्यभार के आधार पर निश्चित करता है। उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश है तथा 160 पद न्यायाधीशों के लिए सृजित हैं। वर्तमान समय में 81 न्यायाधीश कार्यरत हैं। अन्य न्यायाधीश हैं, जिनमें 67 स्थायी तथा 14 अस्थायी हैं। राष्ट्रपति अतिरिक्त व अवकाश-प्राप्त न्यायाधीशों की भी नियुक्ति कर सकता है। यह न्यायालय न्याय की व्यवस्था करता है; अतः राज्य में न्याय के क्षेत्र में इसे महत्त्वपूर्ण अधिकार प्राप्त हैं। संविधान की व्याख्या, मूल अधिकारों की रक्षा, अभिलेख आदि के साथ-साथ यह प्रशासन का भी कार्य करता है। उच्च न्यायालय के अधीन प्रत्येक जिले में तीन प्रकार के न्यायालय-दीवानी, फौजदारी, राजस्व कार्यरत हैं।

2. जनपदीय न्यायालय– 
जिले की न्याय-व्यवस्था के लिए उच्च न्यायालय के संरक्षण में निम्नलिखित न्यायालयों की व्यवस्था की गयी है

  • दीवानी न्यायालय-धनराशि, चल तथा अचल सम्पत्ति से सम्बन्धित मुकदमों के निपटारों के
    लिए दीवानी न्यायालयों की व्यवस्था प्रत्येक जिले में की गयी है। यह न्यायालय नीचे के दीवानी न्यायालयों के निर्णय के विरुद्ध अपीलें भी सुनता है। जिले में दीवानी का सबसे बड़ा न्यायालय जिला न्यायाधीश का न्यायालय होता है। इसके पश्चात् एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश होता है। इसके निर्णयों की अपील उच्च न्यायालय में ही की जा सकती है। सिविल जज दीवानी के मामलों में जिला न्यायाधीश के नीचे का न्यायाधीश होता है। सिविल जज न्यायाधीश) के नीचे मुन्सिफ का न्यायालय होता है। मुन्सिफ के न्यायालय के नीचे खफीफा का न्यायालय होता है। दीवानी न्यायालयों में सबसे निचले स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में न्याय पंचायतें होती हैं। इनके (न्याय पंचायत) निर्णय के विरुद्ध अपील नहीं की जा सकती है।
  • फौजदारी न्यायालय-लड़ाई-झगड़े, हत्या, मारपीट आदि के मुकदमों की सुनवाई के लिए प्रत्येक जिले में एक फौजदारी न्यायालय होता है। जिले में फौजदारी का सबसे बड़ा न्यायालय सत्र न्यायाधीश का न्यायालय होता है। ये मृत्यु-दण्ड या आजीवन कारावास का दण्ड देने का अधिकार रखते हैं। ये न्यायालय निचले स्तर के न्यायालयों के निर्णयों की अपील सुनते हैं। सत्र न्यायालय तथा अतिरिक्त सत्र न्यायालय के निर्णयों के विरुद्ध उच्च न्यायालय में ही अपील की जा सकती है। सत्र न्यायाधीश या सेशन जज जब दीवानी के मुकदमे सुनता है तब उसे जिला जज कहते हैं। इसके अतिरिक्त जिले में सहायक सत्र न्यायाधीश, चीफ जुडीशियल मजिस्ट्रेट प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी के भी न्यायालय होते हैं। जिले में न्याय की सबसे छोटी इकाई न्याय पंचायत होती है। ये जुर्माना तो कर सकती हैं, लेकिन कारावास का दण्ड नहीं दे सकतीं। |
  • राजस्व न्यायालय–जिले में राजस्व का सबसे बड़ा न्यायालय जिलाधीश का न्यायालय होता है। इसके नीचे उपजिलाधीश, तहसीलदार तथा नायब तहसीलदार के न्यायालय होते हैं। ये न्यायालय भूमि तथा लगान से सम्बन्धित मुकदमों की सुनवाई करते हैं।

उपर्युक्त न्यायालयों के अतिरिक्त कुछ विशेष मुकदमों का फैसला विशेष न्यायालयों में होता है; जैसे-आयकर सम्बन्धी मुकदमों का फैसला आयकर अधिकारी ही कर सकता है। उसके निर्णय के विरुद्ध आयकर आयुक्त और आयकर अधिकरण में अपील की जा सकती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सर्वोच्च न्यायालय के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सर्वोच्च न्यायालय की स्थिति निम्नलिखित कारणों से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है– ..

  • इस न्यायालय के कारण कार्यपालिका की तानाशाही नहीं चल सकती।
  • यह न्यायालय संविधान का रक्षक है।
  • इस न्यायालय द्वारा नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा होती है।
  • यह न्यायालय संसद तथा कार्यपालिका से स्वतन्त्र रहने के कारण दोनों पर नियन्त्रण रखता है।

प्रश्न 2.
न्यायिक पुनर्विलोकन (Judicial Review) से क्या तात्पर्य है ? यह शक्ति किसे प्रदान की गयी है ? [2010]
उत्तर :
संविधान के अनुच्छेद 137 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय को यह अधिकार प्राप्त है कि वह स्वयं द्वारा दिये गये आदेश या निर्णय पर पुनर्विचार कर उचित समझे तो उसमें आवश्यक परिवर्तन कर सके। ऐसा उस समय किया जाता है जब सर्वोच्च न्यायालय को यह सन्देह हो कि उसके द्वारा दिये गये निर्णय में किसी पक्ष के प्रति न्याय नहीं हो सका है। यदि उसके सम्बन्ध में कोई नवीन तथ्य प्रकाश में आये हों, तब भी ऐसा किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान में सर्वोच्च न्यायालय की स्वतन्त्रता सुनिश्चित करने हेतु अपनाये गये किन्हीं तीन उपायों का उल्लेख कीजिए। (2015)
उत्तर : सर्वोच्च न्यायालय की स्वतन्त्रता के लिए निम्न प्रावधान किये गये हैं|

  • न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक् रखा गया है। इसके लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति को दिया गया है, लेकिन पदच्युति का अधिकार अकेले राष्ट्रपति को नहीं संसद को भी दिया गया है। संसद द्वारा प्रस्ताव पास करने के बाद ही राष्ट्रपति न्यायाधीश को हटा सकता है।
  • पर्याप्त वेतन की व्यवस्था की गयी है। उनके कार्यकाल में उनके वेतन कम नहीं किये जा सकते हैं।
  • उनके पद की सुरक्षा की व्यवस्था की गयी है। न्यायाधीश अवकाश ग्रहण करने की आयु तक अपने पद पर कार्य कर सकते हैं। केवल महाभियोग की कठिन प्रक्रिया द्वारा उन्हें हटाया जा सकता है।
  • सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीश किसी न्यायालय में वकालत नहीं कर सकते।
  • सर्वोच्च न्यायालय को अपने तथा अपने अधीनस्थ न्यायालयों की कार्य प्रणाली को निर्धारित करने के | लिए नियम बनाने का अधिकार है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति की आयु क्या है ? [2011]
उत्तर :
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है।

प्रश्न 2.
सर्वोच्च न्यायालय कहाँ स्थित है ?
उत्तर :
भारत का सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली में स्थित है।

प्रश्न 3.
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों का वेतन लिखिए।
उतर :
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का वेतन १ 2,80,000 प्रतिमाह तथा अन्य न्यायाधीशों का वेतन १ 2,50,000 प्रतिमाह है।

प्रश्न 4.
सर्वोच्च न्यायालय के कोई दो कार्य अथवा अधिकार लिखिए।
उत्तर :
सर्वोच्च न्यायालय के दो कार्य अथवा अधिकार हैं

  • मूल अधिकारों की रक्षा करना तथा
  • संविधान की व्याख्या करना।

प्रश्न 5.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर :
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश से मन्त्रणा लेकर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

प्रश्न 6.
उत्तराखण्ड की राजधानी एवं उच्च न्यायालय कहाँ पर स्थित हैं ?
उत्तर :
उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून तथा उच्च न्यायालय नैनीताल में स्थित है।

प्रश्न 7.
राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति किस प्रकार होती है ?
उत्तर :
राष्ट्रपति उसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह से अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।

प्रश्न 8.
इलाहाबाद के उच्च न्यायालय की खण्डपीठ कहाँ पर स्थित हैं ?
              या
उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय कहाँ स्थित है ?
उत्तर :
उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद में स्थित है तथा इलाहाबाद के उच्च न्यायालय की खण्डपीठ (शाखा) लखनऊ में स्थित है।

प्रश्न 9.
उच्च न्यायालय के दो प्रमुख कार्य कौन-कौन से हैं ?
उत्तर :
उच्च न्यायालय के दो प्रमुख कार्य हैं

  • अपील-सम्बन्धी अधिकार (कार्य) तथा
  • अधीनस्थ न्यायालयों पर नियन्त्रण।

प्रश्न 10.
भारत के मुख्य न्यायाधीश को कौन नियुक्त करता है ?
उत्तर :
भारत के मुख्य न्यायाधीश को राष्ट्रपति नियुक्त करता है।

प्रश्न 11.
भारत के किस उच्च न्यायालय की खण्डपीठ पोर्ट ब्लेयर में है ?
उत्तर :
भारत के कोलकाता उच्च न्यायालय की खण्डपीठ पोर्ट ब्लेयर में है।

प्रश्न 12.
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अवकाश ग्रहण करने की आयु क्या है ? [2011]
उत्तर : उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अवकाश ग्रहण करने की आयु 62 वर्ष है।

प्रश्न 13.
लक्षद्वीप समूह किस सागर में स्थित है? यह किस प्रदेश के उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आता है? [2014]
उत्तर : लक्षद्वीप समूह अरब सागर में स्थित है। यह केरल उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आता है।

बहुविकल्पीय प्रण का

1. भारत का सर्वोच्च न्यायालय स्थित है
(क) मुम्बई में
(ख) कोलकाता में
(ग) नयी दिल्ली में
(घ) चेन्नई में

2. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद से हटाये जा सकते हैं [2011]
(क) राष्ट्रपति द्वारा
(ख) लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा
(ग) संसद द्वारा महाभियोग लगाकर
(घ) कार्यकाल में हटाये नहीं जा सकते हैं

3. यदि कोई व्यक्ति उच्चतम न्यायालय में 58 वर्ष की आयु में न्यायाधीश नियुक्त हो जाता है तो वह अधिक-से-अधिक कितने वर्ष तक उस पद पर रह सकता है ? [2011]
(क) चार वर्ष
(ख) पाँच वर्ष
(ग) छ: वर्ष
(घ) सात वर्ष

4. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की जाती है- (2012, 13]
(क) राष्ट्रपति द्वारा
(ख) प्रधानमन्त्री द्वारा
(ग) कानून मन्त्री द्वारा
(घ) इनमें से कोई नहीं

5. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति किसकी सलाह पर की जाती है? [2011]
(क) केन्द्रीय वित्त मन्त्री
(ख) प्रधानमन्त्री
(ग) महान्यायवादी
(घ) भारत के मुख्य न्यायाधीश

6. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खण्डपीठ कहाँ स्थापित है? [2013]
(क) मेरठ में
(ख) इलाहाबाद में
(ग) कानपुर में
(घ) लखनऊ में

7. राज्य का सबसे बड़ा न्यायालय होता है [2011]
(क) उच्च न्यायालय
(ख) उच्चतम न्यायालय
(ग) राजस्व परिषद्
(घ) जिला न्यायालय

8. उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय स्थित है [2011]
(क) लखनऊ में
(ख) कानपुर में
(ग) इलाहाबाद में
(घ) वाराणसी में

9. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के सेवानिवृत्त होने की अधिकतम आयु कितनी निर्धारित है? [2014, 17, 18]
(क) 62 वर्ष
(ख) 63 वर्ष
(ग) 64 वर्ष
(घ) 65 वर्ष

10. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की सेवानिवृत्त होने की अधिकतम आयु क्या है? [2014]
(क) 60 वर्ष
(ख) 61 वर्ष
(ग) 62 वर्ष
(घ) 65 वर्ष

11. भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है- [2015, 17, 18]
(क) उपराष्ट्रपति
(ख) प्रधानमन्त्री
(ग) राष्ट्रपति
(घ) मुख्य चुनाव आयुक्त

12. भारत संघ के राज्यों में सबसे बड़ा न्यायालय है (2015, 16]
(क) उच्च न्यायालय
(ख) सर्वोच्च न्यायालय
(ग) जिला न्यायालय
(घ) राजस्व परिषद्

13. मौलिक अधिकार सम्बन्धी मुकदमे सुनने का अधिकार किसको है? (2017)
(क) केवल उच्चतम न्यायालय को
(ख) केवल उच्च न्यायालय को
(ग) केवल उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों को
(घ) उच्चतम तथा उच्च न्यायालय दोनों को

14. उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश अधिकतम कितनी आयु तक अपने पद पर कार्य । कर सकता है? [2018]
(क) 60 वर्ष
(ख) 62 वर्ष
(ग) 65 वर्ष
(घ) 67 वर्ष

15. सर्वोच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है? [2018]
(क) प्रधान न्यायाधीश
(ख) प्रधान मन्त्री
(ग) न्यायिक आयोग
(घ) राष्ट्रपति

उत्तरमाला

1. (ग), 2. (ग), 3. (घ), 4. (क), 5. (घ), 6. (घ), 7. (क), 8. (ग), 9. (घ), 10. (ग), 11. (ग), 12. (क), 13. (घ), 14. (ग), 15. (घ)