UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 1 आश्रम:

UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 1 आश्रम:

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संस्कृत पीयूषम्

आश्रमः

शब्दार्थाः– पुराकले = प्राचीन काल में, अतीव = अत्यन्त, अश्वत्थः = पीपल, परिव्याप्ती = चारों ओर से ढंका, आमलकः = आँवला, पनसः = कटहल, पेरु = अमरूद, वलीवर्दः = बैल, कुर्दनम् = कूदना, चटकानाम् = चिड़ियों का, विहाय = छोड़कर, सम्प्रत्यपि = इस समय भी ।

अस्माकं प्रदेशस्य ………………………………….. वर्षति स्म ।
हिन्दी अनुवाद-हमारे प्रदेश की राजधानी लखनऊ नगर है। उस नगर के समीप नैमिषारण्य प्राचीन तीर्थस्थल अत्यन्त प्रसिद्ध है। वहाँ पहले एक आश्रम में ऋषि, मुनि, गुरु, कवि और छात्र निवास करते थे। आश्रम के विशाल परिसर में पीपल, बरगद, नींबू और अशोक वृक्षों की गहन छाया व्याप्त रहती थी। वहाँ फले वाले आम, आँवले, कटहल और अमरूद के वृक्ष भी बहुत अधिक थे। इन वृक्षों से वहाँ पर्यावरण अत्यन्त शुद्ध था, जिनसे वहाँ शीतल वायु मन्द-मन्द लगातर बहती थी, समय-समय पर बादल बरसते थे।

इदानीमपि तस्मिन् ………………………….. खादन्ति स्म च ।
हिन्दी अनुवाद-अभी भी उस आश्रम में गायें, बैल, घोड़े और अन्य पशु स्वतन्त्रता से चरते हैं। पेड़ों पर बन्दरों का कूदना, चिड़ियों का चहकना, मोरों का नाचना और मुर्गी की तालध्वनियाँ दर्शकों को आनन्द देती हैं।

उस आश्रम के निकट गोमती नदी बहती है । उसको निर्मल जेल सब आश्रमवासी लोग पीते हैं । पहले पशु और पक्षी विरोध छोड़कर एक ही घाट पर पानी पीते थे, एक जगह रहते थे और वहीं खाते थे।

तत्र छात्राणां …………………………………. आसन्
हिन्दी अनुवाद-वहाँ छात्रों के लिए ये नियम थे- प्रातः सूर्योदय से पहले उठना चाहिए, नदी में स्नान करना चाहिए, संध्या वन्दना करनी चाहिए, ईश्वर का नमन करना चाहिए, एक साथ खाना चाहिए। इसके बाद पढ़ने के लिए कक्षाओं में जाना चाहिए । आश्रम के इन नियमों को सब छात्र अच्छी तरह से पालन करते थे।

संप्रत्यपि आश्रमोऽयं ………………………….. भवेत् ।
हिन्दी अनुवाद-आज-कल भी यह आश्रम छात्रों को अच्छे संस्कार देता है । वहाँ जातिगत भेदभाव बिना सब निवास करते हैं। स्वास्थ्य के संवर्धन के लिए वहाँ व्यायाम, योग की प्राकृतिक चिकित्सा और शिक्षण प्रचलित है और वह आश्रम त्याग, तपस्या, परोपकार, उदारता की शिक्षा देता है। इस प्रकार के आश्रम आजकल सब जगह होने चाहिए।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत-
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत-
(क) आश्रमस्य समीपे का नदी प्रवहति?
उत्तर
गोमती नदी

(ख) काले काले कः वर्षति स्मः ?
उत्तर
मेघः

(ग) वृक्षेषु कस्य कूर्दनम् आनन्दं ददाति?
उत्तर
वानरस्य

(घ) आश्रमे भेदभावं विना के निवसन्ति?
उत्तर
छात्राः

प्रश्न 3.
प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) आश्रमे स्वच्छन्द के के विचरन्ति?
उत्तर
धेनवः, बलिवर्दाः, अश्वाः , अन्ये च।

(ख) स्वास्थ्यसंवर्धनाय आश्रमे किं किं भवति ?
उत्तर
नाना विधानाः व्यायामाः।

(ग) छात्राणां कृते आश्रमे के के नियमाः आसन् ?
उत्तर
छात्राणां कृते एते नियमाः आसन्- प्रातः सूर्योदयात् पूर्वम् उत्थातव्यम्, नद्यां स्नानं कर्तव्यम्, सन्ध्या वन्दनं करणीयम्, ईश्वरः नमनीयः सहैव खादनीयं ततः पठनाय कक्षायां गन्तव्यम् । एतान् आश्रमनियमान् सर्वे छात्रीः सम्यक् प्रत्यापालयन।

(घ) आश्रमः किं किं शिक्षयति?
उत्तर
आश्रमः त्याग, तपस्या, परोपकार, उदारतां च शिक्षयति ।

प्रश्न 4.
उचित मेलनं कृत्वा लिखत ( मिलान करके)
उत्तर

प्रश्न 5.
अधोलिखित पदानां सन्धि-विच्छेदं कुरुत (करके)
उत्तर

प्रश्न 6.
उदाहरणानुसारं पदरचनां कुरुत (रचना करके)
उत्तर

प्रश्न 7.
विचिन्त्य उत्तराणि लिखत-
(क) फलदायकानां पञ्चवृक्षाणां नामानि लिखत।
उत्तर
आम्रम्, पनसः, पेरुवृक्षाः, कदली, नारिकेलः।

(ख) अनुस्वारसन्धियुक्तानि पञ्चवाक्यानि लिखत।।
उत्तर

  1. अस्माकं प्रदेशस्य सीतापुरजनपदे नैमिषारण्यं प्राचीनं तीर्थस्थलम् अतीव प्रसिद्धम् अस्ति। तत्र पुरा काले एकस्मिन् आश्रमे ऋषयः मुनयः गुरवः कवयः छात्राश्च निवसन्ति स्म।
  2. आश्रमस्य विशाले परिसरे अश्वत्थ-वट-निम्बाशोक-वृक्षाणां गहना छाया परिव्याप्तासीत्। तत्र फलशालिनः आम्राऽऽमलक-पनस-पेरुवृक्षाः अपि विपुलाः आसन्।।
  3. एभिः वृक्षैः तत्र पर्यावरणम् अत्यन्तं शुद्धमासीत्, येन शीतलाः वायवः मन्द-मन्दं निरन्तरं वहन्ति स्म, काले-काले च मेघः वर्षति स्म। इदानीमपि तस्मिन् आश्रमे धेनवः बलीवर्दाः अश्वाः अन्ये च पशवः स्वच्छन्दं चरन्ति।
  4. वृक्षेषु कपीनां कूर्दनम्, चटकानां कूजनम् मयूराणां नर्तनम् दर्शकेभ्यः आनन्दं ददति। तस्याश्रमस्य सपीपे गोमती नदी प्रवहति। तस्याः निर्मलं जलं सर्वे आश्रमवासिनः पिबन्ति स्म। आश्रमे पशवः पक्षिणश्च विरोधं विहाय एकस्मिन् घट्टे पानीयम् पिबन्ति स्म, एकत्र वसन्ति स्म, तत्रैव खादन्ति स्म च।
  5. तस्मिन् आश्रमे पाठशालायां बालकाः बालिकाश्च सहैवापठन्।

(ग) जीवने वृक्षाणाम् उपयोगं लिखत।
उत्तर
जीवने वृक्षाणां बहु उपयोगं अस्ति। एभिः विना जीवनः असम्भवः। वृक्षैः पर्यावरणं रक्षितम्। पर्यावरणेन सृष्टिं रक्षितम्। सृष्ट्याः पृथिवी रक्षिता।।

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