UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 1 शिक्षिका द्वारा प्रतिदर्श बजट का प्रदर्शन

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
पारिवारिक बजट से आप क्या समझती हैं? पारिवारिक बजट के मुख्य उद्देश्यों का भी उल्लेख कीजिए। [2007, 09, 11, 12, 14, 15]
या
पारिवारिक बजट बनाने का अर्थ स्पष्ट कीजिए। [2007, 08, 09, 12, 17]
या
बजट बनाने के उद्देश्य लिखिए। [2016]
उत्तर:
पारिवारिक बजट का अर्थ एवं परिभाषाएँ । परिवार एक ऐसा केन्द्र है जहाँ व्यक्ति की सभी प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए यथा-सम्भव प्रयास किए जाते हैं। प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति के लिए कुछ-न-कुछ धन अवश्य व्यय करना पड़ता है। प्रत्येक व्यय परिवार की आय में से ही किया जाता है।
परिवार में होने वाले इस आय-व्यय को सुनियोजित ढंग से लिखित रूप प्रदान करना ही पारिवारिक बजट बनाना कहलाता है।

पारिवारिक बजट में परिवार की आय को ध्यान में रखते हुए समस्त नियमित एवं सम्भावित व्ययों को नियोजित रूप से लिख लिया जाता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि परिवार में चलने वाली आय-व्यय की प्रक्रिया को व्यवस्थित रूप में अंकित कर देने वाला प्रपत्र ही पारिवारिक बजट कहलाता है।
यह आय-व्यय विवरण-प्रपत्र एक निश्चित अवधि के लिए होता है। यह अवधि सामान्य रूप से एक माह या एक वर्ष हुआ करती है।

इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए पारिवारिक बजट का अर्थ इन शब्दों में स्पष्ट किया जा सकता है, “पारिवारिक बजट किसी निश्चित अवधि में परिवार के होने वाले आय-व्यय को दर्शाने वाला प्रपत्र होता है। पारिवारिक बजट में आगामी माह या आगामी वर्ष के लिए प्रस्तावित आय-व्यय का अनुमानित प्रारूप भी समाविष्ट होता है।

बजट के सामान्य अर्थ को जान लेने के उपरान्त इस अवधारणा की व्यवस्थित परिभाषा का उल्लेख करना भी आवश्यक हो जाता है। बजट की कुछ मुख्य परिभाषाएँ निम्नवर्णित हैं

(1) वेबर द्वारा प्रतिपादित परिभाषा-“पारिवारिक बजट पारिवारिक आय को व्यवस्थित रूप से ऐसी बातों के लिए व्यय करने का तरीका है, जिससे कि अधिक-से-अधिक सदस्यों के सुख व कल्याण में वृद्धि हो सके। पारिवारिक बजट असावधानीपूर्वक तथा अव्यवस्थित रूप से व्यय करने के तरीके के स्थान पर योजनाबद्ध तथा विवेकपूर्ण व्यय को प्रतिस्थापित करने का तरीका है।”

(2) क्रेग तथा रश द्वारा प्रतिपादित परिभाषा-“बजट भूत के व्यय, भविष्य के अनुमानित व्यय और वर्तमान समय की मदों पर निश्चित व्यय का लेखा-जोखा है।”
उपर्युक्त परिभाषाओं द्वारा पारिवारिक बजट का अर्थ स्पष्ट हो जाता है। बजट वास्तव में वह अनुमानित व्यय विवरण है, जो किसी परिवार द्वारा एक निश्चित आगामी अवधि के लिए पर्याप्त सूझबूझ एवं उपलब्ध आर्थिक आँकड़ों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। पारिवारिक आवश्यकताओं की समुचित पूर्ति तथा गृह-अर्थव्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए पारिवारिक बजट का बनाना तथा उसका पालन करना आवश्यक माना जाता है।

पारिवारिक बजट के मुख्य उद्देश्य
पारिवारिक बजट परिवार की अर्थव्यवस्था का सुनियोजित विवरण होता है। अत: प्रत्येक परिवार में इसका बुद्धिमत्तापूर्ण निर्माण अत्यन्त आवश्यक है। इसके निर्माण के मुख्य उद्देश्य अग्रलिखित हैं

  1. परिवार के सदस्यों की संख्या एवं उनकी कुल आय का सही विवरण रखना।
  2. सभी प्रकार के व्ययों का क्रमिक ज्ञान प्राप्त करना।
  3. पारिवारिक आवश्यकताओं एवं रहन-सहन के स्तर का ध्यान रखना।
  4. आकस्मिक कार्यों के लिए बचत का प्रावधान रखना।
  5. पारिवारिक आय में वृद्धि करने के लिए परिजनों को प्रेरित करना।
  6.  परिवार के सदस्यों द्वारा किए जाने वाले अनावश्यक व्यय को नियन्त्रित करना।
  7. उपर्युक्त विवरण से पारिवारिक बजट का अर्थ एवं मूल उद्देश्य सुस्पष्ट हैं। अतः प्रत्येक गृहिणी । को पारिवारिक आय-व्यय को बजट अवश्य ही बनाना चाहिए तथा उसी के अनुसार व्यय तथा बचत को नियमित करना चाहिए।

प्रश्न 2.
पारिवारिक बजट के निर्माण एवं उसके क्रियान्वयन में मुख्य रूप से किन-किन सिद्धान्तों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है? स्पष्ट कीजिए। पारिवारिक बजट के निर्माणक सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए [2007] पारिवारिक बजट के मुख्य सिद्धान्त कौन-कौन से होते हैं? [2007] पारिवारिक बजट तैयार करते समय किन-किन सिद्धान्तों को ध्यान में रखना आवश्यक है? [2018]
उत्तर:
पारिवारिक बजट के मूल सिद्धान्त पारिवारिक बजट का निर्माण स्वयं में एक महत्त्वपूर्ण एवं व्यवस्थित कार्य है। पारिवारिक बजट बनाने तथा उसकी सफलता के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित सिद्धान्तों को ध्यान में रखना आवश्यक है-

  1.  कुल आय का ज्ञान-पारिवारिक आय प्रायः वेतन, व्यवसाय, ब्याज, सम्पत्ति का किराया आदि के रूप में प्राप्त होती है। बजट बनाने का पहला कदम परिवार की कुल आय का ज्ञान होना है। सैद्धान्तिक रूप से परिवार की सम्पूर्ण आय को जान लेने के उपरान्त ही बजट बनाने की प्रक्रिया प्रारम्भ की जानी चाहिए। पारिवारिक बजेट की सफलता के लिए आवश्यक है कि परिवार के सभी सदस्यों द्वारा अपनी-अपनी आय का सही विवरण प्रस्तुत किया जाए।
  2.  मूल आवश्यकताओं की जानकारी गृहिणी को परिवार की सम्भावित मूल आवश्यकताओं की जानकारी होनी चाहिए और आय का अधिकतर भाग इन पर ही व्यय करना चाहिए। यदि आय कम हो, तो मूल आवश्यकताओं की पूर्ति उनकी प्राथमिकता के क्रम में की जानी चाहिए।
  3. बचत की व्यवस्था सम्बन्धी सिद्धान्त-सैद्धान्तिक रूप से पारिवारिक बजट बनाते समय बचत का प्रावधान अवश्य रखना चाहिए। पारिवारिक अर्थव्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए बचत महत्त्वपूर्ण तथा आवश्यक होती है। बचत की दर का निर्धारण आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर सूझबूझपूर्वक होना चाहिए।
  4.  लचीला बजट-किसी भी परिवार में आय-व्यय का कठोरतापूर्वक संचालन, सदस्यों में असन्तोष एवं कलह का वातावरण उत्पन्न कर सकता है। अतः सैद्धान्तिक रूप से पारिवारिक बजट लचीला होना चाहिए, जिससे अनुमानों में यदि कुछ परिवर्तन भी करना पड़े, तो कोई विशेष कठिनाई न हो |
  5. आकस्मिक आवश्यकताओं के लिए व्यवस्था—पारिवारिक बजट बनाने की एक सैद्धान्तिक मान्यता यह है कि बजट में भी परिवार की कुछ आकस्मिक आवश्यकताओं तथा उनकी पूर्ति के लिए व्यय का प्रावधान रखा जाए। आकस्मिक आवश्यकताओं पर होने वाले व्यय का निर्धारण अनुमान द्वारा तथा विगत कुछ माह तक हुए आकस्मिक व्यय के विश्लेषण द्वारा किया जा सकता है।
  6. बजट का निरीक्षण एवं विश्लेषण–पारिवारिक आय प्रायः घटती-बढ़ती रहती है। इसी प्रकार विभिन्न वस्तुओं के मूल्यों में भी समय-समय पर गिरावट एवं वृद्धि होती रहती है। अत: बजट बनाते समय इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। गत बजट अथवा बजटों का निरीक्षण एवं विश्लेषण करने पर गृहिणी को विभिन्न आवश्यकताओं की सन्तुष्टि पर हुए उचित अथवा अनुचित, कम अथवा अधिक व्यय के विषय में प्रामाणिक जानकारी मिलती है। इसका उपयोग गृहिणी भविष्य में बनाए जाने वाले बजट में कर सकती है।
  7.  मासिक बजट का निर्माण वार्षिक बजट की पृष्ठभूमि में हो-पारिवारिक मासिक बजट को वार्षिक बजट की पृष्ठभूमि में ही तैयार करना चाहिए। इसका कारण यह है कि प्रत्येक परिवार में कुछ ऐसे व्यय होते हैं जो वर्ष के प्रत्येक माह में समान रूप से नहीं होते।
    किसी माह में कम होते हैं, तो किसी माह में अधिक। इसके अतिरिक्त यह भी सत्य है कि वर्ष के प्रत्येक माह में परिवार की आय भी समान नहीं होती। आय-व्यय सम्बन्धी इस अन्तर के ही कारण कहा जाता है कि पारिवारिक मासिक बजट वार्षिक बजट की पृष्ठभूमि में ही तैयार किया जाना चाहिए।
    उपर्युक्त विवरण द्वारा पारिवारिक बजट के निर्माण की प्रक्रिया के सैद्धान्तिक पक्ष का सामान्य परिचय प्राप्त हो जाता है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि प्रत्येक परिवार की आर्थिक परिस्थितियों तथा आवश्यकताओं की प्राथमिकता भिन्न-भिन्न होती है। अतः पारिवारिक बजट को व्यावहारिक बनाने तथा उसको सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए, विशेष सूझ-बूझ एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक होता है।

प्रश्न 3.
पारिवारिक बजट का क्या महत्त्व है? इससे परिवार को होने वाले लाभों का भी वर्णन कीजिए। [2018]
या
स्पष्ट कीजिए कि “बजट से न केवल गृहिणियाँ ही लाभान्वित होती हैं, बल्कि इससे अर्थशास्त्रियों, समाज-सुधारकों तथा सरकार को भी लाभ होता है।”
या
पारिवारिक बजट से गृहिणियों को क्या लाभ होता है? [2009, 10, 12, 13, 15, 17]
या
बजट बनाने से परिवार को होने वाले लाभों का वर्णन कीजिए। (2017)
या
“पारिवारिक बजट गृहिणी के आय-व्यय को नियन्त्रित करने के लिए आवश्यक है।” स्पष्ट कीजिए।[2009, 12, 13, 14]
या
घर का बजट बनाने के क्या लाभ हैं? एन्जिल के बजट बनाने के सिद्धान्त को विस्तारपूर्वक लिखिए।[ 2008, 11 ]
या
बजट बनाने के लाभ लिखिए। [2007, 11, 13, 14, 16, 17]
उत्तर:
पारिवारिक बजट का महत्त्व या लाभ पारिवारिक बजट परिवार की आर्थिक दशा का वह विवरण है जिसकी सहायता से गृहिणी परिवार के आय-व्यय के सन्तुलन को बनाये रख सकती है। पारिवारिक बजट से न केवल गृहिणियाँ ही लाभान्वित होती हैं, बल्कि इससे अर्थशास्त्रियों, समाज-सुधारकों तथा सरकार को भी लाभ होता है।
पारिवारिक बजट बनाने के अनेक लाभ हैं। कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं
(क) गृहिणियों तथा परिवार को लाभ
पारिवारिक बजट से सर्वाधिक लाभ गृहिणियों तथा परिवार को ही होता है। पारिवारिक बजट से गृहिणियों को प्राप्त होने वाले लाभ का विवरण अग्रलिखित है

  1. अनावश्यक व्यय के नियन्त्रण में सहायक-पारिवारिक समृद्धि के लिए अनिवार्य है कि अनावश्यक पारिवारिक व्यय को नियन्त्रित किया जाए। यदि सूझ-बूझपूर्वक पारिवारिक बजट तैयार करके उसके अनुसार ही व्यय किया जाता है तो अनावश्यक पारिवारिक व्यय स्वत: ही नियन्त्रित हो जाता है।
  2. आयव्यय में सन्तुलन बनाये रखने में सहायक-पारिवारिक बजट में पारिवारिक आय को ध्यान में रखकर ही व्यय का प्रावधान किया जाता है। इस व्यवस्था के कारण पारिवारिक आय तथा व्यय में परस्पर सन्तुलन बना रहता है तथा गृह अर्थव्यवस्था सुचारु ढंग से चलती रहती है।
  3.  मितव्ययिता की आदत के विकास में सहायक–यदि गृहिणियाँ पूर्व-निर्धारित बजट के अनुसार ही व्यय करती हैं तो व्यय की सीमाओं का ध्यान रखना पड़ता है। इससे मितव्ययिता की आदत विकसित हो जाती है। मितव्ययिता स्वयं ही एक आर्थिक सद्गुण है तथा इससे अनेक लाभ होते हैं।
  4.  पारिवारिक ऋण से बचाने में सहायक–पारिवारिक बजट के बनाने तथा उसके पालन की दशा में गृहिणियाँ अपने व्यय को निर्धारित सीमा में ही रखती हैं। इससे गृह-अर्थव्यवस्था के बिगड़ने तथा ऋणग्रस्तता के अवसर नहीं आते।
  5.  परिजनों की आवश्यकता-पूर्ति में सहायक–गृहिणी का कर्तव्य है कि वह परिवार के सभी सदस्यों की मुख्य आवश्यकताओं की समुचित पूर्ति का ध्यान रखे। पारिवारिक बजट गृहिणी के अपने इस कर्तव्य की पूर्ति में सहायक होता है। वास्तव में पारिवारिक बजट में परिवार के सभी सदस्यों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकार किया जाता है तथा उनकी पूर्ति के लिए व्यय का प्रावधान रखा जाता है।
  6. पारिवारिक बचत में सहायक-कुशल गृहिणियाँ पारिवारिक बचत को आवश्यक मानती हैं। उत्तम पारिवारिक बजट में बचत का अनिवार्य रूप से प्रावधान होता है। इस प्रकार बजट का पालन करके गृहिणियाँ बचत करने में सफल हो जाती हैं।
  7.  रहन-सहन के स्तर को उन्नत बनाने में सहायक-पारिवारिक बजट बनाकर गृहिणियाँ अपने पारिवारिक व्यय को व्यवस्थित बना लेती हैं तथा उसके आधार पर सूझ-बूझपूर्वक आय को इस ढंग से व्यय करती हैं, जिससे परिवार के रहन-सहन का स्तर उन्नत बना रहता है।
  8.  पारिवारिक सुख-शान्ति एवं समृद्धि में सहायक-सभी गृहिणियाँ चाहती हैं कि उनके परिवार में सुख-शान्ति एवं समृद्धि का वातावरण बना रहे। पारिवारिक बजट का निर्माण तथा उसका पालन इस उद्देश्य की पूर्ति में सहायक होता है। पारिवारिक बजट परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक होता है तथा नियमित बचत के अवसर भी प्रदान करता है। इससे परिवार की अर्थव्यवस्था सुचारु बनी रहती है तथा परिणामस्वरूप पारिवारिक सुख-शान्ति एवं समृद्धि में वृद्धि होती है।

(ख) अर्थशास्त्रियों को लाभ देश के अर्थशास्त्री भी पारिवारिक बजट से लाभान्वित होते हैं। विभिन्न परिवारों द्वारा बनाये जाने वाले पारिवारिक बजटों का व्यवस्थित अध्ययन एवं विश्लेषण अर्थशास्त्रियों द्वारा किया जाता है। इस अध्ययन द्वारा उन्हें समाज में प्रचलित आय-व्यय के प्रतिमानों की विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है।
इस प्रकार की जानकारी विभिन्न प्रकार की नीतियों के निर्धारण में सहायक हो सकती है। अर्थशास्त्री इसी प्रकार की जानकारी के आधार पर आय-कर अथवा व्यय-कर सम्बन्धी नीतियों के विषय में सुझाव दे सकते हैं। पारिवारिक बजट के अध्ययन के आधार पर ही विभिन्न वर्गों के परिवारों को अपने रहन-सहन के स्तर को उन्नत बनाने के लिए उपयोगी सुझाव दिए जा सकते हैं।

(ग) समाज-सुधारकों को लाभ समाज-सुधारकों को मुख्य कार्य है समाज में व्याप्त समस्याओं के समाधान ढूँढ़ना। विभिन्न सामाजिक समस्याओं का सीधा सम्बन्ध समाज के परिवारों की आर्थिक-सामाजिक स्थिति से होता है।
उदाहरण के लिए-गरीबी, ऋणग्रस्तता, नशाखोरी, भिक्षावृत्ति आदि समस्याएँ परिवार की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करती हैं। इन समस्याओं के कारणों को जानने के लिए सम्बन्धित वर्ग के परिवारों के पारिवारिक बजट का अध्ययन करना अति आवश्यक होता है। समाज-सुधारक व्यवस्थित अध्ययन द्वारा समस्याओं के कारण एवं उनके हल ढूंढ़ा करते हैं।

(घ) शासन को लाभ पारिवारिक बजट के अध्ययन से शासन को भी लाभ होता है। देश की आर्थिक दशा को समझने के लिए, नागरिकों की समस्याओं को जानने के लिए तथा कर एवं बचत योजनाओं को लागू करने के लिए पारिवारिक बजटों से पर्याप्त सहायता मिलती है।
उदाहरण के लिए यदि किसी देश में प्रसाधन, दिखावे आदि पर अनावश्यक व्यय बढ़ रहा हो तो वहाँ शासन द्वारा इस प्रकार के व्यय को नियन्त्रित करने के लिए सम्बन्धित वस्तुओं पर कर में वृद्धि की जा सकती है।
उपर्युक्त विवरण द्वारा स्पष्ट है कि पारिवारिक बजट से अन्य पक्षों की तुलना में सर्वाधिक लाभ गहिणियों को ही प्राप्त होता है।

विशेष-‘एन्जिल द्वारा प्रतिपादित पारिवारिक बजट के सिद्धान्त के लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न 4 के अन्तर्गत ‘एन्जिल का सिद्धान्त’ देखें।

प्रश्न 4.
एन्जिल द्वारा प्रतिपादित पारिवारिक बजट के सिद्धान्त का आलोचनात्मक विवरण । प्रस्तुत कीजिए। [2008, 09]
या
बजट बनाने हेतु एन्जिल के सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए। [2014]
उत्तर:
एन्जिल का सिद्धान्त
जर्मनी के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ० अर्नेस्ट एन्जिल (Dr. Earnest Engel) ने सन् 1857 में व्यय के विभिन्न मदों को भोजन, वस्त्र, आवास, ईंधन, प्रकाश, शिक्षा एवं स्वास्थ्य आदि में बाँटकर अपना नियम बनाया, जो कि उपभोग का नियम’ कहलाता है। इसे ही ‘एन्जिल द्वारा प्रतिपादित पारिवारिक बजट का सिद्धान्त’ भी कहा जाता है। इसके अनुसार

  1. आय में वृद्धि के साथ भोजन पर व्यय होने वाला प्रतिशत कम होता जाता है।
  2. आय में परिवर्तन होने पर वस्त्रों पर होने वाला व्यय लगभग समान रहता है।
  3. आय घटने या बढ़ने पर आवास, प्रकाश व ईंधन पर व्यय का प्रतिशत लगभग स्थिर रहता है।
  4. आय बढ़ने पर शिक्षा, मनोरंजन, स्वास्थ्य एवं व्यक्तिगत सेवाओं पर प्रतिशत व्यय में वृद्धि होती जाती है।

उपर्युक्त नियमों के अनुसार यह निष्कर्ष निकलता है कि आय की वृद्धि मौलिक आवश्यकताओं पर होने वाले व्यय के प्रतिशत को प्रभावित नहीं करती, परन्तु विलासितापूर्ण आवश्यकताओं पर आय की वृद्धि के साथ व्यय का प्रतिशत बढ़ जाता है।
डॉ० एन्जिल ने परिवारों को निम्न, मध्यम तथा धनी वर्गों में बाँटकर इस बात का अध्ययन किया कि प्रत्येक वर्ग का मुख्य आवश्यकताओं पर हुआ व्यय उनकी आय का कितना प्रतिशत होता है। उनकी खोज के परिणाम निम्नवत् हैं
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एन्जिल द्वारा प्रतिपादित पारिवारिक बजट के सिद्धान्त का स्पष्टीकरण निम्नांकित रेखाचित्र के माध्यम से भी हो सकता है
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सिद्धान्त की अव्यावहारिकता अथवा आलोचना

सामान्य रूप से एन्जिल द्वारा प्रतिपादित पारिवारिक बजट का सिद्धान्त पर्याप्त लोकप्रिय रहा है, परन्तु वर्तमान परिस्थितियों में इस सिद्धान्त को व्यावहारिक तथा सैद्धान्तिक दोनों ही रूपों में दोषपूर्ण माना जाने लगा है। इस सिद्धान्त की अव्यावहारिकता अथवा कमियों का संक्षिप्त विवरण निम्नवत् है

  1. भोजन के सम्बन्ध में-मध्यम व धनी वर्ग को भोजन के लिए अधिक धन दिया गया है।
  2.  आवासीय व्यवस्था-धनी व मध्यम वर्ग का आवासीय किराया आधुनिक युग के अनुरूप नहीं है। यह अपेक्षाकृत कम है। आधुनिक नगरीय क्षेत्रों में आवासीय किराए बहुत अधिक हो गए हैं।
  3.  शिक्षा, स्वास्थ्य एवं मनोरंजन–प्रायः धनी व मध्यम वर्ग इन मदों पर अधिक धन व्यय करते हैं।
  4. काश व्यवस्था-प्रकाश व्यवस्था पर होने वाले व्यय के प्रतिशत में वृद्धि, आय की वृद्धि के साथ-साथ ही होती है।
  5.  पारिवारिक बचत की अवहेलना-एन्जिल के बजट में बचत का कोई प्रावधान नहीं है। आधुनिक संघर्षमय युग में पारिवारिक बचत को अनिवार्य माना जाता है।

उपर्युक्त विवरण के आधार पर कहा जा सकता है कि वर्तमान परिस्थितियों में एन्जिल का बजट सम्बन्धी सिद्धान्त पूर्णतया प्रासंगिक नहीं है। वास्तव में भिन्न-भिन्न आय वर्गों के लिए आवश्यक मदों पर व्यय के प्रतिशत को निर्धारित करना कठिन है।
उदाहरण के लिए वर्तमान परिस्थितियों में एक मध्यमवर्गीय परिवार द्वारा अपनी आय के 12% में आवास सुविधा उपलब्ध करनी सम्भव नहीं है। इसी प्रकार धनी वर्ग द्वारा भोजन पर आय का 50% व्यय नहीं होता। इसी प्रकार शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन आदि के लिए निर्धारित प्रतिशत व्यय अपर्याप्त है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान परिस्थितियों में एन्जिल के बजट सम्बन्धी सिद्धान्त में अभीष्ट परिवर्तन अनिवार्य है।

प्रश्न 5.
पारिवारिक आय और व्यय का लेखा रखना क्यों आवश्यक है? सामान्य रूपरेखा भी प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
परिवार का मासिक बजट बनाने के लिए वार्षिक आय-व्यय का लेखा अथवा चार्ट बनाना आवश्यक है। इसकी रूपरेखा निम्नलिखित है
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प्रायः कम आय अथवा धन के अपव्यय के कारण पूर्वानुमान वास्तविक व्यय से बहुत कम होता है। अत: मासिक बजट में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इनके निराकरण के निम्नलिखित उपाय सम्भव हो सकते हैं

  1. बजट की कुछ मदें; जैसे कि समाचार-पत्र, आवासीय किराया आदि; ऐसी हैं जिन पर होने वाले व्यय को कम नहीं किया जा सकता।
  2.  वस्त्र, उपहार, दान, मनोरंजन इत्यादि ऐसी मदें हैं जिन पर होने वाले व्यय को कम किया जा सकता है।
  3.  मितव्ययिता के आवश्यक तत्त्वों का पालन कर धने का कम-से-कम व्यय कर अधिक आवश्यक मदों की पूर्ति की जा सकती है।
  4. परन्तु उपर्युक्त सभी उपाय तभी सम्भव हैं, जब कि पारिवारिक आय एवं व्यय का लेखा रखा जाए।

प्रश्न 6.
प्रतिदर्श बजट से आप क्या समझती हैं? 4800 मासिक आय वाले एक ऐसे परिवार का अनुमानित बजट बनाइए जो किराये के मकान में रहता है तथा उसमें पति-पत्नी के
अतिरिक्त दो बच्चे हैं।
या
एक मध्यम वर्ग के परिवार के बजट का नमूना बनाइए। , [2008, 11, 12, 14]
उत्तर:
प्रतिदर्श बजट मॉडल अथवा आदर्श बजट को प्रतिदर्श बजट कहते हैं। यह किसी विशिष्ट परिवार का बजट न होकर एक अनुमानित तथा सामान्य बजट होता है। प्रतिदर्श बजट के आधार पर किसी भी विशिष्ट परिवार का बजट बनाया जा सकता है। प्रतिदर्श बजट-निर्माण के निम्नलिखित चरण होते हैं

(1) प्रारम्भिक विभाग–यह सूचना-प्रधान चरण है। इसमें

  1. परिवार के सदस्यों की संख्या,
  2.  विभिन्न स्रोतों से होने वाली पारिवारिक आय,
  3.  बजट की अवधि (मासिक अथवा वार्षिक) इत्यादि सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं।

(2) अनुमान विभाग–इस चरण में उपभोग एवं व्यय के विषय में अनुमान लगाया जाता है; जैसे कि

  1. परिवार विशेष के व्यय की विभिन्न मदों का अनुमान,
  2.  उपभोग में आने वाली वस्तुओं की संख्या और मात्रा,
  3. वस्तुओं का मूल्य तथा उन पर व्यय किये जाने वाले कुल धन का पता लगाना।

(3) सारांश विभाग–बजट-निर्माण के तृतीय चरण में निम्नलिखित दो उप-चरण होते हैं|

  1. व्यय की विभिन्न मदों पर कुल आय का कितना प्रतिशत धन व्यय हुआ।
  2.  बजट के अन्त में कितनी बचत हो पाई अथवा धन की यदि कमी हुई तो उसकी पूर्ति किस प्रकार की गई।

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संकेत-इसी आधार पर है 7200 अथवा १ 9600 मासिक आय वाले मध्यम वर्गीय परिवार के लिए बजट बनाया जा सकता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“पारिवारिक बजट गृहिणी के व्यय को नियन्त्रित करने के लिए आवश्यक है।” स्पष्ट कीजिए। [2012, 13, 14, 15]
या ।
आय और व्यय में सन्तुलन बनाए रखने के लिए आप क्या उपाय करेंगी? सोदाहरण समझाइए। [2016 ]
उत्तर:
पारिवारिक बजट द्वारा गृहिणी के व्यय का नियन्त्रण घरेलू एवं पारिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति का दायित्व सामान्यतया गृहिणी का ही होता है। इसके लिए गृहिणी को व्यय करना होता है। आवश्यकताएँ असीमित जब कि आय सीमित होती है। इस स्थिति में परिवार के सदस्यों की अधिक-से-अधिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विशेष सूझ-बूझपूर्वक तथा व्यवस्थित ढंग से व्यय करना आवश्यक होता है।
पारिवारिक व्यय को आय की सीमाओं में रखने के लिए आवश्यक है कि सम्पूर्ण अनुमानित व्यय को लिख लिया जाए तथा उसका लेखा-जोखा पारिवारिक आय के अनुरूप तैयार किया जाए। इस प्रक्रिया को ही पारिवारिक बजट बनाना कहते हैं। पारिवारिक बजट बनाते समय आय को ध्यान में रखकर कुछ कम महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति को छोड़ दिया जाता है। इस प्रकार आय के अनुसार व्यय को निर्धारित करके बनाए गए बजट का पालन करके व्यय को नियन्त्रित किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
पारिवारिक बजट के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए। आप किस प्रकार के बजट को उत्तम मानती हैं और क्यों? [2008, 15]
या ।
पारिवारिक बजट के प्रकार बताइए। [2010, 13, 14, 17]
या
आय-व्यय में सन्तुलन रखने के लिए कौन-सा बजट उत्तम होगा? [2008]
उत्तर:
पारिवारिक बजट के प्रकार । पारिवारिक बजट में मुख्य रूप से तीन तत्त्व होते हैं-आय, व्यय तथा बचत। इन तीनों तत्त्वों का समुचित ध्यान रखते हुए निम्नलिखित तीन प्रकार के पारिवारिक बजटों का निर्धारण किया जा सकता है

  1.  सन्तुलित बजट-इस प्रकार के बजट में अनुमानित आय के बराबर ही प्रस्तावित व्यय होता है। इसमें न बचत दिखाई जाती है और न ही घाटा दिखाया जाता है। सन्तुलित बजट में ऋण लेने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस प्रकार के पारिवारिक बजट को उत्तम बजट नहीं माना जा सकता। यह एक प्रकार से कामचलाऊ बजट होता है।
  2.  घाटे का बजट-इस प्रकार के बजट में अनुमानित आय की अपेक्षा प्रस्तावित व्यय अधिक होता है, जिसके कारण संचित धन का उपयोग करना पड़ता है या फिर ऋण लेना पड़ता है अथवा पारिवारिक आय को अन्य साधनों द्वारा बढ़ाना पड़ता है या वस्तुओं को बेचना पड़ता है। इस प्रकार का पारिवारिक बजट केवल मजबूरी में ही अल्प अवधि के लिए बनाया जाना चाहिए तथा पुनः परिस्थितियाँ अनुकूल हो जाने पर इसे छोड़ दिया जाना चाहिए। इस प्रकार के बजट को अच्छा नहीं माना जाता।
  3. बचत का बजट-इस प्रकार के बजट में अनुमानित आय की अपेक्षा प्रस्तावित व्यय सदैव कम होती है, जिससे कुछ धनराशि भविष्य की आकस्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बची रहती है। इस प्रकार के बजट पारिवारिक आर्थिक सुरक्षा की दृष्टि से बहुत लाभप्रद होते हैं।
    उपर्युक्त विवरण द्वारा पारिवारिक बजट के तीनों प्रकारों के गुण-दोषों की जानकारी प्राप्त हो जाती है। इस विवरण के आधार पर हम कह सकते हैं कि ‘बचत का बजट’ सर्वोत्तम पारिवारिक बजट होता है।

प्रश्न 3
पारिवारिक बजट के प्रमुख मद कौन-कौन से होते हैं? [2008, 10, 12, 13, 15, 17]
या
पारिवारिक बजट को प्रभावित करने वाले मद कौन-कौन से हैं? [2017]
या
घर के बजट की मुख्य मदों की सूची बनाइए। [2018, 18 ]
उत्तर:
पारिवारिक बजट में परिवार के सभी सदस्यों की अधिक-से-अधिक आवश्यकताओं की पूर्ति को ध्यान में रखा जाता है; अतः पारिवारिक बजट का निर्माण करते समय विभिन्न मदों को उसमें सम्मिलित किया जाता है। इस स्थिति में पारिवारिक बजट में मुख्य रूप से निम्नवर्णित मदों को प्राथमिकता दी जाती है

  1. आहार एवं सम्बन्धित सामग्री
  2.  वस्त्र एवं परिधान सम्बन्धी मद
  3.  आवास सम्बन्धी मद,
  4. बच्चों की शिक्षा सम्बन्धित मद
  5.  स्वास्थ्य तथा चिकित्सा सम्बन्धी मद
  6. यातायात एवं वाहन सम्बन्धी व्यय का मद
  7. अन्य घरेलू व्यय सम्बन्धी मद
  8.  व्यक्तिगत व्यय सम्बन्धी मद तथा
  9. पारिवारिक बचत सम्बन्धी मद।। पारिवारिक बजट में इन मदों की प्राथमिकता का निर्धारण परिवार की पारिवारिक एवं आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किया जाता है। ये सभी मद पारिवारिक बजट को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 4.
बजट में बचत करना क्यों आवश्यक है? समझाइए। या बजट में बचत का क्या महत्त्व है? [2008]
उत्तर:
एक आदर्श बजट में बचत का प्रावधान सदैव ही रखा जाता है। परिवार के भविष्य की सुरक्षा एवं आकस्मिक कार्यों के लिए बचत ही एकमात्र विकल्प है। उदाहरण के लिए-आकस्मिक रोगों के उपचार के लिए आवश्यक धन बचत की मद से ही उपलब्ध होता है। इसी प्रकार परिवार में विवाह आदि पर होने वाले व्यय, भवन-निर्माण एवं वृद्धावस्था में आत्मनिर्भरता इत्यादि महत्त्वपूर्ण कार्यों को सफलतापूर्वक सम्पन्न करने के लिए बचत द्वारा अर्जित किया धन उपयोग में आता है।

प्रश्न 5
पारिवारिक बजट बनाने के मार्ग में आने वाली मुख्य बाधाओं का वर्णन कीजिए। या पारिवारिक बजट के निर्माण एवं सफलता के मार्ग में कौन-कौन सी बाधाएँ उत्पन्न हुआ करती हैं?[2014]
उत्तर:
पारिवारिक बजट के महत्त्व को हर कोई स्वीकार करता है, परन्तु व्यवहार में बहुत कम परिवार ही नियमित रूप से पारिवारिक बजट का निर्माण तथा उसका पालन करते हैं। पारिवारिक बजट के निर्माण एवं उसकी सफलता के मार्ग में मुख्य रूप से निम्नलिखित बाधाएँ उत्पन्न हुआ करती हैं

(1) अशिक्षा तथा अज्ञानता–हमारे समाज में सामान्य शिक्षा तथा ज्ञान की कमी है। अधिकांश गृहिणियाँ समुचित रूप से शिक्षित नहीं हैं। ऐसी स्थिति में व्यवस्थित पारिवारिक बजट बनाना तथा उसका पालन करना प्रायः सम्भव नहीं होता। अधिकांश गृहिणियाँ बजट के लाभ से भी परिचित नहीं हैं।

(2) बजट के प्रति उदासीनता-समाज में बहुत-सी गृहिणियाँ ऐसी भी हैं जो पारिवारिक बजट बना सकती हैं तथा यदा-कदा इसके लिए प्रयास भी करती हैं, परन्तु विभिन्न कारणों से वे पारिवारिक बजट के प्रति पूरी तरह से ईमानदार नहीं रह पातीं। वे शीघ्र ही पारिवारिक बजट को एक झंझट मानकर छोड़ देती हैं। गृहिणियों की बजट के प्रति यह उदासीनता भी पारिवारिक बजट की सफलता में बाधक होती है।

(3) समाज में प्रचलित कुप्रथाएँ-हमारे देश में पारिवारिक बजट-व्यवस्था की असफलता का एक कारण समाज में प्रचलित विभिन्न प्रकार की कुप्रथाएँ भी हैं। समाज में प्रचलित कुप्रथाएँ पारिवारिक बजट को दो प्रकार से प्रभावित करती हैं। अनेक परिवारों में गृहिणियों को अर्थव्यवस्था में अपना परामर्श एवं सक्रिय योगदान देने से वंचित रखने की प्रथा है। इस स्थिति में गृहिणियाँ पारिवारिक बजट का अनुपालन कैसे कर सकती हैं? इसके अतिरिक्त समाज में प्रचलित कुछ प्रथाएँ लोगों को अनावश्यक व्यय करने के लिए बाध्य कर देती हैं। नामकरण, कर्ण-छेदन, विवाह तथा अन्त्येष्टि आदि संस्कारों पर अनावश्यक व्यय के परिणामस्वरूप पारिवारिक बजट प्रायः असफल हो जाता है तथा सामाजिक प्रतिष्ठा आदि के लिए परिवार ऋणभार से दब जाते हैं।

प्रश्न 6
उच्च एवं निम्न वर्गों के बजट में क्या अन्तर है? समझाइए।
उत्तर:
उच्च एवं निम्न वर्गों के पारिवारिक बजटों में पर्याप्त अन्तर पाया जाता है। ये अन्तर निम्नलिखित हैं|

  1. भोजन व प्रतिशत व्यय-उच्च वर्ग के परिवार का भोजन पर प्रतिशत व्यय निम्न वर्ग के प्रतिशत व्यय से अपेक्षाकृत कम होता है।
  2.  शिक्षा, स्वास्थ्य एवं मनोरंजन पर प्रतिशत व्यय-उच्च वर्ग के परिवार को शिक्षा, स्वास्थ्य एवं मनोरंजन की मदों पर प्रतिशत व्यय निम्न वर्ग के प्रतिशत व्यय से अपेक्षाकृत अधिक होता है।
  3.  बचत की राशि-उच्च वर्ग को परिवार निम्न वर्ग के परिवार की अपेक्षा बचत करने की अधिक क्षमता रखता है। अतः उच्च वर्ग का परिवार अपेक्षाकृत अधिक बचत कर सकता है।
    उपर्युक्त अन्तर के अतिरिक्त उच्च वर्ग तथा निम्न वर्ग के बजटों में प्राय: वस्त्रों, आवास, ईंधन एवं प्रकाश पर प्रतिशत व्यय में भी अन्तर हो सकता है।

प्रश्न 7
पारिवारिक दैनिक व्यय लिखने की विधि उदाहरण सहित प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
पारिवारिक बजट को सफलतापवूक लागू करने के लिए आवश्यक है कि पारिवारिक दैनिक व्यय को हाथ के हाथ व्यवस्थित ढंग से लिख लिया जाए। इससे किसी प्रकार की भूल होने की आशंका नहीं रहती तथा पारिवारिक खर्चे का आसानी से विश्लेषण भी किया जा सकता है। पारिवारिक दैनिक व्यय को किसी कॉपी या डायरी में लिखना चाहिए। इस प्रकार के हिसाब-किताब को एक दैनिक उदाहरण निम्नवर्णित है
UP Board Solutions for Class Class 10 Home Science गृह विज्ञान Chapter 1 5

प्रश्न 8.
मितव्ययिता का क्या अर्थ है? गृहिणी मितव्ययिता में किस प्रकार सहायता कर सकती है?
मितव्ययिता से आप क्या समझती हैं? गृह-व्यय में मितव्ययिता के लिए उपयोगी सुझाव दीजिए। या ।
मितव्ययिता किसे कहते हैं? घर के खर्च में मितव्ययिता के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? 2017
उत्तर:
मितव्ययिता का अर्थ
सुचारु गृह-अर्थव्यवस्था तथा पारिवारिक बजट की सफलता के लिए सर्वाधिक आवश्यक उपाय है-गृह-व्यय में मितव्ययिता को अपनाना। यहाँ यह बता देना उपयुक्त होगा कि मितव्ययिता कंजूसी नहीं है। यह अपव्यय से बचने का साधन है। मितव्ययिता में परिवार की आवश्यकताओं की या नितान्त अवहेलना नहीं की जाती, बल्कि उन्हें सूझ-बूझ द्वारा रूपान्तरित किया जाता है। इस प्रकार मितव्ययिता के अन्तर्गत कंजूसी तथा फिजूलखर्ची दोनों से ही बचा जा सकता है।
मितव्ययिता के लिए उपयोगी सुझाव गृह व्यय में मितव्ययिता के लिए निम्नलिखित बातों को अनिवार्य रूप से ध्यान में रखना चाहिए.

  1.  केवल आवश्यकता की वस्तुएँ ही खरीदें। अनावश्यक अथवा आवश्यकता से अधिक वस्तुएँ कदापि न खरीदें।
  2.  वस्तुओं का सदैव नकद भुगतान करें। उधार लेने पर सदैव हानि होती है।
  3. आवश्यकता की समस्त वस्तुएँ सदैव विश्वसनीय दुकान से ही खरीदें।
  4.  सदैव गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री ही खरीदें।
  5.  गेहूं, चावल आदि खाद्यान्न फसल के समय वर्ष भर की आवश्यकता के अनुरूप एक साथ खरीद लें।
  6. खाद्य-सामग्री के संरक्षण द्वारा भी मितव्ययिता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
  7.  यदि कोई मजबूरी न हो तो गृह-कार्यों आदि के लिए कोई नौकर न रखें।
  8.  बच्चों को पढ़ाने का कार्य जहाँ तक सम्भव हो स्वयं ही करें।
  9.  घर की सभी वस्तुओं की देखभाल नियमित रूप से करें तथा आवश्यकता पड़ने पर उनकी मरम्मत भी करवा लें।
  10.  मितव्ययिता के लिए पानी, ईंधन व प्रकाश (विद्युत) का केवल आवश्यकतानुसार ही प्रयोग करें।

प्रश्न 9.
पिछले माह के बजट का मूल्यांकन क्यों आवश्यक है? या माह के बजट का मूल्यांकन क्यों आवश्यक है? । 2017
उत्तर:
यह सत्य है कि पारिवारिक बजट पर्याप्त सूझ-बूझपूर्वक बनाया जाता है, परन्तु व्यवहार में इस बात की पर्याप्त सम्भावना होती है कि गृहिणी द्वारा तैयार किया गया बजट कुछ त्रुटियों से परिपूर्ण हो तथा यथार्थ में सफल बजट न हो। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए सैद्धान्तिक रूप से यह सुझाव दिया जाता है कि आगामी माह का बजट तैयार करते समय गत माह के बजट का समुचित मूल्यांकन कर लिया जाए।

इस मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य यह जानना होता है कि हमारे पारिवारिक बजट में किसी अनावश्यक या कम महत्त्वपूर्ण व्यय को तो सम्मिलित नहीं किया गया अथवा किसी आवश्यक मद की अवहेलना तो नहीं हुई। इसके अतिरिक्त इस प्रकार के मूल्यांकन से यह भी ज्ञात हो जाता है कि गत माह के बजट में परिवार के सभी सदस्यों की किसी अनिवार्य आवश्यकता की पूर्ति को ध्यान में नहीं रखा गया अथवा किसी प्रकार की फिजूलखर्ची तो नहीं हुई।
इसके साथ-साथ यह भी ज्ञात हो जाता है कि गत माह में परिवार द्वारा कुछ बचत की गयी है या नहीं। यदि बचत की गयी है तो कितनी बचत की गयी है? गत माह के बजट के समुचित मूल्यांकन से प्राप्त जानकारी आगामी माह के बजट के निर्धारण में विशेष रूप से सहायक सिद्ध होती है। इस तथ्य को ध्यान में रखकर ही गत माह के बजट में मूल्यांकन के सिद्धान्त को महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारिवारिक बजट की संक्षिप्त परिभाषा लिखिए। [2008, 18 ]
पारिवारिक बजट क्या है? [2008, 10, 17 ]
या
पारिवारिक बजट किसे कहते हैं ? [2009, 11]
उत्तर:
“पारिवारिक बजट किसी निश्चित अवधि में परिवार के होने वाले आय-व्यय को दर्शाने वाला प्रपत्र होता है।”

प्रश्न 2.
बजट बनाना क्यों आवश्यक है? दो लाभ लिखिए। [2007, 11, 13, 14, 17}
उत्तर:
आय-व्यय एवं बचत की ठीक जानकारी के लिए तथा गृह-अर्थव्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए बजट बनाना आवश्यक है।

प्रश्न 3.
प्राथमिकता के आधार पर पारिवारिक बजट के तीन मदों का उल्लेख कीजिए। या बजट के प्रमुख मद कौन-कौन से हैं? [2009
उत्तर:
पारिवारिक बजट के प्रमुख मद हैं

  1.  भोजन,
  2. वस्त्र,
  3.  आवास,
  4. शिक्षा एवं स्वास्थ्य

प्रश्न 4.
एक अच्छे बजट की दो विशेषताएँ लिखिए।2018
उत्तर:

  1. यह अनावश्यक व्यय को नियन्त्रित करता है तथा
  2. प्राथमिकता के आधार पर अधिक से अधिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।

प्रश्न 5.
आय-व्यय में सन्तुलन बनाये रखने का सरल उपाय क्या है?[2018]
उत्तर:
आय-व्यय में सन्तुलन बनाये रखने का सरल उपाय है उसका अनुमानित बजट बनाकर उसी के अनुसार व्यय करना तथा व्यय का विधिवत् लेखा रखना।

प्रश्न 6.
पारिवारिक बजट का क्या अर्थ है? बजट निर्माण के विभिन्न सोपान बताइए।
उत्तर:
पारिवारिक बजट किसी निश्चित अवधि में परिवार के होने वाले आय-व्यय को दर्शाने वाला प्रपत्र होता है। इसके विभिन्न सोपान हैं— भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा एवं स्वास्थ्य

प्रश्न 7.
पारिवारिक बजट का सर्वोत्तम प्रकार कौन-सा माना जाता है?
उत्तर:
‘बचत का बजट’ सर्वोत्तम प्रकार का पारिवारिक बजट माना जाता है।

प्रश्न 8.
किस प्रकार के बजट से सदैव बचना चाहिए?
उत्तर:
‘घाटे के बजट’ से सदैव बचना चाहिए।

प्रश्न 9.
पारिवारिक बजट में आय से अधिक व्यय के प्रावधान वाले बजट को कैसा बजट कहते हैं?
उत्तर:
घाटे का बजट।

प्रश्न 10.
‘एन्जिल का सिद्धान्त’ क्या है? [2008, 10, 14]
उत्तर:
जर्मनी के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ० अर्नेस्ट एन्जिल ने सन् 1857 में व्यय की विभिन्न मदों को भोजन, वस्त्र, आवास, ईंधन, प्रकाश, शिक्षा एवं स्वास्थ्य आदि में बाँटकर अपना नियम बनाया, जो कि ‘उपभोग का नियम’ कहलाती है। यही एन्जिल द्वारा प्रतिपादित ‘पारिवारिक बजट का सिद्धान्त’ भी कहलाता है।

प्रश्न 11.
एन्जिल ने बजट के अध्ययन के लिए परिवारों को कौन-कौन सी श्रेणियों में विभाजित किया था?
उत्तर:
एन्जिल ने परिवारों को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में विभाजित किया था

  1.  निम्न वर्ग,
  2. मध्यम वर्ग तथा
  3.  उच्च वर्ग।

प्रश्न 12.
पारिवारिक बजट बनाने में उत्पन्न होने वाली कोई दो बाधाएँ लिखिए।
उत्तर:
पारिवारिक बजट बनाने में अक्सर उत्पन्न होने वाली दो बाधाएँ हैं

  1. अज्ञानता या शिक्षा की कमी तथा
  2. बजट के प्रति उदासीनता।

प्रश्न 13.
मितव्ययिता का क्या अर्थ है? [2009, 10]
या
बजट में मितव्ययिता क्या है? [2010, 13]
उत्तर:
मितव्ययिता के अन्तर्गत कंजूसी तथा फिजूलखर्ची दोनों से ही बचते हुए परिवार की अधिक से-अधिक आवश्यकताओं की पूर्ति का प्रयास किया जाता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न/ प्रश्न-निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए

प्रश्न 1.
एक निश्चित अवधि के लिए पारिवारिक आय-व्यय के पूर्वानुमान को कहते है
(क) आय का विवरण
(ख) व्यय का विवरण
(ग) पारिवारिक बजेट
(घ) घरेलू हिसाब-किताब

प्रश्न 2.
आय-व्यय का सन्तुलन बनाए रखने के लिए किसकी आवश्यकता पड़ती है? (2010]
(क) बचत
(ख) बजट
(ग) ब्याज
(घ) बैंक

प्रश्न 3.
पारिवारिक बजट का कौन-सा मुख्य मद नहीं है? (2009, 10, 11]
या
कौन-सा बजट का मुख्य मद नहीं है? । [2009, 10, 11, 13, 14]
(क) मकान
(ख) भोजन
(ग) वस्त्र/शिक्षा
(घ) दुकान/फैशन

प्रश्न 4.
पारिवारिक बजट का मुख्य मद है [2018]
(क) भोजन
(ख) दुकान
(ग) मनोरंजन
(घ) फर्नीचर

प्रश्न 5.
मासिक बजट बनाना आवश्यक है [2015, 18]
(क) आय-व्यय में सन्तुलन बनाए रखने के लिए
(ख) आकस्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए
(ग) बच्चों की पढ़ाई के लिए
(घ) उपहार देने के लिए

प्रश्न 6.
पारिवारिक बजट बनाने का उद्देश्य है [2011, 12, 14, 15, 16, 17, 18
(क) बचत करना
(ख) व्यय पर नियन्त्रण
(ग) आय का ज्ञान
(घ) ये सभी

प्रश्न 7.
पारिवारिक बजट बनाने के लिए सबसे आवश्यक है
(क) आय में वृद्धि
(ख) व्यय पर नियन्त्रण
(ग) ऋण की व्यवस्था
(घ) आय-व्यय का पूर्वानुमान

प्रश्न 8.
गृह-अर्थव्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए आवश्यक हैया घर की आर्थिक व्यवस्था को ठीक रखने के लिए आवश्यक है [2013]
(क) पारिवारिक आय में वृद्धि
(ख) साधन सम्पन्न होना।
(ग) आय के अनुसार व्यय का बजट बनाना तथा उसका पालन करना
(घ) अधिक-से-अधिक कंजूसी करना

प्रश्न 9.
पारिवारिक बजट महत्त्वपूर्ण होता है
(क) गृहिणी एवं पूरे परिवार के लिए
(ख) अर्थशास्त्रियों के लिए
(ग) समाज-सुधारकों के लिए
(घ) इन सभी के लिए

प्रश्न 10.
लोकप्रिय पारिवारिक बजट का सिद्धान्त प्रस्तुत किया- [2012, 16, 17] [2012, 16, 17] |
(क) माक्र्स ने
(ख) एन्जिल ने
(ग) टॉलस्टॉय ने
(घ) माइकेल एन्जिलो ने

प्रश्न 11.
पारिवारिक बजट द्वारा अनावश्यक व्यय को
(क) सहायता प्रदान की जाती है
(ख) प्रोत्साहन दिया जाता है।
(ग) नियन्त्रित किया जाता है।
(घ) स्वीकृति प्रदान की जाती है।

प्रश्न 12.
पारिवारिक बजट के मार्ग में मुख्य बाधाएँ हैं
(क) अज्ञानता तथा अशिक्षा
(ख) बजट के प्रति उदासीनता
(ग) समाज में प्रचलित कुप्रथाएँ।
(घ) ये सभी

प्रश्न 13.
आदर्श बजट माना जाता है [2008] या सर्वोत्तम (आदर्श) पारिवारिक बजट किसे माना जाता है? [2007, 08, 14]

(क) घाटे का बजट
(ख) सन्तुलित बजट
(ग) बचत का बजट
(घ) दैनिक बजट

प्रश्न 14.
एन्जिल के अनुसार कम आय वर्ग के परिवार की आय का अधिकांश प्रतिशत व्यय इस मद पर होता है
(क) वस्त्र
(ख) भोजन
(ग) आवास
(घ) ईंधन

प्रश्न 15.
बजट बनाने से पहले आवश्यक है 2014
(क) आय का पूर्वानुमान
(ख) आय पर नियन्त्रण
(ग) व्यय पर नियन्त्रण
(घ) ये सभी

प्रश्न 16.
आय-व्यय में सन्तुलन हेतु कौन-सा साधन उपयुक्त होगा? 2015
(क) वार्षिक बजट
(ख) मासिक बजट
(ग) साप्ताहिक बजट
(घ) दैनिक बजट

उत्तर:

  1. (ग) पारिवारिक बजट
  2.  (ख) बजट
  3.  (घ) दुकान/फैशन
  4.  (क) भोजन
  5. (क) आय-व्यय में सन्तुलन बनाये रखने के लिए
  6.  (घ) ये सभी
  7. (घ) आय-व्यय का पूर्वानुमान
  8.  (ग) आय के अनुसार व्यय का बजट बनाना तथा उसका पालन करना
  9. (घ) इन सभी के लिए
  10. (ख) एन्जिल ने
  11.  (ग) नियन्त्रित किया जाता है
  12.  (घ) ये सभी
  13.  (ग) बचत को बजट
  14.  (ख) भोजन
  15. (क) आय का पूर्वानुमान
  16. (ख) मासिक बजट।

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