UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 16 अहिंसायाः जयः

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शब्दार्थाः

पुरा = प्राचीनकाल में
भीषणः = भयंकर
दस्युः = डाकू
लोकानाम् = जनता कां
असौ = वह
लुण्ठनम् = लूटना
हन्ति स्म = मारता था
यान् = जिनको
अङ्गुलीः = अँगुलियों को
छित्त्वा = काटकर
विरच्य = बनाकर
अथारयत् = पहन लियो
भृशम् = अतिशय
निग्रहणे = पकड़ने में
प्रायतत = प्रयास किया
प्रेषयत् = भेजा
नालभत = नहीं प्राप्त किया
न्यवेदयतु = निवेदन किया
उपदेष्टुम् = उपदेश देने हेतु
हन्तुमथावत् = मारने के लिए दौड़ा
प्राकाशयत् = प्रकाशित किया
अवनतोऽभूत् = झुक गया
परपीडनम् = दूसरों को सताना
प्राक्षिपत् = फेंक दिया
हिंसायाम् =हिंसा पर।

पुरा………………………………………………………….जाता।

हिंन्दी अनुवाद – प्राचीनकाल में कोसल देश में एक भयंकर डाकू रहता था। उसका नाम अंगुलिमाल था। लोगों को लूटना और मारना उसका दैनिक कार्य था। जिसको यह मारता था, उसकी अंगुली काटकर उससे माला बना गले में धारण करता था, इसलिए उसकी अंगुलिमाल नाम से ख्याति हुई।

अङ्गुलिमालस्य ……………………………………… अपाठयेत्

हिन्दी अनुवाद – अंगुलिमाल के दुष्कृत्यों से प्रजा अत्यन्त दुखी थी। राजा प्रसेनजित को भी इसके क्रूर कार्यों से अत्यधिक कष्ट प्राप्त हुआ। राजा ने उसे पकड़ने के लिए बहुत प्रयत्न किया, सैन्यबल भी भेजा, परन्तु सफलता नहीं मिली। भगवान बुद्ध के शिष्य प्रसेनजित ने उस विषय में बुद्ध से निवेदन किया। बुद्ध वहाँ आकर अंगुलिमाल के सामने धर्म का उपदेश देने गए, परन्तु वह उन्हें देखकर क्रूरता से मारने दौड़ा। बुद्ध ने अपने तपोबल से ज्ञान प्रकाशित किया, करुणा और दया भाव देखकर वह चकित हुआ तथा बुद्ध के सामने झुक गया। बुद्ध ने तब उसे धर्म, परोपकार, प्रेम और करुणा की शिक्षा पढ़ायी।

बुद्धस्य ………………………………………… विजयोऽभवत्।

हिन्दी अनुवाद – बुद्ध के उपदेश के प्रभाव से उसका अज्ञान नष्ट हो गया। उसने अंगुलियों की माला तोड़कर फेंक दी। वह हिंसा त्यागकर दयाभाव को प्राप्त हुआ। वह बुद्ध का शिष्य हो गया। इस प्रकारे, हिंसा पर अहिंसा की विजय हुई।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुते पुस्तिकायां च लिखत –
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत –

(क) कोशलदेशे कः दस्युः आसीत?
उत्तर :
अङ्गुलिमालः

(ख) अङ्गुलिमालस्य दुष्कृत्यैः के दुखिताः आसन्?
उत्तर :
प्रजा (जनाः)

(ग) कस्य उपदेशप्रभावाद् अङ्गुलिमालस्य अज्ञानान्धकारः नष्टः अभवतू?
उत्तर :
बुद्धस्य

(घ) अङ्गुलिमालः हिंसां परित्यज्य कं भावं प्राप्नोत?
उत्तर :
दयाभावं।

प्रश्न 3.
रिक्तस्थानानां पूर्ति कुरुत (पूर्ति करके) –

(क) लोकानाम् लुण्ठनं हननं चतस्य दैनिकं कृत्यम्
(ख) बुद्धस्तदा धर्मस्य परहितस्य प्रेम्णः कॅरुणायाश्च शिक्षा तस्मै चाददातू।
(ग) बुद्धस्य उपदेश प्रभावात् अङ्गुलिमालस्य अज्ञानान्धकारः नष्टः ।
(घ) सः परपीडनं हिसां च परित्यज्य दयाभावं प्राप्नोत् ।

नोट – विद्यार्थी ‘ध्यातव्यम्’ पर ध्यान दें और शिक्षक की सहायता से समझें ।

प्रश्न 4.
मञ्जूषातः पदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत (पूरे करके) –
नीत्वा पठित्वा दृष्ट्वा श्रुत्वा त्यक्त्वा पीत्वा

(क) रमा विद्यालयात् पठित्वा आगच्छति।
(ख) वाहिदः चित्रं दृष्ट्वा हसति।
(ग) बालकः कथां श्रुत्वा शेते।
(घ) मोहनः दुग्धं पीत्वा क्रीडति
(ङ) पक्षिणः तृणं नीत्वां उत्पतन्ति।
(च) वयं दुर्गुणान् त्यक्त्वा सन्मार्गे चलामः।

प्रश्न 5.
सन्धिविच्छेदं कुरुत (संधि विच्छेद करके) –


प्रश्न 6.
चक्रमध्ये त्रिषु लकारेषु क्रियापदानि सन्ति, तानि योजयत्विा वाक्यानि रचयत (वाक्य लिखकर) –

 

यथा – त्वं भोजनं कृत्वा पठ।
वयं पुस्तकम् आदाय पठामः।
रम्भा जया आरती च आसने उपविश्यु अपठन्।
वयं सर्वे प्रार्थनां कृत्वा पठामः
त्वं नदीतीरे गत्वा पठ।
ताः छात्राः पद्यम् विरच्य अपठन् ।
शिष्याः जलम् आनीय अपठन् ।।

प्रश्न 7.
पाठातू क्रियापदानि चित्वा लिखत
यथा – आसीत, अवसत्, अधारयत्, प्राप्नोत्, अलभत्, अधावतु, अभवत् ।
नोट – विद्यार्थी शिक्षण-सङ्केतः’ और ‘एतदपिजानीत, स्वयं करें।

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