UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 4 सिंचाई एवं सिंचाई के यन्त्र
These Solutions are part of UP Board Solutions for 6 Agricultural Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 4 सिंचाई एवं सिंचाई के यन्त्र
अभ्यास
प्रश्न 1.
सही उत्तर पर सही का (✓) निशान लगाइए-
(i) सिंचाई कब करनी चाहिए?
(क) जब पौधे हरे भरे दिखाई पड़े।
(ख) जब फसल को कीड़ों से बचानी हो।
(ग) जब पौधों की पत्तियाँ तेज धूप में मुरझाने लगे। ✓
(घ) जब पानी बरसने की सम्भावना हो।
(ii) फसलों को सिंचाई की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
(क) पौधों की बढ़वार के लिए ✓
(ख) पौधे की पत्तियों की बढ़वार रोकने के लिए
(ग) मृदा में वायु के संचार को बढ़ाने के लिए।
(घ) मृदा की जल धारण क्षमता की वृद्धि के लिए
(iii) किसी फसल में सिंचाई की आवश्यकता को कम करने में निम्नांकित में से कौन-सा कारक महत्त्वपूर्ण है?
(क) मृदा में उपलब्ध जैव पदार्थ की प्रचुर मात्रा ✓
(ख) बलुई मृदा
(ग) फसल में खरपतवार की अधिकता।
(घ) रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में सही कथन के सामने सही (✓) तथा गलत के सामने गलत (✗) का निशान लगाएँ –
(क) पौधों की जड़े जलीय घोल के रूप में अपना भोजन लेती हैं। (✓)
(ख) पौधों का भोजन पत्तियों द्वारा अँधेरे में बनाया जाता है। (✗)
(ग) धान की फसल में गेहूं की अपेक्षा कम सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। (✗)
(घ) जैव पदार्थ मृदा की जल धारण क्षमता को प्रभावित करता है। (✓)
(ङ) पाताल तोड़ कुएँ से जल उठाने में बिजली द्वारा संचालित पम्प की आवश्यकता पड़ती है। (✗)
(च) चेन पम्प 10 मीटर की गहराई तक सुगमतापूर्वक पानी उठाता है। (✗)
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ को स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए –
उत्तर :
प्रश्न 4.
निम्नलिखित के कारण बताइए –
(क) बलुई व बलुई दोमट मृदा में पानी शीघ्रता से रिसता है।
(ख) गर्मी में मृदा जल का वाष्पीकरण अधिक होता है।
(ग) ऊसर भूमि को सिंचाई द्वारा फसल उगाने योग्य बनाया जा सकता है।
उत्तर :
(क) बलुई व बलुई दोमट में जल धारण क्षमता नहीं के बराबर या कम होने के कारण पानी शीघ्रता से रिसता है।
(ख) गर्मी में पानी भाप बनकर उड़ता है।
(ग) ऊसर में पानी खड़ा करने (सिंचाई) से उसकी ऊपरी पर्त का खारापन नीचे चला जाता है और धान, वरषम बरसी बोते रहने से जैविक खाद के प्रयोग से वह धीरे-धीरे उपजाऊ होने लगती है।
प्रश्न 5.
फसलों में सिंचाई की जरूरत क्यों पड़ती है? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
उपयुक्त समय पर वर्षा न होने से पौधों के उपयुक्त विकास और वृद्धि के लिए कृत्रिम रूप से जल देने की प्रक्रिया की जरूरत होती है, जिसे सिंचाई कहते हैं।
प्रश्न 6.
फसलों के लिए जल की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
जल की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं –
- गर्मी में मृदा-जल का वाष्पीकरण अधिक होने से फसलों को अधिक जल चाहिए।
- बलुई व बलुई दोमट में जल रिसता है, इसलिए फसलों को अधिक जल चाहिए।
- धान, गन्ना जैसी फसलों को अधिक जल की जरूरत होती है।
- वर्षा की मात्रा व वितरण सिंचाई को प्रभावित करते हैं।
- अधिक जैविक खाद से जल धारण क्षमता बढ़ने से सिंचाई की जरूरत घटती है।
- रासायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से सिंचाई की अधिक जरूरत होती है।
प्रश्न 7.
बैड़ी तथा रहट का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर :
बेड़ी – यह एक मीटर की गहराई से पानी उठाने का साधन है। इसमें बाँस की दोहरी तथा धनी बुनाई वाली टोकरी का प्रयोग किया जाता है। टोकरी का 7 व्यास 75 सेमी होता है। टोकरी का मध्य 10 सेमी गहरा तथा किनारे पर छिछली हो जाती है। टोकरी के किनारे पर दो मीटर लम्बी चार रस्सियाँ बाँध दी जाती हैं। पानी उठाने के लिए इसमें दो व्यक्तियों की जरूरत होती है।
रहट – यह यंत्र भी कुओं से पानी निकालने के काम आता है। इसमें बहुत-सी लोहे की बाल्टियाँ माला के रूप में एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं, जो लोहे के पहिए पर घूमती हैं। बाल्टियों की संख्या कुएँ की गहराई पर निर्भर करती है। रहट चलाने के लिए एक ऊँट या दो बैलों की जरूरत होती है।
प्रश्न 8.
सिंचाई की दोन और पेच (इजिप्शियन स्कू) साधनों का तुलनात्मक वर्णन कीजिए।
उत्तर :
दोन – 1 मीटर से कम गहराई से पानी निकालते हैं। दोन 3 मी0 लम्बे टिन से निर्मित नाव जैसी । होती है। एक सिरा चौड़ा तथा मुँह बन्द होता है जबकि दूसरा सिरा सकरा और मुँह खुला होता है। इससे पानी उठाने का काम एक आदमी करता है। पानी स्रोत के समीप दो बल्लियों के बीच लगी घूरी के सहारे 4 मीटर लम्बी बल्ली के एक किनारे पर दोन को बाँधा जाता है दूसरे किनारे पर पत्थर या बोरे में मिट्टी बाँध दी जाती है।
पेच (इजिप्शियन स्क्रू) – यह लकड़ी के ढोल के समान होता है। लम्बाई लगभग 1.5 मीटर तथा व्यास लगभग 40 सेमी० होता है। यह यंत्र 40° से 45° का कोण बनाते हुए लगाया जाता है। एक सिरा पानी में लकड़ी के कुंदे पर रखा जाता है। यंत्र को घुमाने पर पानी पेच के सहारे ऊपरी सिरे से बाहर आता है। इसे चलाने के लिए दो व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 9.
सिंचाई के साधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
किसान जल स्रोतों से अपने खेतों तक जल पहुँचाने हेतु अनेक साधनों का प्रयोग करता है जैसे बेड़ी, ढेकली, दोन, चरसा, रहट, चेन पम्प आदि। इसकी विस्तृत जानकारी निम्नवत है –
1. बेड़ी (दौरी या दोगला) – यह एक मीटर की गहराई से पानी उठाने के लिए प्रचलित साधन है। इसमें बाँस की दोहरी तथा घनी बुनाई द्वारा तैयारी टोकरी प्रयोग में लाई जाती है।
2. ढेकली – इसे 3 से 4 मीटर गहराई से पानी उठाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। ढेकली को चलाने के लिए एक व्यक्ति की आवश्यता होती है। इसमें लकड़ी की थूनी पर धुरी के सहारे 5-6 मीटर लम्बी बल्ली इस तरह लगाते हैं कि पानी के स्रोत की तरफ बल्ली का दो तिहाई से कुछ ज्यादा भाग रहे। बल्ली के दूसरे किनारे पर लोहे या पत्थर का 20-25 किग्रा का वजन बांध दिया जाता है।
3. दोन – इससे लगभग 60 से 90 सेमी की गइराई से पानी निकाला जाती है। यह लगभग 3 मीटर लम्बा टिन द्वारा निर्मित्त नाव के आकार का होता है। इसका एक सिरा थोड़ा चौड़ा तथा मुँह बन्द होता है। दूसरा सिरा सकरा तथा मुँह खुला होता है।
4. चरसा – आपने अपने गाँव या आस-पास देखा होगा कि कुँए से सिंचाई करने के लिए चरसा का प्रयोग होता है। कुँए के ऊपरी भाग पर बल्लियों के सहारे लकड़ी की बड़ी गड़ारी रखी जाती है। इस गड़ारी पर मोटी रस्सी के सहारे चमड़े का बड़ा थैला (मोट) बाँधते हैं जो कुँए से पानी भर कर ऊपर लाता है। एक जोड़ी बैल ऊँचाई से नीचे की ओर ढालू जमीन पर पानी भरा थैला खींचते हैं। ज्यों ही पानी भरा थैला कुँए पर आता है, एक व्यक्ति जो वहाँ खड़ा रहता है, इसे अपनी ओर खींच कर पानी गिराने के बाद चरसे को वापस कुँए में डाल देता है।
5. चेन पम्प – इसके द्वारा 1.5 मीटर से 3 मीटर की गहराई से पानी उठाया जाता है। इस यन्त्र में लोहे की एक जंजीर में छोटे छोटे गट्टों की माला लोहे के बड़े पहिए पर चढ़ी रहती है। गट्टेदार माला को घुमाने पर लोहे के पाइप के सहारे पानी ऊपर आता है।
6. बल्देव बाल्टी – यह यन्त्र एक मीटर तक की गहराई से पानी निकालने के लिए सर्वोत्तम पाया गया है। इसमें दोन की भाँति दो बल्टॅिया होती है जो गड़ारी पर पड़ी हुई रस्सियों के सहारे बारी-बारी से पानी में जाती है। और पानी भर कर ऊपर आती हैं। इसे चलाने के लिए एक जोडी बैल की आवश्यकता पड़ती है।
7. पेंच (इजिप्शियन स्कू) – इस यन्त्र को पेंच भी कहा जाता है। यह लकड़ी के ढोल के समान होता है। और भीतर से स्क्रू (पेंच) के समान बनावट होती है। इसका एक सिरा पानी के अनदर लकड़ी के कुन्दे पर रखा होता है। यन्त्र को घुमाने पर पानी पेंच के सहारे ऊपरी सिरे से बाहर आता है।
8. यन्त्र चालिक पम्प – अधिक गहराई से भूमिगत जल को उठाने के लिए इस प्रकार के पम्पों का प्रयोग किया जाता है जिन्हें बिजली की मोटर या डीजल इंजन द्वारा चलाते हैं।
प्रोजेक्ट कार्य
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।
We hope the UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 4 सिंचाई एवं सिंचाई के यन्त्र help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 4 सिंचाई एवं सिंचाई के यन्त्र , drop a comment below and we will get back to you at the earliest.