UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 8 खनिज संसाधन (अनुभाग – तीन)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 8 खनिज संसाधन (अनुभाग – तीन)

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विरतृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में लौह-अयस्क के वितरण का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
या
भारत में लौह-अयस्क के खनन क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
या
भारत में लौह-अयस्क का वितरण निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत दीजिए
(1) भण्डार,
(2) उत्पादक-क्षेत्र,
(3) उत्पादन तथा
(4) व्यापार
या
धात्विक खनिज से आप क्या समझते हैं ? किसी एक की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
या
लौह-अयस्क के उत्पादन के किन्हीं दो क्षेत्रों की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
धात्विक खनिज जिन खनिजों से धातु (Metal) की प्राप्ति होती है, उन्हें धात्विक खनिज कहा जाता है। लोहा, ताँबा, सोना, चाँदी, बॉक्साइट, सीसा, टिन, मैंगनीज, क्रोमियम, प्लैटिनम, बेरिलियम, जिरकॉन, एण्टिमनी, पारा, रेडियम आदि धात्विक खनिज हैं।

लौह-अयस्क के भण्डार

भारत में लौह-अयस्क के बहुत बड़े भण्डार (विश्व का 16.5%) विद्यमान हैं। यहाँ हैमेटाइट और मैग्नेटाइट किस्म का लौह-अयस्क अधिक मात्रा में पाया जाता है, जिसमें लोहांश 60 से 70% तक होता है। इसी कारण अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में हमारे लौह-अयस्क की अत्यधिक माँग रहती है। एक अनुमान के अनुसार देश में 17.57 अरब टन लौह-अयस्क के सुरक्षित भण्डार विद्यमान हैं; परन्तु भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग ने 23 अरब टन लौह-अयस्क के सुरक्षित भण्डारों का अनुमान लगाया है, जिसमें 85% लौह-अयस्क हैमेटाइट किस्म का है।

भारत में लौह-अयस्क के 50% भण्डार झारखण्ड राज्य के सिंहभूम जिले तथा ओडिशा राज्य के क्योंझर, बोनाई, सुन्दरगढ़ और मयूरभंज जिलों में पाये जाते हैं। लौह-अयस्क का यह क्षेत्र विश्व का सबसे बड़ा तथा सम्पन्न क्षेत्र है। झारखण्ड के हजारीबाग और शाहाबाद जिलों में भी लौह-अयस्क निकाला जाता है।

उत्पादक-क्षेत्र

भारत में राज्यानुसार लौह-अयस्क का उत्पादन निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाता है
1. गोआ- वर्तमान समय में गोआ राज्य भारत का 32% लौह-अयस्क उत्पन्न क़र प्रथम स्थान बनाये, हुए है। यहाँ लोहे की खुली खाने हैं। पिरना-अदोल, पाले-ओनेडा तथा कुडनेम-सुरला लौह-अयस्क की प्रमुख खाने हैं। यहाँ की धातु उत्तम किस्म की नहीं है। यहाँ से लोहा जापान, कोरिया, ताईवान तथा पश्चिमी यूरोप को निर्यात कर दिया जाता है।


2. छत्तीसगढ़- 
छत्तीसगढ़ 25% लौह-अयस्क का उत्पादन कर देश में दूसरा स्थान बनाये हुए है। यहाँ | धल्ली-राजहरा (दुर्ग) तथा बैलाडिला (बस्तर) की खाने प्रसिद्ध हैं। रायगढ़, बिलासपुर, माण्डला, बालाघाट, जबलपुर एवं सरगुजा जिलों में भी लौह-अयस्क के भण्डार पाये जाते हैं। बेलाडिला की लौह खदानों का विकास जापान सरकार के सहयोग से किया गया है।

3. मध्य प्रदेश- 
मध्य प्रदेश का लौह-अयस्क क्षेत्र छत्तीसगढ़ (नव-निर्मित राज्य) में चले जाने के बाद अब यहाँ लोहे के सीमित भण्डार ही रह गये हैं, जो कि माण्डला, बालाघाट एवं जबलपुर के आस-पास हैं।।

4. ओडिशा- 
भारत के लौह-अयस्क उत्पादन में इस राज्य का तीसरा स्थान है, यहाँ देश के लगभग 30% लोहे के भण्डार सुरक्षित हैं। क्योंझर, बोनाई, सुन्दरगढ़, गुरुमहिसानी, सुलेपात तथा बादाम पहाड़ लौह-अयस्क की प्रमुख खाने हैं। मयूरभंज में भारत की सबसे बड़ी लोहे की खान है। क्योंझर में नोआमुण्डी से भी लोहा निकाला जाता है। यह एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी लोहे की खान मानी जाती है।


5. झारखण्ड- 
झारखण्ड 16% लौह-अयस्क का उत्पादन कर देश में चौथा स्थान बनाये हुए है। झारखण्ड के लौह-अयस्क की खानें ओडिशा की लौह पेटी से जुड़ी हुई हैं। यहाँ लोहे की प्रमुख खाने गुआ, बड़ाबुरू, पंसीराबुरू, मनोहरपुर आदि में हैं। सिंहभूम की लौह पेटी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यहाँ से झारखण्ड राज्य का 72% लोहा निकाला जाता है।

6. कर्नाटक- 
यहाँ भारत का 9% लौह-अयस्क निकाला जाता है, जो मैग्नेटाइट किस्म का है। हॉस्पेट, | बाबाबूदन की पहाड़ियाँ, केमनगुण्डी, शिमोगा, तुमकुर, धारवाड़, चिकमगलूर आदि स्थानों में लोहे की प्रमुख खाने हैं।

7. महाराष्ट्र-
 महाराष्ट्र के चन्द्रपुर जिले में उत्तम श्रेणी के लोहे के पर्याप्त भण्डार हैं, जिसमें धातु का अंश 61 से 67% तक है। इस क्षेत्र में लोहे के प्रमुख उत्पादन लोहारा, रत्नागिरी और पीपल गाँव हैं। यहाँ 30 | करोड़ टन के संचित भण्डार होने का अनुमान है।

8. आन्ध्र प्रदेश– 
यहाँ लोहे का उत्पादन कृष्णा, कर्नूल, कुडप्पा, चित्तूर, गुण्टूर तथा वारंगल जिलों में किया जाता है। ये खदानें गुण्टूर जिले में ओलोर ग्रुप और नेलोर जिले में कईंकर तालुका में स्थित हैं। अनुमान है कि यहाँ 15 करोड़ टन के लौह-भण्डार संचित हैं।

9. तमिलनाडु– 
इस राज्य में मैग्नेटाइट किस्म की लौह-अयस्क पायी जाती है। गोलामलाई, थालमलाई, सिंगापट्टी, थिरथामलाई, पंचमलाई, कोलेमलाई एवं कंजमलाई में लोहे के जमाव पाये जाते हैं।


10. अन्य राज्य– 
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में दामूदा एवं महादेव श्रेणियों की बालुका- पत्थर शैलों से हैमेटाइट किस्म का लोहा निकाला जाता है। जम्मू-कश्मीर राज्य में जम्मू एवं ऊधमपुर जिलों में लोहे के भण्डार हैं। उत्तराखण्ड में गढ़वाल, अल्मोड़ा तथा नैनीताल में, हिमाचल प्रदेश में काँगड़ा एवं मण्डी जिलों में, गुजरात में नवानगर, पोरबन्दर, जूनागढ़, भावनगर, बड़ोदरा एवं खाण्डेश्वर तथा हरियाणा राज्य के महेन्द्रगढ़ जिले में भण्डार अनुमानित किये गये हैं।

उत्पादन एवं उपयोग

भारत में लौह-अयस्क का उपयोग एवं लोहे का उत्पादन इस्पात मिलों में किया जाता है। मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्यों को लौह-अयस्क भिलाई व विशाखापत्तनम् संयन्त्रों, ओडिशा के क्योंझर व बोनाई क्षेत्रों तथा झारखण्ड के सिंहभूम जिले का लौह-अयस्क टाटा आयरन ऐण्ड स्टील कम्पनी; जमशेदपुर; बोकारो; कुल्टी; हीरापुर-बर्नपुर; आसनसोल; दुर्गापुर तथा राउरकेला इस्पात संयन्त्रों, कर्नाटक राज्य के लौहअयस्क का भद्रावती व सेलम कारखानों में उपयोग कर उत्पादन किया जाता है।

व्यापार

लोहे के विश्व-व्यापार में भारत का भाग लगभग 5% है। कुल निर्यात होने वाले खनिज में 60% भाग लोहे से। ही प्राप्त होता है। जापान भारतीय लोहे का सबसे बड़ा ग्राहक है, जो लोहे के निर्यात का 70% से भी अधिक भाग आयात करता है। रूमानिया, चेकोस्लोवाकिया, पोलैण्ड, इटली, यूगोस्लाविया, जर्मनी, चीन, पाकिस्तान, कोरिया, ईरान एवं इराक आदि देश भारतीय लोहे के अन्य प्रमुख ग्राहक हैं।

प्रश्न 2.
भारत में मैंगनीज की उपयोगिता और वितरण की विवेचना कीजिए।
या
भारत में मैंगनीज के तीन प्रमुख उत्पादक राज्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :

उपयोग/उपयोगिता

मैंगनीज धातु काले रंग की प्राकृतिक भस्मों के रूप में धारवाड़ युग की शैलों में मिलती है। इन शैलों में देश का 90% मैंगनीज पाया जाता है। यह खनिज ठोस, कोमल एवं रवेहीन और बहुत ही उपयोगी होता है। इसके 95% भाग का उपयोग धातुओं में मिलाकर उन्हें कठोर एवं टिकाऊ बनाने में किया जाता है, जिसका सबसे अधिक उपयोग इस्पात बनाने में किया जाता है। मैंगनीज तथा ताँबे के मिश्रण से टरबाइन–ब्लेड्स; मैंगनीज एवं काँसे के मिश्रण से जलयानों के प्रोपेलर; मैंगनीज एवं ऐलुमिनियम के मिश्रण से विद्युत-तारों को

प्रतिरोधक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इस मिश्र धातु का उपयोग काँच का रंग उड़ाने, रोगन एवं वार्निश को सुखाने, बिजली की बैटरियों, ऑक्सीजन, क्लोरीन आदि गैसों, ब्लीचिंग पाउडर बनाने, मोटरगाड़ियों, टैंक, वायुयान, रेल के डिब्बे, प्लास्टिक बनाने एवं रासायनिक उद्योगों में प्रमुख रूप से किया जाता है। उत्पादन एवं वितरण भारत में मैंगनीज का वितरण अथवा मैंगनीज के प्रमुख उत्पादक राज्य निम्नलिखित हैं

1. ओडिशा- 
मैंगनीज के उत्पादन में ओडिशा राज्य का भारत में प्रथम स्थान है। यहाँ से देश का 30% मैंगनीज निकाला जाता है। यहाँ पर मैंगनीज के 40% सुरक्षित भण्डार हैं। यहाँ गंगपुर, बोनाय, क्योंझर, कोरापुट, कालाहाण्डी, बोलनगिरि, सुन्दरगढ़ एवं तालचिर की खाने प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं।

2. मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़-
मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्यों का भण्डारों की दृष्टि से प्रथम, परन्तु उत्पादन की दृष्टि से दूसरा स्थान है। मध्य प्रदेश के बालाघाट, सिवनी, छिन्दवाड़ा, माण्डला, जबलपुर, धार, झाबुआ एवं इन्दौर प्रमुख उत्पादक जिले हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर व बिलासपुर जिलों से भी मैंगनीज निकाला जाता है। इन दोनों राज्यों से देश के लगभग 40% मैंगनीज का उत्पादन किया जाता है।

3. महाराष्ट्र- 
इस राज्य का देश के मैंगनीज उत्पादन में तीसरा स्थान है। यह देश का 18% मैंगनीज उत्पन्न करता है। मैंगनीज नागपुर, भण्डारा एवं रत्नागिरि जिलों में मिलता है।

4. कर्नाटक- 
इस राज्य का देश के मैंगनीज उत्पादन में चौथा स्थान है, जहाँ देश का लगभग 17% मैंगनीज निकाला जाता है। चित्रदुर्ग, कादूर, चिकमंगलूर, शिमोगा, तुमकुर, बेल्लारी एवं बेलगाम जिले प्रमुख मैंगनीज उत्पादक क्षेत्र हैं।

5. राजस्थान- 
इस राज्य में मध्यम श्रेणी का मैंगनीज उदयपुर, बाँसवाड़ा, सिरोही एवं डूंगरपुर जिलों से निकाला जाता है।

6. गुजरात- 
इस राज्य में मैंगनीज की संचित राशि का अनुमान 25 लाख टन लगाया गया है। इसके बड़ोदरा एवं पंचमहल जिले प्रमुख मैंगनीज उत्पादक क्षेत्र हैं।

7. आन्ध्र प्रदेश- 
यहाँ से देश के मैंगनीज उत्पादन का लगभग 8% भाग प्राप्त किया जाता है। विशाखापत्तनम, कुडप्पा, श्रीकाकुलम, गुण्टूर, विजयनगर मैंगनीज के प्रमुख उत्पादक जिले हैं।

8. अन्य राज्य- 
मैंगनीज के अन्य उत्पादक राज्यों में गोआ, बिहार और झारखण्ड प्रमुख हैं। गोआ से 5% उत्पादन परनेग तथा बारदेर क्षेत्रों से प्राप्त होता है। झारखण्ड राज्य में सिंहभूम जिला मैंगनीज का प्रमुख उत्पादक है।

प्रश्न 3.
भारत में बॉक्साइट के उपयोग, भण्डार, उत्पादन एवं वितरण पर प्रकाश डालिए।
या
बॉक्साइट से कौन-सी धातु प्राप्त होती है ? इसके औद्योगिक महत्त्व को बताते हुए इसके भारत में वितरण पर प्रकाश डालिए।
या
भारत में बॉक्साइट उत्पादन का वर्णन कीजिए। इसकी उपयोगिता पर भी प्रकाश डालिए। [2017]
उत्तर :

उपयोग/महत्त्व

बॉक्साइट एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक एवं उपयोगी धातु है, जिससे ऐलुमिनियम बनाया जाता है। यह एक हल्की व लचीली धातु है जिसे किसी भी रूप में ढाला जा सकता है। इसका रंग मिट्टी के समान लाल या पीला होता है। उत्तम किस्म की बॉक्साइट में 50 से 60% तक ऐलुमिनियम ऑक्साइड होती है। ऐलुमिनियम से अनेक प्रकार के विद्युत उपकरण, बर्तन, चादरें आदि बनायी जाती हैं। यहाँ तक कि इससे बारीक तार भी बनाये जा सकते हैं। ऐलुमिनियम की 60% खपत बिजली उद्योग में की जाती है। इससे बिजली के केबिल, तार, वायुयान के इंजन और रेलवे कोचों की बॉडी बनायी जाती है। इसकी विशिष्ट मिश्रधातु से बर्तन बनाये जाते हैं। इस धातु से सस्ते बर्तन तथा हलके डिब्बे भी बनाये जाते हैं। बॉक्साइट के मैल से सीमेण्ट बनाया जाता है। इसका औद्योगिक महत्त्व होने के कारण भारत में इसके उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि हुई है।

भण्डार

बॉक्साइट के भण्डारों के दृष्टिकोण से भारत विश्व में दसवाँ स्थान रखता है। देश में बॉक्साइट के भण्डार 303.70 करोड़ टन अनुमानित किये गये हैं। इसमें 7 करोड़ टन के भण्डार उत्तम प्रकार के हैं। संचित राशि का एक-तिहाई भाग केवल मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में सुरक्षित है।

उत्पादन एवं वितरण

बॉक्साइट के उत्पादन में भारत का स्थान विश्व में दसवाँ है। इसके प्रमुख उत्पादक राज्य बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोआ, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश एवं जम्मू-कश्मीर हैं।

1. बिहार और झारखण्ड- 
इन राज्यों का बॉक्साइट उत्पादन में प्रथम स्थान है, यहाँ से देश का 36% उत्पादन प्राप्त होता है तथा यहाँ 15% संचित राशि विद्यमान है। यहाँ ग्रेनाइट एवं नीस चट्टानों के रूपान्तरण से बॉक्साइट की प्राप्ति होती है। राँची, पलामू, मुंगेर एवं शाहाबाद जिले प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं। यहाँ 4.5 करोड़ टन उत्तम धातु के भण्डार अनुमानित किये गये हैं। राँची जिले में लोहरडगा के समीप बॉक्साइट की 80 खाने हैं।

2. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़- 
ये राज्य बॉक्साइट के भण्डारों की दृष्टि से प्रथम स्थान रखते हैं। यहाँ देश के 20 से 30 करोड़ टन भण्डार अनुमानित किये गये हैं, जब कि उत्पादन में इनका दूसरा स्थान है। यहाँ से 26% उत्पादन प्राप्त होता है। यहाँ बॉक्साइट उत्पादन के तीन क्षेत्र प्रमुख हैं

  • कटनी-निमाड़-जबलपुर क्षेत्र,
  • अमरकण्टक-बालाघाट क्षेत्र एवं
  • रायगढ़-बस्तर-दुर्ग क्षेत्र।

3. महाराष्ट्र– बॉक्साइट उत्पादन की दृष्टि से महाराष्ट्र राज्य का तीसरा स्थान है। कोल्हापुर, थाना, कोलाबा, रत्नागिरि, पुणे, सतारा जिले मुख्य उत्पादक हैं। यहाँ बॉक्साइट के एक करोड़ टन के भण्डार अनुमानित किये गये हैं। भारत का 20% बॉक्साइट महाराष्ट्र राज्य के द्वारा उत्पन्न किया जाता है।

4. गुजरात- 
इस राज्य में बॉक्साइट की खाने सौराष्ट्र क्षेत्र के हाल्हार एवं धाँगरवाड़ी तालुका में स्थित हैं। यहाँ पर इसके 80 लाख टन से 1 करोड़ टन के भण्डार अनुमानित किये गये हैं। भावनगर, नवानगर, पोरबन्दर, जाफराबाद, बेतवा, महुआ एवं भाटिया के समीप उत्तम किस्म की बॉक्साइट धातु मिलती है। खेड़ा जिले में कपाडवंज तथा कच्छ जिले में मांडवी, लाखपत, भुज, अंजर व नखतराना तालुके से भी बॉक्साइट प्राप्त होता है।

5. तमिलनाडु- 
यहाँ सलेम जिले की शिवराय पहाड़ियों में बॉक्साइट की खानें पायी जाती हैं। यहाँ पर 60 से 70 लाख टन बॉक्साइट के भण्डार अनुमानित किये गये हैं। मैटूर में स्थित चेन्नई कम्पनी बॉक्साइट को परिष्कृत करने का कार्य करती है।

6. कर्नाटक- 
कर्नाटक राज्य में बाबाबूदन की पहाड़ियों में बॉक्साइट की छोटी-छोटी खानें स्थित हैं। बेलगाम क्षेत्र से भी बॉक्साइट प्राप्त होता है। यहाँ 7 लाख टन बॉक्साइट के भण्डार सुरक्षित हैं।

7. अन्य राज्य- 
गोआ राज्य में क्वेपेम एवं कानकोआ तालुके से बॉक्साइट प्राप्त होता है। उत्तर प्रदेश राज्य के बाँदा जिले में 40 से 60% तक की शुद्धता वाला बॉक्साइट मिलता है। इलाहाबाद जिले में भी कुछ भण्डारों का पता चला है। जम्मू-कश्मीर राज्य में पूँछ एवं रियासी क्षेत्रों की खानों में लगभग 22 लाख टन बॉक्साइट के अनुमानित भण्डार प्राप्त किये गये हैं। ओडिशा राज्य के कालाहाण्डी, बोलनगिरि एवं सम्बलपुर जिलों से भी बॉक्साइट प्राप्त होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अभ्रक का क्या महत्त्व है ? भारत में इसके क्षेत्र लिखिए। [2017]
या
भारत में अभ्रक के उत्पादन-क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
या
अभ्रक की उपयोगिता बताइट।
उत्तर :
उपयोग/महत्त्व- 
अभ्रक एक महत्त्वपूर्ण बहु-उपयोगी खनिज है। यह ताप एवं विद्युत का कुचालक होता है; अत: इसका उपयोग विद्युत उपकरण, रेडियो, वायुयान, औषधि निर्माण, अग्निरोधक कपड़ों, पंखों, टेलीफोन, खिलौनों, शीशे की चिमनियों, नेत्ररक्षक चश्मे आदि बनाने में किया जाता है। यह पारदर्शक एवं चमकीला होता है। अतः इससे वार्निश एवं पेण्ट भी बनाये जाते हैं। अभ्रक का उपयोग बेतार का तार तथा सैन्य उपकरण बनाने में भी किया जाता है। अभ्रक औद्योगिक एवं विद्युत सुरक्षा की दृष्टि से एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण खनिज है।

अभ्रक उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। यहाँ विश्व का 90% अभ्रक उत्पन्न किया जाता है। यह अभ्रक उत्तम श्रेणी का होता है। इसके निर्यात से भारत करोड़ों रुपयों की विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।

उत्पादक-क्षेत्र- अभ्रक उत्पादन में बिहार तथा झारखण्ड राज्य अग्रणी हैं। यहाँ देश का 60% अभ्रक निकाला जाता है। यहाँ अभ्रक उत्पादक पेटी 95 से 160 किमी लम्बी तथा 19 से 26 किमी चौड़ी है। इस पेटी का थि:तार चम्पारन से उत्तर-पूर्व की ओर गया तथा हजारीबाग जिलों तक 3,880 वर्ग किमी क्षेत्रफल पर है। अभ्रक का 30% उत्पादन कर आन्ध्र प्रदेश राज्य दूसरे स्थान पर है। यहाँ अभ्रक उत्पादन क्षेत्र अर्द्ध-चन्द्राकार पेटी में नेल्लोर जिले से गुण्टूर जिले तक 1,550 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हुए हैं। राजस्थान (जयपुर, उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक, अलवर एवं डूंगरपुर जिले) अभ्रक के प्रमुख उत्पादक जिले हैं। यह राज्य अभ्रक के उत्पादन का केवल 10% भाग ही पूरा करता है। तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, ओडिशा, केरल, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल अभ्रक के अन्य उत्पादक राज्य हैं। इन राज्यों से बहुत थोड़ा अभ्रक, जिसकी किस्म भी अच्छी नहीं होती, निकाला जाता है।

प्रश्न 2.
भारत में सोने के उपयोग, उत्पादन एवं वितरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
उपयोग– 
सोना एक बहुमूल्य खनिज है, जिसका भारत में भण्डार बहुत कम है। भारत विश्व में सोने की सर्वाधिक खपत वाला देश है। इसका प्रयोग आभूषण, मूर्तियाँ आदि बनाने में होता है। प्राचीन काल में इसके सिक्के भी बनाये जाते थे। वर्तमान समय में संसार की विभिन्न देशों की मुद्राओं का पारस्परिक विनिमय मूल्य सोने की मात्रा के स्टॉक के द्वारा ही निर्धारित किया जाता है।

भण्डार, उत्पादन एवं वितरण- भारत में सोने के भण्डार बहुत ही कम मात्रा में पाये जाते हैं। संसार के कुल सोना उत्पादन का मात्र 1.5% ही भारत में निकाला जाता है। कर्नाटक राज्य में कोलार सोने की खान प्रमुख स्थान बनाये हुए है जो कि विश्व की सबसे गहरी स्वर्ण खान है। कोलार तथा हट्टी की खानों से भारत के कुल स्वर्ण उत्पादन का लगभग 98% भाग निकाला जाता है। कर्नाटक में चैम्पियन तथा नन्दी दुर्ग में नयी खानों का भी पता लगा है। 1956 ई० में भारत सरकार ने इन खानों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। भारत के राज्य सिक्किम में भी सोने की खानों का पता चला है। अनुमान है कि गंगटोक से 20 किमी दूर डिक्बू स्थान में लगभग 20 लाख टन सोने-चॉदी के भण्डार हैं। इसके अतिरिक्त आन्ध्र प्रदेश में रामगिरि, अनन्तपुर तथा तमिलनाडु में सलेम जिलों की खानों से भी कुछ सोना निकाला जाता है। भारत में बिहार की गंडक, झारखण्ड की स्वर्ण रेखा तथा उत्तर प्रदेश की रामगंगा नदी के रेत से भी सोना निकाला जाता है। भारत में अनुमानतः 103.17 टन शुद्ध सोने के भण्डार हैं। देश में सोने का उत्पादन लगातार घटता ही जा रहा है। सन् 1951 ई० में कुल 7,000 किग्रा सोने का उत्पादन किया गया था, जो वर्ष 1998-99 ई० में 2,463 किलोग्राम और वर्ष 2009-10 ई० में 269.19 किग्रा रह गया।

प्रश्न 3.
खनिज की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
जो पदार्थ पृथ्वी के धरातल से खोदकर निकाले जाते हैं उन्हें ‘खनिज’ कहते हैं। प्राकृतिक संसाधनों में खनिज पदार्थों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। खनिज की अपनी विशेष रचना व भौतिक गुण होते हैं। देश के आर्थिक विकास और औद्योगिक विकास में खनिज की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। कुछ खनिज संसाधन पृथ्वी के ऊपरी भाग व कुछ सागर की तली से निकाले जाते हैं। सभ्यता की शुरुआत से ही मानव विभिन्न खनिजों का इस्तेमाल करता करता चला आ रहा है। पहले मनुष्य ने ताँबे और काँसे का प्रयोग करना सीखा जिसे कांस्य युग या ताम्र युग के नाम से जाना जाता है। बाद में लौह-अयस्क की खोज की गयी जिससे मजबूत और टिकाऊ सामान बनने लगे। वर्तमान समय में लोहे का सबसे अधिक प्रयोग होता है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसका प्रयोग होता है इसलिए वर्तमान युग को लौहयुग की संज्ञा दी गयी है।

प्रश्न 4.
खनिजों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर :
लोहा, ताँबा, ऐलुमिनियम, टिन आदि पदार्थ आर्थिक उपयोग की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण धातुएँ हैं। लोहा तो आधुनिक युग में सोने से भी अधिक उपयोगी है। यह आधुनिक सभ्यता का आधार है। इन | खनिज संसाधनों की बढ़ती मॉग एवं अनियन्त्रित खनन के कारण निकट भविष्य में इनके भण्डार समाप्त हो सकते हैं। अत: इनके संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाये जाने चाहिए–

  • लोहा, ताँबा, ऐलुमिनियम आदि चक्रीय संसाधन हैं, अर्थात् इन्हें एक बार प्रयोग करने के बाद गलाकर पुन: प्रयोग किया जा सकता है। अतः धातु से बनी पुरानी मशीनों के टुकड़ों को फिर से प्रयोग में लाया जाना आवश्यक है। रद्दी लोहे को सस्ता या बेकार समझकर कम कीमत पर विदेशों को निर्यात किया जाना उचित नहीं है। इस्पात-निर्माण की तकनीक में विकास करके इससे पुन: धातु प्राप्त की जानी चाहिए। उच्च तकनीक के कारण ही जापान भारत से रद्दी (Scrap) लोहा खरीदकर उससे अच्छी किस्म का इस्पात बनाता है।
  • खनिजों की खनन तकनीकों में भी पर्याप्त सुधार की आवश्यकता है, जिससे धातुओं की बर्बादी कम हो।
  • जो धातुएँ भारत में कम उपलब्ध हैं उनके स्थान पर उन धातुओं का प्रयोग बढ़ाया जाना चाहिए जो अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए–बिजली में ताँबे के तारों के स्थान पर ऐलुमिनियम के तारों का प्रयोग किया जा सकता है।
  • लोहे का सबसे बड़ा शत्रु जंग है। पेण्ट, ग्रीस, तेल लगाकर या अन्य किसी वैज्ञानिक विधि से यदि लोहे | की रक्षा कर ली जाए तो लौह-भण्डारों का अधिक समय तक संरक्षण हो सकता है।
  • अपनी घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी भारत को खनिजों को विनाश से बचाना होगा तथा इनका निर्यात खनिज रूप में न करके संशोधित रूप में किया जाना उचित होगा।

प्रश्न 5.
खनिज संसाधनों की दृष्टि से भारत की विश्व में क्या स्थिति है?
उत्तर :
भारत कुछ खनिज संसाधनों में बहुत सम्पन्न है। खनिज पदार्थ ऐसे संसाधन होते हैं जो भूमि के । गर्भ से गहराई से प्राप्त किए जाते हैं। इनमें से कुछ खनिज संसाधन सागरों के अध:तले में भी दबे पड़े हैं। आधुनिक वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी युग में इन खनिज संसाधनों का महत्त्वपूर्ण स्थान है तथा औद्योगिक विकास की धुरी (Pivot) कहलाते हैं। देश में अपने ही बल पर एक बड़ी शक्ति बनने की अपार क्षमताएँ विद्यमान हैं। यहाँ कुछ खनिज देश की आवश्यकता से अधिक पाए जाते हैं, जिनका विदेशों को निर्यात भी किया जाता है। दूसरी ओर कुछ खनिज ऐसे भी हैं जिनका आयात करना पड़ता है। खनिज सम्पदी तथा उनके वितरण की विशेषताओं को निम्नलिखित रूपों में प्रस्तुत किया जा सकता है

  • भारत आधारभूत खनिज सम्पदा अर्थात् लौह-अयस्क की पर्याप्त मात्रा सँजोए हुए है। एक अनुमान के अनुसार देश में विश्व के लौह-अयस्क के एक-चौथाई भण्डार विद्यमान हैं जो उत्तम श्रेणी के हैं। अर्थात् उनमें लोहांश की मात्रा 60% से 75% तक पाई जाती है।
  • देश में पर्याप्त मात्रा में मैंगनीज, अभ्रक (विश्व का 90%), ताँबा, बॉक्साइट आदि खनिज उपलब्ध हैं। जो देश को सुदृढ़ औद्योगिक आधार प्रदान करने में सक्षम हैं।

प्रश्न 6.
ताँबे का क्या उपयोग है ? यह भारत में कहाँ-कहाँ पाया जाता है ?
या
भारत में ताँबे के उत्पादन-क्षेत्रों का वर्णन कीजिए। [2009]
उत्तर:
उपयोग- 
ताँबा एक उपयोगी धातु है। प्राचीन काल से ही भारत में ताँबे की मूर्तियाँ, सिक्के तथा बर्तन आदि बनाये जाते रहे हैं। यह विद्युत और ताप का सुचालक होता है, इसी कारण इसका प्रयोग विद्युत तारों, रेडियो, बिजली की मोटरों, इंजनों में तथा अन्य उपकरणों के बनाने में किया जाता है। लोहे की खोज होने से पूर्व ताँबा ही सभ्यता के विकास का आधार था। भूगर्भ में यह आग्नेय तथा कायान्तरित शैलों की परतों से प्राप्त होता है। अयस्क रूप में प्राप्त होने के कारण इसका उपयोग करने से पूर्व शोधन किया जाना
आवश्यक होता है।

भण्डार– भारत में लगभग 70 करोड़ टन ताँबे के सुरक्षित भण्डार होने का अनुमान लगाया गया है। राजस्थान (अलवर व झुंझनू), झारखण्ड (सिंहभूम), बालाघाट (मध्य प्रदेश), चित्रदुर्ग (कर्नाटक) में ताँबे की खाने हैं।

उत्पादन एवं वितरण– ताँबे के उत्पादन में भारत का स्थान बहुत पीछे है। ताँबा उत्पादक स्थान निम्नवत् हैं

1. झारखण्ड- 
इस राज्य का ताँबा उत्पादन में प्रथम स्थान है। यहाँ ताँबा उत्पादक क्षेत्र 130 किमी की लम्बाई में ओडिशा राज्य की सीमा तक फैले हुए हैं। इस राज्य के सिंहभूम, हजारीबाग एवं संथाल परगना प्रमुख ताँबा उत्पादक जिले हैं।
2. मध्य प्रदेश- यह राज्य देश का 20% ताँबा उत्पन्न करता है। जबलपुर, बालाघाट, होशंगाबाद, सागर प्रमुख ताँबा उत्पादक जिले हैं।
3. छत्तीसगढ़- इस राज्य के बस्तर जिले से भी ताँबा निकाला जाता है।
4. आन्ध्र प्रदेश- इस राज्य में नेल्लोर, खम्माम, अनन्तपुर और गुण्टूर जिलों से ताँबा प्राप्त किया जाता है।
5. राजस्थान- इस राज्य में खेतड़ी, झुंझनू, अलवर, सिरोही, उदयपुर आदि स्थानों से ताँबा निकाला जाता है। यहाँ हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड ने खेतड़ी कॉपर प्रोजेक्ट द्वारा ताँबा उत्खनन का कार्य आरम्भ किया है।
6. कर्नाटक- इस राज्य के हासन व चित्रदुर्ग जिलों में भी ताँबा मिलता है।
7. सिक्किम, जम्मू- कश्मीर, पंजाब, पश्चिम बंगाल, मणिपुर आदि राज्य अन्य प्रमुख ताँबा उत्पादक राज्य हैं।

प्रश्न 7.
भारत में लौह-अयस्क के भण्डारों की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
भारत में लौह-अयस्क के भण्डारों की दो मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • लौह-अयस्क भण्डार की दृष्टि से भारत पर्याप्त धनी है। भारत में उत्तम किस्म की लौह-अयस्क धातु के पर्याप्त भण्डार हैं, जिनमें धातु का अंश 67% तक होता है।
  • भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग ने यहाँ पर लौह-अयस्क के भण्डार 23 अरब टन आँके हैं। लौह-अयस्क के 50% भण्डार झारखण्ड राज्य के सिंहभूम जिले तथा ओडिशा राज्य के क्योंझर, बोनाई, सुन्दरगढ़ और मयूरगंज क्षेत्रों में पाये जाते हैं। लौह-अयस्क का यह क्षेत्र विश्व का सबसे बड़ा तथा सम्पन्न क्षेत्र है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उन दो खनिजों के नाम बताइए, जिनमें भारत धनी है और उन दो खनिजों के नाम भी बताइए जिनका भारत में अभाव है।
उत्तर :
भारत लौह-अयस्क, मैंगनीज और अभ्रक में धनी है और ताँबा, सोना और जस्ता खनिजों का भारत में अभाव है।

प्रश्न 2.
कोलार की खानें किसलिए प्रसिद्ध हैं ?
उत्तर :
कर्नाटक राज्य में स्थित कोलार की खाने स्वर्ण-उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 3.
किस खनिज के उत्पादन में भारत विश्व में अग्रणी है ?
उत्तर :
अधात्विक खनिज अभ्रक के उत्पादन में भारत विश्व में अग्रणी है।

प्रश्न 4.
भारत के किन्हीं दो लौह उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर :
भारत के दो लौह-उत्पादक क्षेत्रों के नाम हैं–(1) क्योंझर (ओडिशा) तथा (2) बेलाडिला (छत्तीसगढ़)।

प्रश्न 5.
मैंगनीज को किस प्रकार का खनिज कहते हैं?
उत्तर :
मैंगनीज को धात्विक खनिज कहते हैं।

प्रश्न 6.
अभ्रक का उपयोग किस वस्तु में होता है ?
उत्तर :
अभ्रक का उपयोग डायनमो, बिजली की मोटरों, तार एवं टेलीफोन, रेडियो, स्टोव आदि की सामग्री, कपड़ों, पंखों, खिलौनों आदि में चमक देने के कार्यों में किया जाता है।

प्रश्न 7.
लौह-अयस्क के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर :
इस अयस्क से शुद्ध लोहा बनाकर मशीनों, जलयान, वायुयान, कल-पुर्जी आदि में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 8.
बॉक्साइट का रंग कैसा होता है ?
उत्तर :
बॉक्साइट का रंग मिट्टी के समान लाल या पीला होता है।

प्रश्न 9.
खनिज संरक्षण के दो उपाय लिखिए। [2014]
उत्तर :

  • खनिजों को प्रयोग करने के बाद लोहा, ताँबा आदि को गलाकर पुन: प्रयोग करना चाहिए।
  • खनिजों की खनन तकनीकों में पर्याप्त सुधार की आवश्यकता है, जिससे धातुओं की बर्बादी न हो।

प्रश्न 10.
मैंगनीज के दो उपयोग लिखिए। [2010, 11]
उत्तर :

  • मैंगनीज तथा ताँबे के मिश्रण से टरबाइन–ब्लेड्स बनाये जाते हैं।
  • मैंगनीज तथा काँसे के मिश्रण से जलयानों के प्रोपेलर बनाये जाते हैं।

प्रश्न 11.
धात्विक खनिजों के चार नाम लिखिए। [2015]
उत्तर :
लौह-अयस्क, मैंगनीज, निकल तथा कोबाल्ट धात्विक खनिज हैं।

प्रश्न 12.
अधात्विक खनिजों के चार नाम लिखिए।
उत्तर :
अधात्विक खनिजों के चार नाम इस प्रकार हैं-अभ्रक, हीरा, जिप्सम और संगमरमर।

प्रश्न 13.
भारत के किन्हीं दो लौह-अयस्क उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए। [2017]
उत्तर :
गोवा व छत्तीसगढ़।

प्रश्न 14.
भारत के किन्हीं दो ताँबा उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए। [2018]
उत्तर :

  • झारखण्ड तथा
  • मध्य प्रदेश।

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1. लौह खनिज का एक उदाहरण है

(क) मैंगनीज
(ख) सीसा
(ग) जस्ता
(घ) ताँबा

2. हैमेटाइट का सम्बन्ध किस खनिज पदार्थ से है? [2012]

(क) ताँबा
(ख) सोना
(ग) बॉक्साइट
(घ) लौह-अयस्क

3. बॉक्साइट किस धातु का अयस्क है? [2011]
या
बॉक्साइट सम्बन्धित है [2013]

(क) सीसा
(ख) ताँबा
(ग) जस्ता
(घ) ऐलुमिनियम

4. रानीगंज प्रसिद्ध है [2012]

(क) कोयले के लिए।
(ख) ताँबा के लिए
(ग) बॉक्साइट के लिए।
(घ) चूना-पत्थर के लिए

5. कोलार का सम्बन्ध किस खनिज से है? [2012]
या
निम्नलिखित में से कोलार किससे सम्बन्धित है? [2013, 15]

(क) ताँबा से
(ख) बॉक्साइट से
(ग) सोना से
(घ) लौह-अयस्क से

6. विश्व में सबसे अधिक अभ्रक उत्पादक देश है [2015]

(क) चीन
(ख) जापान
(ग) अमेरिका
(घ) भारत

7. निम्नलिखित में से कौन-सा राज्य सर्वाधिक अभ्रक का उत्पादक है?
या
भारत में अभ्रक उत्पादन में किस राज्य का प्रथम स्थान है? [2016]

(क) झारखण्ड
(ख) चेन्नई
(ग) मध्य प्रदेश
(घ) छत्तीसगढ़

8. मैंगनीज के उत्पादन में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?

(क) पहला
(ख) दूसरा
(ग) तीसरा
(घ) चौथा

9. निम्नलिखित में से कौन-सी धात्विक खनिज है? [2017]

(क) अभ्रक
(ख) जिप्सम
(ग) ताँबा
(घ) हीरा

10. किस खनिज के उत्पादन में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है?

(क) मैंगनीज
(ख) लोहा
(ग) ताँबा
(घ) अभ्रक

11. बेलाडिला खदान किस खनिज के लिए महत्त्वपूर्ण है?

(क) मैंगनीज
(ख) लौह-अयस्क
(ग) अभ्रक
(घ) बॉक्साइट

12. ‘कोलार’ सोने की खान स्थित है

(क) आन्ध्र प्रदेश में
(ख) तमिलनाडु में
(ग) कर्नाटक में
(घ) महाराष्ट्र में

13. भारत का कौन-सा शहर ‘स्टील सिटी’ कहा जाता है [2016]

(क) भिलाई
(ख) दुर्गापुर
(ग) जमशेदपुर
(घ) बोकारो

14. मैंगनीज आवश्यक है [2018]

(क) ताँबा उद्योग के लिए
(ख) लौह-इस्पात उद्योग के लिए
(ग) एल्युमिनियम उद्योग के लिए।
(घ) इनमें से किसी के लिए नहीं

उत्तरमाला

1. (क), 2. (घ), 3. (घ), 4. (क), 5. (ग), 6. (घ), 7. (क), 8. (घ), 9. (ग), 10. (घ), 11. (ख), 12. (ग), 13. (ग), 14. (ख)

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