UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 6 न्यायिक सक्रियता (अनुभाग – दो)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 6 न्यायिक सक्रियता (अनुभाग – दो)

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विरत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
न्यायिक सक्रियता से आप क्या समझते हैं ? न्यायिक सक्रियता का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर :

न्यायिक सक्रियता

न्यायपालिका शासन का प्रमुख अंग है। शासन के प्रत्येक अंग की भाँति इसे भी कुछ निश्चित प्रक्रियाओं और कार्यपालिकाओं की सीमा के अन्तर्गत कार्य करना पड़ता है। आजकल न्यायपालिका पर चर्चा के दौरान ‘न्यायिक सक्रियता बहुचर्चित बहस है।।

न्यायिक सक्रियता क्या है ?

न्यायिक सक्रियता से तात्पर्य ऐसी प्रवृत्ति से है जिसमें देश की न्यायपालिका सामाजिक और प्रशासनिक गतिविधियों को नियमित करने में शासन के अन्य अंगों-व्यवस्थापिका और कार्यपालिका से बढ़-चढ़कर भूमिका निभाने लगती है।

पिछले कुछ वर्षों में भारत के सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों ने देश की राजनीति, प्रशासन और सामाजिक-आर्थिक जीवन में फैली हुई सुस्ती, भ्रष्टाचार और अन्याय के विरुद्ध कार्यपालिका और व्यवस्थापिका को निर्देशात्मक निर्णय दिये हैं। न्यायालय की इसी गतिविधि को न्यायिक सक्रियता कहते हैं।

जनहित याचिका : आलोचना और मूल्यांकन

न्यायिक सक्रियता के महत्त्वपूर्ण साधन जनहित याचिका की आलोचनाएँ भी बहुत हैं। आलोचकों का मानना है कि जनहित याचिकाएँ सस्ती लोकप्रियता और समाचार-पत्रों में स्थान पाने के लिए प्रस्तुत की गयीं और की जाती हैं। आलोचकों का यह भी मानना है कि जनहित याचिकाओं ने न्यायपालिका के कार्यभार को पहले से ही बोझिल भार को और अधिक बढ़ा दिया है। न्यायालयों में सुनवाई की प्रतीक्षा कर रहे मामलों की संख्या लाखों में है। आलोचकों का यह भी मानना है कि इन मुकदमों में न्यायालय द्वारा जारी किये गये निर्देश अव्यावहारिक हो सकते हैं, जिनका क्रियान्वयन कराना कार्यपालिका के लिए भी मुश्किल हो सकता है। इन आलोचनाओं के बावजूद जनहित याचिकाओं ने न्याय-व्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण स्थान बना लिया है। जनहित याचिकाओं के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय भारतीय राजव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

प्रश्न 2.
जनहित याचिकाओं का अर्थ क्या है ? इनके महत्त्व पर प्रकाश डांलिए।
उत्तर :

जनहित याचिकाएँ : अर्थ

भारत में न्यायिक सक्रियता का मुख्य साधन जनहित याचिका है। कानून की सामान्य प्रक्रिया में कोई भी व्यक्ति तब न्यायालय जा सकता है जब उसका कोई व्यक्तिगत नुकसान हुआ हो। सन् 1979 ई० में इस अवधारणा में बदलाव आया। सन् 1979 ई० में न्यायालय ने ऐसे मुकदमे की सुनवाई करने का निर्णय लिया जिसे पीड़ित लोगों ने नहीं बल्कि उनकी ओर से दूसरों ने दाखिल किया था। चूंकि इस मामले में जनहित से सम्बन्धित एक मुकदमे पर विचार हो रहा था। अत: इसे और ऐसे ही मुकदमों को जनहित याचिका का नाम दिया गया।

कुछ मामलों में न्यायालय ने स्वयं ही समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचार या विवरण आदि के आधार पर कार्यवाही प्रारम्भ कर दी। जैसे-आगरा प्रोटेक्शन होम केस।

जनहित याचिकाओं का आरम्भ
जनहित अभियोगों की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने की थी। भारत में इसकी शुरुआत 1981 ई० से हुई। इन अभियोगों की शुरुआत में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी० एन० भगवती का विशेष योगदान रहा। इस प्रकार का पहला वाद भागलपुर (बिहार) जेल में बन्द विचाराधीन कैदियों का था। इसी प्रकार आगरा प्रोटेक्शन होम केस, मुम्बई के पटरीवालों की समस्या, तिलोनिया के श्रमिकों का केस, एशियाड श्रमिक केस प्रमुख जनहित के मुकदमे हैं।

जनहित याचिकाओं का महत्त्व
भारत में जनहित याचिकाओं का निम्नलिखित महत्त्व है

  • समाज के निर्धन व्यक्तियों और कमजोर वर्गों को न्याय दिलाने में सहायक।
  • कानूनी न्याय के साथ-साथ आर्थिक-सामाजिक न्याय पर बल।
  • शासन की स्वेच्छाचारिता पर अंकुश लगाने में सहायक।
  • शासन को जनहित के प्रति उत्तरदायित्व निभाने को प्रेरित करने में सहायक।
  • न्यायपालिका को जनोन्मुखी स्वरूप प्रदान करने में सहायक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
न्यायिक सक्रियता के लाभ लिखिए।
उत्तर :
न्यायिक सक्रियता के लाभ निम्नलिखित हैं

  • इससे न केवल व्यक्तियों बल्कि संस्थाओं, समूहों को भी न्यायालय जाने का अवसर मिला है।
  • न्यायिक सक्रियता ने न्याय व्यवस्था को लोकतान्त्रिक बनाया और कार्यपालिका को जनता के प्रति उत्तरदाये।
  • न्यायिक सक्रियता ने शासन के अन्य अंगों को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने को प्रेरित किया है।
  • न्यायिक सक्रियता ने भारतीय जनमानस का न्यायपालिका में अगाध विश्वास बढ़ाया है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
न्यायिक सक्रियता का महत्त्वपूर्ण साधन कौन है ?
उत्तर :
न्यायिक सक्रियता का महत्त्वपूर्ण साधन जनहित याचिका है।

प्रश्न 2.
भारत में जनहित अभियोगों को आरम्भ करने का श्रेय किसे प्राप्त है ?
उत्तर :
भारत में जनहित अभियोगों को प्रारम्भ करने का श्रेय सर्वोच्च न्यायालय के माननीय श्री पी० एन० भगवती को प्राप्त है।

प्रश्न 3.
लोकायुक्त किन दो राज्यों में है ?
उत्तर :
लोकायुक्त महाराष्ट्र तथा बिहार राज्यों में है।

प्रश्न 4.
लोक-आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है? उसका कार्यकाल कितना होता है? (2017)
उत्तर :
लोक-आयुक्त की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है। अधिकांश राज्यों में लोकायुक्तों का कार्यकाल पाँच वर्ष अथवा 65 वर्ष की उम्र तक, जो भी पहले हो, रखा गया है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. जनहित याचिका का पहला मुकदमा है|

(क) भागलपुर केस
(ख) एशियाड श्रमिक केस
(ग) तिलोनिया श्रमिक केस ।
(घ) मुम्बई के पटरीवालों का केस

2. सर्वप्रथम लोकायुक्त का गठन कहाँ हुआ?

(क) गुजरात में
(ख) महाराष्ट्र में
(ग) आंध्र प्रदेश में
(घ) उत्तर प्रदेश में

3. जनहित याचिकाओं की शुरुआत हुई

(क) अमेरिका में
(ख) भारत में
(ग) द० अफ्रीका में
(घ) रूस में

उत्तरमाला

1. (क), 2. (ख), 3. (क)