UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 12 मानवीय संसाधन : सेवाएँ, परिवहन, दूरसंचार, व्यापार (अनुभाग – तीन)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 12 मानवीय संसाधन : सेवाएँ, परिवहन, दूरसंचार, व्यापार (अनुभाग – तीन)

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में वायु परिवहन सेवा का वर्णन और परीक्षण कीजिए।
या
वायु परिवहन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
या
वायु परिवहन आजकल अधिक उपयोगी क्यों है? कोई तीन बिन्दु लिखिए। [2017]
उत्तर :

भारत में वायु परिवहन

आधुनिक परिवहन साधनों में वायु परिवहन सबसे तीव्रगामी साधन है। दुर्गम क्षेत्रों; जैसे–पर्वत, सघन वन एवं मरुस्थलीय क्षेत्रों में रेल एवं सड़क-मार्गों का विकास करना असम्भव लगता है, परन्तु वायु परिवहन द्वारा इन क्षेत्रों को सरलता से जोड़ा जा सकता है। वर्तमान युग में किसी भी राष्ट्र के त्वरित आर्थिक विकास हेतु इसके महत्त्व को कम करके नहीं आँका जा सकता। भारत में वायु परिवहन का विकास सन् 1920 से प्रारम्भ हुआ, किन्तु स्वतन्त्रता से पूर्व इसका उपयोग अधिकतर सैनिक कार्यों के लिए ही किया जाता था। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद सरकार ने वायु परिवहन के विकास हेतु एक समिति का गठन किया, जिसके सुझाव पर 1953 ई० में वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। वर्तमान में सभी विमान कम्पनियों को निम्नलिखित तीन निगमों में विभाजित कर दिया गया

1. इण्डियन ( इण्डियन एयरलाइन्स) – इसका प्रमुख कार्य देश के भीतरी भागों में वायु सेवाओं का संचालन करना है। इसे कुछ पड़ोसी देशों से भी वायु सेवा सम्पर्क का दायित्व सौंपा गया है। इसका प्रधान कार्यालय नयी दिल्ली में है। इस निगम की सेवाएँ दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता एवं चेन्नई वायु-पत्तनों से संचालित की जाती हैं। इसके विमान में हम देश के प्रमुख नगरों तथा पड़ोसी देशों के बीच उड़ान भरते हैं। ये सेवाएँ 16 विदेशी केन्द्रों तथा 79 राष्ट्रीय केन्द्रों को विमान सेवा प्रदान करती हैं। वर्तमान समय में प्राइवेट एयरलाइन्स भी अन्तर्देशीय विमान सेवाएँ उपलब्ध कराती हैं। वर्तमान में इस निगम के नियन्त्रण में 70 से अधिक विमानों का बेड़ा है तथा इसका नाम परिवर्तित (इण्डियन) कर दिया गया है।

वायुदूत – 20 जनवरी, 1981 ई० को वायुदूत नामक निगम उत्तर-पूर्वी राज्यों के पर्वतीय क्षेत्रों के विकास हेतु स्थापित किया गया। बाद में वर्ष 1992-93 में वायुदूत का विलय इण्डियन एयरलाइन्स में कर दिया।

2. एयर इण्डिया – इस निगम को लम्बी दूरी के अन्तर्राष्ट्रीय मार्गों पर वायु सेवाओं के संचालन का दायित्व सौंपा गया है। भारत में आने वाली अन्य अन्तर्राष्ट्रीय एयरलाइन्स भी. अन्तर्राष्ट्रीय सेवाएँ उपलब्ध कराती हैं। एयर इण्डिया लि० द्वारा संचालित 4 वायुमार्ग निम्नलिखित हैं

  • मुम्बई-काहिरा-रोम-जेनेवा-पेरिस-लन्दन।
  • दिल्ली-अमृतसर-काबुल-मास्को।
  • कोलकाता-सिंगापुर-सिडनी-पर्थ।
  • मुम्बई-काहिरा-रोम-डसेलडर्फ-लन्दन-न्यूयॉर्क।

अन्तर्राष्ट्रीय उड़ान भरने के लिए एयर इण्डिया के पास 32 विमान हैं। वर्ष 2002-03 में इसने लगभग तेंतीस लाख यात्रियों को उनके गन्तव्य तक पहुँचाया है।

3. पवन हंस हेलीकॉप्टर्स लि० – इसकी स्थापना 15 अक्टूबर, 1985 ई० को की गयी थी। यह पेट्रोलियम क्षेत्र, जिनमें ओ०एन०जी०सी० और ऑयल इण्डिया लि० सम्मिलित हैं, को सहायतार्थ सेवाएँ उपलब्ध कराता है तथा देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों को जोड़ता है। यह अन्य ग्राहकों; जैसे राज्य और संघ राज्य क्षेत्र सरकारें, सरकारी क्षेत्र के उपक्रम और निजी क्षेत्र की कम्पनियों को भी सेवाएँ उपलब्ध कराता है। वर्तमान में इस निगम के पास तीस से अधिक हेलीकॉप्टर

इसके अतिरिक्त देश में निजी वायु सेवाएँ भी संचालित हो रही हैं। निजी वायु सेवाओं में सहा एयरवेज, जेट एयरवेज आदि हैं। लगभग 41 निजी एयर लाइनें, एयर-टैक्सी और घरेलू वायुयानों से घरेलू हवाई यातायात के 42% भाग संचालित हो रहे हैं।

महत्त्व
वायु परिवहन वैज्ञानिक युग का एक आश्चर्यजनक आविष्कार है। परिवहन के इस तीव्रगामी साधन ने समय’ और ‘दूरी की समस्या के समाधान में अद्वितीय योगदान दिया है। वर्तमान समय में वायु परिवहन का महत्त्व निम्नलिखित बातों से भली-भाँति स्पष्ट हो जाएगा–

1. बहुमूल्य तथा हल्की वस्तुओं का स्थानान्तरण – वायु परिवहन द्वारा मूल्यवान, हल्की व शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं को कम समय में एक स्थान से दूसरे स्थान को भेजा जा सकता है।

2. न्यूनतम मार्ग व्यय – 
परिवहन के अन्य साधनों; जैसे–रेलों, सड़कों आदि की तरह वायु परिवहन के लिए मार्ग बनाने का कोई व्यय नहीं करना पड़ता। केवल हवाई अड्डे बनाने पड़ते हैं।

3. भौगोलिक बाधाओं से मुक्ति – 
वायुयानों के मार्ग में वनों, रेगिस्तानों, दलदली भूमि, बर्फीले प्रदेशों, पहाड़ों, नदियों, समुद्रों आदि से कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती। इस प्रकार परिवहन का यह साधन भौगोलिक बाधाओं से मुक्त है।

4. कृषि में सहायक – 
अमेरिका, ऑस्ट्रिया आदि विकसित राष्ट्रों में अनाज बोने तथा खेतों में खाद डालने में वायुयानों की सहायता ली जाती है। फसलों में बीमारियों के फैलने पर वायुयानों द्वारा कीटनाशक दवाइयाँ छिड़ककर फसलों की रक्षा की जाती है।

5. व्यावसायिक लाभ – 
विमान दूरस्थ स्थानों पर मूल्यवान वस्तुओं को शीघ्रता से कम जोखिम तथा कम समय में पहुँचाकर उनके बाजार-क्षेत्र का विस्तार करने में सहायक होते हैं।

6. शान्ति और व्यवस्था की स्थापना – 
देश के किसी भी भाग में अशान्ति तथा अव्यवस्था (दंगे आदि) की स्थिति उत्पन्न हो जाने पर विमानों द्वारा सैनिक, हथियार आदि भेजकर स्थिति पर शीघ्रता से नियन्त्रण स्थापित किया जा सकता है।

7. प्राकृतिक विपत्तियों में सहायक – 
बाढ़, अकाल, भूकम्प, अनावृष्टि आदि विपत्तियों के समय विमानों द्वारा शीघ्रता से जीवन-रक्षक सामग्री पहुँचाकर जनता की प्रार्णरक्षा की जा सकती है।

8. सैनिक दृष्टि से युद्ध स्थल तक गोला – 
बारूद, अस्त्र-शस्त्र व सैनिकों को पहुँचाने, सैनिकों को युद्ध क्षेत्र से बाहर निकालने, शत्रु-सेना पर बमबारी करने आदि में वायु परिवहन का अत्यधिक महत्त्व है।

9. डाक सेवा – 
‘वायु डाक सेवा’ द्वारा डाक को लाने व ले जाने में समय की बहुत अधिक बचत होती है।

10. पर्यटन का विकास – 
अधिकांश विदेशी पर्यटक देश के दर्शनीय स्थानों को देखने के लिए विमानों द्वारा जाते हैं, जिससे देश को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में अनेक परिवर्तन हुए हैं। भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं—

1. भारत का 90% अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार समुद्री मार्गों द्वारा सम्पन्न होता है। वायु, सड़क एवं रेल परिवहन का योगदान मात्र 10% है।
2. भारत के कुल निर्यात का 51.04% निर्यात एशिया और ओशियाना को हुआ। इसके बाद यूरोप 23.8% और अमेरिका 16.05% का स्थान रहा। उसी अवधि में भारत का आयात भी एशिया एवं ओशियाना से | सर्वाधिक 61.7% रहा, उसके बाद यूरोप 18.7% और अमेरिका (9.5%) का स्थान रहा।
3. भारत स्वतन्त्रता-प्राप्ति से पूर्व आयात अधिक करता था, परन्तु स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् आयात में वृद्धि के साथ-साथ निर्यात में भी वृद्धि हुई है।
4. भारत के आयात में मशीनें, खाद्य पदार्थ, खनिज तेल, इस्पात-निर्मित सामान, लम्बे रेशे की कपास, मोती एवं बहुमूल्य रत्न, सोना, चाँदी, रासायनिक पदार्थ एवं उर्वरक, कच्चा जूट, कागज व अखबारी कागज, रबड़, कल-पुर्जे तथा विद्युत उपकरण प्रमुख हैं।
5. भारत से सूती वस्त्र एवं सिले-सिलाए परिधान, जूट का सामान, चाय, चीनी, चमड़े की वस्तुएँ, वनस्पति तेल, खनिज पदार्थ, इंजीनियरिंग का सामान, मशीनी उपकरण, भारी संयन्त्र, परिवहन उपकरण, परियोजनागत सामान रत्न एवं आभूषण, खेल का सामान, उर्वरक, रबड़ की वस्तुएँ, मछली एवं उससे निर्मित वस्तुएँ, नारियल, काजू तथा गर्म मसाले आदि पदार्थ निर्यात किए जाते हैं।
6. स्वतन्त्रता-प्राप्ति से पूर्व भारत कच्चे माल का निर्यात अधिक मात्रा में करता था, परन्तु स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् औद्योगीकरण में प्रगति होने के कारण अब तैयार माल विदेशों को भेजा जाने लगा है।
7. भारत में खनिज तेल की माँग निरन्तर बढ़ती जा रही है, जिससे उसका आयात भी निरन्तर बढ़ती जा रहा है। देश में सम्पूर्ण आयात का लगभग 34% भाग खनिज तेल का ही होता है।
8. भारत में खाद्यान्न के आयात में निरन्तर कमी आई है, क्योंकि यहाँ खाद्यान्नों के उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है। अब देश से गेहूँ एवं चावल का निर्यात समीपवर्ती देशों को भी किया जाने लगा है।
9. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भारत की भागीदारी घटती जा रही है। निर्यात व्यापार में यह भागीदारी मात्र 0.8 प्रतिशत है।
10. भारत का विदेश व्यापार अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों के आधार पर किया जाता है। देश का अधिकांश अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार केवल 35 देशों के मध्य होता है।
11. भारत का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार देश के पूर्वी तथा पश्चिमी तट पर स्थित 13 बड़े पत्तनों द्वारा सम्पन्न किया। जाता है। इनके अतिरिक्त 200 मध्यम एवं लघु आकार के पत्तन हैं जो अल्पमात्रा में विशिष्ट वस्तुओं का व्यापार करते हैं। मुम्बई सबसे बड़ा पत्तन है जो देश का लगभग 25% व्यापार सम्पन्न करता है। इसके भार को कम करने के लिए इसके समीप में ही न्हावाशेवा नामक एक नवीन पत्तन स्थापित किया गया है।
12. व्यापार में वृद्धि के लिए भारत अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में भाग लेता है तथा उनका आयोजन अपने देश में भी करता रहता है।
13. भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आकार में तेजी से वृद्धि हो रही है।
14. सरकार निर्यात पर अधिक बल दे रही है, अतः उन्हीं कम्पनियों को आयात की छूट दी जा रही है जो निर्यात अधिक कर सकती हैं।
15. भारत विदेशी मुद्रा संकट का समाधान केवल निर्यात व्यापार को बढ़ाकर ही कर सकता है।
16. भारत अपने निर्यात व्यापार में वृद्धि करने के लिए प्रयत्नशील है।

प्रश्न 3.
यातायात अथवा परिवहन के साधनों का उल्लेख कीजिए।
या
भारत में उपलब्ध परिवहन सेवाओं के नाम लिखिए तथा उनमें से किसी एक के विकास की विवेचना कीजिए। [2014]
या
परिवहन सेवाओं के तीनों भागों का वर्णन कीजिए। [2013]
उत्तर :

यातायात (परिवहन) के साधन

यातायात के साधनों से अभिप्राय उन साधनों से है जो लोगों, वस्तुओं, डाक आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हैं। मोटे तौर पर यातायात के साधनों को निम्नलिखित तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है
1. थल यातायात – रेल यातायात तथा सड़क यातायात।
2. जल यातायात – आन्तरिक जलमार्ग तथा बाह्य जलमार्ग–नाव, जहाज, मोटर-बोट, स्टीमर आदि।
3. वायु यातायात – हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर आदि। तीनों प्रकार के यातायात के साधनों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है
1. थल यातायात – इसके अन्तर्गत मुख्यतया दो प्रकार के यातायात के साधन आते हैं- (i) सड़क यातायात तथा (ii) रेल यातायात।

(i) सड़क यातायात –
सड़क यातायात का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण साधन है। सड़कों पर कार, मोटर, टूक, रिक्शे, ताँगे, ठेले, पशु आदि के द्वारा लोगों तथा सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाया जाता है। सड़कें गाँवों, कस्बों तथा नगरों को एक-दूसरे से जोड़ती हैं। निर्माण की दृष्टि से सड़कें दो प्रकार की होती हैं-कच्ची सड़कें तथा पक्की सड़कें। प्रबन्ध की दृष्टि से पक्की सड़कों को भारत में पाँच वर्गों में बाँटा जाता है— (1) राष्ट्रीय राजमार्ग, (2) प्रान्तीय राजमार्ग, (3) जिला सड़कें, (4) ग्रामीण सड़कें तथा (5) सीमा सड़कें। देश में सड़कों की कुल लम्बाई लगभग 33 लाख किमी है।
(ii) रेल यातायात – आन्तरिक परिवहन की दृष्टि से भारतीय अर्थव्यवस्था में रेलों का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। भारत के रेल यातायात का एशिया महाद्वीप में प्रथम तथा विश्व में चौथा स्थान है। भारतीय रेलमार्गों की लम्बाई लगभग 63,221 किलोमीटर है। देश में प्रतिदिन लगभग 7,116 स्टेशनों के बीच 13 हजार गाड़ियाँ चलती हैं तथा लगभग 14.5 लाख किलोमीटर की दूरी तय . करती हैं। भारतीय रेल व्यवस्था में 16 लाख लोग लगे हुए हैं। कुशल प्रबन्ध हेतु भारत में रेल यातायात को 16 प्रशासनिक मण्डलों में विभाजित किया गया है। इस प्रतिष्ठान में सरकार की लगभग १ 9,000 करोड़ की पूंजी लगी हुई है।

2. जल यातायात – जलमार्गों के अनुसार जल यातायात को दो भागों में बाँटा जाता है—(i) आन्तरिक जल यातायात तथा (ii) समुद्री यातायात। देश के भीतरी भागों में नदियाँ तथा नहरें आन्तरिक जल परिवहन का मुख्य साधन हैं। गंगा, यमुना, घाघरा, ब्रह्मपुत्र आदि समतल मैदानों में धीमी गति से बहने वाली नदियाँ नावें तथा स्टीमर चलाने के लिए उपयुक्त हैं। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल की नहरें तथा ओडिशा की तटीय नहरें आन्तरिक यातायात के लिए उपयोगी हैं। समुद्री यातायात का भारत में प्राचीन काल से ही महत्त्व रहा है। भारतीय जलयाने समुद्री मार्ग से दूर स्थित देशों को माल ले जाते हैं तथा वहाँ से ढोकर लाते हैं। समुद्री यातायात की सुविधा हेतु देश में बारह बड़े बन्दरगाह हैं, जिनमें छ: पूर्वी तट पर तथा छ: पश्चिमी तट पर हैं।

3. वायु यातायात – इसे मुख्य रूप से निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है–
(1) इण्डियन एयरलाइन्स निगम – यह निगम देश के आन्तरिक भागों तथा समीपवर्ती देशों पाकिस्तान, म्यांमार, नेपाल, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव एवं श्रीलंका के साथ वायुमार्गों की व्यवस्था करता है। इस निगम का प्रधान कार्यालय नयी दिल्ली में है। वायुदूत-20 जनवरी, 1981 ई० से वायुदूत नामक निगम स्थापित किया गया। बाद में 1992-93 ई० में वायुदूत का विलय इण्डियन एयरलाइन्स (वर्तमान में इंडियन) में कर दिया गया।
(ii) एयर इण्डिया निगम – यह निगम विदेशों के लिए वायुमार्गों की व्यवस्था करता है तथा लगभग 97 देशों के साथ भारत का सम्बन्ध स्थापित करता है। इस निगम द्वारा संचालित 4 प्रमुख वायुमार्ग हैं—(1) मुम्बई-काहिरा-रोम-जेनेवा-पेरिस-लन्दन। (2) दिल्ली-अमृतसर-काबुल-मास्को।(3) कोलकाता-सिंगापुर-सिडनी–पर्थ।(4) मुम्बई-काहिरा-रोम-डसेलडर्फ-लन्दन-न्यूयॉर्क।
(iii) इसके पश्चात् पवन हंस लिमिटेड की स्थापना 15 अक्टूबर, 1985 ई० में हुई, जो दुर्गम क्षेत्रों में हेलीकॉप्टरों की सेवाएँ उपलब्ध कराता है। इसके अतिरिक्त देश में निजी वायु सेवाएँ भी संचालित हो रही हैं। लगभग 41 निजी एयर लाइनें एयर टैक्सी और घरेलू वायुयानों से घरेलू हवाई यातायात के 42 प्रतिशत भाग को संचालित कर रहे हैं। वर्तमान में भारत में पाँच अन्तर्राष्ट्रीय तथा बीस से अधिक राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं।

प्रश्न 4.
संचार अथवा सन्देशवाहन के मुख्य साधनों का उल्लेख करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था पर इनके प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
या
आर्थिक विकास में संचार के प्रमुख साधनों का उल्लेख कीजिए तथा उनके महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
या
भारत के मुख्य संचार साधनों का उल्लेख कीजिए।
या
संचार के माध्यमों में रेडियो तथा दूरदर्शन की उपयोगिता लिखिए।
या
भारतीय अर्थव्यवस्था पर परिवहन के साधनों के प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
या
परिवहन तथा संचार के विभिन्न साधनों को किसी राष्ट्र तथा उसकी अर्थव्यवस्था की जीवन-रेखाएँ क्यों कहा जाता है ?
या
विश्व में भारत के बदलते स्तर का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों में कीजिए(i) परिवहन तथा (ii) दूरसंचार।
या
संचार सेवाओं का अर्थ, प्रकार तथा महत्त्व बताइए। [2018]

उत्तर :
भारत में संचार (सन्देशवाहन) के मुख्य साधन सन्देशवाहन के साधनों से अभिप्राय उन साधनों से है जिनके द्वारा हम कम समय में एक स्थान से दूसरे स्थान पर सूचना भेजते हैं। भारत के मुख्य सन्देशवाहन के साधन निम्नलिखित हैं|

1. डाक सेवा – 
भारत में डाक सेवा का संचालन डाकघरों के माध्यम से भारत सरकार का केन्द्रीय संचार मन्त्रालय करता है। डाक-व्यवस्था के संचालन की सुविधा के लिए समस्त देश को 16 डाकसर्किलों में बाँटा गया है। डाक रेल, बस तथा वायुयान द्वारा ढोई जाती है। देश के लगभग सभी गाँवों में डाक सेवा की व्यवस्था कर दी गयी है। अब देश में लगभग 1.50 लाख से भी अधिक डाकघर हैं।

2. तार सेवाएँ – 
भारत में तार सेवा लगभग 142 वर्ष पुरानी है। देश के लगभग सभी नगरों तथा कस्बों में तारघरों की व्यवस्था कर दी गयी है। भारत में तारघर डाक विभाग के अन्तर्गत आते हैं। इस समय देश में 62,000 तारघर हैं। अब अंग्रेजी के अतिरिक्त हिन्दी तथा क्षेत्रीय भाषाओं में भी तार भेजे जाने लगे हैं।

3. विदेशी तार (केबिलग्राम) – 
इसके अन्तर्गत तार की मोटी-मोटी लाइनें समुद्र के अन्दर बिछाई जाती हैं। फिर ऐसे बिछे हुए तारों द्वारा विदेशों को समाचार भेजे जाते हैं।

4. बेतार का तार – 
इस साधन द्वारा समाचार भेजने के लिए न तो भूमि पर तार के खम्भे गाड़ने पड़ते हैं। और ने समुद्र में तार बिछाने पड़ते हैं। इसके अन्तर्गत ट्रांजिस्टर जैसे वायरलेस यन्त्र की सहायता से वायु द्वारा ही समाचार भेज दिया जाता है।

5. टेलीफोन – 
टेलीफोन की सहायता से आप न केवल अपने देश के व्यक्तियों वरन् अन्य राष्ट्रों में रह . रहे व्यक्तियों से भी बातचीत कर सकते हैं। इस समय देश में लगभग 17 हजार टेलीफोन एक्सचेंज हैं। देश के 886 नगरों में एस०टी०डी० की सुविधा प्रदान की गयी है, जिसके अन्तर्गत सीधे डायल घुमाकर अन्य शहरों के व्यक्तियों से बातचीत की जा सकती है। विश्व के 178 देशों के साथ प्रत्यक्ष टेलीफोन सम्बन्ध स्थापित कर दिये गये हैं। वर्तमान में देश में फिक्स्ड लाइनें तथा सेल्युलर (मोबाइल) लाइनें एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगा रही हैं, जिसमें मोबाइल फोन सेवाएँ फिक्स्ड लाइन सेवाओं से बहुत आगे हैं।

6. रेडियो –
रेडियो व ट्रांजिस्टर की सहायता से घर बैठे ही विश्वव्यापी घटनाओं का पता लग जाता है। व्यावसायिक विज्ञापन, आवश्यक घोषणाएँ, मनोरंजन के साधन आदि के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। इसका केन्द्रीय कार्यालय नयी दिल्ली में है, जिसे ‘आकाशवाणी’ के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में देश की 99% जनसंख्या तक इसकी पहुँच हो गयी है। रेडियो मनोरंजन का सस्ता और उत्तम साधन भी है।

7. टेलीविजन या दूरदर्शन – 
भारत में टेलीविजन सेवा का प्रारम्भ 15 सितम्बर, 1959 ई० को नयी दिल्ली में किया गया था। अब देश में दूरदर्शन केन्द्रों का जाल बिछा दिया गया है। प्रमुख शहरों में दूरदर्शन प्रसारण केन्द्र स्थापित किये गये हैं। राष्ट्रीय महत्त्व के प्रसारण उपग्रह संचार व्यवस्था द्वारा समस्त देश में एक साथ प्रसारित किये जाते हैं। यह राष्ट्रीय एकीकरण का एक सशक्त माध्यम है। दूरदर्शन के देश में 900 से अधिक ट्रांसमीटर हैं तथा 90% जनसंख्या तक इसकी पहुँच भी हो चुकी है।

8. टेलेक्स सेवा – 
राष्ट्रीय टेलेक्स सेवा सन् 1963 में प्रारम्भ की गयी थी। अब देश में लगभग 332 टेलेक्स एक्सचेंज कार्य कर रहे हैं। इनके द्वारा टेलीप्रिंटर की सहायता से मुद्रित सन्देशों का आदान-प्रदान किया जाता है। इस व्यवस्था द्वारा विदेशों को भी सन्देशों का आदान-प्रदान सम्भव है।

9. विदेश संचार सेवा –
भारत की अन्य देशों के साथ दूर-संचार सेवाएँ, समुद्र पार संचार सेवा (O.C.S.) नामक कार्यालय द्वारा संचालित होती हैं, जिसके मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई तथा नयी दिल्ली में चार केन्द्र हैं। इसके अन्तर्गत उपग्रह के माध्यम से विदेशी तार, टेलेक्स, टेलीफोन, रेडियो, फोटो आदि की सुविधाएँ प्राप्त होती हैं। सन् 1971 में पूना के निकट आर्वी तथा सन् 1976 में देहरादून में स्थापित दो उपग्रह भूकेन्द्रों की सहायता से ओ०सी०एस० कार्यालय हिन्द महासागर में स्थित इण्टेलसेट के माध्यम से विदेश संचार सेवाएँ प्रदान करता है।

10. ई-मेल – 
इस साधन ने संचार-व्यवस्था को उन्नति की चरम सीमा पर पहुंचा दिया है। अब संसार के किसी भी कोने से, किसी भी कोने में सन्देश भेजा जा सकता है। आपकी अनुपस्थिति में भी आपको भेजा गया सन्देश स्वीकृत हो जाता है। इस समाचार को आप पढ़ सकते हैं और आवश्यक कार्यवाही कर सकते हैं।

11. मुद्रण माध्यम – 
समाचार-पत्र तथा अन्य पत्र-पत्रिकाएँ जो दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक एवं मासिक रूप से प्रकाशित की जाती हैं, प्रमुख मुद्रण-संचार माध्यम हैं। प्रेस रजिस्ट्रार द्वारा जारी सन् 2001 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विभिन्न भाषाओं में 52,000 से भी अधिक समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं का प्रकाशन किया जा रहा था। ये देश की जनता, सरकार, व्यापार व उद्योग के बीच विचारों व सन्देशों के आदान-प्रदान के प्रभावी माध्यम हैं।

महत्त्व
संचार के साधनों का महत्त्व निम्नलिखित है

  • संचार के साधनों में रेडियो व दूरदर्शन देशवासियों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें शिक्षा भी प्रदान करते हैं।
  • संचार के साधन सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ जनता को जागरूक बनाने के सबसे प्रभावी माध्यम हैं।
  • संचार के साधनों के माध्यम से मौसम सम्बन्धी भविष्यवाणी प्रसारित की जाती है, जिससे कृषि, यातायात व अन्य क्षेत्रों में होने वाली क्षति कम हो गयी है।
  • संचार के साधन व्यापार एवं वाणिज्य के विकास में सहायक तो हैं ही, इनके द्वारा पिछड़े क्षेत्रों के आर्थिक विकास में भी सहायता मिलती है।
  • संचार के माध्यमों द्वारा जन-सामान्य को आर्थिक व वैज्ञानिक प्रगति की जानकारी मिलती है तथा देश में वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान का प्रसार होता है।
  • संचार के साधन समाज के विभिन्न वर्गों को परस्पर जोड़ने का कार्य भी करते हैं। इससे राष्ट्रीय एकता का वातावरण निर्मित होता है।
  • संचार के साधनों द्वारा विचारों का विनिमय होता है। ये धन के स्थानान्तरण में भी सहायक हैं।
  • वर्तमान समय में संचार के साधनों द्वारा सर्वेक्षण, विज्ञापन, चेतावनी, परामर्श आदि दी जाने लगी हैं। इससे महामारियों पर नियन्त्रण पाने में भी सहायता मिली है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर परिवहन तथा संचार-साधनों का प्रभाव

परिवहन के प्रमुख साधन सड़कें, रेलमार्ग, वायुमार्ग तथा जलमार्ग हैं। ये साधन किसी भी राष्ट्र की धमनियाँ होते हैं। देश का आर्थिक तथा सामाजिक विकास इन्हीं साधनों पर निर्भर करता है। परिवहन तथा संचार के साधन राष्ट्र में एक ऐसा संगठन खड़ा कर देते हैं, जो लोगों की गतिशीलता, माल का परिवहन तथा समाचारों के आदान-प्रदान में सहायक हों। यदि कृषि एवं उद्योग-धन्धे किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास में शरीर एवं हड्डियों की भाँति कार्य करते हैं तो परिवहन एवं संचार के साधन धमनियों तथा शिराओं की भाँति कार्य करते हैं। परिवहन एवं संचार-प्रणाली के ठप हो जाने से अर्थव्यवस्था मृतप्राय हो जाती है। इसीलिए इन्हें राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की जीवन-रेखाएँ कहा जाता है। राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में परिवहन तथा संचार के साधनों की भूमिका (प्रभाव) तथा महत्त्व निम्नलिखित हैं

1. आधुनिक औद्योगिक विकास के लिए परिवहन तथा संचार के साधन पहली आवश्यकता बन गये हैं। ये कच्चे माल को कारखानों तक तथा उनके द्वारा निर्मित माल को उपभोक्ताओं तक पहुँचाने का कार्य करते हैं।

2.
सड़कें, रेलें, जलमार्ग तथा वायुमार्ग परिवहन के विभिन्न साधन हैं, जब कि डाक-तार, रेडियो, टेलीविजन, दूरभाष, कृत्रिम उपग्रह आदि संचार के विभिन्न साधन हैं, जिन्होंने भावनात्मक एकता को बनाये रखकर देश में आर्थिक विकास की गति को बढ़ाया है।

3.
परिवहन तथा संचार के साधन वस्तुओं के उत्पादन एवं वितरण में सहायक हैं। इनसे लोगों की गतिशीलता में वृद्धि होती है, जिससे वे अधिक धनोपार्जन कर सकते हैं तथा उन्हें भावनात्मक सन्तोष प्राप्त होता है।

4.
परिवहन और संचार के द्रुतगामी एवं सूक्ष्म साधनों द्वारा आज पूरा संसार सिमटकर रह गया है। वह एक घर-परिवार की भाँति है, क्योंकि जब चाहें घर बैठे ही एक-दूसरे से बात कर सकते हैं अथवा कुछ ही घण्टों के अन्तराल में परस्पर मिल सकते हैं।

5.
इन साधनों के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में हुए परिवर्तनों की जानकारी तुरन्त प्राप्त की जा सकती है। अत: लोगों की आपसी निर्भरता दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है।

6.
परिवहन एवं संचार के साधनों द्वारा देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई है, जिससे जीवन सुख-सुविधाओं से सम्पन्न और समृद्ध हो गया है।

7.
ये साधन देश के आर्थिक जीवन को एकता के सूत्र में बाँधे हुए हैं तथा युद्ध, अकाल व महामारियों के समय अपनी सेवाओं के द्वारा इन आपदाओं से छुटकारा दिलाने में सहायक सिद्ध हुए हैं।

8.
राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई है तथा आर्थिक विकास की गति में भी तीव्रता आयी है।। इस प्रकार उपर्युक्त आधार पर कहा जा सकता है कि परिवहन तथा संचार के विभिन्न साधने राष्ट्र एवं उसकी अर्थव्यवस्था की जीवन-रेखाएँ हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रेलों के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
या
रेल परिवहन के किन्हीं तीन आर्थिक लाभों का वर्णन कीजिए। [2014, 16]
या
देश के आर्थिक विकास में रेलों का क्या महत्त्व है ?
या
भारत के आर्थिक विकास में रेलमार्गों के तीन महत्त्व पर प्रकाश डालिए। [2012]
उत्तर :
देश में परिवहन के साधनों में रेलों का महत्त्व निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट होता है

  • सार्वजनिक क्षेत्र में रेलवे सबसे बड़ा प्रतिष्ठान है। इसमें १ 9,000 करोड़ से अधिक की पूँजी तथा 16 लाख कर्मचारी संलग्न हैं।
  • रेलों से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये किराये व भाड़े के रूप में सरकार को प्राप्त होते हैं।
  • रेलों ने कृषि उपजों के विकास में बहुत योगदान दिया। अतिरिक्त कृषि उत्पादों को रेलों द्वारा दूरवर्ती भागों तक भेजना सम्भव हुआ है। कृषि उत्पादन में वृद्धि उर्वरकों, उत्तम बीज, नवीन यन्त्रों तथा कीटनाशकों के अधिकाधिक उपयोग का फल है, जो रेलों द्वारा ही ढोये जाते हैं।
  • कृषि एवं खनिजों पर आधारित उद्योगों के विकास में रेलों ने प्रमुख भूमिका निभायी है, क्योंकि भारी पदार्थों का परिवहन करने में रेल परिवहन ही सफल हो सकता है। इसके साथ ही उद्योगों का विकेन्द्रीकरण भी रेल परिवहन द्वारा ही सम्भव हुआ है।
  • रेलें देश के सुदूर भागों के मध्य सम्पर्क स्थापित कराती हैं।
  • अकाल व बाढ़ के दौरान क्षतिग्रस्त क्षेत्रों में सामान पहुँचाने का उत्तम साधन रेले हैं।
  • कृषि उपजों को सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पहुँचाने का कार्य रेलों द्वारा ही सम्पन्न होता है।
  • औद्योगिक उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुँचाने में रेलों का योगदान है।
  • परिवहन के सभी साधनों में रेलें सबसे सस्ती हैं।
  • रेलों के कारण गतिशीलता बढ़ी है, जिससे भारतवासियों में एकता व सौहार्द की भावना बढ़ी है।
  • रेलों द्वारा पत्तनों व भीतरी नगरों के बीच आदान-प्रदान बढ़ा है, इससे आन्तरिक तथा विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन मिला है।
  • शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं का परिवहन सुविधाजनक हो गया है।
  • रेलमार्गों के साथ ही अनेक बस्तियाँ विकसित हुई हैं, जिन्होंने बड़े नगरों का रूप ले लिया है।
  • संघन आबाद मैदानी भागों में रेले परिवहन का उत्तम साधन हैं, इसीलिए वहाँ रेलों का घना जाल मिलता है।

प्रश्न 2.
गाँवों के आर्थिक विकास में सड़कों के चार योगदानों की विवेचना कीजिए।
या
भारत के किसी राज्य का उदाहरण देते हुए सड़कों के सामाजिक तथा सांस्कृतिक महत्त्व को बताइए।
उत्तर :
भारत के आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास में पक्की सड़कों की भूमिका अग्रलिखित है

  • देश में पक्की सड़कों का जाल बिछा, हुआ है। बड़े-बड़े नगर और राज्यों को पक्की सड़कों द्वारा ही जोड़ा गया है; जैसे—दिल्ली-मुम्बई राजमार्ग, दिल्ली-चेन्नई राजमार्ग, दिल्ली-कोलकाता राजमार्ग, दिल्ली-जम्मू राजमार्ग आदि।
  • सड़कों को तीव्र ढलानों पर भी बनाया जा सकता है। इसी कारण पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कें ही बनायी गयी हैं। उदाहरण के लिए-जम्मू-कश्मीर राज्य के लद्दाख क्षेत्र में मनाली-लेह सड़क मार्ग है।
  • पक्की सड़कों का हर मौसम में उपयोग किया जा सकता है तथा कम समय में अधिक दूरी भी तय की जा सकती है।
  • पक्की सड़कों का निर्माण किसी भी प्रकार के धरातल पर किया जा सकता है।
  • पक्की सड़कों की भार-वहन क्षमता बहुत अधिक होती है।
  • आधुनिक जीवन-शैली और सुख-सुविधाएँ प्रदान करने वाली वस्तुएँ इन्हीं सड़कों से होकर देश के कोने-कोने में पहुँचती हैं; जैसे-पंजाब का गेहूँ असोम और केरल राज्यों में जाता है तथा असोम की चाय पूरे भारत में पी जाती है।
  • सड़क मार्गों ने देश को एकता के सूत्र में बाँध दिया है। सड़कों के द्वारा ही विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक गतिविधियाँ परस्पर प्रभावित होती हैं और देश में सांस्कृतिक एकता स्थापित करती हैं।

प्रश्न 3.
भारत के किन्हीं दो राजमार्गों के नाम बताइए तथा इनके महत्व को स्पष्ट कीजिए। उत्तर भारत के दो राजमार्ग हैं—(1) ग्राण्ड ट्रंक रोड तथा (2) मुम्बई-कोलकाता रोड या ग्रेट दकन रोड।
1. ग्राण्ड ट्रंक रोड – यह सड़क कोलकाता, वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर, अलीगढ़, दिल्ली, करनाल,
अम्बाला होती हुई अमृतसर तक जाती है। यह सड़क मार्ग पूर्वी भारत को पश्चिमी भारत से जोड़ता है। पंजाब राज्य के कृषि उत्पादों को सम्पूर्ण भारत में पहुँचाने में यह सड़क मार्ग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी प्रकार विभिन्न औद्योगिक उत्पादों तथा सैन्य-सामग्री को पश्चिमी सीमा तक पहुंचाने
में इस सड़क-मार्ग का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

2. मुम्बई-कोलकाता रोड या ग्रेट दकन रोड – 
यह सड़क-मार्ग मुम्बई, नागपुर, रायपुर, सम्बलपुर होता हुआ कोलकाता तक जाता है। यह भारत के पश्चिमी तट पर विकसित पत्तनों को सड़क मार्ग द्वारा पूर्वी तट पर स्थित पत्तनों से जोड़ता है। कोलकाता तथा मुम्बई के औद्योगिक उत्पादों को लाने
और ले जाने, प्रशासनिक कार्यों के सम्पादन तथा आन्तरिक प्रदेशों के विकास में इस सड़क का
महत्त्वपूर्ण स्थान है।

प्रश्न 4.
देश के आर्थिक विकास में जलमार्गों का क्या महत्त्व है ?
उत्तर :
देश के आर्थिक विकास में जलमार्गों का महत्त्व निम्नलिखित कारणों से है—

  • जलमार्ग परिवहन का सबसे सस्ता साधन है। यह हमारे लिए प्राकृतिक उपहार है। इसके निर्माण व रख-रखाव पर कोई व्यय नहीं करना पड़ता। इसलिए रेलों व सड़कों की अपेक्षा जलमार्ग सस्ती यातायात सेवा प्रदान करते हैं।
  • भारी पदार्थों को दूरस्थ स्थानों या देशों में भेजने के लिए जलमार्ग विशेष रूप से उपयोगी है, क्योंकि जलयानों में भार खींचने की क्षमता अधिक होती है तथा जल-परिवहन का घर्षण भी कम होता है।
  • जलमार्ग देशों के बीच वाणिज्य तथा व्यापार का विकास करते हैं। भारत के आयात-निर्यात व्यापार का लगभग 92% भाग जलमार्गों द्वारा ही होता है।
  • राष्ट्रीय प्रतिरक्षा की दृष्टि से भी जलमार्गों का बहुत अधिक महत्त्व है। पुलों को नष्ट करके शत्रु द्वारा रेल व सड़क-मार्ग को तो सेवा के अयोग्य बनाया जा सकता है; परन्तु जलमार्गों-नदी, नहर और समुद्र-का ऐसा विध्वंस सम्भव नहीं होता।
  • ये आपसी सहयोग तथा संस्कृति के आदान-प्रदान में भी सहायक होते हैं।

प्रश्न 5.
विदेशी व्यापार में आयात और निर्यात को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आयात और निर्यात को निम्नवत् परिभाषित किया जाता है
आयात-जब कोई देश अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ अन्य देश से मँगाता है, तो इसे आयात कहा जाता है। इस प्रकार कोई भी देश किसी वस्तु का आयात इसलिए करता है कि या तो अमुक वस्तु का उत्पादन उस देश में नहीं किया जाता अथवा उसकी उत्पादन लागत उसके आयात-मूल्य से अधिक पड़ती है।

निर्यात-जब कोई देश अपने अधिकतम उत्पादन को अन्य देशों को भेजता है तो उसे निर्यात कहा जाता है। इस प्रकार किसी वस्तु का निर्यात इसलिए किया जाता है कि उस देश में उत्पन्न की गई उस अतिरिक्त उत्पादित वस्तु की माँग विदेशों में है तथा उसे निर्यात कर विदेशी मुद्रा प्राप्त की जा सकती है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध स्थापित करने के उद्देश्य से भी निर्यात किया जाता है।

प्रश्न 6.
पाइप लाइन परिवहन की आवश्यकता तथा महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
या
भारत में पाइप लाइन परिवहन के दो महत्त्व बताइट।
उत्तर :
पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस के परिवहन के लिए भारत में पाइप लाइनों का विकास किया गया है। इसे विकसित करने की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है–

  • पाइप लाइनों के द्वारा तेल तथा प्राकृतिक गैस को उत्पादन क्षेत्रों से शोधनशालाओं तथा बाजारों (उपभोग क्षेत्रों) तक पहुँचाना अधिक सरल और सुगम है। पहले यह कार्य रेलों तथा ट्रकों द्वारा किया जाता था।
  • पाइप लाइनों द्वारा पेट्रोलियम तथा इसके पदार्थों का देशभर में वितरण सुनिश्चित तथा आसान हो गया
  • पाइप लाइनों के निर्माण में आरम्भिक व्यय के बाद इससे पदार्थों के परिवहन में व्यय नहीं होता। इनकी देख-रेख पर भी बहुत कम व्यय होता है। अतः तेल और गैस के परिवहन में पाइप लाइनें बहुत उपयोगी सिद्ध हुई हैं।
  • पाइप लाइनों से परिवहन के दौरान चोरी, क्षति या विलम्ब का भय नहीं रहता।

प्रश्न 7.
भारत के आयात की चार प्रमुख मदें लिखिए।
उत्तर :
भारत के आयात की चार प्रमुख मदें निम्नलिखित हैं
1. पेट्रोलियम – भारत में पेट्रोलियम तथा उससे सम्बन्धित उत्पादों द्वारा देश की लगभग 40% आवश्यकता ही पूर्ण हो पाती है, शेष आवश्यकता के लिए हमें विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत कच्चे तेल का आयात अधिक करता है, जिसका शुद्धिकरण देश की परिष्करणशालाओं में किया जाता है। तेल का आयात मुख्यतः ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब, बहरीन द्वीप म्यांकार (बर्मा), मैक्सिको, अल्जीरिया, इण्डोनेशिया एवं रूस से किया जाता है।

2. मशीनरी तथा परिवहन के उपकरण – 
भारत आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए सुधरी हुई एवं उन्नत किस्म की मशीनों का भारी मात्रा में आयात करता है। इनमें विभिन्न प्रकार के उद्योगों के लिए मशीनें, विद्युत मशीनें, खदान खोदने की मशीनें तथा परिवहन उपकरण प्रमुख हैं, जिनका आयात संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, पोलैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रेलिया व रूस आदि देशों से किया जाता है।

3. खाद्यान्न एवं खाद्य तेल – 
यद्यपि भारत भोजन के लिए अनाज पैदा करने में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है, परन्तु तेजी से बढ़ती जनसंख्या की अनाज की आवश्यकता की पूर्ति के लिए कभी-कभी अनाजों का आयात करना पड़ जाता है। अनाज एवं खाद्य तेलों का आयात संयुक्त राज्य अमेरिका, म्यांमार (बर्मा), ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, श्रीलंका आदि देशों से किया जाता है।

4. लोहा एवं इस्पात – 
भारत में उद्योग के हो रहे तेजी से विकास के कारण लोहे एवं इस्पात की माँग में वृद्धि हुई है। इसका आयात संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन एवं जर्मनी से किया जाता है।

प्रश्न 8.
स्वर्णिम चतुर्भुज राष्ट्रीय राजमार्ग योजना क्या है ?
या
स्वर्णिम चतुर्भुज राष्ट्रीय राजमार्ग योजना बनाने के प्रमुख दो उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
वर्ष 1999 के लगभग 13 हजार किमी इकहरे राजमार्ग को चार से छ: लेन में बदलने की एक वृहत् योजना का प्रारूप तैयार किया गया। राष्ट्रीय राजमार्ग gविकास परियोजना के तहत इस कार्यक्रम पर १ 54,000 करोड़ की लागत (वर्ष 1999 के मूल्य-स्तर पर) अनुमानित की गयी। उपर्युक्त वृहत् योजना के अन्तर्गत दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई व कोलकाता प्रमुख शहरों को चार या छः लेन वाले द्रुतगामी सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए हैं 27 हजार करोड़ की जो योजना बनायी गयी, वह स्वर्णिम चतुर्भुज योजना कहलाती है। 5,846 किमी लम्बे इस सड़क-मार्ग को 2004 ई० तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन यह लक्ष्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। इस राजमार्ग को बनाने के दो प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  • महानगरों से नगरों तक देश के अन्य केन्द्रों को समृद्ध कर आर्थिक गतिविधियों में तीव्रता लाना।
  • लघुतम समयावधि में देश के चार महानगरों की यात्रा पूरी करना।

प्रश्न 9.
भारत से निर्यात की जाने वाली चार प्रमुख मदें लिखिए।
उत्तर :
भारत से निर्यात की जाने वाली चार प्रमुख मदों का विवरण निम्नलिखित है

1. वस्त्र एवं सिले-सिलाए वस्त्र – भारत सूती वस्त्र, सूती धागा, जूट का रेशा व जूटनिर्मित सामान–गलीचे, दरियाँ आदि–तथा सिले-सिलाए वस्त्रों (Readymade Garments) भारी मात्रा में निर्यात करता है।
2. चमड़ा एवं चमड़े का सामान – भारत पशुधन की संख्या में विश्व में प्रथम स्थान रखता है। अत: देश में पर्याप्त मात्रा में चमड़े का उत्पादन होता है। चमड़े के साथ-साथ उससे बनी विभिन्न वस्तुओं; जूता, चप्पल, बेल्ट, अटैची आदि का भी निर्माण होता है, जिनका निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में प्रमुख स्थान है।
3. रत्न एवं आभूषण – रत्न एवं आभूषणों के निर्यात में भारत अन्तर्राष्ट्रीय व्यापर में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इनके निर्यात व्यापार में भी तेजी से वृद्धि ही होती जा रही है। इन वस्तुओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भारत रत्नों एवं बहुमूल्य धातुओं को विदेशों से कम मूल्य पर आयात करता है तथा पुनः उनके आभूषण एवं अन्य वस्तुएँ बनाकर विदेशों को निर्यात कर देता है।
4. रसायन एवं सहायक उत्पाद – इसके अन्तर्गत कार्बनिक और अकार्बनिक रसायनों का महत्त्वपूर्ण स्थान है, जिनमें औषधियाँ, कीटनाशक दवाइयाँ, प्लास्टिक एवं उससे बने सामान एवं रंग-रोगन आदि उल्लेखनीय हैं।

प्रश्न 10.
भारत में सड़क परिवहन रेल परिवहन की अपेक्षा किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है ?
उत्तर :
भारत में सड़क परिवहन रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक उपयोगी एवं लाभप्रद सिद्ध हुआ है, जिसे निम्नलिखित तथ्यों द्वारा समझा जा सकता है

1. सड़क-मार्गों का निर्माण रेलमार्गों की अपेक्षा सस्ता पड़ता है। सड़क मार्गों के रख-रखाव में भी ‘ बहुत कम व्यय होता है। इनके निर्माण में कम समय, कम श्रमिक, कम पूँजी तथा कम तकनीकी की आवश्यकता होती है।
2. किसी भी प्रकार की स्थालाकृति; यथा-पर्वतीय, पठारी, मैदानी, मरुस्थलीय, ऊँची-नीची, ढालू तथा बीहड़ में सड़क-मार्गों का निर्माण सम्भव है, जब कि रेलमार्गों को उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में विकसित नहीं किया जा सकता।
3. सड़कें व्यक्ति को उसके दरवाजे तक छोड़ सकती हैं, जबकि रेले निर्धारित स्टेशनों पर ही रुकती हैं।
4. सड़कों के माध्यम से निर्माण केन्द्रों में उत्पादित अनेक वस्तुएँ उपभोक्ताओं तक प्रत्यक्ष रूप से पहुँचा दी जाती हैं। इसमें माल को बार-बार लादना-उतारना नहीं पड़ता। इसके विपरीत, रेलमार्गों द्वारा उपभोक्ताओं को विभिन्न वस्तुएँ उपलब्ध कराने के लिए निर्माण केन्द्रों से माल स्टेशन तक पहुँचाने तथा स्टेशन से गन्तव्य तक भेजने में बार-बार उतारना एवं लादना पड़ता है, जिससे वस्तुओं के टूटने-फूटने का खतरा बना रहता है तथा अधिक समय एवं धन नष्ट करना पड़ता है।
5. सड़क-मार्गों पर संचालित वाहनों का उपयोग किसी भी समय किया जा सकता है, अर्थात् इच्छित यात्रा सड़क-मार्गों द्वारा ही सम्भव है। इसके विपरीत रेलों का संचालन नियत समय पर ही होता है, जिससे यात्रियों को बड़ा सतर्क रहना पड़ता है।
6. सड़क-मार्गों द्वारा अल्प दूरी तय करना अथवा सामान भेजना सस्ता एवं सुविधाजनक तथा कम व्ययसाध्य होता है, जब कि रेलमार्गों से ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती है।
7. शीघ्र खराब होने वाले पदार्थों को गन्तव्य तक पहुँचाने में सड़क मार्ग, रेलमार्ग की तुलना में अधिक उपयोगी है। अण्डा, दूध, फल, सब्जी, मांस, पनीर आदि का परिवहन अधिकांशत: सड़क मार्गों द्वारा ही किया जाता है।
8. रेलों द्वारा ढोये गये माल को उच्च पर्वतीय, दुर्गम तथा सीमावर्ती क्षेत्रों तक पहुँचाने का कार्य सड़क मार्गों द्वारा ही किया जाता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में रेल इंजन कहाँ बनाये जाते हैं?
उत्तर :
भारत में रेल इंजन चित्तरंजन में बनाये जाते हैं।

प्रश्न 2.
भारत में रेलमार्गों को कितने गेज में बाँटा गया है?
उत्तर :
तीन गेज में।

प्रश्न 3.
भारत में दक्षिण रेलवे का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
उत्तर :
भारत में दक्षिण रेलवे को मुख्यालय चेन्नई में स्थित है।

प्रश्न 4.
भारत में मेट्रो रेल कहाँ पायी जाती है?
उत्तर :
भारत में मेट्रो रेल कोलकाता तथा दिल्ली में पायी जाती है।

प्रश्न 5.
भारत के प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्गों के नाम लिखिए।
उत्तर :
कांडला, मुम्बई, मार्मागाओ, न्यू मंगलौर, कोच्चि, तूतीकोरिन, चेन्नई, पारादीप, हल्दिया आदि प्रमुख जलमार्ग हैं।

प्रश्न 6.
भारत के आयात की सबसे प्रमुख वस्तु कौन-सी है?
उत्तर :
भारत के आयात की सबसे प्रमुख वस्तु खनिज तेल, कागज व अखबारी कागज, कलपुर्जे तथा विद्युत उपकरण प्रमुख हैं।

प्रश्न 7.
भारत में सबसे अधिक समाचार-पत्र किस भाषा में प्रकाशित होते हैं?
उत्तर :
भारत में सबसे अधिक समाचार-पत्र हिन्दी भाषा में प्रकाशित होते हैं।

प्रश्न 8.
भारत में परिवहन के प्रमुख साधन कौन-से हैं ?
उत्तर :
भारत में परिवहन के प्रमुख साधन सड़कें, रेलमार्ग, वायुमार्ग तथा जलमार्ग हैं।

प्रश्न 9.
भारत में सबसे लम्बी सड़क का नाम लिखिए।
उत्तर :
‘ग्राण्ड ट्रंक रोड’ भारत की सबसे लम्बी सड़क है, जो कोलकाता को अमृतसर से जोड़ती है। इसकी एक शाखा जालन्धर से श्रीनगर तक जाती है।

प्रश्न 10.
भारतीय रेलों के कितने गेज होते हैं ?
उत्तर :
भारतीय रेलों के तीन गेज होते हैं—(1) बड़ी गेज (1.69 मीटर), (2) मीटर गेज (1.00 मीटर) तथा (3) छोटी गेज (0.73 मीटर)।

प्रश्न 11.
भारतीय रेलों में कितने प्रकार के इंजन प्रयुक्त होते हैं ?
उत्तर :
भारतीय रेलों में अब मुख्य रूप से दो प्रकार के इंजन प्रयुक्त होते हैं—(1) डीजल इंजन तथा (2) विद्युत इंजन।

प्रश्न 12.
भारत की कौन-सी दो नदियाँ नौ-परिवहन के योग्य हैं ?
उत्तर :
भारत की (1) गंगा तथा (2) ब्रह्मपुत्र नदियाँ नौ-परिवहन के योग्य हैं।

प्रश्न 13.
भारत के पूर्वी तट पर स्थित उस प्राचीन पत्तन का नाम बताइए जो कृत्रिम है।
उत्तर : भारत के पूर्वी तट पर स्थित कृत्रिम और प्राचीन पत्तन है-चेन्नई।

प्रश्न 14.
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित दो पत्तनों के नाम लिखिए।
उत्तर :
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित दो पत्तन हैं—(1) मुम्बई तथा (2) कांडला।

प्रश्न 15.
भारत के किन दो पत्तनों से लौह-अयस्क का सर्वाधिक निर्यात किया जाता है ?
उत्तर :
भारत के दो पत्तनों-पारादीप (ओडिशा) तथा विशाखापत्तनम् (आन्ध्र प्रदेश) से लौहअयस्क का सर्वाधिक निर्यात किया जाता है।

प्रश्न 16.
भारत के दो-दो प्रमुख आयात-निर्यात पदार्थों के नाम लिखिए
उत्तर :
दो प्रमुख आयात पदार्थ–

  • पेट्रोलियम अथवा कच्चा तेल तथा
  • लोहा एवं इस्पात।

दो प्रमुख निर्यात पदार्थ–

  • सूती सिले-सिलाए वस्त्र तथा जूट निर्मित सामान व
  • रत्न एवं आभूषण।

प्रश्न 17.
भारत की दो सुपरफास्ट ट्रेनों के नाम बताइए।
उत्तर :
भारत की दो सुपरफास्ट ट्रेनों के नाम हैं—

  • राजधानी एक्सप्रेस तथा
  • शताब्दी एक्सप्रेस।

प्रश्न 18.
भारत का प्रथम रेलमार्ग कब बनाया गया था ?
उत्तर :
भारत का प्रथम रेलमार्ग 1853 ई० में बनाया गया था।

प्रश्न 19.
भारत के चार प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों के नाम लिखिए।
उत्तर :
भारत के चार प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों के नाम हैं–

  • नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, दमदम (कोलकाता),
  • छत्रपति शिवाजी (मुम्बई),
  • इन्दिरा गांधी (नयी दिल्ली) तथा
  • चेन्नई, मीनाबक्कम (चेन्नई)।

प्रश्न 20.
भारत की चार वायु सेवाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
भारत की चार वायु सेवाओं के नाम हैं–

  • एयर इण्डिया इण्टरनेशनल,
  • इण्डियन एयरलाइन्स (वर्तमान में इण्डियन),
  • पवन हंस लिमिटेड तथा
  • निजी वायु सेवाएँ–सहारा एयरवेज, जेट एयरवेज आदि।

प्रश्न 21.
संचार के विभिन्न साधन कौन-से हैं ?
उत्तर :
भारत में संचार के विभिन्न साधन हैं–

  • डाक,
  • टेलीफोन,
  • टेलेक्स व टेलीप्रिण्टर,
  • टेलीविजन,
  • फैक्स,
  • मुद्रण माध्यम,
  • उपग्रह सेवाएँ आदि।

प्रश्न 22.
कांडला बन्दरगाह किस राज्य में स्थित है ?
उत्तर :
कांडला बन्दरगाह गुजरात राज्य में स्थित है।

प्रश्न 23.
विचारों के आदान-प्रदान का प्रमुख माध्यम क्या है ?
उत्तर :
विचारों के आदान-प्रदान का प्रमुख माध्यम टेलीफोन है।

प्रश्न 24.
‘पेजिंग सेवा’ क्या है ?
उत्तर :
रेडियो पेजिंग’ दूरसंचार की एक आधुनिक तकनीक है, जिसके द्वारा एक निश्चित दूरी (दायरे) में पेजर धारक को कहीं भी सन्देश दिया जा सकता है।

प्रश्न 25.
टेलीफोन उपयोग में भारत का एशिया में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर :
टेलीफोन उपयोग में भारत का एशिया में प्रथम स्थान है।

प्रश्न 26.
भारत में वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण कब हुआ ?
उत्तर :
भारत में वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण सन् 1953 ई० में किया गया।

प्रश्न 27.
राष्ट्रीय राजमार्ग किसे कहते हैं ?
उत्तर :
वे सड़क मार्ग जो सभी प्रान्तीय राजधानियों को जोड़ते हैं, राष्ट्रीय राजमार्ग कहलाते हैं।

प्रश्न 28.
दिल्ली किस रेलवे मण्डल में स्थित है ?
या
उत्तर रेलवे का मुख्यालय किस स्थान पर स्थित है ? [2009]
उत्तर :
दिल्ली उत्तरी रेलमण्डल में स्थित है तथा इसका मुख्यालय भी है।

प्रश्न 29.
भारत की किन्हीं दो समाचार एजेन्सियों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • पी०टी०आई० तथा
  • आई०ए०एन०एस०।

प्रश्न 30.
पाइप लाइन परिवहन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस का परिवहन करने के लिए भूमिगत या भूमि के ऊपर पाइप लाइनें बिछायी जाती हैं। इसे ही पाइप लाइन परिवहन कहते हैं।

प्रश्न 31.
पिन कोड से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
पिन कोड छ: अंकों की एक संख्या होती है, जो सम्पूर्ण देश के नगरों एवं कस्बों को आवण्टित की गयी है। इस कोड की सहायता से राज्य, जनपद, तहसील एवं डाकघर का सुगमता से पता चल जाता है। 406 VIDYA कम्पलीट कोर्स सामाजिक विज्ञान कक्षा-10

प्रश्न 32.
न्हावा-शेवा बन्दरगाह कहाँ पर स्थित है ?
उत्तर :
न्हावा-शेवा बन्दरगाह महाराष्ट्र राज्य में मुम्बई के निकट स्थित है। यह सबसे आधुनिक, कम्प्यूटरीकृत तथा पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित है।

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से किसके निर्माण एवं रख-रखाव का उत्तरदायित्व केन्द्र सरकार के अधीन है?

(क) राष्ट्रीय राजमार्ग
(ख) प्रादेशिक राजमार्ग
(ग) जिलामार्ग
(घ) ग्रामीण सड़कें

2. पूर्वी रेलवे का मुख्यालय है [2013]

(क) बरौनी
(ख) गोरखपुर
(ग) कोलकाता
(घ) मालेगाँव

3. न्हावा-शेवा का नया पत्तन किस नगर के पास है?

(क) कोलकाता
(ख) मुम्बई
(ग) कांडला
(घ) विशाखापत्तनम्।

4. किस मार्ग के द्वारा भारत का अधिकांश विदेशी व्यापार किया जाता है?

(क) रेलमार्ग द्वारा।
(ख) वायुमार्ग द्वारा
(ग) समुद्री मार्ग द्वारा
(घ) सड़क मार्ग द्वारा

5. ग्राण्ड ट्रंक रोड जाती है [2015].

(क) कोलकाता से जयपुर
(ख) कोलकाता से लाहौर।
(ग) कोलकाता से अमृतसर
(घ) कोलकाता से मुम्बई

6. निम्नलिखित में से उस विकल्प को खोजिए जो जन-संचार का माध्यम नहीं है

(क) रेडियो
(ख) दूरदर्शन
(ग) वायु परिवहन
(घ) टेलेक्स।

7. निम्नलिखित में से संचार का माध्यम कौन है? [2015, 18]

(क) वायु सेवा
(ख) रेल सेवा
(ग) दूरदर्शन
(घ) जल सेवा

8. भारत का सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग है [2014]

(क) एन० एच० 7
(ख) एन० एच० 1
(ग) एन० एच० 32
(घ) एन० एच० 8

उत्तरमाला

1. (क), 2. (ग), 3. (ख), 4. (ग), 5. (ग), 6. (ग), 7. (ग), 8. (क)

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