UP Board Solutions for Class 9 Social Science Project Work (प्रोजेक्ट कार्य)

UP Board Solutions for Class 9 Social Science Project Work (प्रोजेक्ट कार्य)

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( मासिक आन्तरिक मूल्यांकन एवं प्रोजेक्ट कार्य )

शिक्षार्थी भारत के गीत, नृत्य, पर्व और निश्चित मौसम में प्रमुख प्रकार के भोजन की पहचान, साथ ही क्या एक क्षेत्र की दूसरे क्षेत्र से कुछ समानता है? इसकी पहचान करें। शिक्षार्थी द्वारा अपने विद्यालय क्षेत्र के आस-पास की वनस्पति एवं पशुजगत से पदार्थों/सूचनाओं को एकत्र करना। इसमें उन प्रजातियों की सूची बनाना, जिनका अस्तित्व खतरे में है एवं उनको सुरक्षित करने से सम्बन्धित प्रयासों की सूचना सूचीबद्ध करना।

पोस्टर

नदी-प्रदूषण।
वनों का क्षरण एवं पारिस्थितिकीय असंतुलन।
नोट-कोई समान गतिविधि भी चुनी जा सकती है।

प्रोजेक्ट कार्य-1

विषय – भारत के राष्ट्रीय गीत एवं राष्ट्रगान का राष्ट्र-प्रेम बढ़ाने में योगदान। )
उद्देश्य – राष्ट्र-गीत और राष्ट्र-गान का उद्देश्य देशवासियों को देश के प्रति सम्मान, एकता, समर्पण के लिए तैयार करना राष्ट्रगान भारत के राष्ट्रीय गान के रचयिता विश्व कवि रवीन्द्र नाथ ठाकुर हैं। यह गान 52 सेकेण्ड में गाया जाता है और जब तक गाया जाये सभी को सावधान की स्थिति में खड़े रहना चाहिये। यह राष्ट्रगान निम्न प्रकार है

UP Board Solutions for Class 9 Social Science Project Work 1

राष्ट्रीय गीत

बंकिमचन्द्र चटर्जी द्वारा रचित ‘वन्दे मातरम्’ हमारा राष्ट्रीय गीत है जिसे ‘जन-गण-मन’ के समान ही राष्ट्रीयगान का दर्जा प्राप्त है। इसका प्रथम पद निम्न प्रकार है

UP Board Solutions for Class 9 Social Science Project Work 2

निष्कर्ष- इस प्रोजेक्ट में राष्ट्रगान के अंतर्गत् भारत के विशाल भू-भाग, विभिन्न जातियों, प्रदेशों, नदियों का वर्णन किया गया है जबकि राष्ट्रीय गीत में भारत माता का मनोरम वर्णन किया गया है।

प्रोजेक्ट कार्य-2

विषय – देशभक्ति के गीत का राष्ट्र-प्रेम बढ़ाने में भूमिका।
उद्देश्य – देशभक्ति का गीत देशवासियों में देश-प्रेम व देश की एकता-अखण्डता को बनाए रखने की ऊर्जा का संचार करता है।

देशभक्ति गीत

सप्ताह में कम-से-कम दो बार प्रसिद्ध शायर इकबाल का निम्नलिखित गीत सामूहिक प्रार्थना-सभा में छात्रों द्वारा मिलकर गाया जाना चाहिये

UP Board Solutions for Class 9 Social Science Project Work 3

निष्कर्ष- किसी भी व्यक्ति के लिए उसका देश सर्वोपरि स्थान रखता है। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर मुहम्मद इकबाल ने भारत के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करने वाली ये कविता लिखी थी।

प्रोजेक्ट कार्य-3

विषय – भारत के प्रमुख लोक-नृत्यों का वर्णन कीजिए।
उद्देश्य – देश के विभिन्न भागों की संस्कृति की जानकारी हासिल करना।

भारत के लोक-नृत्य भारत के लोक-नृत्य निम्नलिखित हैं

  1. कालबेलिया-राजस्थान की कालेबिया जनजाति की महिलाओं का लोक-नृत्य है।
  2. बिदेशिया-भिखारी ठाकुर द्वारा रचित यह लोक-नृत्य उत्तर प्रदेश तथा बिहार के भोजपुरी समाज में प्रचलित है।
  3.  छऊ-बिहार, पश्चिम बंगाल तथा उड़ीसा (ओडिशा) के आदिवासियों द्वारा किये जाने वाला एक युद्धनृत्य है जो प्रमुखतः पुरुषों द्वारा किया जाता है।
  4. भांगड़ा-पंजाब का यह उत्साह भरा लोक-नृत्य मुख्यतः पुरुषों द्वारा ढोल की ताल-लय पर किया जाता है।
  5. गरबा-गुजरात में नवरात्रि के पर्व पर किये जाने वाला यह लोक-नृत्य मिट्टी के घड़े के ऊपर दीपक रखकर उसके चारों ओर घेरा बनाकर किया जाता है। महिलाओं के सिर पर मिट्टी के पात्र में दीपक भी रखा जाता है।
  6. बिहु-असम का यह लोक-नृत्य कचारी तथा कछारी जनजातियों में प्रचलित है और वर्ष में तीन बार आयोजित किया जाता है।
  7.  घूमर-राजस्थान में महिलाओं द्वारा होली तथा नवरात्रि में किये जाने वाला विशिष्ट लोक-नृत्य है।
  8. रउफ-जम्मू-कश्मीर के इस ग्रामीण लोक-नृत्य में महिलाएँ पंक्तियों में एक-दूसरे के सामने खड़े होकर तथा गले में बाँहें डालकर नृत्य करती हैं।

निष्कर्ष- भारत के अलग-अलग भागों में उन भागों की सांस्कृतिक विशेषता के अनुरूप नृत्यों का प्रचलन है। इन नृत्यों की शैली में हमें पर्याप्त भिन्नता देखने को मिलती है। इन नृत्यों के माध्यम से हमें लोक-संस्कृति को समझने में सहायता मिलती है तथा हम अपनी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से भी जुड़े रहते हैं।

प्रोजेक्ट कार्य-4

विषय- प्रकाश पर्व दीपावली की उपयोगिता।
उद्देश्य- इस पर्व का प्रमुख निहितार्थ क्या है?

दीपावली का त्यौहार भगवान राम के 14 वर्ष का वनवास काटकर अपने राज्य अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। राम के वापस लौटने पर अयोध्यावासियों ने दीपावली मनाई थी। दीपावली को प्रकाश-उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस अवसर पर लक्ष्मी जी घर आती हैं। भगवान राम ने असुरों के राजा रावण को मारकर लोगों की असुरों से रक्षा की थी। इसे बुराई पर अच्छाई का, असत्य पर सत्य की जीत भी कहते हैं। इस अवसर पर घर-द्वार आदि की सफाई की जाती है। ऐसा विश्वास है कि स्वच्छता रखने से घर में लक्ष्मी का प्रवेश होता है। दीपावली के दिन सूर्यास्त के बाद धन की देवी लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणेश की विशेष रूप से पूजा की जाती है।

निष्कर्ष- यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय और धन की देवी लक्ष्मी के आगमन की कामना के साथ मनाई जाती है।

प्रोजेक्ट कार्य-5

विषय-मकर संक्रान्ति के धार्मिक और भौगोलिक महत्त्व को ज्ञात कीजिए।
उद्देश्य-इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य बच्चों को इस पर्व के धार्मिक एवं भौगोलिक महत्त्व को स्पष्ट करना है।

मकर संक्रान्ति हिन्दू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में शामिल है। यह त्यौहार सूर्य के उत्तरायण होने पर मनाया जाता है। प्रायः यह त्यौहार प्रतिवर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन कभी-कभार यह 13 और 15 जनवरी को भी मनाया जाती है। मकर संक्रान्ति का सीधा सम्बन्ध पृथ्वी और सूर्य की स्थिति से है। जब सूर्य मकर रेखा पर आता है तब मकर संक्रान्ति मनायी जाती है। ज्योतिष की दृष्टि से इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के उत्तरायण की गति आरंभ होती है।
भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रान्ति के पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे संक्रान्ति कहा जाता है और तमिलनाडु में इसे पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है, वहीं असम (असोम) में इसे बिहू के रूप में मनाया जाता है। इस तरह देश के प्रत्येक प्रांत में इसे मनाने का तरीका अलग-अलग है।
इस पर्व के पकवान भी अलग-अलग होते हैं, किन्तु दाल और चावल की खिचड़ी इस पर्व की पहचान बन गयी है। इसके अतिरिक्त तिल व गुड़ का भी इस मकर संक्रान्ति में विशेष महत्त्व है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान आदि देते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं। इस अवसर पर पतंग उड़ाने की परंपरा रही है।

निष्कर्ष- मकर संक्रान्ति से दिन की अवधि बढ़ने लगती है। यह शीत ऋतु के क्रमिक समापन का आरंभ है। क्रमशः मौसम गर्म होता चला जाता है क्योंकि उत्तरायण होना शुरू हो जाता है। इस अवसर पर लोगों के खान-पान में भी परिवर्तन आता है।

प्रोजेक्ट कार्य-6

विषय-हम होली क्यों मनाते हैं, स्पष्ट कीजिए।
उद्देश्य-होली के त्योहार से हमें क्या सीख मिलती है? इसे ज्ञात कीजिए।

बहुत साल पहले हिरण्यकश्यप नाम के दुष्ट भाई की एक दुष्ट बहन होलिका थी, जो अपने भाई के पुत्र प्रहलाद को अपनी गोद में बैठाकर जलाना चाहती थी। प्रहलाद भगवान विष्णु के भक्त थे जिन्होंने होलिका की आग से प्रहलाद को बचाया। होलिका उस आग में जलकर मर गयी। तभी से हिन्दू धर्म के लोग बुरी शक्तियों पर अच्छाई की जीत के रूप में होली का त्योहार हर्षोल्लासपूर्वक मनाते हैं। रंगों के इस उत्सव में लोग एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाते हैं। प्रतिवर्ष यह त्योहार चैत्र महीने के पहले दिन मनाया जाता है। होली का यह उत्सव फाल्गुन मास के अंतिम दिन होलिका दहन की शाम से शुरू होता है।

निष्कर्ष- होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। इससे यह सन्देश मिलता है कि सत्य की हमेशा जीत होती है। बुरी शक्तियाँ कुछ समय के लिए हमें भले ही सबल लगें किन्तु अंततः उनकी पराजय होती है।

प्रोजेक्ट कार्य-7

विषय- निश्चित मौसम के अनुसार भोजन की पहचान कीजिए।
उद्देश्य- इससे हमें यह ज्ञात होगा कि खाद्य-पदार्थों का मौसम के अनुरूप सेवन व्यक्ति को किस प्रकार स्वस्थ रखता है।

प्रायः भारतीय व्यंजन में चावल, दाल, रोटी, सब्जी सामान्य रूप से प्रचलित है, किन्तु फिर यदि हम मौसम के अनुरूप देखें तो सर्दी के मौसम में हमें हल्दी, अनार, तिल, दालचीनी, गाजर, हरी मिर्च, मीट-अण्डा-चिकन-मछली, शहद, खट्टे फल, बादाम, लहसुन, लौंग, प्याज, ड्राई फूट, मूंगफली, अमरूद, बाजरा, मेथी का साग, गुड़ आदि का सेवन करना चाहिए। इसके साथ मसालेदार और गरिष्ठ भोजन सर्दियों में सरलता से पच जाता है।
गर्मी का मौसम आते ही कई तरह की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्यायें जैसे-डिहाडेशन, भूख न लगना, अत्यधिक पसीना आना आदि शुरू हो जाती है। इस कारण गर्मियों के मौसम में अपने आपको सन-स्ट्रोक (लू) से बचाना व शरीर के तापमान को नियंत्रित रखना एक चुनौती होती है। शरीर में नमी के स्तर को बनाए रखने के लिए हमें अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। गर्मी में हमें दही सेवन करना चाहिए। इसके अलावा खीरा, तरबूज, नारियल पानी, गन्ने का रस, फालूदा, लौकी, करेला, तोरी, कद्द, टिंडा, परमल, भिंडी, चौलाई का सेवन करना लाभकारी होता है। गर्मियों में मसालों का प्रयोग कम से कम करना चाहिए। तैलीय पदार्थों का भी सेवन कम-से-कम करना चाहिए क्योंकि अधिक तैलीय पदार्थ का सेवन शरीर में गर्मी पैदा करता है और कई तरह की शारीरिक समस्यायें उत्पन्न होती हैं। गर्मियों में जंक-फूड के सेवन से फूड-प्वाइजनिंग का खतरा रहता है अतः इससे बचना चाहिए। चाय और काफी का भी गर्मियों में सेवन कम करना चाहिए क्योंकि इससे व्यक्ति शरीर में गर्मी अनुभव करता है। पपीता, अनन्नास जैसे गर्म फलों का सेवन गर्मी में नहीं करना चाहिए।

निष्कर्ष- उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि सर्दी के मौसम में ऐसे फल या भोजन लेने की सलाह दी जाती है जो शरीर को गर्म रखे जबकि गर्मी में अधिक पानी वाले फल तथा शीतल तासीर वाले भोजन को करने की सलाह दी जाती

प्रोजेक्ट कार्य-8

विषय-एक क्षेत्र के भोजन की दूसरे क्षेत्र के भोजन से समानता ज्ञात कीजिए।
उद्देश्य-विभिन्न क्षेत्रों की भोजन सम्बन्धी आदतों को ज्ञात करना और उसमें अंतर करना।

उत्तर भारत का खाना विश्व भर में प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में दम-आलू, रोगन-जोश, आलू-पराठा, खीर, सरसों का साग, पराठा, फालुदा, लस्सी, छाछ, हलवा-पुरी, तंदूरी चिकन, चिकन रसा, चिकन मसाला, मटन मसाला, मटन रोस्ट, चिकन टिक्का, कबाब बिरयानी, मशरूम की सब्जी, दाल-मखानी, राजमा, छोले, कढ़ी, पकौड़ा, शाही-पनीर, खोया पनीर, फिरिनी, जलेबी, मालपुआ, समोसे आदि उत्तर भारत में प्रचलित प्रमुख आहार व्यंजन हैं।
दक्षिण भारत में प्रचलित भोजनों में पेरुगु पुरी, इडली, डोसा, सांभर, पोंगल, चावल, नारियल, इमली, मीन कोजहमनु, पोलि, इड्डीअपम, रस्म, पारुपु डोसा, पुटू, आपम, इडी आपम, अवीयल, पेड़ी, चिकन स्टू, पायसम, सादया, पेरूगु पुरी, पाचहि पुलुसु, बदाम हलवा, बिरयानी आदि दक्षिण भारत के प्रमुख व्यंजन हैं।

निष्कर्ष- उत्तर और दक्षिण भारतीय भोजन में समानता यह है कि दोनों क्षेत्रों में शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजन प्रचलित हैं। क्षेत्रवार अंतर भी है जैसे-उत्तर भारत में चावल और गेहूं दोनों पर्याप्त मात्रा में पैदा होते हैं अतः उत्तर भारतीय खाद्य पदार्थों में गेहूं और चावल दोनों से बने भोज्य पदार्थ पाए जाते हैं जबकि दक्षिण भारत में चावल का उत्पादन अधिक होने से चावल से बने भोज्य पदार्थों की बहुलता है। ऐसे में यदि नामों के अंतर को छोड़ दिया जाए | तो उत्तर और दक्षिण भारत के भोजन में काफी हद तक समानता है।

प्रोजेक्ट कार्य-9

विषय-विद्यार्थी द्वारा अपने विद्यालय क्षेत्र के आस-पास की वनस्पति एवं पशु जगत के पदार्थों/सूचनाओं को एकत्र करना।
उद्देश्य-इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य विद्यार्थी को अपने पर्यावरण, वनस्पति एवं पशु सम्बन्धी ज्ञान को परखना है।

मेरा विद्यालय ग्रामीण अंचल में स्थित है। विद्यालय के चतुर्दिक प्रकृति की मनोरम छटा विद्यमान है। विद्यालय परिसर और उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में आम, जामुन, इमली, पपीता, नीम, पीपल, बरगद, शीशम, सागौन आदि के वृक्ष हैं।
हमारे परिवेश में मानव अधिवास वाले क्षेत्र में गाय, बैल, घोड़े, गधे, बकरी, सुअर, कुत्ते, बिल्ली, भैंस, नीलगाय, सियार, भेड़िया, लोमड़ी, खरगोश आदि पाए जाते हैं। हिंसक वन्य जीव हमारे क्षेत्र में इसलिए नहीं पाए जाते क्योंकि इस क्षेत्र में वनों को अभाव है। वृक्षों एवं पशुओं का संरक्षण पर्यावरण को सन्तुलित बनाए रखने के लिए आवश्यक है। अतः हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए तथा उसमें भी फलदार वृक्ष अधिक लगाने चाहिए जिससे हमें आवश्यकता अनुसार लकड़ी एवं साथ-ही-साथ फल भी प्राप्त होंगे।

निष्कर्ष-विद्यार्थी को अपने पर्यावरण के प्रति जागरूक रहना चाहिए। उसे अपने आसपास पाए जाने वाली वनस्पतियों और पशु जगत का यथासंभव संरक्षण का प्रयास करना चाहिए। वनस्पतियाँ जहाँ हमारे भरण-पोषण के काम आती। हैं तथा इससे लकड़ियाँ भी प्राप्त होती हैं वहीं पालतू पशुओं से हमें दूध, मांस तथा खाल प्राप्त होती है।

प्रोजेक्ट कार्य-10

विषय-ऐसी जैव और वनस्पतियों की सूची बनाना जिनका अस्तित्व खतरे में है।
उद्देश्य-विलुप्ति की कगार पर खड़ी प्रजातियों के विलुप्ति के कारण जानना और उनके संरक्षण का प्रयास करना।

UP Board Solutions for Class 9 Social Science Project Work 4

निष्कर्ष- लुप्तप्राय वनस्पतियों एवं पशुओं की सूची बनाने से हमें यह ज्ञात होगा कि बदलते पर्यावरण एवं मानवीय क्रियाकलापों का वनस्पति एवं पशु-जगत के अस्तित्व पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। कोई भी प्रजाति तभी विलुप्त होती है जब जीवन या अस्तित्व सम्बन्धी परिस्थितियाँ उसके विपरीत हो जाती हैं।