UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 10 काकस्य
उद्यमः (कौए का प्रयल)
काकस्य उद्यमः शब्दार्थाः
पिपासया = प्यास से
अन्वेष्ट्रम = खोजने के लिए
इतस्ततः = इधर-उधर
पाषाण-खण्डानि = पत्थरों के टुकड़ों को
आनीय = लाकर
सिध्यन्ति = सफल हो जाते हैं।
काकस्य उद्यमः अभ्यासः
प्रश्न १.
संस्कृत में उत्तर दीजिए
(क) काकः कुत्र आसीत?
उत्तर:
काकः एकस्मिन् वने आसीत्।
(ख) सः कया आकुलः अभवत्?
उत्तर:
सः पिपासया आकुलः अभवत्।
(ग) सः किं कर्तुम् असमर्थः अभवत्?
उत्तर:
सः जलं पातुम् असमर्थः अभवत्।
(घ) सः घटे कानि अक्षिपत्?
उत्तर:
सः घटे पाषाण-खण्डानि अक्षिपत।
(ङ) कार्याणि केन सिध्यन्ति?
उत्तर:
कार्याणि उद्यमेन सिध्यन्ति।
प्रश्न २.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए – (पूर्ति करके) –
उत्तर:
(क) एकदा सः पिपासया आकुलः अभवत्।
(ख) अन्ते सः एकं घटम् अलभत्।
(ग) घटे स्वल्पं जलं आसीत।
(घ) उद्यमस्य प्रभावेण एव सर्वे जीवने सफलाः भवन्ति।
प्रश्न ३.
कहानी का सारांश अपनी भाषा में लिखिए।
उत्तर:
किसी कौए को बहुत प्यास लगी, तो उसने इधर-उधर पानी की खोज की: लेकिन उसे निराशा ही मिली। सहसा उसे एक घड़ा दिखाई पड़ा, जिसमें बहुत कम पानी था। उसने युक्ति से काम लिया। वह घड़े में छोटी-छोटी कंकड़ियाँ डालने लगा। कुछ देर बाद पानी उठ आया और उसने जी भर पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई।
प्रश्न ४.
‘भू’ धातु के लट्लकार के रूप को लिखने का अभ्यास कीजिए।
पा (पिबू पीना) लट्लकार | |||
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
प्रथम पुरुष | भवति | भवतः | भवन्ति |
मध्यम पुरुष | भवसि | भवथः | भवथ |
उत्तम पुरुष | भवामि | भवावः | भवामः |
नोट – विद्यार्थी इसका अभ्यास करें।