UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 16 ग्राम श्री
ग्राम श्री शब्दार्थ
दूर तलक = दूर तक
आम्र तरु = आम के वृक्ष
रवि = सूर्य
अँवली = छोटा आँवला
रजत स्वर्ण मंजरियों से = रुपहले व सुनहले आम के बौरों से
दाडिम = अनार
मुकुलित = अधखिली
फैली ………………………………………………….. जाली।
संदर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ के ‘ग्राम श्री’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘सुमित्रानंदन पंत’ हैं।
सरलार्थ – कवि पंत जी गाँव की शोभा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि बहुत-बहुत दूर तक मखमल के समान कोमल हरियाली फैली हुई है। सूर्य की किरणें उस पर ऐसे चमक रही हैं, जैसे चाँदी की जाली।
अब रजत ……………………………………………. मतवाली।
सरलार्थ – कवि पंत जी गाँव की शोभा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि चाँदी और सोने के रंग जैसे बौर से आम के पेड़ की डालियाँ लद गई हैं। ढाक और पीपल के पत्ते झर-झर कर रहे हैं। कोयल इस मौसम में मतवाली हो उठी है।
महके कटहल ………………………………………… मूली।
सरलार्थ – कटहल ने अपनी सुगंध फैला दी है, जामुन के फल विकसित होने लगे हैं और जंगल में झरबेरी भी हरी-भरी हिलने लगी है। आड नींबू, अनार, आलू, गोभी, बैंगन और मूली सभी फूलने लगे हैं।
पीले मीठे ………………………………………………. डाल जड़ी।
सरलार्थ – पीले रंग के मीठे अमरूद के फलों में अब लाल-लाल चित्तियाँ (धारियाँ) पड़ने लगी हैं। सुनहरी रंगत वाले मीठे बेरों और आँवलों से पेड़ों की डालियाँ लद गई हैं।
लहलह पालक ………………………………………….. हरी थैली।
सरलार्थ – कवि पंत जी गाँव की शोभा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि पालक लहलहा उठी है, धनिया भी महक रही है। लौकी और सेम की फलियाँ विकसित होने लगी हैं। मखमल जैसे चिकने टमाटर लाल होने लगे हैं। मिर्गों के पौधे हरी मिर्चों के गुच्छों से भर गए हैं।
ग्राम श्री अभ्यास प्रश्न
बोध प्रश्न
प्रश्न १.
उत्तर दो
(क) खेतों में कैसी हरियाली फैली है?
उत्तर:
खेतों में कोमल, मखमल जैसी हरियाली फैली है।
(ख) हरियाली से लिपटी सूर्य की किरणें कैसी लगती हैं?
उत्तर:
हरियाली से लिपटी सूर्य की किरणें चाँदी की सफेद जाली जैसी दिखाई देती हैं।
(ग) आम में बौर कब आते हैं?
उत्तर:
वसंत ऋतु में आम में बौर आने लगते हैं।
(घ) कोयल किस ऋतु में मतवाली होकर कुहुकती है?
उत्तर:
कोयल वसंत ऋतु में मतवाली होकर कुहुकती है।।
(ङ) बसंत ऋतु में प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन होने लगते हैं?
उत्तर:
बसंत ऋतु में प्रकृति में अत्यधिक परिवर्तन होने लगते है। चारों तरफ हरियाली छा जाती है। आम के पेड़ पर बौर आ जाता है; पीपल, ढाक के पत्ते झर-झर करने लगते हैं; कोयल गाने लगती है; कटहल, जामुन, झरबेरी, आड़ , नींबू, अनार, आलू, गोभी, बैंगन, मूली, अमरूद, बेर, हरी मिर्च आदि हरे-भरे और विकसित होने लगते हैं।
प्रश्न २.
नीचे बाईं ओर कविता की कुछ पंक्तियाँ लिखी हुई हैं। दाईं ओर उनसे संबंधित भाव व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ गलत क्रम में लिखी गई हैं। उन्हें सही क्रम में लिखो
उत्तर:
१. चाँदी की-सी उजली जाली → चाँद के रंग जैसी सफेद जाली।
२. लद गई आम्रतरु की डाली → आम के वृक्ष की डाल बौर से लद गई।
३. हो उठी कोकिला मतवाली → कोयल आनंद में मतवाली हो उठी।
४. अँवली से तरु की डाल जड़ी → छोटे आँवले से वृक्ष की डालियाँ लद गईं।
५. मखमल-सी कोमल हरियाली → मखमल के समान कोमल हरियाली।
६. अब रजत स्वर्ण मंजरियों से → चाँदी और सोने के रंग के आम के बौर से।
७. मुकुलित जामुन → अधखिले जामुन।
प्रश्न ३.
जाली-डाली इसी प्रकार के अन्य तुकांत शब्दों को कविता में से ढूँढ़कर लिखो।
उत्तर:
हरियाली – जाली
पड़ीं – जड़ी
डाली – मतवाली
फैलीं – थैली
झूली – मूली
तुम्हारी कलम से
(क) किस ऋतु में क्या मिलता हैं?
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु | वर्षा ऋतु | शीत ऋतु | |
फल | आम | कटहल | अमरूद |
सब्जी | परवल | लौकी | गोभी |
(ख) इनमें से जो भी फल और सब्जी तुम्हें अच्छी लगती है, उस पर छोटी-सी कविता लिखो।
नोट – विद्यार्थी स्वयं लिखें।
अब करने की बारी
प्रश्न १.
कविता में आए फलों और सब्जियों की अलग-अलग सूची बनाओ।
उत्तर:
फल – आम, आडू, कटहल, दाडिम, जामुन, अमरूद, झरबेरी, बेर
सब्जी – नींबू, मूली, लौकी, आलू, अँवली, सेम, गोभी, पालक, टमाटर, बैंगन, धनिया, मिर्च
प्रश्न २.
कविता को कंठस्थ करो और कक्षा में सुनाओ।
नोट – विद्यार्थी कविता स्वयं कंठस्थ करें।
इसे भी जानो
जब हम बहुत-सी चीजों को याद रखना चाहते हैं, तो उनकी एक सूची बनाते हैं। नीचे दी गई सूचियों को पढ़ो।
नोट – विद्यार्थी स्वयं सूची बनाएँ।