UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 4 प्रोग्रामिंग अवधारणा
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UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 4 प्रोग्रामिंग अवधारणा
बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)
प्रश्न 1
कम्प्यूटर समस्या का क्या अर्थ है? [2017]
(a) समस्या जिसे कम्प्यूटर द्वारा हल किया जा सकता है।
(b) हार्डवेयर सम्बन्धी समस्या
(c) सॉफ्टवेयर सम्बन्धी समस्या
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) समस्या जिसे कम्प्यूटर द्वारा हल किया जा सकता है।
प्रश्न 2
प्रोग्रामिंग के ‘कोडिंग स्टेप में वास्तव में हम करते हैं [2016]
(a) प्लानिंग
(b) डिबगिंग
(c) टेस्टिंग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 3
तैयार किए प्रोग्राम में रन-टाइम त्रुटि किस चरण में दूर की जाता है? [2014]
अथवा
किस चरण में प्रोग्राम त्रुटि सुधारी जा सकती है? [2014]
(a) प्लानिंग
(b) कोडिंग
(C) डिबगिंग
(d) टेस्टिंग
उत्तर:
(c) डिबगिंग
प्रश्न 4
इस बात का निर्धारण किस चरण में होता है कि दिया गया प्रोग्राम समस्त आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है? [2013]
(a) प्लानिंग
(b) डिजाइनिंग
(C) कोडिंग
(d) टेस्टिंग
उत्तर:
(4) टेस्टिंग
प्रश्न 5:
यदि प्रोग्राम प्लान में परिवर्तन करना पड़े तो निम्न में से किस। तकनीक के प्लान को परिवर्तित करना सर्वाधिक सरल होगा [2013]
अथवा
किस तकनीक में प्रोग्राम प्लान में परिवर्तन आसान है? [2013]
(a) फ्लोचार्ट
(b) निर्णय तालिका
(C) स्यूडोकोड
(d) एल्गोरिथ्म
उत्तर:
(d) एल्गोरिथ्म
प्रश्न 6
प्रोग्राम प्लान की कौन-सी तकनीक इसे वास्तविक प्रोग्राम के नजदीक बनाती है। [2014]
(a) फ्लोचार्ट
(b) निर्णय तालिका
(C) स्यूडोकोड
(d) एल्गोरिथ्म
उत्तर:
(b) निर्णय तालिका
प्रश्न 7
एक प्रोग्राम में कुल तीन कण्डीशन है। उसकी निर्णय तालिका में अधिकतम नियमों की संख्या क्या होगी? [2017]
(a) 3
(b) 6
(c) 8
(d) 12
उत्तर:
(c) 8
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
प्रश्न 1
एल्गोरिथ्म का अर्थ समझाइए। [2006]
उत्तर:
एल्गोरिथ्म किसी कार्य को करने के लिए एक विशेष क्रम में लिखे गए निर्देशों का समूह होता है।
प्रश्न 2
फ्लोचार्ट को परिभाषित कीजिए। [2016]
उत्तर:
किसी भी समस्या का एल्गोरिथ्म तैयार करने के बाद उसका चित्रों के माध्यम द्वारा प्रदर्शन ही फ्लोचार्ट कहलाता है।
प्रश्न 3
फ्लोचार्ट में प्रयुक्त चिहों के नाम लिखिए। [2012]
उत्तर:
फ्लोचार्ट में प्रयोग होने वाले चिह्नों के नाम इस प्रकार हैं। टर्मिनल बॉक्स, इनपुट-आउटपुट बॉक्स, प्रोसेसिंग बॉक्स, डिसीजन बॉक्स, फ्लो लाइन्स, कनेक्टर्स लाइन आदि।
प्रश्न 4
स्यूडोकोड्स पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए। [2009]
अथवा
स्यूडोकोड शब्द का अर्थ समझाइए। [2008]
उत्तर:
किसी समस्या के समाधान को अंग्रेजी भाषा में बिन्दुबार लिखना स्यूडोकोड कहलाता है।
प्रश्न 5:
निर्णय तालिका शब्द को समझाइए। [2012]
उत्तर:
निर्णय तालिका में प्रोग्राम लॉजिक को एक तालिका के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।
प्रश्न 6
निर्णय तालिका के प्रारूप को ड्रा (Draw) कीजिए। [2018]
उत्तर:
निर्णय तालिका का प्रारूप इस प्रकार है।
लघु उत्तरीय प्रश्न I (2 अंक)
प्रश्न 1
मॉड्यूलर प्रोग्राम डिजाइन तकनीक की व्याख्या कीजिए॥ [2014, 13]
उत्तर:
मॉड्यूलर प्रोग्राम डिजाइन तकनीक में, एक प्रोग्राम को छोटे-छोटे मॉड्यूलों में विभाजित किया जाता है। इन छोटे मॉड्यूलों को सब–प्रोग्राम भी कहा जाता है। जब किसी प्रोग्राम में त्रुटि आती है, तो पूरे प्रोग्राम को चैक न करके केवल उस मॉड्यूल को जाँचा जाता है, जिसमें त्रुटि है तथा उसे ठीक किया जाता है। इससे प्रोग्राम को बनाने और व्यवस्थित करने में कम समय लगता है।
प्रश्न 2
एल्गोरिथ्म की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए। [2011]
अथवा
एल्गोरिथ्म का वर्णन कीजिए। [2018]
उत्तर:
एल्गोरिथ्म किसी कार्य को करने के लिए एक विशेष क्रम में लिखे गए निर्देशों का समूह होता है। ये निर्देश इस प्रकार लिखे जाते हैं कि कोई यूजर उसे समझकर उसी क्रम में सही तरीके से पालन करता जाए, तो कार्य पूरा हो जाता है। एल्गोरिथ्म जोड़ने, घटाने, गुणा एवं भाग की क्रियाओं के लिए क्रमशः +,,* एवं / चिह्नों का प्रयोग करती है।
उदाहरण
1 से 20 तक के मध्य सभी सम संख्याओं का योग ज्ञात करने के लिए एल्गोरिथ्म इस प्रकार हैं।
चरण 1 प्रारम्भ (Start)
चरण 2 a तथा sum का प्रारम्भिक मान क्रमशः 2 तथा 0 लीजिए।
चरण 3 a में 2 जोड़कर 8um में निर्धारित कीजिए।
चरण 4 यदि sum का मान 20 या 20 से छोटा है तो चरण 3 दोहराएँ।
चरण 5 अन्त (Stop)
प्रश्न 3
फ्लोचार्ट के कोई दो लाभ व दो सीमाएँ लिखिए।
उत्तर:
फ्लोचार्ट के लाभ
(i) किसी प्रोग्राम के फ्लोचार्ट के माध्यम से कोई भी प्रोग्रामर उस प्रोग्राम की कोडिंग सरलता से कर सकता है।
(ii) फ्लोचार्ट में प्रोग्राम की त्रुटि हूँढने और उसे दूर करने में सरलता होती है।
फ्लोचार्ट की सीमाएँ।
(i) फ्लोचार्ट तैयार करने में अधिक समय लगता है।
(ii) एक बार तैयार करने के बाद इसमें परिवर्तन करना कठिन है।
प्रश्न 4
छात्रों के हिन्दी, अंग्रेजी व गणित के अंक इनपुट कराके उनके * पास अथवा फेल होने की जाँच करने हेतु फ्लोचार्ट बनाइए। [2010]
उत्तर:
छात्रों के पास अथवा फेल होने की जाँच हेतु फ्लोचार्ट इस प्रकार है।
प्रश्न 5.
दी गई तीन संख्याओं का योग निकालने के लिए फ्लोचार्ट बनाइट। [2018]
उत्तर:
प्रश्न 6
विभिन्न प्रोग्राम तकनीकों के गुण व दोष बताइए। [2018]
उत्तर:
प्रोग्राम प्लानिंग तकनीकों के गुण निम्नलिखित हैं
(i) प्रोग्राम प्लानिंग के माध्यम से प्रोग्राम की कोडिंग करना सरल होता है।
(ii) त्रुटि को ढूंढने और उसे दूर करने में सरलता होती है।
प्रोग्राम प्लानिंग के दोष निम्नलिखित हैं
(i) प्रोग्राम की प्लानिंग करने में अधिक समय लगता है।
(ii) प्रोग्रामर प्रत्येक तकनीक का उपयोग अपने अनुसार करता है, जिसे दूसरे प्रोग्रामर द्वारा समझना कठिन होता है।
प्रश्न 7
स्यूडोकोड तकनीक की सुविधाएँ एवं कमियाँ बताइए। [2017]
उत्तर:
स्यूडोकोड प्रोग्राम प्लानिंग तकनीक के निम्नलिखित लाभ हैं।
(i) यह फ्लोचार्ट, एल्गोरिथ्न तथा डिसीजन टेबल की तुलना में सरल माध्यम है।
(ii) इसे तैयार करने में कम समय लगता है।
(iii) स्यूडोकोड को प्रोग्राम में सरलता से परिवर्तित किया जा सकता है।
स्यूडोकोड की सीमाएँ निम्नलिखित हैं।
(i) इसे लिखने का कोई नियम नहीं है। इस कारण एक प्रोग्रामर द्वारा लिखा गया स्यूडोकोड दूसरे प्रोग्रामर द्वारा सरलता से नहीं समझा जा सकता है।
(ii) एक प्रारम्भिक प्रयोगकर्ता इसे सरलता से नहीं समझ सकता।
लघु उत्तरीय प्रश्न II (3 अंक)
प्रश्न 1
यदि आरम्भ में 3व 5 अंक हों, तो 10 फिबोनेकी (Fibonacci) अंकों को लिखने के लिए फ्लोचार्ट बनाइए। [2004]
उत्तर:
फिबोनेकी अंकों का फ्लोचार्ट
प्रश्न 2
0 से 20 के मध्य आने वाली सभी सम संख्याओं को जोड़ने तथा अन्त में योगफल प्रिण्ट कराने हेतु पलोचार्ट बनाइए। [2007]
उत्तर:
0 से 20 के मध्य सम संख्याओं के योगफल का फ्लोचार्ट
प्रश्न 3
स्यूडोकोड का वर्णन कीजिए। [2010, 09 08, 04]
उत्तर:
किसी समस्या के समाधान को अंग्रेजी भाषा में बिन्दुवार लिखना स्यूडोकोड कहलाता है। स्यूडोकोड प्रोग्राम की प्लानिंग करने तथा प्रोग्राम के लॉजिक को सरल भाषा में लिखने की तकनीक है, इस कोड को लिखने में किसी विशेष नियम का पालन नहीं किया जाता। प्रत्येक प्रोग्रामर अपनी सुविधा के अनुसार प्रोग्राम की प्लानिंग को शीघ्र समझने के लिए इस कोड को लिखता है। इसे प्रोग्राम डिजाइन लैंग्वेज (Program Design Language-PDL) भी कहा जाता है। इस लैंग्वेज में प्रोग्राम को तीन प्रकार से लिखा जा सकता है, जो निम्नलिखित हैं।
- सिक्वेन्स लॉजिक इस प्रकार के लॉजिक में निर्देशों को क्रमानुसार ऊपर से नीचे की ओर लिखा जाता है।
जैसे- - सिलेक्शन लॉजिक इस लॉजिक में निर्देश का क्रियान्वयन (Execution) डिसीजन से प्राप्त सत्य तथा असत्य रिजल्ट से होता है। यदि कण्डीशन सत्य होती है तो ही निर्देश रन होता है अन्यथा अगला (Next) निर्देश क्रियान्वित होता है।
- इटरेशन लॉजिक जब एक से अधिक निर्देशों का क्रियान्वयन करना हो। तब इटरेशन लॉजिक का प्रयोग करते हैं। इसे लूपिंग भी कहते हैं।
जैसे
प्रश्न 4
डिसीजन टेबल का वर्णन कीजिए। [2009]
अथना
निर्णय तालिका की उपयोगिता का वर्णन कीजिए। [2018]
उत्तर:
डिसीजन टेबल या निर्णय तालिका तकनीक में प्रोग्राम के लॉजिक को एक तालिका के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। यह लॉजिक का ग्राफिक रूप में चित्रण करता है। इसके प्रयोग से कठिन-से-कठिन प्रोग्राम लॉजिक को प्रस्तुत किया जा सकता है। डिसीजन टेबल के प्रारूप को चार भागों में विभाजित किया जाता है ।
- कण्डीशन यह डिसीजन टेबल को पहला भाग होता है, जिसमें प्रोग्राम लॉजिक में उपस्थित शत (Conditions) को लिखा जाता है।
- कण्डीशन के मार्ग यह डिसीजन टेबल में शर्तों के दो या दो से अधिक मार्गों को दिखाता है।
- एक्शन यह भाग डिसीजन टेबल के पहले भाग के नीचे होता है, इसमें प्रोग्राम प्लान में लिए जाने वाले सभी एक्शन पंक्तिबद्ध (Rowwise) होते हैं।
- एक्शन एण्ट्री इस भाग में अनेक कॉलम्स तथा पंक्तियाँ होती हैं, जो एक्शन के कॉलम के बराबर होती हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
प्रश्न 1
‘प्रोग्राम प्लानिंग के चरण के प्रमुख उद्देश्य बताइए। प्रोग्रामिंग के विभिन्न चरणों का उदाहरण देकर वर्णन कीजिए। [2007]
अथवा
प्रोग्रामिंग के विभिन्न चरणों का उदाहरण देकर वर्णन कीजिए। [2007]
अथवा
प्रोग्रामिंग के क्षेत्र में हुए विकास का वर्णन कीजिए। [2018]
उत्तर:
कम्प्यूटर के लिए प्रोग्राम लिखना एक कला है। किसी कार्य के लिए प्रोग्राम लिखने से पहले पूरी योजना बनानी पड़ती है। प्रोग्राम प्लानिंग को प्रोग्राम विकास प्रक्रिया चक्र भी कहते हैं। इस विकास प्रक्रिया में विभिन्न चरण होते हैं, प्रत्येक चरण (Step) का अनुसरण करते हुए प्रोग्राम को बनाया जाता है।
प्रोग्रामिंग के चरण
कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के चरणों का विवरण इस प्रकार है।
(i) समस्या को समझना कम्प्यूटर द्वारा हल हो सकने वाली समस्याओं को कम्प्यूटर समस्याएँ कहा जाता है। इस चरण में प्रोग्रामर द्वारा क्लाइण्ट से बातचीत करने के उपरान्त प्रोग्राम की सभी आवश्यकताओं को ज्ञात किया जाता है; जैसे प्रोग्राम के इनपुट-आउटपुट, उनकी प्रोसेसिंग का तरीका एवं रेस्पॉन्स टाइम आदि।
(ii) समस्या के समाधान का मॉडल बनाना समस्या के समाधान को समझने के बाद उसका मॉडल तैयार किया जाता है। जब प्रोग्राम का प्रारूप/मॉडल बन जाता है, तो प्रोग्रामर उसी का अनुसरण करता है। उसके लिए एल्गोरिथ्म, फ्लोचार्ट एवं स्यूडोकोड आदि के रूप में प्रारूप तैयार किया जाता है।
जैसे दो अंकों की गुणा ज्ञात करने के लिए एल्गोरिथ्म के निम्न चरण होंगे
चरण 1 दो वैरिएबल्स M, N के प्रारम्भिक मान सेट कीजिए।
चरण 2 M, N का इनपुट ग्रहण कीजिए।
चरण 3 M * N
चरण 4 गुणा प्रिण्ट कीजिए।
(iii) प्रोग्राम को डिजाइन करना प्रोग्राम को प्रारूप के आधार पर डिजाइन किया जाता है। एक प्रोग्राम को डिजाइन करने की विभिन्न तकनीक प्रचलन में है, इनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
- मॉड्यूलर डिजाइन तकनीक इस तकनीक में प्रोग्राम को छोटे मॉड्युल्स में बाँटकर डिजाइनिंग की जाती है।
- टॉप-डाउन डिजाइन तकनीक इस तकनीक में प्रोग्राम को ऊपर से नीचे की ओर सब-टास्क में विभाजित किया जाता है।
- बॉटम-अप डिजाइन तकनीक यह तकनीक टॉप-डाउन डिजाइन तकनीक के विपरीत होती है। इसमें प्रोग्राम को सब-टास्क में नीचे से ऊपर की ओर विभाजित किया जाता है।
उदाहरण टॉप-डाउन डिजाइन तकनीक के माध्यम से प्रोग्राम की डिजाइनिंग
(iv) प्रोग्राम कोडिंग प्रोग्राम की डिजाइनिंग के बाद उसे प्रोग्रामिंग भाषा के रूप में लिखा जाता है। इस प्रोसेस को प्रोग्राम कोडिंग कहते हैं। प्रोग्राम लिखने के बाद कम्पाइलर उसे कम्पाइल करता है। एक अच्छा कोड लिखने के लिए उसे त्रुटिहीन (Errorlers), स्पष्ट, सरल तथा सार्वजनिक होना चाहिए।
(v) प्रोग्राम परीक्षण इस चरण में, एक परीक्षण डाटा तैयार कर प्रोग्राम का परीक्षण किया जाता है। इसमें हम ऐसा इनपुट लेते हैं, जिसका आउटपुट हमें पहले से पता हो, जिससे हम देख सकें कि प्रोग्राम वही आउटपुट देता। है या नहीं।
प्रश्न 2
कम्प्यूटर प्रोग्राम प्लानिंग तकनीकों का विस्तृत वर्णन कीजिए। [2017]
उत्तर:
प्रोग्राम का प्रारूप तैयार करने के लिए विभिन्न तकनीकें प्रदान की गई। हैं, जो निम्न हैं।
(i) एल्गोरिथ्म किसी कार्य को करने के लिए एक विशेष क्रम में लिखे गए निर्देशों का समूह एल्गोरिथ्म कहलाता है। एल्गोरिथ्म में जोड़ने, घटाने, गुणा एवं भाग की क्रियाओं के लिए क्रमश: +,- * एवं / चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। एल्गोरिथ्म में प्रत्येक निर्देश ऐसा होना चाहिए, जिसका अनुपालन एक निश्चित समय में कियाजा सके। इसका पहला कथन Start तथा अन्तिम कथन Stuop होना चाहिए।
(ii) फ्लोचार्ट किसी भी समस्या का एल्गोरिथ्म तैयार करने के बाद उसका चित्रों के माध्यम द्वारा प्रदर्शन ही फ्लोचार्ट कहलाता है। फ्लोचार्ट मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-प्रोग्राम फ्लोचार्ट तथा सिस्टम फ्लोचार्ट। फ्लोचार्ट बनाने के लिए विभिन्न चिह्नों का प्रयोग किया जाता है;
जैसे – टर्मिनल बॉक्स , इनपुट/आउटपुट बॉक्स , प्रोसेसिंग बॉक्स , डिसीजन बॉक्स , फ्लो लाइनस , कनेक्टर्स , कमेण्ट ……[ आदि।
(iii) स्यूडोकोड किसी समस्या के समाधान को अंग्रेजी भाषा में बिन्दुवार लिखना स्युडोकोड कहलाता है। यह प्रोग्रामिंग लॉजिक को परिभाषित एवं उसका अनुसरण करने का एक उत्तम माध्यम है। इसमें नियमबद्ध संरचना की आवश्यकता नहीं होती। स्यूडोकोड को तीन तरीको से लिखा जा सकता है; जैसे-सिक्वेन्स लॉजिक, सिलेक्शन लॉजिक एवं इटरेशन लॉजिक।
(iv) डिसीजन बेल डिसीजन टेबल में प्रोग्राम लॉजिक को टेबल या तालिका के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। डिसीजन टेबल का प्रारूप मुख्यत: चार भागों में बँटा होता है।
प्रश्न 3
‘एल्गोरिथ्म’ से आप क्या समझते हैं? इसकी संरचना क्यों करते हैं? समझाइए। [2002]
उत्तर:
एल्गोरिथ्म किसी कार्य को करने के लिए एक विशेष क्रम में लिखे गए निर्देशों का समूह होता है। यह समस्या के समाधान की क्रमबद्ध रूपरेखा देता है। इस चरण में दिए गए इनपुट से आउटपुट तक पहुंचने में सारे चरण क्रमानुसार लिखे जाते हैं।
एक एल्गोरिथ्म को लिखने में निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- एल्गोरिथ्म का प्रत्येक वाक्य स्पष्ट होना चाहिए।
- एल्गोरिथ्म का पहला स्टेटमेण्ट START तथा अन्तिम स्टेटमेण्ट STOP होना चाहिए।
- प्रत्येक स्टेटमेण्ट ऐसा होना चाहिए, जिसका एक निश्चित पालन किया जा सके।
- एक या एक से अधिक स्टेटमेण्ट्स को बार-बार नहीं दोहराना (Repeat) चाहिए।
- एल्गोरिथ्म के अन्त में इच्छित आउटपुट प्राप्त होना चाहिए।
एल्गोरिथ्म में जोड़ने, घटाने, गुणा एवं भाग की क्रियाओं के लिए क्रमशः +,-,* एवं / के चिह्नों का प्रयोग करते हैं।
उदाहरण
किसी वृत्त की त्रिज्या ज्ञात होने पर उसकी परिधि तथा क्षेत्रफल ज्ञात करना। यदि उसकी परिधि (P)2πr, त्रिज्या r तथा क्षेत्रफल (A)πr2 है, जहाँ ॥ का मान लगभग 3.1416 होता है। इसके लिए एल्गोरिथ्म निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है।
चरण 1 प्रारम्भ (Start)
चरण 2 r का मान इनपुट कीजिए।
चरण 3 P के लिए 2, 3.1416 तथा r की गुणा कीजिए।
चरण 4 A के लिए 3.1416 तथा r*r की गुणा कीजिए।
चरण 5 P तथा A को प्रिण्ट कीजिए।
चरण 6 अन्त (End)
प्रश्न 4
‘फ्लोचार्ट’ क्या है? इसमें प्रयुक्त विभिन्न चिह्नों की व्याख्या कीजिए। साथ ही दी हुई तीन संख्याओं में सबसे बड़ी संख्या निकालने हेतु एक फ्लोचार्ट भी बनाइए। [2003, 02]
अथवा
एक फ्लोचार्ट की क्या उपयोगिता है? इसमें प्रयोग किए जाने वाले सिम्बल्स का वर्णन कीजिए। [2015, 2009]
अथवा
फ्लोचार्ट का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [2017]
उत्तर:
किसी भी समस्या का एल्गोरिथ्म तैयार करने के बाद उसका चित्रों के माध्यम द्वारा प्रदर्शन ही फ्लोचार्ट कहलाता है। फ्लोचार्ट में एल्गोरिथ्म के आदेशों को क्शेिष प्रकार की आकृतियों के रूप में दिखाया जाता है। इसमें हम उन प्रतीकों का प्रयोग करते हैं जो स्टार्ट, इनपुट, प्रोसेस, डिसीजन, कनेक्टर्स, आउटपुट, गति की दिशा एवं स्टॉप का प्रतिनिधित्व करता है।
अलग – अलग कथनों (Statements) के लिए अलग-अलग आकृतियाँ होती हैं तथा उन आकृतियों के भीतर उस कथन को संक्षेप में लिखा जाता है। इन आकृतियों को उनके पालन के क्रम की दिशा में तीर (↓) के चिह्नों द्वारा जोड़ दिया जाता है।
फ्लोचार्ट के चिह्न
फ्लोचार्ट विभिन्न चिह्नों का प्रयोग करता है, जो निम्न है।
- टर्मिनल बॉक्स यह प्रत्येक प्रोग्राम का पहला एवं अन्तिम प्रतीक होता है। इसे सिम्बल से प्रदर्शित किया जाता है।
- इनपुट/आउटपुट बॉक्स यह बॉक्स इनपुट लेने तथा आउटपुट देने का कार्य करता है। इसे सिम्बल से प्रदर्शित करते हैं।
- प्रोसेसिंग बॉक्स यह बॉक्स गणना, गणितीय ऑपरेशन, तार्किक ऑपरेशन या किसी अन्य प्रकार की प्रोसेसिंग करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे सिम्बल से दर्शाते हैं।
- डिसीजन बॉक्स इसे कण्डीशनल बॉक्स भी कहते हैं। इसका प्रयोग प्रोग्राम में निर्णय लेने के लिए किया जाता है। इसेसिम्बल से दर्शाते हैं।
- फ्लो लाइन्सयेलाइनें तीर की भाँति होती हैं, ये डाटा के फ्लो को दर्शाती हैं।
- कनेक्टर्स इस सिम्बल को प्रोग्राम की जटिलता को कम करने केलिए प्रयोग किया जाता है। कनेक्टर्स को
- कमेण्ट इसका प्रयोग फ्लोचार्ट में कमेण्ट, रिमार्क, नोट, संक्षिप्त व्याख्या लिखने के लिए किया जाता है।
उदाहरण
तीन संख्याओं में सबसे बड़ी संख्या प्रिण्ट करने का फ्लोचार्ट
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