UP Board Solutions for Class 11 Pedagogy Chapter 16 Meaning, Scope, Utility and Importance of Educational Psychology (शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, क्षेत्र, उपयोगिता एवं महत्त्व)

UP Board Solutions for Class 11 Pedagogy Chapter 16 Meaning, Scope, Utility and Importance of Educational Psychology

UP Board Solutions for Class 11 Pedagogy Chapter 16 Meaning, Scope, Utility and Importance of Educational Psychology (शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, क्षेत्र, उपयोगिता एवं महत्त्व) are the part of UP Board Solutions for Class 11 Pedagogy. Here we have given Chapter 16 Meaning, Scope, Utility and Importance of Educational Psychology (शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, क्षेत्र, उपयोगिता एवं महत्त्व).

BoardUP Board
TextbookNCERT
ClassClass 11
SubjectPedagogy
ChapterChapter 16
Chapter NameMeaning, Scope, Utility and Importance of Educational Psychology (शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, क्षेत्र, उपयोगिता एवं महत्त्व)
Number of Questions Solved57
CategoryUP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Pedagogy Chapter 16 Meaning, Scope, Utility and Importance of Educational Psychology (शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, क्षेत्र, उपयोगिता एवं महत्त्व)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा परिभाषा निर्धारित कीजिए।
या
शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं उसकी उपयोगिता की सविस्तार वर्णन कीजिए।
या
एक उपयुक्त परिभाषा द्वारा शिक्षा मनोविज्ञान के अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
या
“मनोविज्ञान आत्मा का विज्ञान है।” कैसे?
या
शिक्षा मनोविज्ञान का वास्तविक अर्थ प्रकट कीजिए।
या
मनोविज्ञान का अर्थ संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्तमान समय में शिक्षा मनोविज्ञान को अलग से एक विषय स्वीकार किया जा चुका है। शिक्षा मनोविज्ञान’ वास्तव में शिक्षा तथा मनोविज्ञान विषयों का एक सम्मिलित रूप है। अतः शिक्षा मनोविज्ञान की एक परिभाषा निर्धारित करने के लिए शिक्षा तथा मनोविज्ञान के अर्थ को अलग-अलग स्पष्ट करना प्रासंगिक ही है।

शिक्षा का अर्थ
(Meaning of Education)

1. शिक्षा का शाब्दिक अर्थ- शिक्षा के लिए अंग्रेजी में ‘Education’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह शब्द लैटिन भाषा के ‘Educatum’ नामक शब्द से बना है। यह शब्द ‘E’ और ‘Duco’ से मिलकर बना है। ई (E) का अर्थ है-‘अन्दर से’ तथा ड्यूको (Duco) का अर्थ है-आगे बढ़ना या अग्रसर करना। इस प्रकार एजूकेशन का शाब्दिक अर्थ व्यक्ति की आन्तरिक शक्तियों को बाहर की ओर अग्रसर करना हुआ। हिन्दी भाषा के ‘शिक्षा’ शब्द की उत्पत्ति ‘शिक्ष्’ धातु से मानी जाती है, जिसका अर्थ है-‘ज्ञानार्जन करना’ या ‘प्रकाशित करना। इस प्रकार शिक्षा मनुष्य के मस्तिष्क को प्रकाशित करती है।
उपर्युक्त शाब्दिक अर्थों से स्पष्ट है कि शिक्षा का अर्थ बालक के मस्तिष्क में बाहर से कुछ भरना नहीं है, वरन् उसमें जो शक्ति पहले से ही निहित है, उसी का अधिक विकास करना है।

2. शिक्षा का संकुचित अर्थ- संकुचित अर्थ में शिक्षा एक निश्चित स्थान, विद्यालय, कॉलेज या विश्वविद्यालय में प्रदान की जाती है। इस प्रकार संकुचित शिक्षा नियमित होती है तथा यह विद्यालय में सम्पन्न होती है। यह शिक्षा एक प्रकार से पुस्तक-प्रधान होती है।

3. शिक्षा का व्यापक अर्थ- डम्बिल ने विस्तृत शिक्षा की व्याख्या करते हुए लिखा है-“शिक्षा के व्यापक अर्थ में वे सभी कारक सम्मिलित किये जाते हैं, जो व्यक्ति पर उसके जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रभाव डालते हैं।” महात्मा गाँधी के अनुसार, शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक एवं मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा में निहित सर्वोत्तम शक्तियों का सर्वांगीण उद्घाटन है। इस प्रकार व्यापक अर्थ में शिक्षा जीवनभर चलने ” वाली प्रक्रिया है। समस्त विश्व ही शिक्षा संस्था है और बालक, किशोर, युवा तथा वृद्ध सभी विद्यार्थी हैं, जो जीवनभर कुछ-न-कुछ सीखते रहते हैं।

मनोविज्ञान का अर्थ
(Meaning of Psychology)

‘मनोविज्ञान’ शब्द को अंग्रेजी में साइकोलॉजी (Psychology) कहते हैं। यह शब्द यूनानी भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है–‘साइके’ (Psyche) तथा लोगास’ (Logas)। साइके का अर्थ है-“आत्मा’ तथा लोगास का अर्थ है-‘विज्ञान’। इस प्रकार ‘साइकोलॉजी’ का अर्थ हुआ ‘आत्मा का विज्ञान’ (Science of Soul) या’ आत्मा का अध्ययन’। परन्तु मनोविज्ञान के इस अर्थ को अब स्वीकार नहीं किया जाता है। मनोविज्ञान के अर्थ और स्वरूप में निरन्तर परिवर्तन होता रहा है। मनोविज्ञान के अर्थ को भली प्रकार समझने के लिए यह देखना आवश्यक है कि इसके रूप में किस प्रकार परिवर्तन हुआ। ये परिवर्तन निम्नलिखित शीर्षकों में वर्णित किये जा सकते हैं|

1. मनोविज्ञान आत्मा का विज्ञान- प्रारम्भ में मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान माना जाता था। प्लेटो और अरस्तू भी मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान मानते थे, परन्तु कोई दार्शनिक इस बात का उत्तर न दे सका कि आत्मा का स्वरूप क्या है? अत: सोलहवीं शताब्दी में मनोविज्ञान के इस अर्थ को अस्वीकार कर दिया गया।

2. मनोविज्ञान मन का विज्ञान- ‘आत्मा का विज्ञान की परिभाषा को अमान्य समझने के पश्चात् मनोविज्ञान को ‘मन या मस्तिष्क का विज्ञान’ (Science of Mind) समझा जाने लगा, परन्तु मनोविज्ञान के इस अर्थ को स्वीकार करने में भी कठिनाइयाँ आयीं। कोई भी विद्वान मन की प्रकृति और स्वरूप को निश्चित नहीं कर सका। दूसरे शब्दों में, कोई भी यह नहीं बता सका कि मन क्या है? उसका वैज्ञानिक अध्ययन किस प्रकार किया जा सकता है? अतः अस्पष्टता के कारण इस परिभाषा को भी स्वीकार नहीं किया गया।

3. मनोविज्ञान चेतना का विज्ञान- उन्नीसवीं शताब्दी में मनोवैज्ञानिकों ने मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञान’ कहकर परिभाषित किया। जब वातावरण में कोई उत्तेजना उपस्थित होती है, तो प्राणी उसके प्रति अवश्य प्रतिक्रिया करता है। इस प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप मन में चेतना अथवा अनुभूति भी होती है। अतः मनोवैज्ञानिकों ने यह मत व्यक्त किया कि मन के अध्ययन के स्थान पर इसी अनुभूति या चेतना को ही मनोविज्ञान का विषय-क्षेत्र होना चाहिए। वुण्ट (Woudt), जेम्स (James) आदि मनोवैज्ञानिक इस मत के प्रतिपादक थे। परन्तु मनोविज्ञान के इस अर्थ को भी स्वीकार नहीं किया जा सका, क्योंकि मनोविश्लेषणवादियों ने यह सिद्ध कर दिया कि चेतना का व्यवहार पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। दूसरे, मानव-व्यवहार को प्रभावित करने वाले चेतन मन के अतिरिक्त अचेतन मन तथा अर्द्धचेतन मन भी हैं। तीसरे, मनोविज्ञान का विषय-क्षेत्र चेतना का अध्ययन मान लेने पर पशु-पक्षियों, बालकों तथा विक्षिप्तों की चेतना अथवा आन्तरिक अनुभूति को अध्ययन सम्भव नहीं हो सकता।

4. मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान- मनोवैज्ञानिकों ने इस बात का अनुभव किया कि मानसिक अनुभूतियों का अध्ययन केवल अन्तर्निरीक्षण द्वारा सम्भव है। किसी भी प्राणी की अनुभूति का अध्ययन उसे छोड़कर अन्य के द्वारा सम्भव नहीं है। एक तो प्रत्येक व्यक्ति अपनी अनुभूतियों का अध्ययन नहीं कर सकता और कर भी सकता है तो उसके अध्ययन में आत्मगत दोष आ सकता है। वास्तव में मनोवैज्ञानिक विधियों से प्राणी के व्यवहार का वस्तुनिष्ठता के साथ अध्ययन किया जा सकता है। किसी भी प्राणी के व्यवहार का निरीक्षण अन्य किसी भी व्यक्ति के द्वारा किया जा सकता है। इस कारण ही बीसवीं शताब्दी में मनोविज्ञान को ‘व्यवहार का विज्ञान’ स्वीकार किया जाने लगा। ई० वाटसन (E. Watson) के अनुसार, “मनोविज्ञान व्यवहार को विशुद्ध विज्ञान है।” उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट हो जाता है कि मनोविज्ञान को सर्वप्रथम ‘आत्मा का विज्ञान’ (Science of Soul), फिर ‘मन को विज्ञान’ (Science of Mind) और इसके पश्चात् ‘चेतना का विज्ञान (Science of Consciousness) माना गया। वर्तमान में मनोविज्ञान को ‘व्यवहार का विज्ञान (Science of Behaviour) माना जाता है।

शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ
(Meaning of Educational Psychology)

शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा और मनोविज्ञान’ दो शब्दों के योग से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है-‘शिक्षा सम्बन्धी मनोविज्ञान। वास्तव में शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान का व्यावहारिक रूप है। दूसरे शब्दों में, मनोविज्ञान के सिद्धान्तों का शिक्षा में निरूपित होना ही शिक्षा मनोविज्ञान है। शिक्षा मनोविज्ञान का आरम्भ कब से हुआ, इस विषय में विद्वानों में मतभेद हैं। कालसनिक के अनुसार, शिक्षा मनोविज्ञान का विकास प्लेटो (Plato) के समय से ही प्रारम्भ हो गया था। प्लेटो के अनुसार, सीखने की क्रिया एक प्रकार से विचारों का विकास है। उसने अपनी शिक्षण विधि में प्रश्नोत्तर तथा वाद-विवाद को विशेष महत्त्व दिया।

प्लेटो के समान अरस्तू (Aristotle) ने भी शिक्षा में मचोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रयोग किया। उसने ज्ञानेन्द्रियों की शक्ति पर विशेष बल दिया तथा ज्ञानेन्द्रियों के प्रशिक्षण के लिए अनेक विधियों का प्रयोग किया, परन्तु वास्तव में शिक्षा मनोविज्ञान का सूत्रपात कमेनियस, जॉन लॉक, रूसो, पेस्टालॉजी, हरबर्ट आदि के प्रयासों से हुआ। थॉर्नडाइक (Thorndyke), जुड (Judd), टरमन (Terman) आदि ने भी शिक्षा को मनोवैज्ञानिक बनाने में महत्त्वपूर्ण योग दिया। इन शिक्षाशास्त्रियों के प्रयोगों के फलस्वरूप ही सन् , 1920 तक शिक्षा मनोविज्ञान का स्वरूप पूर्णतया स्पष्ट हो सका। अब शिक्षा मनोविज्ञान को एक स्वतन्त्र विषय के रूप में स्वीकार कर लिया गया है। इस स्थिति में आकर शैक्षिक परिस्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार के अध्ययन को ही शिक्षा मनोविज्ञान माना जाने लगा।

शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएँ
(Definitions of Educational Psychology)

शिक्षा मनोविज्ञान की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं

  1. स्किनर के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान मानवीय व्यवहार का शैक्षणिक परिस्थितियों में अध्ययन करता है। शिक्षा मनोविज्ञान को सम्बन्ध उन मानवीय व्यवहारों और व्यक्तित्व के अध्ययन से है जिनका उत्थान, विकास और निर्देशन शिक्षा की सामाजिक प्रक्रिया के द्वारा होता है।”
  2. क्रो एवं क्रो के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से वृद्धावस्था तक सीखने के अनुभवों का वर्णन और व्याख्या करता है।”
  3. जे० एम० स्टीफन के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक विकास का क्रमिक अध्ययन है।”
  4. कालसनिक के अनुसार, शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के सिद्धान्तों और अनुसन्धाने का शिक्षा में प्रयोग है।”
  5. ट्रो के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो शैक्षणिक परिस्थितियों का मनोवैज्ञानिक रूप से अध्ययन करता है।”
  6. जुड के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से लेकर परिपक्वावस्था तक विभिन्न परिस्थितियों में गुजरते हुए व्यक्तियों में होने वाले परिवर्तनों की व्याख्या करता है।” विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रतिपादित परिभाषाओं के विश्लेषण द्वारा शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ स्पष्ट हो जाता है। हम कह सकते हैं कि शिक्षा सम्बन्धी विभिन्न पक्षों का मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से किया गया अध्ययन ही शिक्षा मनोविज्ञान है। वर्तमान समय में शिक्षा मनोविज्ञान को अलग से एक व्यावहारिक एवं उपयोगी विज्ञान के रूप में स्वीकार कर लिया गया है। इस तथ्य को ही स्वीकार करते हुए भारतीय शिक्षा शास्त्री प्रो० एच० आर० भाटिया ने स्पष्ट रूप से कहा है, “हम शिक्षा मनोविज्ञान को शैक्षिक वातावरण में शिक्षार्थी या मनुष्य के व्यवहार के अध्ययन के रूप में परिभाषित कर सकते हैं।’

(नोट-शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता का विवरण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 3 में दिया गया है।)

प्रश्न 2
शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन-क्षेत्र का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
या
शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र निर्धारित कीजिए तथा शिक्षा के लिए मनोविज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता भी बताइए।
या
शिक्षा मनोविज्ञान की विषय-सामग्री पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:

शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र
(Scope of Educational Psychology)

शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र को निर्धारित करते हुए चार्ल्स स्किनर ने लिखा है कि “शिक्षा मनोविज्ञान मानव-व्यवहार का शैक्षिक परिस्थितियों में अध्ययन करता है। इसका सम्बन्ध उन मानव-व्यवहारों और व्यक्तित्व के अध्ययन से है, जिनका उत्थान, विकास और मार्ग-प्रदर्शन शिक्षा की प्रक्रिया द्वारा होता है।

इसी प्रकार डगलस और हालैण्ड ने लिखा है, “शिक्षा मनोविज्ञान की विषय-सामग्री शिक्षा की प्रक्रियाओं में रुचि लेने से व्यक्ति की प्रकृति, मानसिक जीवन और व्यवहार है।” इन मतों के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि शिक्षा मनोविज्ञान में निम्नलिखित बातों का अध्ययन किया जाता है

1. बाल-विकास की विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन- शिक्षा मनोविज्ञान में बालकों के व्यवहार को समझने के लिए उनके विकास की विभिन्न अवस्थाओं और उनकी शारीरिक क्रियाओं का विशेष रूप से अध्ययन किया जाता है।
2. बालकों की मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन- शिक्षा | शिक्षा मनोविज्ञान में स्मृति, कल्पना, निर्णयशक्ति, संवेदना, प्रत्यक्षीकरण, अवधान आदि मानसिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
3. वंशानुक्रम और वातावरण का अध्ययन- बालक को सबसे अधिक प्रभावित करने वाले तत्त्व वंशानुक्रम और वातावरण हैं। अत: इनका अध्ययन भी शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत अनिवार्य रूप से किया जाता है।
4. बालक की संवेगात्मक क्रियाओं का अध्ययन- बालकों के सन्तुलित विकास के लिए भय, क्रोध, हर्ष आदि संवेगों का विस्तार से अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। बालकों की अभिरुचियों का
5. बालों की अभिरुचियों का अध्ययन- यह जानने के लिए कि बालकों की रुचि या अभिरुचि किस विषय में है, शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत उनकी अभिरुचियों का अध्ययन किया जाता है।
6. शिक्षण विधियों का अध्ययन- शिक्षण को प्रभावशाली और उपयोगी बनाने के लिए विभिन्न विधियों का ज्ञान परम आवश्यक है।
7. अधिगम या सीखना- बालक के सीखने की क्रियाओं का अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत ही किया जाता है। सीखने के नियम, सीखने के सिद्धान्त तथा सीखने का स्थानान्तरण आदि इसी के अन्तर्गत आते हैं।
8, अचेतन मन की क्रियाओं का अध्ययन- बालकों की मानसिक ग्रन्थियों को नष्ट करने के लिए अचेतन मन की क्रियाओं का अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान में किया जाता है।
9. व्यक्तिगत विभिन्नताओं का अध्ययन- प्रत्येक बालक दूसरे बालक से भिन्नता रखता है। शिक्षा मनोविज्ञान बताता है बालकों में परस्पर भिन्नता क्यों होती है तथा किस प्रकार के बालकों को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिए?
10. बालक में विभिन्न प्रकार के विकास का अध्ययन- बालक के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को समझने के लिए शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत बालक के शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक तथा सामाजिक विकास का अध्ययन किया जाता है।
11. बाल-अपराध का अध्ययन- विद्यालय में अनेक छात्र अपराधी प्रवृत्ति के होते हैं। शिक्षा-मनोविज्ञान के अन्तर्गत इस प्रकार के बालकों का विशेष रूप से अध्ययन किया जाता है।
12. पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्तों का अध्ययन- समस्त बालकों के लिए एक-सा पाठ्यक्रम निर्धारित करना उचित नहीं है। पाठ्यक्रम का निर्माण बालकों की रुचियों, आयु, क्षमताओं आदि को ध्यान मेंरखकर करना आवश्यक है। इस कारण आधुनिक युग में पाठ्यक्रम को निर्धारित करते समय मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों को ध्यान में रखा जाता है।
13. मापन एवं मूल्यांकन का अध्ययन- इसके अन्तर्गत मापन और मूल्यांकन के सिद्धान्त, बुद्धि और उसका मापन तथा मूल्यांकन से होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।
14. अनुशासन सम्बन्धी समस्याओं का अध्ययन- विद्यालय में अनुशासन का विशेष महत्त्व होता है। अत: छात्रों में अनुशासन की स्थापना किस प्रकार हो, इसका अध्ययन भी शिक्षा मनोविज्ञान में ही किया जाता है।
15. शैक्षिक परिस्थितियों का अध्ययन- शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत उन शैक्षिक परिस्थितियों का अध्ययन किया जाता है, जिसके अन्दर शिक्षक छात्रों को शिक्षा प्रदान करता है। इसके अन्तर्गत विद्यालय का भवन, शिक्षण-कक्ष, खेलकूद के मैदाने, मनोरंजन, शिक्षक की योग्यताएँ, पाठ्यक्रम, पुस्तकें, शिक्षण-सामग्री आदि बातें आती हैं।
16. मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन- बालकों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए शिक्षा मनोविज्ञान में मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान सम्बन्धी बातों का भी विशेष रूप से अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 3
शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता तथा महत्त्व का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
या
कक्षा-शिक्षण में शिक्षा मनोविज्ञान की क्या उपयोगिता है?
या
“शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा को नवीन दृष्टिकोण प्रदान करता है।” इसको ध्यान में रखते हुए। शिक्षा मनोविज्ञान के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
या
शिक्षा मनोविज्ञान से शिक्षा जगत में क्रान्ति आई है, कैसे?
या
शिक्षा मनोविज्ञान के महत्त्व का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
या
शिक्षा मनोविज्ञान के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
या
“शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक एवं छात्र के लिए महत्त्वपूर्ण है।” स्पष्ट कीजिए।
या
एक अध्यापक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की सम्यक् जानकारी की क्या उपयोगिता है?
या
एक शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान क्यों उपयोगी है?
या
“शिक्षा मनोविज्ञान द्वारा शिक्षक को समुचित निर्णय लेने में मदद मिलती है।” इस कथन के सन्दर्भ में शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक शिक्षा का प्रमुख आधार मनोविज्ञान या शिक्षा मनोविज्ञान है। शिक्षण में सफलता प्राप्त करने के लिए अध्यापक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान परम आवश्यक है। शिक्षा मनोविज्ञान ही अध्यापक को बताता है कि सीखने की सर्वश्रेष्ठ विधि कौन-सी है? बालक को चारित्रिक और मानसिक विकास किस प्रकार हो सकता है तथा बालक को किस अवस्था में किस प्रकार की शिक्षा मिलनी चाहिए?

शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता तथा महत्त्व
(Utility and Importance of Educational Psychology)

शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता और महत्त्व को निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत समझा जा सकता है|

1. अध्यापक को स्वयं का ज्ञान- शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक को अपने स्वभाव, बुद्धि-स्तर, व्यवहारकुशलता आदि को ज्ञान कराने में सहायक होता है। जब अध्यापक को अपनी कमियों का ज्ञान हो जाता है तो वह उनको सरलता से दूर कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त यह ज्ञान उनके शिक्षण को प्रभावशाली बनाने में भी परम सहायक होता है। शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता से अध्यापक अपने पाठ की तैयारी भी सुव्यवस्थित ढंग से कर सकता है।

2. बाल- विकास का ज्ञान शिक्षा मनोविज्ञान द्वारा अध्यापक बाल-विकास की विभिन्न अवस्थाओं का ज्ञान प्राप्त करता है। इन अवस्थाओं का ज्ञान प्राप्त करके वह पाठ्य-सामग्री का चयन करता है। तथा अवस्थाओं के अनुकूल उसका प्रतिपादन करता है।

3. बालक की मूल-प्रवृत्तियों का ज्ञान- मूल-प्रवृत्तियों के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए रॉस (Ross) ने लिखा है-“मूल-प्रवृत्तियाँ वे हैं, जिनसे व्यक्ति के चरित्र का निर्माण किया जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान
अध्यापक को बताता है कि बालक की मूल-प्रवृत्तियों में किस प्रकार संशोधन और परिवर्तन किया जा सकता। है। मूल-प्रवृत्तियों के विषय में ज्ञान प्राप्त कर बालक के चरित्र का विकास सरलता से किया जा सकता है।

4. बालक की क्षमताओं का ज्ञान- शिक्षा मनोविज्ञान बालक की क्षमताओं का ज्ञान कराने में सहायक होता है। शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता से अध्यापक को यह ज्ञाने हो जाता है कि बालक किस सीमा तक ज्ञानार्जन की क्षमता रखता है तथा किस सीमा तक उसके सामाजिक व्यवहार को सुधारा जा सकता है।

5. बालक की विभिन्न आवश्यकताओं का ज्ञान- शिक्षा प्राप्त करने वाले बालकों की विभिन्न होती है। ये प्रमुख आवश्यकताएँ हैं-स्नेह, आत्मसम्मान, सहयोग, मार्गदर्शन आदि। यदि ये आवश्यकताएँ उचित ढंग से सन्तुष्ट हो जाती हैं तो बालकों का विकास भी स्वाभाविक ढंग से होता है। शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक को बालक की विभिन्न आवश्यकताओं का ज्ञान कराता है।

6. बाल-व्यवहार का ज्ञान- शिक्षण के कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए बालक के व्यवहार को समझना परम आवश्यक है। शिक्षा मनोविज्ञान इस क्षेत्र में अध्यापक की विशेष सहायता करता है। इस सम्बन्ध में रायबर्न (Ryburn). ने लिखा है-“हमें बाल-स्वभाव और व्यवहार का जितना अधिक ज्ञान होता है, उतना ही प्रभावशाली हमारा बालक से सम्बन्ध होता है। मनोविज्ञान हमें यह ज्ञान कराने में विशेष सहायक सिद्ध हो सकता है।”

7. बालकों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सहायक- शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य बालकों के व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास करना है। शिक्षा के इस उद्देश्य को प्राप्त करने में शिक्षा मनोविज्ञान विशेष रूप से सहायक होता है। शिक्षा मनोविज्ञान बालक के केवल ज्ञानात्मक विकास की ओर ही बल नहीं देता, वरन् वह अध्यापक को उन विधियों से परिचित भी कराता है, जिनको अपनाकर बालक का सर्वांगीण विकास किया। जा सकता है।

8. बालक की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का ज्ञान- आधुनिक मनोवैज्ञानिक खोजों ने यह सिद्ध कर दिया है कि बालकों की रुचियों, योग्यर्ताओं तथा क्षमताओं आदि में भिन्नताएँ पायी जाती हैं। अत: उनकी व्यक्तिगत भिन्नताओं को समझना अध्यापक के लिए परम आवश्यक है। मनोविज्ञान द्वारा हमें छात्रों की । व्यक्तिगत भिन्नता, मानसिक स्थितियों, स्वभावों तथा विभिन्न अवस्थाओं में उनकी आवश्यकताओं का ज्ञान होता है। व्यक्तिगत भिन्नताओं की जानकारी प्राप्त करके विभिन्न प्रकार के उपयोगी मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के आधार पर विभिन्न वर्ग के विद्यार्थियों के लिए उनके अनुकूल उपयोगी शिक्षा-व्यवस्था के आयोजन का अवसर प्राप्त होता है।

9. सामग्री के चयन में सहायक- चेस्टर एण्डरसन के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक को पाठ्य-सामग्री के उचित चयन तथा उसे व्यवस्थित करने का ज्ञान प्रदान करता है।” पाठ्य-सामग्री के उचित चयन से शिक्षण प्रभावशाली और रोचक हो जाता है।

10. पाठ्यक्रम के निर्धारण में सहायक- शिक्षा मनोविज्ञान उचित पाठ्यक्रम के निर्धारण में विशेष रूप से सहायक होता है, क्योंकि मनोविज्ञान की सहायता से विभिन्न अवस्थाओं के छात्रों की मानसिक क्षमताओं, रुचियों तथा प्रवृत्तियों आदि के विषय में जानकारी हो जाती है। यह जानकारी उपयोगी पाठ्यक्रम के निर्धारण में विशेष रूप से सहायक होती है। स्किनर के अनुसार, “उपयोगी पाठ्यक्रम बालकों के विकास, व्यक्तिगत विभिन्नताओं, प्रेरणाओं, मूल्यों एवं सीखने के सिद्धान्तों के अनुसार मनोविज्ञान पर आधारित होना आवश्यक है।”

11. प्रभावशाली शिक्षण- विधियों का ज्ञान शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक को शिक्षण की विभिन्न विधियों का ज्ञान कराता है। यह बताता है कि कौन-सी शिक्षण-विधि कहाँ और किस स्तर पर उपयुक्त होती है। स्किनर (Skinner) के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक को शिक्षण विधियों का चुनाव करने में सहायता देने के लिए सीखने के अनेक सिद्धान्त प्रस्तुत करता है।”

12. कक्षा की समस्याओं के समाधान में सहायक- कक्षा में शिक्षण करते समय शिक्षक के सामने अनेक समस्याएँ आती हैं। कुछ बालकों का ध्यान पढ़ने-लिखने की ओर नहीं जाता, वे केवल बातों में ही दिलचस्पी लेते हैं। शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक को इस प्रकार की समस्याओं का हल सुझाता है। मनोविज्ञान का ज्ञाता अध्यापक शरारती और पिछड़े बालकों के व्यवहार को भली प्रकार समझकर ही उनका मनोवैज्ञानिक निदान करता है।

13. अनुशासन की स्थापना में सहायक- शिक्षा मनोविज्ञान अनुशासन सम्बन्धी दृष्टिकोण में परिवर्तन उत्पन्न करता है। शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक को बताता है कि बात-बात पर छात्रों को मारने-पीटने से वास्तविक-अनुशासन की स्थापना नहीं होती। शिक्षा मनोविज्ञान शारीरिक दण्ड के स्थान पर प्रेम, सहानुभूति तथा स्वशासन द्वारा अनुशासन स्थापित करने का पक्षधर है। यह बताता है कि शिक्षण-विधियों में सुधार करके अनुशासन की समस्या को किस भाँति हल किया जा सकता है।

14. मापन और मूल्यांकन का ज्ञान- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की प्रमुख देन ‘मापन और मूल्यांकन विधियों का प्रयोग है। इन विधियों के द्वारा बालकों की योग्यताओं का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन किया जाता है। मापन और मूल्यांकन ने अपव्यय तथा अवरोधन को समाप्त करने में विशेष योगदान दिया है। इसके साथ ही बालकों की रुचि, योग्यता तथा आत्मसम्मान आदि का मापन करके उनके व्यक्तित्व के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है।

15. शिक्षा के विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक- शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता के बिना शिक्षा के विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति नहीं की जा सकती। स्किनर के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान आजकल के शिक्षक के जीवन को ज्ञान से समृद्ध कर उसकी शिक्षण-विधि को उन्नत बनाकर उसे उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायता पहुँचाता है।” निष्कर्ष (Conclusion)-संक्षेप में हम कह सकते हैं कि अध्यापक की सफलता किसी बड़ी सीमा तक शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान पर निर्भर करती है। बिना शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान के अध्यापक न तो छात्रों का बौद्धिक विकास कर सकता है और न ही वह प्रतिदिन अध्यापन करते समय आने वाली विभिन्न समस्याओं का हल निकाल सकता है।

वास्तव में, छात्रों की प्रकृति को समझने एवं उनके व्यवहार में परिवर्तन के लिए। शिक्षा मनोविज्ञान से शक्ति मिलती है। जैसा कि डेविस (Davis) कहते हैं-“शिक्षा मनोविज्ञान ने शिक्षा में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इसका माध्यम रहे हैं—अनेक मनोवैज्ञानिक परीक्षणों से ज्ञात छात्रों की क्षमताएँ तथा व्यक्तिगत भेद। इसने छात्रों के ज्ञान, विकास तथा परिपक्वता को समझने में भी योग दिया है।” इसी प्रकार ब्लेयर (Blair) ने लिखा है-“आधुनिक अध्यापक को सफलता प्राप्त करने के लिए ऐसा विशेषज्ञ होना चाहिए जो बालकों को समझे-वे कैसे विकसित होते हैं, सीखते एवं समायोजित होते हैं। कोई अपरिचित या मनोवैज्ञानिक विधियों से अनभिज्ञ व्यक्ति अध्यापक के दायित्व कार्य को पूरा नहीं कर सकता है।”

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
शिक्षा और मनोविज्ञान के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

शिक्षा और मनोविज्ञान का सम्बन्ध
(Relation between Education and Psychology)

शिक्षा द्वारा व्यक्ति के व्यवहारों में परिवर्तन आता है तथा मनोविज्ञान का भी सम्बन्ध व्यक्ति के व्यवहार से होता है। अतः शिक्षा और मनोविज्ञान दोनों ही मानव-व्यवहार से सम्बन्धित हैं। अनेक शिक्षाशास्त्रियों ने इस बात पर बल दिया है कि शिक्षा का मुख्य आधार मनोविज्ञान होना चाहिए। यहाँ हम प्रमुख शिक्षाशास्त्रियों के मतों का उल्लेख करेंगे|

  1. आर० ए० डेविस के अनुसार, “मनोविज्ञान ने छात्रों की क्षमताओं तथा विभिन्नताओं का विश्लेषण करके शिक्षा को विशिष्ट योगदान दिया है। इसने विद्यालयी जीवन में छात्रों के विकास तथा परिपक्वता का ज्ञान प्राप्ति में भी प्रत्यक्ष योगदान दिया है।”
  2. ईवर के अनुसार, “मनोविज्ञान एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। बिना मनोविज्ञान की सहायता के हम शिक्षा की समस्याओं को हल नहीं कर सकते हैं।”
  3. पेस्टालॉजी के अनुसार, “अध्यापक को बालक के मस्तिष्क का अच्छा ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।”
  4. स्किनर के अनुसार, “शिक्षा का प्रमुख आधारभूत विज्ञान, मनोविज्ञान है।”
  5. मॉण्टेसरी के अनुसार, “शिक्षक जितना अधिक प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का ज्ञान रखता है, उतना अधिक वह जानता है कि कैसे पढ़ाया जाए।
    उपर्युक्त मतों से स्पष्ट होता है कि शिक्षा का कोई भी पक्ष ऐसा नहीं है, जो कि मनोविज्ञान के प्रभाव से वंचित रहा हो और जिसे स्पष्ट करने में मनोविज्ञान ने कोई विशेष योगदान न दिया हो। स्पष्ट है कि शिक्षा तथा मनोविज्ञान का घनिष्ठ पारस्परिक सम्बन्ध है।

प्रश्न 2
शिक्षा के लिए मनोविज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए।
या
आधुनिक शिक्षा में मनोविज्ञान की क्या देन है? विवेचना कीजिए।
उत्तर:

शिक्षा के लिए मनोविज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता
(Need of Study of Psychology for Education)

शिक्षा तथा मनोविज्ञान का घनिष्ठ सम्बन्ध है। शिक्षा अपने आप में एक व्यापक प्रक्रिया है। इस उपयोगी प्रक्रिया के सुचारु संचालन के लिए मनोविज्ञान का ज्ञान एवं अध्ययन विशेष रूप से उपयोगी एवं आवश्यक होता है। मनोविज्ञान के सैद्धान्तिक ज्ञान के आधार पर ही शिक्षा के क्षेत्र में अनेक तथ्यों का निर्धारण किया जाता है। शिक्षा के लिए मनोविज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता के मुख्य बिन्दु निम्नलिखित हैं-

  1. मनोवैज्ञानिक- ज्ञान के आधार पर ही शिक्षा के उद्देश्यों को निर्धारित किया जाता है तथा शिक्षा के निर्धारित उद्देश्यों की प्रप्ति के लिए भी मनोविज्ञान का समुचित ज्ञान आवश्यक होता है।
  2. बाल- मनोविज्ञान के क्षेत्र में प्राप्त होने वाले नवीन ज्ञान के आधार पर ही शिक्षा को नवीन दृष्टिकोण प्रदान किया जा सकता है अर्थात् शिक्षा को नयी शिक्षा एवं स्वरूप प्रदान करने के लिए मनोवैज्ञानिक ज्ञान सहायक होता है।
  3. बाल- मनोविज्ञान के ज्ञान के आधार पर ही शिक्षा के क्षेत्र में अनुशासन की सुव्यवस्था की जा सकती है, अर्थात् अनुशासन की समस्या के समाधान में मनोविज्ञान का ज्ञान सहायक होता है।
  4. मनोविज्ञान का ज्ञान ही शिक्षा की नवीन शिक्षण- णालियों को खोजने में सहायक होता है।
  5. मनोविज्ञान के ज्ञान के आधार पर ही व्यक्तिगत भेदों को ध्यान में रखकर शिक्षा की व्यवस्था की जाती
  6. मनोवैज्ञानिक ज्ञान के आधार पर ही बाल- विकास की अवस्थाओं के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था की जाती है।
  7. मनोवैज्ञानिक ज्ञान ही बाल- केन्द्रित शिक्षा को लागू करने में सहायक होता है।

प्रश्न 3
शिक्षा मनोविज्ञान तथा मनोविज्ञान में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

शिक्षा मनोविज्ञान तथा मनोविज्ञान में अन्तर
(Distinction between Educational Psychology and Psychology)

निस्सन्देह शिक्षा मनोविज्ञान तथा मनोविज्ञान में घनिष्ठ सम्बन्ध तथा पर्याप्त समानता है, परन्तु वर्तमान व्यवस्था के अन्तर्गत इन दोनों के अलग-अलग विषय-क्षेत्र के रूप में भी स्वीकार किया जा चुका है। शिक्षा मनोविज्ञान तथा मनोविज्ञान के अन्तर को हम निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं

1.अध्ययन-विषय का अन्तर- भले ही शिक्षा मनोविज्ञान तथा मनोविज्ञान दोनों ही मानवीय व्यवहारों का व्यवस्थित अध्ययन करने वाले शास्त्र हैं, परन्तु इन दोनों शास्त्रों में व्यवहार के अध्ययन की परिस्थितियों का स्पष्ट अन्तर है। शिक्षा मनोविज्ञान द्वारा केवल शैक्षिक परिस्थितियों में ही सम्पन्न होने वाले व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। इससे भिन्न मनोविज्ञान द्वारा सामान्य वातावरण में सम्पन्न होने वाले मानवीय व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।

2. अध्ययन के उद्देश्य का अन्तर- शिक्षा मनोविज्ञान तथा मनोविज्ञान का एक अन्तर उनके अध्ययनउद्देश्य से सम्बन्धित भी है। शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन का उद्देश्य शैक्षिक परिस्थितियों में व्यक्ति के होने वाले व्यवहार का अध्ययन करना तथा शिक्षा की प्रक्रिया को सफल बनाना है। इससे भिन्न मनोविज्ञान के अध्ययनों का मुख्य उद्देश्य व्यवहार सम्बन्धी सिद्धान्तों को खोजना एवं प्रतिपादित करना तथा उनके आधार पर मानवीय व्यवहार के विषय में भविष्यवाणी करना है।

3. क्षेत्र की व्यापकता का अन्तर- शिक्षा मनोविज्ञान केवल शैक्षिक परिस्थितियों में व्यवहार का अध्ययन करता है; अत: शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन-क्षेत्र सीमित है। इससे भिन्न मनोविज्ञान मानवीय व्यवहार का सामान्य वातावरण में अध्ययन करता है। अत: मनोविज्ञान का अध्ययन क्षेत्र पर्याप्त व्यापक है।

प्रश्न 4
शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन का मूल उद्देश्य शिक्षा की प्रक्रिया को अच्छे ढंग से परिचालित करना है। इसके लिए शिक्षा मनोविज्ञान जहाँ एक ओर बालक के व्यक्तित्व के समुचित विकास में सहायता प्रदान करता है वहीं दूसरी ओर शिक्षक को शिक्षण कार्य को उत्तम ढंग से करने में सहायता प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त शिक्षा मनोविज्ञान के कुछ अन्य उद्देश्य भी महत्त्वपूर्ण हैं; जैसे कि

  1. शिक्षकों में छात्रों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण तथा पक्षपातरहित दृष्टिकोण विकसित करना।
  2. सामाजिक सम्बन्धों के स्वरूप तथा महत्त्व को सही रूप में समझने में सहायता प्रदान करना।
  3. शिक्षकों में इस प्रकार की समझ या अन्तर्दृष्टि विकसित करना जिसके द्वारा वे अपने अध्ययन के परिणामों तथा अन्य शक्तियों के शिक्षा-विषयक अभ्यासों को अच्छी तरह से समझ सकें।
  4. शिक्षा मनोविज्ञान का एक अन्य महत्त्वपूर्ण उद्देश्य अपने तथा अन्य व्यक्तियों के व्यवहार के विश्लेषण तथा व्यवस्थापन के लिए शिक्षकों को सामान्य व्यवस्थापन में सहायक तथ्यों एवं विधियों की जानकारी प्रदान करना है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
शिक्षा मनोविज्ञान की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
स्किनर के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

  1. शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान का व्यावहारिक रूप है।
  2. यह शैक्षिक परिस्थितियों में मानव-व्यवहार का अध्ययन करने वाला विज्ञान है।
  3. इसका प्रमुख केन्द्र मानव-व्यवहार है।
  4. शिक्षा मनोविज्ञान अपनी खोजों के लिए वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करता है।
  5. यह प्राप्त निष्कर्षों का प्रयोग शिक्षा की समस्याओं के समाधान के लिए करता है।
  6. शिक्षा मनोविज्ञान यह भविष्यवाणी करता है कि विद्यार्थी में ज्ञान प्राप्त करने

प्रश्न 2
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत शैक्षिक परिस्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार का तटस्थ अध्ययन किया जाता है। यह मनोविज्ञान से सम्बद्ध है। इस स्थिति में शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति को हम वैज्ञानिक कह सकते हैं अर्थात् शिक्षा मनोविज्ञान एक-क्झिान है। अब हमें यह जानना आवश्यक है कि शिक्षा मनोविज्ञान कैसा विज्ञान है? इसके उत्तर में हम कह सकते हैं कि शिक्षा मनोविज्ञान, एक विधायक सामाजिक विज्ञान है। यह सत्य है कि शिक्षा मनोविज्ञान अन्य भौतिक विज्ञानों के समान यथार्थ विज्ञान नहीं है। परन्तु जैसे-जैसे इस विज्ञान का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे इसकी यथार्थता में वृद्धि हो रही है।

प्रश्न 3
स्पष्ट कीजिए कि मनोविज्ञान ने शिक्षा को नवीन दृष्टिकोण प्रदान किया है?
उत्तर:
शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान का एक महत्त्वपूर्ण योगदान यह है कि मनोविज्ञान ने शिक्षा को एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया है। वर्तमान मान्यताओं से पूर्व शिक्षा के क्षेत्र में बालक की अर्जित उपलब्धियों का मूल्यांकन केवल पाठ्यक्रम के अध्ययन तथा परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ही किया जाता था। परन्तु अब स्थिति बदल गयी है। वर्तमान मान्यताओं के अनुसार छात्रों की शैक्षिक उपलब्धियों के मूल्यांकन के लिए बालक की समस्त गतिविधियों, व्यक्तित्व के विकास तथा विकसित हुई क्षमताओं को भी ध्यान में रखा जाता है। आज कुछ छात्र भले ही पाठ्य-पुस्तकों में अधिक रुचि नहीं लेते, परन्तु वे क्राफ्ट आदि कार्यों को अधिक कुशलतापूर्वक करते हैं। इन बालकों की योग्यता का मूल्यांकन उनकी इस क्षमता के आधार पर किया जाता है।

प्रश्न 4
शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन की आत्म-निरीक्षण विधि का वर्णन कीजिए।
या
शिक्षा मनोविज्ञान की अन्तर्दर्शन विधि क्या है?
या
शिक्षा मनोविज्ञान की अन्तर्दर्शन विधि के अर्थ एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययनों में प्राय: आत्म-निरीक्षण या आत्मदर्शन को भी अपनाया जाता है। अन्तर्दर्शन विधि का अर्थ है, व्यक्ति द्वारा अपने मन की कार्य-पद्धतियों की ओर व्यवस्थित ढंग से ध्यान देना ही अन्तर्दर्शन है। हम जानते हैं कि शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययनों में बालक की कुछ मानसिक क्रियाओं को भी जानना अति आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए—कल्पना, चिन्तन, रुचि, ध्यान तथा स्मृति आदि मानसिक क्रियाओं को केवल अन्तर्दर्शन द्वारा ही जाना जा सकता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि अन्तर्दर्शन भी शिक्षा मनोविज्ञान की एक अध्ययन विधि है। अन्तर्दर्शन विधि कोई शुद्ध वैज्ञानिक विधि नहीं है, अतः इस विधि को अन्य वैज्ञानिक विधियों की सहयोगी विधि के रूप में अपनाया जाता है।

प्रश्न 5
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषा लिखिए एवं उसके क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषा–‘शिक्षा मनोविज्ञान मानवीय व्यवहार का शैक्षणिक परिस्थितियों में अध्ययन करता है। शिक्षा मनोविज्ञान का सम्बन्ध उन मानवीय व्यवहारों और व्यक्तित्व के अध्ययन से है जिनका उत्थान, विकास और निर्देशन शिक्षा की सामाजिक प्रक्रिया के द्वारा होता है।” शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र–शिक्षा मनोविज्ञान में निम्नलिखित क्षेत्रों में अध्ययन किया जाता हैबाल-विकास की विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन, बालकों की मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन, वंशानुक्रम और वातावरण का अध्ययन, बालक की संवेगात्मक क्रियाओं का अध्ययन, बालकों की अभिरुचिओं का अध्ययन, शिक्षण विधियों का अध्ययन तथा अधिगम (सीखना) आदि।

निश्चित उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
प्लेटो, अरस्तू आदि यूनानी दार्शनिकों ने मनोविज्ञान को किस रूप में स्वीकार किया है?
उत्तर:
प्लेटो, अरस्तू आदि यूनानी दार्शनिकों ने मनोविज्ञान को आत्मा के दर्शन के रूप में स्वीकार किया है।

प्रश्न 2
वाटसन, वुडवर्थ, स्किनर आदि मनोवैज्ञानिकों ने मनोविज्ञान को किस रूप में स्वीकार किया
उत्तर:
वाटसन, वुडवर्थ, स्किनर आदि मनोवैज्ञानिकों ने मनोविज्ञान को व्यवहार के विज्ञान के रूप में स्वीकार किया है।

प्रश्न 3
‘शिक्षा मनोविज्ञान का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर:
‘शिक्षा मनोविज्ञान’ का शाब्दिक अर्थ है–शिक्षा सम्बन्धी मनोविज्ञान।

प्रश्न 4
‘शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन का दृष्टिकोण क्या है?
उत्तर:
शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन का दृष्टिकोण मनोवैज्ञानिक है।

प्रश्न 5
‘शिक्षा मनोविज्ञान’ की एक व्यवस्थित परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
“शिक्षा मनोविज्ञान मानवीय व्यवहार का शैक्षणिक परिस्थितियों में अध्ययन करता है। शिक्षा मनोविज्ञान का सम्बन्ध उंन मानवीय व्यवहारों और व्यक्तित्व के अध्ययन से है, जिनका उत्थान, विकास और निर्देशन शिक्षा की सामाजिक प्रक्रिया द्वारा होता है।”

प्रश्न 6
शिक्षा मनोविज्ञान किस विज्ञान की शाखा है?
उत्तर:
शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की शाखा है।

प्रश्न 7
कोई ऐसा कथन लिखिए जो शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान के महत्व को स्पष्ट करता हो।
उत्तर:
“मनोविज्ञान एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। बिना मनोविज्ञान की सहायता से हम शिक्षा की समस्याओं को हल नहीं कर सकते हैं।” जेम्स ड्रेक्ट

प्रश्न 8
शिक्षा मनोविज्ञान किस प्रकार का विज्ञान है?
उत्तर:
शिक्षा मनोविज्ञान व्यावहारिक एवं उपयोगी विधायक विज्ञान है।

प्रश्न 9
शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता के चार मुख्य बिन्दुओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. पाठ्यक्रम निर्धारण में उपयोगी,
  2. शिक्षा-विधियों के चुनाव में उपयोगी,
  3. अनुशासन स्थापित करने में उपयोगी तथा
  4. बालकों के व्यक्तित्व के विकास में सहायक।

प्रश्न 10
“मनोविज्ञान व्यवहार और अनुभव का विज्ञान है।” ऐसा किसने कहा है?
उत्तर:
एन० एल० मन ने।

प्रश्न 11
मनोविज्ञान की परिभाषाओं के विकासात्मक चरण बताइट।
उत्तर:
मनोविज्ञान को क्रमश:

  1. आत्मा के विज्ञान,
  2. मन के विज्ञान
  3. चेतना के विज्ञान तथा
  4. व्यवहार के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया गया।

प्रश्न 12
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति क्या है ?
उत्तर:
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक है।

प्रश्न 13
“शिक्षा मनोविज्ञान का व्यावहारिक पक्ष है।” यह कथन सत्य है या असत्य।
उत्तर:
सत्य है।

प्रश्न 14
“मनोविज्ञान के सिद्धान्तों का शैक्षिक परिस्थितियों में उपयोग ही शिक्षा है।” यह कथन सत्य है या असत्य।
उत्तर:
असत्य है।

प्रश्न 15
शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन की आत्मनिष्ठ विधि कौन-सी है ?
उत्तर:
शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन की आत्मनिष्ठ विधि हैअन्तर्दर्शन विधि।

प्रश्न 16
निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य

  1. शिक्षा मनोविज्ञान कोई स्वतन्त्र विषय नहीं है, यह तो मनोविज्ञान की एक शाखा मात्र है।
  2. शिक्षा मनोविज्ञान द्वारा पारिवारिक परिस्थितियों में व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
  3. शिक्षा मनोविज्ञान द्वारा शैक्षणिक परिस्थितियों में मानवीय व्यवहार का अध्ययन किया जाता
  4. शिक्षा तथा मनोविज्ञान का कोई पारस्परिक सम्बन्ध नहीं है।
  5. प्रत्येक शिक्षक के लिए बाल मनोविज्ञान का ज्ञान आवश्यक होता है।
  6. कक्षा-शिक्षण में मनोविज्ञान का ज्ञान अनावश्यक एवं व्यर्थ है।
  7. मनोविज्ञान के सिद्धान्तों का शैक्षिक परिस्थितियों में उपयोग ही शिक्षा है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. सत्य
  6. असत्य
  7. असत्य

बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों में दिये गए विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव कीजिए

प्रश्न 1.
मनोविज्ञान आत्मा का विज्ञान है।” यह कथन सम्बन्धित है
(क) पेस्टालॉजी से
(ख) टी० रेमाण्ट से
(ग) प्लेटो से
(घ) इनमें से किसी से नहीं ”

प्रश्न 2.
“बालक एक ऐसी पुस्तक के समान है, जिसे शिक्षक भली-भाँति पढ़ता है।” यह किसका कथन
(क) मैजिनी का
(ख) पेस्टालॉजी का
(ग) हरबर्ट का
(घ) रूसो का

प्रश्न 3.
“शिक्षा को मनोविज्ञान ने बाँध दिया है। मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों की उपयोगिता को जाँचने के लिए सबसे अच्छा स्थान विद्यालय है।” यह कथन है
(क) जॉन एडम्स का
(ख) फ्रॉबेल का
(ग) जॉन डीवी का
(घ) कमेनियस का

प्रश्न 4.
मनोविज्ञान के अनुसार, शिक्षा के क्षेत्र में मुख्य स्थान है
(क) बालक का
(ख) अध्यापक का
(ग) अभिभावक का
(घ) प्रशासक का

प्रश्न 5.
शिक्षा मनोविज्ञान
(क) आत्मा का विज्ञान है :
(ख) मन का विज्ञान है
(ग) चेतना का विज्ञान है
(घ) शैक्षिक विकास का क्रमिक अध्ययन है

प्रश्न 6.
शिक्षा को मनोवैज्ञानिक आधार की आवश्यकता है
(क) शिक्षा के राष्ट्रीयकरण के लिए
(ख) पाठ्य-पुस्तक लेखन के लिए
(ग) अनुशासनहीनता को दूर करने के लिए
(घ) बालक की योग्यताओं का पता लगाने के लिए

प्रश्न 7.
“शिक्षा मनोविज्ञान सीखने के ‘क्यों’ तथा ‘कब’ से सम्बन्धित है।” यह मत किसका है?
(क) बी० एन० झा का
(ख) क्रो एवं क्रो का
(ग) रायबर्न का
(घ) जॉन एडम्स का

प्रश्न 8.
“शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापकों के निर्माण की आधारशिला है।” यह किसका कथन है?
(क) चार्ल्स स्किनर का
(ख) कुप्पूस्वामी का
(ग) पेस्टालॉजी का
(घ) मॉण्टेसरी का

प्रश्न 9.
“मनोविज्ञान शिक्षा का आधारभूत विज्ञान है।” यह कथन है
(क) हरबर्ट को
(ख) जॉन डीवी को
(ग) स्किनर का
(घ) थॉर्नडाइक का

प्रश्न 10.
“शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक की शिक्षण-विधि का चुनाव करने में सहायता देने के लिए सीखने के अनेक सिद्धान्त प्रस्तुत करता है।” यह कथन किसका है?
(क) चार्ल्स स्किनर का
(ख) क्रो एवं क्रो का
(ग) द्रो का
(घ) बी० एन० झा का

प्रश्न 11.
शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत अध्ययन नहीं किया जाता
(क) शैक्षिक परिस्थितियों में व्यवहार का
(ख) मानसिक स्वास्थ्य का
(ग) औद्योगिक गतिविधियों का
(घ) सीखने की प्रक्रिया का

प्रश्न 12.
शिक्षा मनोविज्ञान का कार्य नहीं है
(क) बालक के स्वरूप का ज्ञान देना।
(ख) अधिगम और शिक्षण के लिए सिद्धान्तों और तकनीकों को प्रस्तुत करना
(ग) बच्चों की अभिवृद्धि और विकास का ज्ञान देना,
(घ) शिक्षा के उद्देश्यों को निश्चित करना

प्रश्न 13.
आधुनिक शिक्षा की प्रमुख मनोवैज्ञानिक विशेषता क्या है?
(क) बालकेन्द्रित शिक्षा
(ख) पुस्तकीय ज्ञान
(ग) पर्यावरण का ज्ञान
(घ) खेलों का महत्त्व

प्रश्न 14.
शिक्षा मनोविज्ञान की आत्मनिष्ठ विधि है
(क) प्रयोगात्मक विधि
(ख) प्रश्नावली विधि
(ग) अन्तर्दर्शन विधि
(घ) जीवन इतिहास विधि

प्रश्न 15.
शिक्षा मनोविज्ञान की लोकप्रिय विधि है
(क) परीक्षण विधि
(ख) सांख्यिकी विधि
(ग) तुलनात्मक विधि
(घ) प्रयोगात्मक विधि

प्रश्न 16.
मनोविज्ञान व्यवहार और अनुभव का विज्ञान है।” यह कथन है
(क) प्लेटो का
(ख) स्किनर को
(ग) थॉर्नडाइक का
(घ) क्रो एण्ड क्रो का

प्रश्न 17.
किसने ‘मनोविज्ञान को व्यवहार, के विज्ञान के रूप में स्वीकार नहीं किया ?
(क) वाटसन
(ख) वुडवर्थ
(ग) स्किनर
(घ) विलियम वुण्ड

प्रश्न 18.
“मनोविज्ञान मानव-प्रकृति का अध्ययन करता है।” यह परिभाषा है
(क) जेम्स की
(ख) स्किनर की
(ग) वाटसन की
(घ) बोरिंग की

प्रश्न 19.
“मनोविज्ञान व्यवहार का निश्चयात्मक विज्ञान है।” यह परिभाषा है
(क) स्किनर की
(ख) जेम्स की
(ग) वाटसन की
(घ) गैरेट की

प्रश्न 20.
शिक्षा-मनोविज्ञान किस दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है?
(क) शिक्षार्थी
(ख) शिक्षक एवं शिक्षा व्यवस्था
(ग) अधिगम परिस्थिति का
(घ) ये सभी

प्रश्न 21.
मनोविज्ञान के क्षेत्र के अन्तर्गत अचेतन मस्तिष्क की खोज का श्रेय किसको जाता है?
(क) ऑलपोर्ट को
ख) युंग को
(ग) वाटसन को
(घ) फ्रॉयड को

प्रश्न 22.
मनोविज्ञान के अनुसार शिक्षा होनी चाहिए
(क) बालकेन्द्रित
(ख) अध्यापककेन्द्रित
(ग) राज्यकेन्द्रित
(घ) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 23.
शिक्षा मनोविज्ञान का केन्द्रबिन्दु है
(क) शिक्षक
(ख) बालक
(ग) पाठ्यक्रम
(घ) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 24.
भारतीय मनोवैज्ञानिक हैं
(क) कुप्पूस्वामी
(ख) राधाकृष्णन
(ग) टरमैन
(घ) सी०वी० रमन

प्रश्न 25.
शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत अध्ययन किया जाता है
(क) अधिगमकर्ता का
(ख) अधिगम प्रक्रिया का
(ग) अधिगम परिस्थिति का
(घ) इन सभी का

प्रश्न 26.
“शैक्षिक परिस्थितियों के मनोवैज्ञानिक पहलुओं का अध्ययन शिक्षा-मनोविज्ञान है।” ऐसा किसने कहा है ?
(क) डॉ० एस०एस० माथुर ने
(ख) डब्ल्यू०जी० ट्रे ने
(ग) स्किनर ने
(घ) क्रो एण्ड क्रो ने

प्रश्न 27.
‘शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों में मानव व्यवहार काअध्ययन करता है”किसने कहा?
(क) क्रो एण्ड क्रो
(ख) टेलफोर्ड
(ग) कुप्पूस्वामी
(घ) स्किनर

प्रश्न 28.
बालक की शिक्षा को प्रभावकारी बनाने की दृष्टि से शिक्षा मनोविज्ञान बल देती है
(क) बालकों की व्यक्तिगत भिन्नताओं को समझना
(ख) सीखने की एक आनन्दप्रद क्रिया बनाना
(ग) स्कूल में पारिवारिक वातावरण बनाना
(घ) उपर्युक्त सभी

उत्तर:

  1. (ग) प्लेटो से
  2. (घ) रूसो का
  3. (क) जॉन एडम्स का
  4. (क) बालक का
  5. (घ) शैक्षिक विकास का क्रमिक अध्ययन है
  6. (घ) बालक की योग्यताओं का पता लगाने के लिए
  7. (ख) क्रो एवं क्रो का
  8. (क) चार्ल्स स्किनर का
  9. (ग)  थॉर्नडाइक का
  10. (क) चार्ल्स स्किनर का
  11. (ग) औद्योगिक गतिविधियों का
  12. (घ) शिक्षा के उद्देश्यों को निश्चित करना
  13. (क) बालकेन्द्रित शिक्षा
  14. (ग) अन्तर्दर्शन विधि
  15. (घ) प्रयोगात्मक विधि
  16. (ख) स्किनर का
  17. (घ) विलियम वुण्ड
  18. (घ) बोरिंग की
  19. वाटसन की
  20. (घ) ये सभी
  21. (घ) फ्रॉयड को
  22. (क) बालकेन्द्रित
  23. (ख) बालक
  24. (क) कुप्पूस्वामी
  25. (घ) इन सभी का
  26. (ख) डब्ल्यू०जी० ट्रे ने
  27. (घ) स्किनर
  28. (घ) उपर्युक्त सभी

We hope the UP Board Solutions for Class 11 Pedagogy Chapter 16 Meaning, Scope, Utility and Importance of Educational Psychology (शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, क्षेत्र, उपयोगिता एवं महत्त्व) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 Pedagogy Chapter 16 Meaning, Scope, Utility and Importance of Educational Psychology (शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, क्षेत्र, उपयोगिता एवं महत्त्व), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.