UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 3 औद्योगिक क्रान्ति एवं उसका प्रभाव (अनुभाग – एक)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 3 औद्योगिक क्रान्ति एवं उसका प्रभाव (अनुभाग – एक)

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
औद्योगिक क्रान्ति सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में ही क्यों आरम्भ हुई ? वहाँ के उद्योग-धन्धों पर इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर
औद्योगिक क्रान्ति सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में प्रारम्भ हुई, क्योंकि निम्नलिखित कारणों के अतिरिक्त इसके लिए वहाँ अन्य देशों से अधिक अनुकूल वातावरण था

  1. इंग्लैण्ड को अपने उपनिवेशों से कच्चा माल सरलता से मिलने लगा तथा तैयार माल वहाँ के बाजारों में खपने लगा।
  2. सरकार द्वारा उद्योगों को प्रोत्साहन दिया गया जिससे पूँजीपतियों ने नये-नये उद्योग प्रारम्भ किये।
  3. इंग्लैण्ड में लोहे व कोयले के अपार भण्डार थे।
  4. चकबन्दी के कारण छोटे किसान भूमिहीन होकर रोजगार की तलाश में नगरों में पहुंचने लगे थे।
  5. उपनिवेशों से नये उद्योगों के लिए सस्ता श्रम उपलब्ध था।
  6. जल परिवहन तथा नाविक शक्ति के विकास के कारण दूसरे देशों से व्यापार आसान हो गया था।
  7. इंग्लैण्ड में नये-नये वैज्ञानिक आविष्कार हुए जिन्होंने इस क्रान्ति को सफल बनाया।
  8. सत्रहवीं शताब्दी की क्रान्ति के फलस्वरूप इंग्लैण्ड में एक स्थायी सरकार की स्थापना हो चुकी थी। इस सरकार पर सामन्तों का कब्जा नहीं था। व्यापारी वर्ग के हाथ में अधिक राजनीतिक शक्ति आ गयी थी और सरकारी हस्तक्षेप का कोई खतरा नहीं था।

उद्योग-धन्धों पर प्रभाव
औद्योगिक क्रान्ति ने इंग्लैण्ड के उद्योग-धन्धों को निम्नलिखित रूप में प्रभावित किया
1. वस्त्र उद्योग का विकास – इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति का सर्वाधिक प्रभाव वहाँ के वस्त्र उद्योग पर पड़ा। क्रान्ति से पूर्व कपास एवं ऊन साधारण चरखों द्वारा काती जाती थीं, किन्तु 1738 ई० में ‘फ्लाइंग शटल के आविष्कार से बहुत कम समय में ही बहुत अधिक कपड़ा बुनकर तैयार होने लगा। सन् 1764 ई० में ‘स्पिनिंग जेनी’ नामक मशीन के आविष्कार से एक साथ आठ तकुए चलाये जाने लगे। सन् 1776 ई० में ‘वाटर फ्रेम’ नामक मशीन का आविष्कार किया गया जो जल द्वारा संचालित होती थी। बाद में ‘म्यूल’ नामक यन्त्र से बहुत बारीक, मजबूत और लम्बा सूत बनने लगा। ‘शक्तिचालित ” करघों’ को घोड़ों, जल या वाष्प शक्ति द्वारा चलाया जा सकता था। कुछ सुधारों के पश्चात् वाष्पचालित इंजन का प्रयोग आटे की चक्की, रेलगाड़ी, समुद्री जहाज आदि उद्योगों में होने लगा। विभिन्न मशीनों के प्रयोग से इंग्लैण्ड में वस्त्रों का उत्पादन बहुत अधिक बढ़ गया। वस्त्रों का निर्यात करके इंग्लैण्ड के उद्योगपतियों ने बहुत लाभ कमाया।

2. खनन व्यवसाय – भाप के इंजन के प्रयोग से खानों से पानी निकालना आसान हो गया। सन् 1815 ई० में हम्फ्रे डेवी ने सेफ्टी लैम्प का आविष्कार किया, जिससे खानों में सुरक्षा की व्यवस्था हुई। लोहे की भट्ठियों में लकड़ी के स्थान पर कोयले का प्रयोग होने लगा। इब्राहीम डर्बी ने धमन भट्टी का आविष्कार किया जिससे कोयले को कोक के रूप में प्रयोग किया जाने लगा। सन् 1784 ई० में हेनरी कार्ट ने लोहा साफ करने की विधि निकाली, जिससे लोहे से इस्पात बनाया जाने लगा।

3. मशीनी उद्योग का विकास – औद्योगिक क्रान्ति ने इंग्लैण्ड के मशीनी उद्योग को अत्यधिक प्रोत्साहित किया। विभिन्न आविष्कारों के फलस्वरूप लोहे से अनेक मशीनें, जलयान आदि बनाये जाने लगे। इंग्लैण्ड से बड़ी मात्रा में मशीनों का निर्यात प्रारम्भ हो गया। वस्तुत: परिवहन तथा संचार के साधनों के विकास से इंग्लैण्ड के उद्योग और वाणिज्य को बहुत बढ़ावा मिला।

प्रश्न 2.
औद्योगिक क्रान्ति के कारणों का वर्णन कीजिए। [2011, 12, 16, 17]
उत्तर
औद्योगिक क्रान्ति के कारण
औद्योगिक क्रान्ति का प्रारम्भ मुख्यतया निम्नलिखित कारणों से हुआ –

1. कोयले व लोहे की प्राप्ति – इंग्लैण्ड में लोहा तथा कोयली निकटवर्ती क्षेत्रों में उपलब्ध था जिससे मशीनों व उद्योगों का विकास सुगम हो गया। कोयले से लोहे को पिघलाकर मेशीनें तथा परिवहन के यन्त्र बनाये गये। संक्षेप में, लोहे और कोयले की खानों की निकटता ने पूँजीपतियों को कारखाने खोलने की प्रेरणा प्रदान की।

2. पूँजी की उपलब्धता – पूर्व के देशों के साथ व्यापार करके इंग्लैण्ड के व्यापारियों ने बड़ी मात्रा में धन कमाया था। वे अपनी पूँजी को व्यापार तथा उद्योग में लगाने के लिए उत्सुक थे। इस प्रकार नये-नये कारखानों की स्थापना के लिए पूँजी की कमी नहीं थी।

3. उपनिवेशों की स्थापना – इंग्लैण्ड, फ्रांस, स्पेन तथा हॉलैण्ड ने एशिया, अफ्रीका तथा दक्षिणी अमेरिका के अनेक देशों में अपने उपनिवेश स्थापित कर लिये थे। इन उपनिवेशों से कारखानों के लिए कच्चे माल की प्राप्ति हुई और पक्के माल की खपत के लिए अच्छे बाजार मिल गये। अधिकाधिक धन कमाने के उद्देश्य से इन देशों में नये-नये उद्योग-धन्धे खुलते गये। फिर उपनिवेशों तक पहुँचने के लिए यूरोप के देशों को आवागमन के साधनों का विकास करना पड़ा।

4. वस्तुओं की माँग में वृद्धि – यूरोप के देशों में मशीनों से बनी उत्तम तथा सस्ती वस्तुओं की माँग बहुत बढ़ गयी थी, किन्तु पुरानी उत्पादन-प्रणाली के अन्तर्गत उत्पादन की मात्रा को शीघ्रता से बढ़ाना सम्भव नहीं था। अतः वस्तुओं के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए बड़े-बड़े मशीनी-कारखानों की स्थापना की गयी। इससे औद्योगीकरण तेजी से हुआ।

5. सस्ते मजदूरों का मिलना – इंग्लैण्ड तथा यूरोप के अन्य देशों की कृषि-प्रणाली में अनेक परिवर्तन हो गये थे। कृषि-कार्य मशीनों से होने लगा था। चकबन्दी के कारण छोटे किसान भूमिहीन होकर रोजगार की तलाश में शहरों में जाने लगे जो थोड़ी मजदूरी पर काम करने को तत्पर थे। फलतः कारखानों के लिए पर्याप्त संख्या में सस्ते श्रमिक सुलभ हो गये और कारखानों में दिन-रात अधिक मात्रा में उत्पादन होने लगा।

6. परिवहन, सन्देश तथा शक्ति के साधनों का विकास – परिवहन के साधनों के विकास से औद्योगिक क्रान्ति को अत्यधिक बल मिला। भाप के इंजन की खोज से रेलों तथा जलयानों का विकास हुआ। अठारहवीं शताब्दी में सुदृढ़ एवं पक्की सड़कों का निर्माण आरम्भ हो गया, जिन्होंने बड़े-बड़े नगरों के बीच सम्पर्क स्थापित कर दिया। स्थल मार्गों के अतिरिक्त जलमार्गों को भी यातायात के लिए उपयोग में लाया जाने लगा। धीरे-धीरे हजारों मील लम्बी नहरों का निर्माण किया गया। परिवहन के विभिन्न साधनों के विकास से कच्चे माल, तैयार माल तथा मजदूरों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाना व ले जाना सुगम हो गया। सन्देशवाहन के साधनों का विकास होने से व्यापार का विकास तथा विस्तार हुआ। मशीनों को चलाने के लिए शक्ति के साधन खोज निकाले गये।

7. वैज्ञानिक प्रगति – यूरोप में पुनर्जागरण तथा धर्म-सुधार आन्दोलन के साथ बौद्धिक विकास का युग प्रारम्भ हो गया। नये-नये आविष्कार तथा खोज कार्य होने लगे। नयी मशीनों, वैज्ञानिक विधियों तथा सुधरी हुई तकनीक ने उद्योग, कृषि, परिवहन तथा व्यापार के क्षेत्र में क्रान्ति उत्पन्न कर दी।

प्रश्न 3.
औद्योगिक क्रान्ति के प्रमुख आविष्कारों का वर्णन कीजिए।
या
“औद्योगिक क्रान्ति एक मिश्रित वरदान सिद्ध हुई।” इसकी व्याख्या कीजिए। औद्योगिक क्रान्ति के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
या
औद्योगिक क्रान्ति के अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रों में हुए आविष्कारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर
औद्योगिक क्रान्ति ने कृषि, उद्योग, खनन, यातायात तथा संचार के क्षेत्रों में अनेक आविष्कार प्रदान किये। इनका संक्षिप्त विवरण अग्रवत् है –

  1. कृषि में – कृषि में काम आने वाले नये औजार; जैसे—इस्पात का हल, हेंगी (हैरो), बीज बोने के लिए ड्रिलिंग मशीन, फसल काटने आदि के लिए मशीनों का आविष्कार किया गया।
  2. उद्योग में – वस्त्र उद्योग में स्पिनिंग जेनी, फ्लाइंग शटल, वाटर फ्रेम, स्पिनिंग म्यूल, पावरलूम आदि मशीनों का आविष्कार किया गया।
  3. कोयला खनन में – सेफ्टी लैम्प के आविष्कार से कोयला खानों में आग लगने का भय समाप्त हो गया।
  4. लोहा उद्योग में – इब्राहीम डर्बी ने लोहे को पिघलाने तथा साफ करने के लिए पत्थर के कोयले का प्रयोग शुरू किया। हेनरी कोर्ट ने लोहे को ढालने तथा चादरें बनाने की विधि खोज निकाली।
  5. यातायात तथा संचार में – मैकादम ने पक्की सड़कें बनाने की विधि की खोज की। जॉर्ज स्टीवेन्सन ने 1814 ई० में भाप के इंजन का आविष्कार किया। सन् 1837 ई० में तार और 1876 ई० में टेलीफोन के आविष्कार से संचार के साधनों में क्रान्ति पैदा हो गयी।

औद्योगिक क्रान्ति एक मिश्रित वरदान
इस बात में कोई सन्देह नहीं है कि औद्योगिक क्रान्ति कुछ क्षेत्रों में बड़ी लाभकारी सिद्ध हुई और कुछ में बड़ी हानिकारक। वास्तव में यह क्रान्ति एक मिश्रित वरदान सिद्ध हुई। इसके कुछ लाभदायक और हानिकारक प्रभावों का वर्णन निम्नवत् है –
लाभदायक प्रभाव

  1. संसार की बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए जीवन की आवश्यक वस्तुएँ मशीनों द्वारा पूरी की जा सकती हैं।
  2. लोगों को भोजन, कपड़ा और मकान की सुविधा भी मशीनों द्वारा ही मिली है।
  3. मशीनों के प्रयोग से भारी कामों को सरलतापूर्वक किया जा सकता है।
  4. मशीनों के प्रयोग से समय की बचत होती है। उस समय को कला और साहित्य के विकास में लगाया जा सकता है।
  5. मशीनों के प्रयोग ने मानव-जीवन को सरल तथा सुखमय बना दिया है।
  6. औद्योगिक क्रान्ति के कारण यातायात, संचार के साधनों और व्यापार में तेजी से विकास हुआ। इससे दूरियाँ मिट गयी हैं और संसार के सभी देश एक-दूसरे के निकट आ गये हैं।

हानिकारक प्रभाव

  1. औद्योगिक क्रान्ति के कारण ग्रामीण जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। लोग गाँव छोड़कर शहर की ओर भागने लगे।
  2. औद्योगिक क्रान्ति से समाज दो वर्गों-पूँजीपति और श्रमिक-में विभक्त हो गया।
  3. औद्योगिक क्रान्ति से मजदूरों का जीवन कष्टमय हो गया। वे मलिन बस्तियों में रहने लगे जहाँ दूषित पर्यावरण के कारण वे बीमारी का शिकार होने लगे।
  4. उद्योगपतियों ने कम वेतन पर स्त्रियों तथा बच्चों को रोजगार देकर उनका शोषण किया।
  5. औद्योगिक क्रान्ति ने नगरों के पर्यावरण को प्रदूषित किया।
  6. औद्योगिक क्रान्ति ने साम्राज्यवाद को बढ़ावा दिया जिसके भयंकर दुष्परिणाम उपनिवेशों की स्थापना । के रूप में सामने आये।

प्रश्न 4.
औद्योगिक क्रान्ति से क्या अभिप्राय है? आर्थिक व सामाजिक जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
या
यूरोप के सामाजिक एवं आर्थिक जीवन पर औद्योगिक क्रान्ति का क्या प्रभाव पड़ा ? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए उदाहरण भी दीजिए। (2013)
या
औद्योगिक क्रान्ति से आपका क्या आशय है ? इसका प्रारम्भ इंग्लैण्ड में ही क्यों हुआ? इस क्रान्ति का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा ? किन्हीं तीन का उल्लेख कीजिए। (2015)
या
इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के विकास पर निबन्ध लिखिए। (2015)
या
कपड़ा उद्योग तथा यातायात के क्षेत्र में क्रान्ति लाने में सहायक आविष्कारों का वर्णन कीजिए। उनका सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा? किन्हीं दो प्रभावों का उल्लेख कीजिए। [2017]
उत्तर
अठारहवीं शताब्दी में औद्योगिक क्षेत्र में थोड़े-से समय में ही उत्पादन की तकनीक में जो आमूल परिवर्तन हुए उन्हें ही ‘औद्योगिक क्रान्ति’ की संज्ञा दी जाती है। औद्योगिक क्रान्ति सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में प्रारम्भ हुई थी, क्योंकि इंग्लैण्ड में लोहे व कोयले के अपार भण्डार थे। औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप पशु तथा मानवीय श्रम के स्थान पर मशीनों तथा भाप-शक्ति का प्रयोग प्रारम्भ हो गया। कुटीर तथा लघु उद्योगों के स्थान पर बड़े कारखानों की स्थापना होने लगी जिससे उत्पादन के साधनों पर पूँजीपतियों का अधिकार हो गया। संक्षेप में, औद्योगिक क्रान्ति ने एक ऐसी अर्थव्यवस्था को जन्म दिया जिससे उत्पादन, परिवहन, संचार आदि के नवीन साधनों का अभ्युदय हुआ।
औद्योगिक क्रान्ति के आविष्कार
इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रों में अनेक आविष्कार हुए; यथा –

1. वस्त्र उद्योग – 1733 ई० में जॉन के ने तेज चलने वाली एक फ्लाइंग शटल का आविष्कार किया। इसके द्वारा पहले की अपेक्षा दुगनी चौड़ाई में कपड़ा पहले से कम समय में बुना जाने लगा। 1766 ई० में जेम्स हरग्रीब्ज़ ने सूत कातने की एक ऐसी मशीन बनाई जिसमें एक साथ आठ तकुए बारीक सूत कातते थे। इसी समय आर्कराइट ने एक मशीन बनाई, जो पानी से चलती थी और बारीक सूत कातती थी। हरग्रीब्स की मशीन को ‘स्पिनिंग जैनी’ तथा आर्कराइट की मशीन को ‘वाटर फ्रेम’ नाम दिया गया। 1776 ई० में क्राम्पटन ने ‘म्यूल’ नामक मशीन का आविष्कार किया। इस मशीन में स्पिनिंग जैनी तथा वाटर फ्रेम दोनों के गुण विद्यमान थे। 1785 ई० में कार्टराइट ने भाप की शक्ति से चलने वाली ‘पावरलूम’ नामक मशीन का आविष्कार किया। इसके अतिरिक्त ऊन साफ करने, रूई की पूनी बनाने, कपड़ों से सफेदी लाने तथा राँगने की मशीनें भी बनाई गईं। 1846 ई० में एलिहास हो ने सिलाई की मशीन का आविष्कार किया। इन मशीनों के आविष्कार के फलस्वरूप वस्त्र उद्योग में एक क्रान्ति आ गई और इंग्लैण्ड के कल-कारखानों में बड़े पैमाने पर वस्त्रों का उत्पादन होने लगा।

2. परिवहन – परिवहन के क्षेत्र में सर्वप्रथम मैकडम ने पक्की सड़कें बनाने की विधि निकाली। ब्रिटूले नामक इंजीनियर ने 1761 ई० में मानचेस्टर से बर्सले तक एक नहर का निर्माण किया। जेम्सवाट के बाद 1814 ई० में जॉर्ज स्टीफेन्सन ने ऐसा इंजन बनाया जो लोहे की पटरियों पर चलता था। 1825 ई० में स्टाकटन से डालिंगटन के बीच पहली रेलगाड़ी चलाई गई। 1820 ई० में स्टीफेन्सन ने रॉकेट इंजन बनाया जो 55 किलोमीटर प्रति घण्टे की गति से चल सकता था। 1808 ई० में समुद्री जहाजों का निर्माण हुआ। उन्नीसवीं शताब्दी में मोटरगाड़ियाँ और हवाई जहाज पेट्रोल तथा डीजल की सहायता से चलने लगे।

औद्योगिक क्रान्ति का सामाजिक जीवन पर प्रभाव
औद्योगिक क्रान्ति के सामाजिक जीवन पर मुख्यतया निम्नलिखित प्रभाव पड़े –

1. नगरों का विकास – औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप नये-नये नगरों की स्थापना हुई तथा पुराने नगरों का विकास हुआ। उद्योगों की स्थापना के कारण नगरों में जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी, जिससे वहाँ अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गयीं। नगरों में एक ओर तो दैनिक जनजीवन में हलचलें बढ़ गयीं, जबकि दूसरी ओर जन-सुविधाओं का अभाव हो गया तथा शहरों में प्रदूषण बढ़ने लगा।

2. नये वर्गों का उदय तथा परस्पर संघर्ष – औद्योगिक क्रान्ति के कारण समाज पूँजीपति और श्रमिक इन दो वर्गों में बँट गया। पूँजीपति श्रमिकों से अधिक काम लेते थे और उन्हें कम मजदूरी देकर उनका शोषण करते थे। फलस्वरूप दोनों वर्गों में संघर्ष प्रारम्भ हो गया। इस वर्ग-संघर्ष के कारण हड़ताल तथा तालाबन्दी की घटनाएँ होने लगीं।

3. श्रमिकों की दयनीय दशा – औद्योगिक पूँजीवाद के साथ श्रमिकों का शोषण प्रारम्भ हो गया। मजदूरों को कम मजदूरी पर अस्वस्थ वातावरण में 18 घण्टे तक काम करना पड़ता था। मजदूरों के जीवन तथा जीविका की सुरक्षा का कोई प्रबन्ध नहीं था। उनके बीमार अथवा दुर्घटनाग्रस्त होने पर मालिक उन्हें काम से हटा देते थे।

4. स्त्रियों और बच्चों का शोषण – अधिकाधिक लाभ कमाने के लालच में मालिकों ने स्त्रियों और बच्चों को भी काम पर लगा लिया, किन्तु पुरुषों की अपेक्षा इनको कम मजदूरी दी जाती थी। बच्चों के नींद के झोंके में मशीन में फंसकर कट जाने की घटनाएँ होती रहती थीं तथा चिमनी साफ करने के लिए बच्चों को ब्रश की तरह प्रयोग किया जाता था। बाद में कुछ सरकारों ने स्त्रियों और बच्चों से कारखानों में काम लेने पर रोक लगा दी।

5. मलिन बस्तियों में वृद्धि – औद्योगिक नगरों में कारखानों के पास योजनारहित श्रम बस्तियों का निर्माण होता गया। ऐसी बस्तियों में बेढंगे मकान बनते गये जिनमें जल-निकास तथा सफाई की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। इसके फलस्वरूप ये बस्तियाँ बीमारी और गन्दगी के केन्द्र बन गयीं।

6. नैतिक मूल्यों का पतन – गाँवों से आने वाले श्रमिकों को नगरों में एकाकी जीवन बिताने के लिए बाध्य होना पड़ा, जिससे पारिवारिक विघटन प्रारम्भ हो गया। मजदूर मनोरंजन तथा विनोद के अभाव | में मदिरा, जुआ, वेश्यागमन तथा अश्लील साहित्य के शिकार हो गये।

औद्योगिक क्रान्ति का आर्थिक जीवन पर प्रभाव
औद्योगिक क्रान्ति के आर्थिक जीवन पर मुख्यतया निम्नलिखित प्रभाव पड़े –

1. उत्पादन में वृद्धि – औद्योगिक क्रान्ति के कारण बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना हुई जिनमें बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा कम लागत पर विभिन्न वस्तुओं का विशाल स्तर पर उत्पादन किया जाने लगा।

2. पूँजीवाद का विकास – उत्पादन में निरन्तर वृद्धि के कारण उद्योगपतियों के लाभ बढ़ते गये। उनके पास विशाल मात्रा में पूँजी इकट्ठी होती गयी जिससे वे नये-नये कारखाने खोलते गये। फलस्वरूप पूँजीवाद का विस्तार होता गया।

3. जीवन-स्तर में वृद्धि – एक ओर, उत्पादन में वृद्धि से समाज में आजीविका के नये स्रोत खुल गये जिससे श्रमिकों की आय में वृद्धि हुई। दूसरी ओर, श्रमिकों को उपभोग के लिए नाना प्रकार की वस्तुएँ मिलने लगीं। फलतः श्रमिकों के जीवन-स्तर में सुधार होता गया।

4. कृषि को विकास – औद्योगिक क्रान्ति के कारण कृषि-यन्त्रों, कृषि की तकनीक तथा विधियों में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए जिससे कृषि-उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई। फलस्वरूप कृषकों की दशा में सुधार हुआ।

5. परिवहन के साधनों का विकास – औद्योगिक क्रान्ति के कारण रेल, सड़क तथा जल-परिवहन के साधनों का बहुत अधिक विकास हुआ। फलस्वरूप उद्योग, वाणिज्य तथा व्यापार का बहुत अधिक विकास तथा विस्तार हुआ।

6. आय का असमान वितरण – औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप पूँजी थोड़े व्यक्तियों के हाथ में संचित होने लगी, क्योंकि कारखानों के लाभ से मिल-मालिक और अधिक धनी होते गये। विशाल धन अर्जित करने के कारण उनका जीवन विलासितापूर्ण होता गया। दूसरी ओर असंख्य मजदूर थे जो कम मजदूरी मिलने के कारण गरीबी का जीवन व्यतीत कर रहे थे। इसके अतिरिक्त, बड़े उद्योगों के सामने छोटे उद्योगों का महत्त्व घटने लगा, जिस कारण छोटे व्यवसायियों की स्थिति भी दिन-प्रतिदिन गिरने लगी।

7. समाजवाद का उदय – सम्पूर्ण विश्व में समाजवादी विचारधारा का उदय औद्योगिक क्रान्ति के कारण ही हुआ। समाजवादियों का मत था कि समस्त कारखानों, भूमि तथा अन्य साधनों पर राज्य या समस्त जनसंख्या का आधिपत्य होना चाहिए। पूँजीवाद ने समाज को दो वर्गों में विभक्त कर दिया-धनी पूँजीपति तथा निर्धन श्रमिक मिल-मालिकों द्वारा शोषण के कारण श्रमिकों में असन्तोष फैलता गया। श्रमिकों में यह भावना बलवती हो गयी कि उनके जीवन में परिवर्तन के लिए समाजवादी व्यवस्था आवश्यक है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
औद्योगिक क्रान्ति के दो प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए। [2012]
या
औद्योगिक क्रान्ति का अर्थ स्पष्ट करते हुए किन्हीं दो कारणों को लिखिए जिनसे इंग्लैण्ड में इसका सर्वप्रथम विस्तार हुआ। (2013)
या
यूरोप में औद्योगिक क्रान्ति के दो कारण कौन-से थे? (2015)
उतर
अठारहवीं शताब्दी में औद्योगिक क्षेत्र में थोड़े-से समय में ही उत्पादन की तकनीक में जो आमूल परिवर्तन हुए उन्हें ही ‘औद्योगिक क्रान्ति’ की संज्ञा दी जाती है।
औधोगिक क्रान्ति के दो प्रमुख कारण निम्नलिखित है –

1. वैज्ञानिक प्रगति – युरोप में पुनर्जागरण तथा धर्म-सुधार आन्दोलन के साथ बौद्धिक विकास को युग प्रारम्भ हो गया। नये-नये आविष्कार तथा खोज-कार्य होने लगे। नयी मशीनों, वैज्ञानिक विधियों तथा | सुधरी हुई तकनीक ने उद्योग, कृषि, परिवहन तथा व्यापार के क्षेत्र में क्रान्ति ला दी।

2. कृषि क्रान्ति – 18वीं शताब्दी के प्रारम्भ में इंग्लैण्ड में एक प्रकार से कृषि क्रान्ति’ हो गयी थी। जिसके कारण उत्पादन में तेजी से वृद्धि होने लगी। नस्ल सुधार से पशुधन में भी वृद्धि हुई जिसने खेती के साथ-साथ भोजन की भी स्थिति सुधार दी। इंग्लैण्ड थोड़े ही दिनों में अपेक्षतया कम जमीन उपलब्ध होने पर भी कृषि में यूरोप के अन्य देशों में अग्रणी हो गया। इन कृषिगत परिवर्तनों ने औद्योगिक क्रान्ति की पृष्ठभूमि तैयार करने में मदद की। इंग्लैण्ड में ही सर्वप्रथम खेतों की घेराबन्दी-प्रथा शुरू हुई जिसे वर्तमान में खेतों की चकबन्दी कहा जाता है।

प्रश्न 2.
सूत कातने के विकास में कौन-कौन से यन्त्र सहायक सिद्ध हुए ?
या
इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप वस्त्र उद्योग में कौन-कौन से आविष्कार हुए ?
उत्तर
औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप इंग्लैण्ड में वस्त्र उद्योग में सहायक निम्नलिखित आविष्कार हुए –

  1. स्पिनिंग जेनी – जेम्स हरग्रीव्ज़ ने 1764 ई० में ‘स्पिनिंग जेनी’ का आविष्कार किया, जिससे सूत तेजी से काता जाने लगा।
  2. फ्लाइंग शटल – जॉन के ने ‘फ्लाइंग शटल’ का आविष्कार किया, जिससे कपड़ा तेजी से बनाया जाने लगा।
  3. वाटर फ्रेम – ऑर्कराइट ने 1769 ई० में हरग्रीव्ज़ के चरखे में कुछ ऐसे परिवर्तन किये कि वह वाष्प की शक्ति से चलाया जाने लगा। इस नये चरखे को उसने ‘वाटर फ्रेम’ का नाम दिया।
  4. स्पिनिंग म्यूल – क्रॉम्पटन ने 1776 ई० में एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया जिसमें हरग्रीव्ज और ऑर्कराइट दोनों के आविष्कारों के गुण विद्यमान थे। अब सूत तेजी से और बारीक काता जाने लगा। इस नयी मशीन को ‘म्यूल’ कहते थे।
  5. पावरलूम – कॉर्टराइट ने 1785 ई० में ‘पावरलूम’ का आविष्कार किया, जिसमें वाष्प-शक्ति द्वारा सूत काता जाने लगा और कपड़ा बुना जाने लगा।
  6. जिन – एली ह्विटनी नाम के एक अमेरिकी ने 1793 ई० में कपास से बिनौले अलग करने की मशीन का आविष्कार किया। यह मशीन हाथ की तुलना में कई गुना अधिक रुई तैयार कर सकती थी।

प्रश्न 3.
औद्योगिक क्रान्ति का नगरों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर
औद्योगिक क्रान्ति से पूर्व संसार की अधिकांश जनता गाँवों में रहती थी तथा कृषि पर निर्भर थी। लोगों की प्रायः सभी आवश्यकताएँ गाँवों में ही पूरी हो जाती थीं, किन्तु औद्योगिक विकास तथा क्रान्ति ने। स्थितियों को पूरी तरह बदल डाला। इससे नगरों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े –

  1. नगर अब आर्थिक जीवन के केन्द्र बन गये। अधिकतर नगर औद्योगिक नगरों के रूप में विकसित हुए।
  2. ये नगर धीरे-धीरे सघन आबादी के केन्द्र बन गये। इन नगरों में कारखानों की संख्या के साथ-साथ मजदूरों और उनकी बस्तियों की भी संख्या में वृद्धि होने लगी।
  3. नगरों में जनसंख्या के जमघट के कारण मकान, सफाई व स्वास्थ्य की समस्याएँ पैदा होने लगीं।
  4. धुएँ तथा गन्दगी के कारण नगरों का पर्यावरण प्रदूषित होने लगा।
  5. औद्योगीकरण की गति तेज होने से नगरीय जीवन की स्थितियों में गिरावट आयी। शहरी सभ्यता से लोगों का जीवन तनावपूर्ण होने लगा व नैतिकता और सामाजिकता के बन्धन टूटने लगे।

प्रश्न 4.
औद्योगिक क्रान्ति से श्रमिकों की स्थिति पर क्या प्रभाव पड़े ?
उत्तर
औद्योगिक क्रान्ति से श्रमिकों की स्थिति पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े –

  1. औद्योगिक क्रान्ति के कारण समाज पूँजीपति तथा श्रमिक इन दो वर्गों में बँट गया। पूँजीपति श्रमिकों से अधिक काम लेते थे, किन्तु उन्हें कम मजदूरी देते थे।
  2. मजदूरों को कम मजदूरी पर अस्वस्थ होने की स्थिति में भी 14 से 16 घण्टे काम करना पड़ता था। उनके बीमार या दुर्घटनाग्रस्त होने पर मालिक उन्हें काम से भी हटा देते थे।
  3. पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों को बहुत कम मजदूरी दी जाने लगी। बच्चों के अधिक कार्य करते रहने के कारण नींद के झोंके में मशीन में फंसकर कट जाने की घटनाएँ होती रहती थीं।
  4. गाँवों से आने वाले श्रमिकों को नगरों में एकाकी जीवन बिताने के लिए बाध्य होना पड़ा। जिससे पारिवारिक विघटन प्रारम्भ हो गया और वे मनोरंजन के अभाव में जुआ, मदिरा तथा अश्लीलता के शिकार हो गये।
  5. श्रम अधिक तथा मजदूरी कम होने के कारण मजदूरों को भरपेट भोजन उपलब्ध नहीं हो पाता था। इसीलिए वे भुखमरी तथा कुपोषण के शिकार हो गये। उपर्युक्त तथ्यों के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात् श्रमिकों की दशा बद-से-बदतर होती चली गयी।

अतिलघु उत्तरीय प्रत

प्रश्न 1.
औद्योगिक क्रान्ति कब हुई ?
उत्तर
औद्योगिक क्रान्ति अठारहवीं शताब्दी में हुई।

प्रश्न 2.
औद्योगिक क्रान्ति सर्वप्रथम किस देश में हुई ? कोई एक कारण लिखिए। [2011]
या
औद्योगिक क्रान्ति का प्रारम्भ क्यों और किस देश से हुआ ? [2013]
उत्तर
औद्योगिक क्रान्ति सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में प्रारम्भ हुई थी, क्योंकि इंग्लैण्ड में लोहे व कोयले के अपार भण्डार थे।

प्रश्न 3.
फ्लाइंग शटल का आविष्कार कब और किसने किया ?
उत्तर
फ्लाइंग शटल का आविष्कार 1738 ई० में जॉन के नामक अंग्रेज ने किया था।

प्रश्न 4.
जेम्स वाट क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर
जेम्स वाट इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि उसने 1769 ई० में भाप-शक्ति से चलने वाला इंजन बनाया था।

प्रश्न 5.
जॉर्ज स्टीवेन्सन का आविष्कार क्या था और वह कब हुआ ?
या
रेल इंजन का आविष्कारक कौन था ? [2015]
उत्तर
जॉर्ज स्टीवेन्सन ने 1814 ई० में रेल के इंजन का आविष्कार किया।

प्रश्न 6.
सेफ्टी लैम्प किसने बनाया और कब ?
उत्तर
सेफ्टी लैम्प का आविष्कार हम्फ्रे डेवी ने 1815 ई० में किया।

प्रश्न 7.
स्पिनिंग जैनी का आविष्कार किसने किया था ?
उत्तर
स्पिनिंग जैनी का आविष्कार जेम्स हरग्रीव्ज ने किया था।

प्रश्न 8.
कपास ओटने की मशीन का आविष्कार किसने किया था ?
उत्तर
कपास ओटने की मशीन का आविष्कार एली ह्विटने ने किया था।

प्रश्न 9.
आर्कराइट ने किस यन्त्र का आविष्कार किया था ?
उत्तर
आर्कराइट ने वाटर फ्रेम नामक यन्त्र का आविष्कार किया था।

प्रश्न 10.
पावरलूम का आविष्कार किसने किया ?
उत्तर
पावरलूम का आविष्कार एडमण्ड कॉर्टराइट ने किया।

प्रश्न 11.
औद्योगिक क्रान्ति के मध्य हुए तीन आविष्कारों का उल्लेख कीजिए। [2016]
उत्तर.
औद्योगिक क्रान्ति के मध्य ड्रिलिंग मशीन, सेफ्टी लैम्प व टेलीफोन का आविष्कार हुआ।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. औद्योगिक क्रान्ति का आरम्भ किस देश में हुआ था? [2012, 14]

(क) जर्मनी में
(ख) फ्रांस में
(ग) इंग्लैण्ड में
(घ) स्पेन में

2. लोहा साफ करने की विधि किसने निकाली थी?

(क) हेनरी कोर्ट ने
(ख) इब्राहीम डर्बी ने
(ग) ह्विटने ने
(घ) ओपन हर्थ ने

3. अनाज को भूसे से अलग करने वाली मशीन का आविष्कारक था –

(क) हिटने
(ख) टॉमस कोक
(ग) हेनरी कोर्ट
(घ) इब्राहीम डर्बी

4. पक्की सड़क बनाने का अनुसन्धान किया –

(क) टॉमस टेलफोर्ड ने
(ख) जॉन मैकादम ने
(ग) ह्विटने ने
(घ) हेनरी कोर्ट ने

5. सर्वप्रथम सूत कातने के यन्त्र का आविष्कार किया

(क) आर्कराइट ने
(ख) हरग्रीव्ज ने
(ग) ह्विटने ने।
(घ) टॉमस कोक ने

6. इंग्लैण्ड में लोकोमोटिव रॉकेट नामक वाष्प-चालित इंजन का आविष्कार किया था –

(क) रिचर्ड ट्रेविथिक ने
(ख) जेम्स वाट ने
(ग) जॉर्ज स्टीवेन्सन ने
(घ) टॉमस कोक ने

7. औद्योगिक क्रान्ति के लिए उत्तरदायी कारण नहीं है

(क) मशीनों का प्रयोग
(ख) कृषि का विकास
(ग) वैज्ञानिक आविष्कार
(घ) लघु उद्योगों का विनाश

8. औद्योगिकीकरण का राजनीतिक प्रभाव था

(क) इंग्लैण्ड में आन्दोलन
(ख) उपनिवेशों की स्थापना
(ग) वर्ग-संघर्ष
(घ) भौतिकवाद का उदय

9. स्पिनिंग जैनी का आविष्कारक था–

(क) क्रॉम्पटन
(ख) आर्कराइट
(ग) हरग्रीव्ज
(घ) जॉन के

10. हम्फ्रे डेवी का आविष्कार था

(क) पेट्रोमेक्स
(ख) टॉर्च
(ग) सेफ्टी लैम्प
(घ) विद्युत बल्ब

11. स्टीम इंजन के आविष्कारकर्ता थे [2014]

(क) ह्विटने
(ख) कार्टराइट
(ग) जॉन के
(घ) जेम्सवाट

12. सिलाई मशीन का आविष्कारक था [2015]

(क) न्यूटन
(ख) गैलीलियो
(ग) एलिहास हो
(घ) जेम्सवाट

13. इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति प्रारम्भ हुई थी [2016]

(क) 17वीं शताब्दी में
(ख) 18वीं शताब्दी में
(ग) 19वीं शताब्दी में
(घ) 20वीं शताब्दी में

उत्तरमाला

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