UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 2 आय, व्यय और बचत
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पारिवारिक आय से आप क्या समझती हैं? पारिवारिक आय के मुख्य स्रोतों को भी स्पष्ट कीजिए। या । पारिवारिक आय को अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा पारिवारिक आय के प्रकारों एवं मुख्य स्रोतों
का उल्लेख कीजिए। प्रत्यक्ष आय तथा अप्रत्यक्ष आय से क्या तात्पर्य है? [2011, 12, 13]
उत्तर:
पारिवारिक आय का अर्थ एवं परिभाषा
परिवार हमारी विविध आवश्यकताओं की पूर्ति का केन्द्र होता है।
प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति के लिए धन की आवश्यकता होती है तथा धन के लिए आय का होना अनिवार्य है।
आय एक निश्चित अवधि में अर्जित की गई वह राशि है जो आर्थिक प्रयासों के फलस्वरूप प्राप्त होती है तथा जिसमें कुछ अन्य सुविधाएँ भी सम्मिलित होती हैं। इस प्रकार की मुख्य सुविधाएँ हैं-बिना किराए की आवास-सुविधा, नि:शुल्क शिक्षा, वाहन एवं ड्राइवर की सुविधा तथा नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा। । पारिवारिक आय को प्रो० ग्रास और क्रैन्डल ने इन शब्दों में परिभाषित किया है, “पारिवारिक आय मुद्रा, वस्तुओं, सेवाओं तथा सन्तोष का वह प्रवाह है जो परिवार के अधिकार में उसकी आबश्यकताओं और इच्छाओं को पूर्ण करने एवं उत्तरदायित्वों के निर्वाह हेतु आता है।”
प्रस्तुत परिभाषा को ध्यान में रखते हुए पारिवारिक आय का विस्तृत स्पष्टीकरण प्राप्त किया जा सकता है। परिवार की आय में मुख्य रूप से परिवार के प्रधान सदस्य द्वारा अर्जित किया जाने वाला धन सम्मिलित होता है, परन्तु उसके अतिरिक्त यदि घर के अन्य व्यक्ति भी किन्हीं साधनों से धन अर्जित करते हैं तो उसे भी पारिवारिक आय में सम्मिलित कर लिया जाता है। इसके अतिरिक्त परिवार की अपनी चल या अचल सम्पत्ति के माध्यम से भी यदि कुछ धन (मकान या दुकान का किराया, जमा धन पर ब्याज आदि) प्राप्त होता है तो उसे भी परिवार की आय में ही जोड़ा जाता है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि आय केवल धनराशि के रूप में ही नहीं होती, अपितु परिवार को प्राप्त होने वाली विशेष सुविधाएँ भी पारिवारिक आय के अन्तर्गत ही आ जाती हैं। उदाहरण के लिए परिवार को प्राप्त निःशुल्क आवास, नि:शुल्क शिक्षा तथा नि:शुल्क चिकित्सा आदि सुविधाएँ भी आय का ही रूप मानी जाती हैं।
पारिवारिक आय के प्रकार
पारिवारिक आय के दो प्रकार माने जाते हैं, जिनका संक्षिप्त परिचय निम्नवर्णित है
(1) प्रत्यक्ष आय-पारिवारिक आय का मुख्य रूप या प्रकार प्रत्यक्ष आय (Direct income) है। प्रत्यक्ष आय उस आय को कहा जाता है, जो परिवार के मुखिया तथा अन्य सदस्यों को उनके अपने-अपने व्यवसायों के माध्यम से प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए–वेतन या व्यापार से प्राप्त होने वाली आय। इसके अतिरिक्त धन के विनियोग अर्थात् ब्याज तथा आवास या दुकान आदि का मिलने वाला किराया भी इसी प्रकार की आय में ही सम्मिलित होता है।
(2) अप्रत्यक्ष आय-पारिवारिक आय का दूसरा प्रकार या रूप है ‘अप्रत्यक्ष आय (Indirect income)। अप्रत्यक्ष पारिवारिक आय से आशय उन सुविधाओं से है जो वेतन आदि के अतिरिक्त उपलब्ध होती हैं। अप्रत्यक्ष आय धन के रूप में नहीं होती। उदाहरण के लिए कम्पनी की ओर से बिना किराये का मकान या फर्नीचर मिलना, ड्राइवर या नौकर मिलना, आने-जाने के लिए वाहन की आय, व्यय और बचत 21 सुविधा, बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा आदि अप्रत्यक्ष आय की श्रेणी में आते हैं। कुछ परिस्थितियों में अप्रत्यक्ष आय को अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस आय पर किसी प्रकार का आयकर नहीं देना पड़ता।
पारिवारिक आय के मुख्य स्रोत
भिन्न-भिन्न परिवारों की आय के स्रोत भी भिन्न-भिन्न होते हैं। भारतीय समाज में पारिवारिक आये के कुछ मुख्य स्रोत निम्नलिखित हो सकते हैं
(1) परिवार के मुखिया तथा अन्य सदस्यों को प्राप्त होने वाला वेतन। यह वेतन किसी सरकारी अथवा गैर-सरकारी कार्यालय या संस्थान में कार्य करने के बदले में प्राप्त होता है। हमारे देश में सामान्य रूप से मासिक वेतन का प्रचलन है।
(2) पारिवारिक आय का एक स्रोत दैनिक मजदूरी भी है। कार्य या श्रम करने के बदले में प्रतिदिन मिलने वाले धन या आय को दैनिक मजदूरी कहा जाता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत यदि कोई श्रमिक किसी दिन कार्य नहीं करता तो उस दिन उसको कोई मजदूरी या आय प्राप्त नहीं होती है। दैनिक मजदूरी पर निर्भर रहने वाले परिवारों को निरन्तर रूप से कठोर संघर्ष करना पड़ता है।
(3) परिवार के कुछ सदस्यों (सरकारी कार्यालय से अवकाश प्राप्त) को मासिक पेन्शन भी प्राप्त होती है। इस प्रकार से प्राप्त होने वाली पेन्शन को भी पारिवारिक आय का एक स्रोत माना जाता है।
(4) व्यापार तथा व्यवसाय भी पारिवारिक आय के स्रोत होते हैं। कुछ परिवारों के सदस्य भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यापार किया करते हैं तथा व्यापार से प्राप्त होने वाला लाभ ही उनकी आय को स्रोत होता है। इससे भिन्न डॉक्टर, वकील, लेखक तथा नक्शानवीस आदि व्यवसायी होते हैं। इन्हें अपने व्यवसाय से आय प्राप्त होती है।
(5) कुछ परिवारों के लिए घरेलू उद्योग-धन्धे भी पारिवारिक आय के स्रोत होते हैं। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार के घरेलू उद्योग-धन्धे अपनाए जाते हैं। कुछ घरेलू उद्योग धन्धों की परिचालन गृहिणियों द्वारा भी किया जाता है।
(6) पारिवारिक आय का एक मुख्य तथा पर्याप्त व्यापक स्रोत है कृषि कार्य। कुछ परिवार अपनी भूमि पर कृषि कार्य करके आय (धन) प्राप्त करते हैं, जब कि कुछ व्यक्ति अन्य भूपतियों की भूमि पर कृषि कार्य अर्थात् कृषि श्रमिक के रूप में कार्य करके आय अर्जित करते हैं।
(7) प्रायः सभी देशों में पशुपालन को भी पारिवारिक आय के एक स्रोत के रूप में अपनाया जाता है। पशुओं से दूध, मांस, ऊन आदि प्राप्त होते हैं तथा उन्हें बेचकर आय की प्राप्ति होती है। कुछ पशुओं के बच्चे भी बेचे जाते हैं तथा आय प्राप्त की जाती है, जैसे कि ऊँची नस्ल के कुत्तों के बच्चे बेचना। मछली पालन तथा मधुमक्खी पालन भी आय के अच्छे स्रोत है।
(8) आय का एक उल्लेखनीय स्रोत ब्याज भी है। जमा धन पर किसी सरकारी अथवा गैर-सरकारी संस्था से प्राप्त होने वाला ब्याज भी पारिवारिक आय का एक स्रोत है।
(9) पारिवारिक आय का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत उपहार भी है। विभिन्न अवसरों पर परिवार के सदस्यों को रिश्तेदारों या मित्रों आदि से प्राप्त होने वाले उपहार भी पारिवारिक आय का एक रूप ही माने जाते हैं।
(10) पारिवारिक आय के उपर्युक्त वर्णित मुख्य स्रोतों के अतिरिक्त कुछ अन्य स्रोत भी उपलब्ध हैं। वर्तमान समय में धार्मिक एवं आध्यात्मिक प्रवचन, गायन, नृत्य आदि के प्रदर्शन से भी काफी आय अर्जित की जाती है। कुछ व्यक्ति टी० वी० आदि पर होने वाली प्रतियोगिताओं से भी आय प्राप्त करते हैं। यही नहीं लाटरी के पुरस्कार आदि भी आय के स्रोत हैं। कुछ व्यक्ति तो भिक्षावृत्ति को ही पारिवारिक आय का प्रमुख स्रोत बना लेते हैं।
प्रश्न 2
पारिवारिक व्यय से आप क्या समझती हैं? पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाले मुख्य | कारकों का वर्णन कीजिए। [2010]
उत्तर:
पारिवारिक व्यय का अर्थ
पारिवारिक आय का उद्देश्य पारिवारिक व्यय को सम्भव बनाना होता है। व्यक्ति एवं परिवार की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जो धन व्यय करना पड़ता है, उसी को पारिवारिक व्यय कहा जाता है। इस प्रकार, ‘एक निश्चित अवधि में अर्जित आय के उस भाग या अंश को पारिवारिक व्यय कहा जाता है जो परिवार की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय किया जाता है।” पारिवारिक आवश्यकताओं को मुख्य रूप से तीन वर्गों में विभक्त किया जाता है-अनिवार्य आवश्यकताएँ, आरामदायक आवश्यकताएँ तथा विलासात्मक आवश्यकताएँ। इन तीनों प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति उनकी प्राथमिकता के क्रम से ही की जाती है। पारिवारिक व्यय का नियोजन सदैव पारिवारिक आय को ध्यान में रखकर ही किया जाना चाहिए। एक दृष्टिकोण से पारिवारिक व्यय के चार प्रकार माने गए हैं–निश्चित व्यय, अर्द्ध-निश्चित व्यय, अन्य व्यय तथा आकस्मिक व्यय
पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाले कारक
जिस प्रकार प्रत्येक परिवार की आय भिन्न-भिन्न होती है, ठीक उसी प्रकार से प्रत्येक परिवार द्वारा किया जाने वाला व्यय भी भिन्न-भिन्न होता है। वास्तव में पारिवारिक व्यय को विभिन्न कारक निरन्तर रूप से प्रभावित करते हैं। पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक निम्नवर्णित हैं
(1) परिवार की कुल आय-पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाला मुख्यतम कारक है-
परिवार की कुल आय। यदि सम्बन्धित परिवार की आय अधिक होगी तो निश्चित रूप से पारिवारिक व्यय भी अधिक होता है। इसके विपरीत, यदि परिवार की आय कम हो या घट जाए तो निश्चित रूप से परिवार द्वारा किया जाने वाला व्यय भी कम हो जाता है।
(2) परिवार के रहन-सहन का स्तर-पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाला एक मुख्य कारक है-परिवार के रहन-सहन का स्तर। रहन-सहन के स्तर को उन्नत बनाने के लिए निश्चित रूप से अधिक व्यय करना पड़ता है। इसके विपरीत, यदि परिवार के रहन-सहन के स्तर को सामान्य या सामान्य से निम्न रखा जाए तो पारिवारिक व्यय काफी कम हो सकता है।
(3) परिवार का स्वरूप-पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाला एक कारक परिवार का स्वरूप भी है। सामान्य रूप से माना जाता है कि संयुक्त परिवार में पारिवारिक व्यय की कुछ बचत होती है, जबकि एकाकी परिवार में व्यय की दर अधिक होती है।
(4) परिवार में बच्चों की संख्या–वर्तमान परिस्थितियों में बच्चों की शिक्षा एवं पालन-पोषण पर पर्याप्त व्यय करना पड़ता है। इस स्थिति में कहा जा सकता है कि यदि परिवार में बच्चों की संख्या अधिक हो तो निश्चित रूप से पारिवारिक व्यय अधिक होती है।
(5) रहने का स्थान—रहने के स्थान का भी पारिवारिक व्यय पर अनिवार्य रूप से प्रभाव पड़ता है। सामान्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में नगरीय क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को इस मद में अधिक व्यय करना पड़ता है। नगरीय क्षेत्रों में भी साधारण बस्तियों की तुलना में उच्च श्रेणी की बस्तियों में रहने वाले परिवारों को कुछ अधिक व्यय करना पड़ता है।
(6) सामाजिक-धार्मिक परम्पराएँ-पारिवारिक व्यय को विभिन्न सामाजिक-धार्मिक परम्पराएँ भी प्रभावित करती हैं। इन परम्पराओं को अधिक महत्त्व प्रदान करने वाले परिवारों को कुछ अधिक व्यय करना पड़ता है। तरह-तरह के धार्मिक अनुष्ठान, दान-दक्षिणा तथा तीर्थयात्रा आदि को प्राथमिकता देने वाले परिवारों को अन्य परिवारों की तुलना में कुछ अधिक व्यय करना पड़ता है।
(7) पारिवारिक व्यवसाय-पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाला एक उल्लेखनीय कारक पारिवारिक व्यवसाय भी है। कुछ व्यवसाय ऐसे होते हैं जिन्हें सुचारु रूप से चलाने के लिए कुछ अतिरिक्त व्यय करना पड़ता है। उदाहरण के लिए–वकालत, चिकित्सा, नक्शानवीसी तथा पुस्तकलेखन जैसे व्यवसायों को चलाने के लिए कुछ अतिरिक्त व्यय करना पड़ता है।
(8) गृहिणी की कुशलता एवं दक्षता–गृहिणी की कुशलता तथा दक्षता भी पारिवारिक व्यय को प्रभावित करती है। यदि गृहिणी गृह-प्रबन्ध एवं आर्थिक नियोजन में कुशल हो तो बहुत-से पारिवारिक व्यय बच जाते हैं। इसके विपरीत यदि गृहिणी अकुशल तथा फूहड़ हो तो पारिवारिक व्यय निश्चित रूप से बढ़ जाता है।
प्रश्न 3.
पारिवारिक बचत से आप क्या समझती हैं? परिवार के लिए बचत का क्या महत्त्व है?
किन साधनों द्वारा बचत को सुरक्षित रखा जा सकता है? [07, 08, 11, 12, 17]
परिवार में बचत क्यों आवश्यक है? बचत विनियोजन की विधियाँ भी लिखिए। [2007, 12, 13, 14]
पारिवारिक बचत किसे कहते हैं?[07, 09, 13]
बचत से आप क्या समझती हैं? बचत के लाभ लिखिए। [2015 ]
बचत किसे कहते हैं? बचत का क्या महत्त्व है?2016
गृहिणी अपनी बचत को किस प्रकार सुरक्षित रख सकती है?[2016]
बचत से आप क्या समझती हैं? बचत सुरक्षित रखने के उपाय लिखिए। [2016]
उत्तर:
पारिवारिक बचत का अर्थ
पारिवारिक जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए परिवार के सदस्यों की अधिक-से-अधिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयास किए जाते हैं। सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कुछ-नकुछ व्यय करना पड़ता है। इस प्रकार के व्यय के लिए नियमित आय की आवश्यकता होती है। सुदृढ़ गृह-अर्थव्यवस्था तथा भावी जीवन की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि वर्तमान आय की तुलना में वर्तमान व्यय कम हो। इसीलिए प्रत्येक परिवार तथा विवेकशील गृहिणियाँ अपना पारिवारिक बजट इस प्रकार से बनाती हैं कि पारिवारिक आय से पारिवारिक व्यय कम हो।
व्यय कम होने की स्थिति में आय का जो अंश बचता है, उसे ही पारिवारिक बचत कहा जाता है। इस प्रकार पारिवारिक बचत के अर्थ को इन शब्दों में स्पष्ट किया जा सकता है-“पारिवारिक आय में से परिवार की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय करने के उपरान्त जो धनराशि शेष रह जाती है, वह पारिवारिक बचत कहलाती है।” यह बचत रूपी धनराशि भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक होती है। इस प्रकार से बचाये गये धन का लाभदायक ढंग से विनियोग किया जाना चाहिए, तभी उसे सही अर्थों में बचत माना जा सकता है। आय में से बचाया गया धन यदि विनियोग नहीं किया जाता है तो उसे बचत न कहकर ‘धन का संचय’ कहा जाता है। उत्तम गृह-अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत बचाये गये धन के उचित विनियोग को आवश्यक माना जाता है, न कि धन के संचय को।
बचत का महत्त्व एवं लाभ
बचत आय का वह भाग है जो भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय से बचाकर उत्पादक कार्यों में विनियोग किया जाता है। यह परिवार, समाज एवं राष्ट्र सभी के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। बचत के महत्त्व को निम्न प्रकार से वर्णित किया जा सकता है–
(1) पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति-बच्चों की शिक्षा एवं विवाह आदि अनेक पारिवारिक दायित्वों की समय आने पर पूर्ति बचत के द्वारा की जाती है।
(2) आकस्मिक संकटों का सामना-बचत द्वारा बीमारी, मृत्यु एवं दुर्घटना जैसे आकस्मिक संकटों के अवसर पर आर्थिक सहायता प्राप्त होती है। यदि किसी कारणवश पारिवारिक व्यय में एकाएक वृद्धि हो जाए तो उस स्थिति में पहले की गई बचत ही सहायक सिद्ध होती है।
(3) वृद्धावस्था में आत्मनिर्भरता-सेवाकाल में की गयी बचत सेवानिवृत्त होने पर आर्थिक आत्मनिर्भरता प्रदान करती है।
(4) सामाजिक प्रतिष्ठा—समय से की गयी बचत एवं उसका विवेकपूर्ण नियोजन परिवार को आर्थिक सुदृढ़ता प्रदान करता है, जिसके फलस्वरूप गृह-निर्माण, बच्चों की उच्च शिक्षा, विवाह, व्यवसाय में वृद्धि एवं अनेक सामाजिक दृष्टि से आवश्यक कार्य किए जा सकते हैं, जिनसे पारिवारिक प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है।
(5) आर्थिक दृष्टि से लाभदायक--बचत के विवेकपूर्ण नियोजन से आकर्षक ब्याज प्राप्त होता है। इससे पारिवारिक आय में वृद्धि होने के साथ-साथ व्यक्ति को आर्थिक लाभ भी प्राप्त होता है।
(6) अनावश्यक पारिवारिक व्यय से बचने में सहायक–परिवार द्वारा यदि नियमित बचत करने का दृढ़ संकल्प कर लिया जाता है तो परिवार कुछ अनावश्यक व्ययों से बच जाता है। यहाँ यह
स्पष्ट कर देना प्रासंगिक है कि यदि व्यक्ति नियमित बचत को अनिवार्य नहीं मानता तो वह अपनी आय का कुछ भाग विलासात्मक एवं हानिकारक कार्यों पर व्यय करने लगता है। इससे व्यक्ति एवं परिवार का अहित ही होता है।
(7) अवकाश का समय अच्छे ढंग से व्यतीत करने में सहायक-व्यक्ति यदि नियमित रूप से बचत करता रहता है तो वह अपने अवकाश के समय को अच्छे ढंग से व्यतीत कर सकता है। इस स्थिति में वह अपनी रुचि एवं इच्छा के अनुसार कहीं भी घूमने-फिरने जा सकता है।
(8) आरामदायक एवं सुविधाजनक वस्तुओं की खरीद में सहायक-नियमित बचत करने वाला व्यक्ति टी०वी०, फ्रिज, कपड़े धोने की मशीन तथा स्कूटर या मोटर कार जैसी जीवन को आरामदायक एवं सुविधाजनक बनाने वाली वस्तुओं को सहज ही अर्जित कर सकता है।
(9) राष्ट्रीय योजना के संचालन में सहायक-राष्ट्रीय योजनाओं के संचालन के लिए धन की निरन्तर आवश्यकता होती है। देश के परिवारों द्वारा की गयी बचत का जो विनियोग किया जाता है, उससे सरकार को पर्याप्त धन प्राप्त हो जाता है तथा यह धन राष्ट्रीय योजनाओं के संचालन में सहायक होता है।
(10) मुद्रास्फीति के नियन्त्रण में सहायक-पारिवारिक बचत की प्रवृत्ति विकसित हो जाने की स्थिति में मुद्रास्फीति की दर को नियन्त्रित करना सम्भव होता है। इससे देश समृद्ध बनता है।
बचत के विनियोग के साधन
पारिवारिक बचत के विनियोग में निम्नलिखित दो बातो को ध्यान में रखना आवश्यक है-
- जिस संस्था में निवेश किया जा रहा है, उसकी विश्वसनीयता।
- विभिन्न संस्थानों में ब्याज की तुलनात्मक दर।
उपर्युक्त दोनों बातों को ध्यान में रखते हुए बचत का विनियोग उस संस्थान में करना चाहिए जो विश्वसनीय हो तथा जिसमें ब्याज की दर तुलनात्मक दृष्टि से भी अधिक हो।
बचत के विनियोग के निम्नलिखित मुख्य साधन हैं
- बैंक,
- डाकखाना,
- विभिन्न बीमा योजनाएँ.
- भविष्य निधि योजना,
- सार्वजनिक भविष्य निधि योजना,
- भारतीय यूनिट ट्रस्ट,
- सहकारी ऋण समितियाँ,
- राष्ट्रीय बचत-पत्र योजना।
प्रश्न 4.
पारिवारिक आय में वृद्धि के उपाय बताइए। या यह बताइए कि पारिवारिक आय का विवेकपूर्ण व्यय क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
पारिवारिक आय में वृद्धि के उपाय
आज के भौतिक युग में यदि आवश्यकताएँ अनेक हैं तो व्यय असीमित। परिणामस्वरूप सामाजिक स्तर के अनुसार जीवन-यापन के लिए प्रायः पति-पत्नी दोनों को धन अर्जित करने के लिए कार्य करने पड़ते हैं। यह सब होने के पश्चात् भी आर्थिक कठिनाइयाँ उत्पन्न होती ही रहती हैं। अतः इनके निराकरण के लिए आय में वृद्धि के उपाय अपनाने आवश्यक हो जाते हैं। कुछ ऐसे उपयोगी उपाय निम्नलिखित हैं
(1) परस्पर प्रेम एवं सहयोग-परिवार में परस्पर प्रेम और सहयोग का वातावरण होना चाहिए। परिवार के सभी योग्य सदस्यों को साहचर्य भाव से धन अर्जित करने के प्रयास करने चाहिए।
(2) घरेलू उद्योग-धन्धे अपनाना–सिलाई-कढ़ाई, सौन्दर्य प्रसाधन केन्द्र, बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना, कचरी-पापड़ आदि बनाना कुछ ऐसे कार्य हैं जिनसे पारिवारिक आय में सहज ही वृद्धि की जा सकती है।
(3) मितव्ययिता के आवश्यक तत्त्वों का ज्ञान-फिजूलखर्ची एवं धन का अविवेकपूर्ण व्यय परिवार के लिए सदैव घातक सिद्ध होते हैं। धन के विवेकपूर्ण उपयोग से आय-व्यय में सन्तुलन बना रहता है। मितव्ययिता के सिद्धान्तों का पालन करने से कम धन का व्यय करके अधिकतम आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाना सम्भव हो पाता है।
आय, व्यय और बचत 25 पारिवारिक आय का विवेकपूर्ण व्यय
मितव्ययिता सफलता की कुंजी है। जिस परिवार के सदस्य परिवार की आय का विवेकपूर्ण व्यय नहीं करते, वह परिवार कभी भी अधिकतम सन्तोष प्राप्त नहीं कर सकता। वास्तव में, फिजूलखर्ची जोवन को नष्ट कर देती हैं। अत: परिवार के प्रत्येक सदस्य को धन का महत्त्व समझना चाहिए और वर्तमान महँगाई के युग में परिवार की आय में से अधिक-से-अधिक बचत करने का प्रयास करना चाहिए। आज की बचत कल के सुख का आधार बनती है, परन्तु बचत करना आय के विवेकपूर्ण व्यय पर भी निर्भर करता है। पानी की एक-एक बूंद से समुद्र तैयार होता है। अत: प्रत्येक व्यय में से यदि गृहिणी कुछ भी अपने विवेक से बचा सकने में सफल हो जाती है तो वह पर्याप्त बचत कर सकती है, जो परिवार के सुखदायी भविष्य का निर्माण करती है।
प्रश्न 5.
डाकघर में बचत विनियोग के कौन-से साधन उपलब्ध हैं? वर्णन कीजिए।
डाकघर की विभिन्न योजनाएँ कौन-कौन सी हैं? किन्हीं दो योजनाओं के विषय में विस्तार से लिखिए। [2007, 12 ]
या ।
डाकघर में आप किन-किन योजनाओं द्वारा बचत को सुरक्षित रख सकती हैं? विस्तारपूर्वक समझाइए।[2008, 10, 13, 14, 15]
उत्तर:
पारिवारिक बचत के विनियोग का एक उत्तम साधन डाकघर है। डाकघर केन्द्रीय सरकार द्वारा परिचालित आर्थिक संस्थान है। डाकघर पारिवारिक बचत के विनियोग का एक सुरक्षित एवं लाभदायक साधन है। डाकघर में पारिवारिक बचत को जमा करवाना एवं निकलवाना भी सरल होता है। डाकघर द्वारा चलाई जाने वाली कुछ महत्त्वपूर्ण जमा योजनाओं का संक्षिप्त परिचय निम्नवर्णित है|
(1) डाकघर बचत बैंक-इसमें न्यूनतम पाँच रुपये से कोई भी वयस्क व्यक्ति एकल रूप में, संयुक्त रूप से अथवा अवयस्क के नाम से डाकघर बचत खाता खोल सकता है। इसमें जमा धनराशि पर 4% वार्षिक ब्याज मिलता है। खाता चालक को एक लेखा-पुस्तिका अथवा पास-बुक मिलती है जिसमें धनराशि जमा करने व निकालने तथा दिए गए ब्याज आदि का विवरण होता है। ब्याज की दर समय-समय पर बदलती रहती है।
(2) डाकघर सावधि जमा खाता-डाकघर की इस योजना में निर्धारित अवधि के लिए कोई भी धनराशि जमा की जा सकती है। जमा करने की न्यूनतम राशि 50 है परन्तु अधिकतम कोई सीमा नहीं है। इस योजना के अन्तर्गत तिमाही चक्रवृद्धि आधार पर वार्षिक ब्याज दिया जाता है। ब्याज की दर 1 वर्ष के लिए 6.25%, 2 वर्ष के लिए 6.50%, 3 वर्ष के लिए 7.25% तथा 5 वर्ष के लिए 7.50% है। इस योजना के अन्तर्गत आवश्यकता पड़ने पर निर्धारित अवधि से पहले भी खाता बन्द करके अपना धन वापस लिया जा सकता है।
(3) 5 वर्षीय डाकघर आवर्ती जमा खाता- 10 प्रति माह या 5 के गुणकों में यह खाता खोला जा सकता है। अधिकतम राशि की कोई सीमा नहीं है। इस योजना के अन्तर्गत यदि के 10 प्रति माह पाँच वर्ष तक जमा किए जाते हैं तो परिपक्वता उपरान्त ! 728.90 मिल जाते हैं।
(4) किसान विकास-पत्र-इस बचत योजना में 9 वर्ष 5 माह में धन दुगुना मिलता है। किसान विकास-पत्र र 500/-, र 1000/-, र 5000/- र 10000/- के अंकित मूल्य-वर्ग में सभी डाकघरों में मिलते हैं। अधिकतम की कोई सीमा नहीं है तथा आयकर में भी कोई छूट नहीं है।
(5) डाकघर मासिक आय योजना-डाकघर की इस योजना के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति एकल अथवा संयुक्त रूप से खाता खोल सकता है। इस खाते में न्यूनतम र 1000/- तथा अधिकतम एकल नाम में साढ़े चार लाख रुपये तथा संयुक्त खाते में र 9 लाख तक जमा कर सकता है। यह छः वर्षीय योजना है। इस योजना की ब्याज दर 8% है। यदि इस खाते में हैं 12000/- रुपये जमा कर दिए जाएँ तो र 80 प्रति माह ब्याज मिलता है। पूरे छ: वर्ष खाता रखने की दशा में 5% बोनस भी मिलता है।
(6) वरिष्ठ नागरिक जमा योजना-यह योजना समाज के वरिष्ठ श्रेणी के नागरिकों के लिए प्रारम्भ की गई है। इस योजना के अन्तर्गत कोई भी 60 वर्ष से अधिक आयु वाला व्यक्ति के 15 लाख तक जमा कर सकता है। इस योजना में 8.4% की दर से ब्याज दिया जाता है। ब्याज का भुगतान तिमाही रूप से किया जाता है।
प्रश्न 6
डाकघर में बचत खाता कैसे खोला जा सकता है? रुपया जमा करने और निकालने की प्रक्रिया का भी वर्णन कीजिए।
उत्तर:
डाकघर में बचत खाता खोलना
डाकघर में बचत खाता नगर में अथवा गाँव में, प्रधान डाकघर अथवा उप-डाकघरों में कहीं भी खोला जा सकता है।
- डाकघर से एक छपा हुआ फार्म लेकर सर्वप्रथम उसे भरना होता है। इसके बाद न्यूनतम र 20 या इससे अधिक धनराशि फार्म में भरकर सम्बन्धित डाकघर कर्मचारी को देनी होती है। कर्मचारी तत्काल इसकी रसीद दे देता है। कुछ घण्टे पश्चात् अथवा अगले दिन खाता खोलने वाले को लेखा-पुस्तिका अथवा पास-बुक भी मिल जाती है। इसमें खाता खोलने वाले का नाम, पता, खाता संख्या तथा जमा धनराशि अंकित होती है।
- डाकघर में व्यक्तिगत, संयुक्त अथवा अल्पवयस्क का खाता भी खोला जा सकता है।
- खाताधारक को अपने हस्ताक्षर का नमूना भी देना होता है। अशिक्षित खाताधारी अँगूठे का चिह्न अथवा अपना प्रमाणित फोटो खाता खोलते समय डाकघर में दे सकते हैं।
- इस खाते में जमा धनराशि पर निर्धारित दर से वार्षिक ब्याज मिलता है जो वर्ष में केवल एक ही बार दिया जाता है।
बचत खाते में रुपया जमा करना डाकघर में रुपया जमा करने के निर्धारित फार्म में जमा की जाने वाली धनराशि भरकर अन्य सूचनाएँ अंकित करके जमाकर्ता को हस्ताक्षर करने के बाद इसे डाकघर बचत बैंक के कर्मचारी को देना होता है। फार्म के साथ अपनी बचत लेखा-पुस्तिका अर्थात् पास-बुक भी देनी पड़ती है। अशिक्षित खाताधारक फार्म भरने में कर्मचारी से सहायता प्राप्त कर सकता है। कुछ समय पश्चात् पास-बुक वापस मिल जाती है। इस पर जमा की गई धनराशि, सम्बन्धित अधिकारी के हस्ताक्षर तथा दिनांक युक्त डाकघर की मोहर अंकित होती है। पास-बुक में ब्याज चढ़वाने के लिए फार्म भरने की आवश्यकता नहीं होती तथा बचत बैंक कर्मचारी को पास-बुक देने पर वह इसमें देय ब्याज अंकित कर देता है।
बचत खाते से रुपया निकालना
डाकघर में रुपया निकालने का छपा हुआ फार्म नि:शुल्क मिलता है। खाताधारक को इसमें माँगी गई सूचनाओं सहित धनराशि भरकर डाकघर में खाता खोलते समय किए गए अपने हस्ताक्षर करने होते हैं। कर्मचारी हस्ताक्षर का मिलान करके धनराशि का भुगतान कर देता है। हस्ताक्षर न मिलने की दशा में खाताधारक को अपने हस्ताक्षर प्रमाणित कराने पड़ते हैं। बचत बैंक कर्मचारी पास-बुक से निकाली गई धनराशि तथा शेष धनराशि को दिनांक सहित अंकित कर हस्ताक्षर करता है तथा इसे खाताधारक को वापस लौटा देता है। अशिक्षित खाताधारक फार्म भरते समय कर्मचारी की सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इन्हें हस्ताक्षर के स्थान पर अँगूठे का चिह्न लगाना होता है अथवा प्रमाणित फोटो प्रस्तुत करना होता है। डाकघर के बचत बैंक से रुपया सप्ताह में एक ही बार निकाला जा सकता है।
प्रश्न 7.
बैंकों में खोले जाने वाले विभिन्न बचत खातों का वर्णन करते हुए बैंक में धनराशि को जमा करने के लाभों का वर्णन कीजिए। बैंक में बचत विनियोग के कौन-से साधन उपलब्ध हैं? या बैंक में कितने प्रकार के खाते खोले जा सकते हैं?[2013]
बैंक की उपयोगिता लिखिए।[2013, 14, 16, 17]
बैंक में खोले जाने वाले किन्हीं चार खातों के नाम बताइए।[2016]
उत्तर:
बैंक देश की मुख्य वित्तीय एवं व्यावसायिक संस्थाएँ हैं जो धन के लेन-देन का कार्य उच्च स्तर पर करती हैं। ये संस्थाएँ सुसंगठित होती हैं और इनका सारे देश में एक जाल-सा बिछा हुआ है। अधिकांश बैंक राष्ट्रीयकृत हैं। इनमें जमा धनराशि पर ब्याज की प्राप्ति होती है। बैंकों द्वारा चेक, ड्राफ्ट आदि के द्वारा भुगतान की सुविधा प्रदान की जाती है। बैंकों से विभिन्न प्रकार के ऋण भी प्राप्त किए । जा सकते हैं।
आय, व्यय और बचत 27 बैंकों में बचत विनियोग के साधन (प्रकार) बैंकों में निम्नलिखित प्रकार के लाभकारी बचत खाते खोले जा सकते हैं
(1) बचत खाता-यह किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा में खोला जा सकता है। इसके लिए न्यूनतम धनराशि अवयस्कों के लिए रे 100/- तथा वयस्कों के लिए र 1000/- होती है तथा अधिकतम धनराशि की कोई सीमा नहीं है। इस खाते में इच्छानुसार रुपया जमा कराया जा सकता है, परन्तु वर्ष में 150 बार से अधिक रुपया नहीं निकाला जा सकता। खाताधारक को एक लेखा-पुस्तिका अथवा पास-बुक मिलती है जिसमें खाताधारक का नाम, पता व खाता संख्या अंकित होते हैं। रुपया जमा करने व निकालने का विवरण भी लेखा-पुस्तिका में अंकित किया जाता है। बैंक से रुपया निकासी फाई अथवा चेक के द्वारा निकाला जा सकता है। बैंक से चेक-बुक लेने के पश्चात् वाताधारक को अपने खाते में कम-से-कम 1000/- की धनराशि छोड़नी होती है। बचत खाते में जमा धनराशि पर 4% की दर से वार्षिक ब्याज मिलता है। ब्याज की दर समय-समय पर ‘रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया’ के निर्देशानुसार बदलती रहती है। घरेलू लघु बचत के लिए यह खाता उत्तरा 37 जाता है। इसे खाते में जमा धन सुरक्षित र है तथा उश्यकता पड़ने पर तुरन्त निकाला भी जा सकता है।
(2) चालू खाता-इसमें खाताधारक कभी भी रुपया जमा कर सकता है एवं निकाल सकता है। खाताधारक केवल चेक के प्रयोग द्वारा ही रुपया निकाल सकता है। इस खाते में जमा धनराशि पर कोई ब्याज नहीं मिलता, बल्कि खाताधारक को बैंक को सेवा शुल्क अदा करना पड़ता है। सामान्य रूप से व्यापारी वर्ग ही इस प्रकार का खाता खोलता है तथा इस खाते के माध्यम से ही व्यापारिक लेन-देन करता है। घरेलू बचतों के लिए चालू खाता उपयुक्त नहीं माना जाता।
(3) घरेलू जमा खाता-यह खाता निम्न एवं मध्यम वर्ग के लिए अत्यन्त लाभकारी है। यह बच्चों तथा गृहिणी में बचत करने की भावना को प्रोत्साहित करता है। इसमें बैंक की ओर से ताला लगी एक गुल्लक दी जाती है जिसमें छोटी-छोटी बचत राशि डाली जाती है। प्रतिमाह यह राशि पास–बुक में जमा हो जाती है।
(4) सावधि जमा खाता-इस खाते में एक निश्चित धनराशि एक निश्चित अवधि के लिए जमा की जाती है। जमा की जाने वाली धनराशि पर निर्धारित दर से ब्याज दिया जाता हैं। वर्तमान अधिकतम दर 8% है।
(5) आवर्ती जमा खाता- र 5/- या इसके गुणक में एक निश्चित अवधि के लिए यह खाता खोला जाता है। इसमें प्रतिमाह निश्चित की गई धनराशि नियमित रूप से जमा करानी होती है। अवधि पूर्ण होने पर रुपया ब्याज सहित मिल जाता है। अवधि 12 माह से 120 माह तक है।
बैंक में रुपया जमा करने के लाभ (उपयोगिता)। बैंक में परिवार की बचत को जमा करने के कई लाभ हैं। ये लाभ निम्नलिखित हैं
(1) धनराशि पर ब्याज की प्राप्ति-बैंक में जमा धनराशि न केवल अत्यन्त सुरक्षित होती है वरन् उस पर उचित दर से ब्याज की प्राप्ति भी होती रहती है। इस प्रकार बचत, मूलधन वृद्धि के साथ प्राप्त होती है।
(2) धनराशि की सुरक्षा–यदि परिवार द्वारा बचाई गई धनराशि को बैंक में जमा करवा दिया। जाता है तो धनराशि सुरक्षित हो जाती है। वास्तव में बैंकों में जमा धनराशि अत्यन्त सुरक्षित मानी जाती है। बैंक बचत के विनियोग का सबसे अधिक विश्वसनीय माध्यम है। इनमें जमा धनराशि के डूबने की सम्भावना तो होती ही नहीं है, बल्कि यह असामाजिक तत्त्वों; जैसे-चोर-डाकुओं आदि; से भी सुरक्षित रहती है।
(3) धन निकालने की सुविधा बैंक में जमा धनराशि अपनी सुविधा के अनुसार वापस निकाली जा सकती है। धनराशि को निकालने में किसी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है। अब तो ए०टी०एम० की सुविधा ने धन की निकासी को और अधिक सरल एवं सुविधाजनक बना दिया है।
प्रश्न 8
आय-व्यय क्या है ? आय-व्यय में सन्तुलन रखने के लिए क्या सावधानियाँ रखनी | चाहिए? [2009]
उत्तर:
पारिवारिक आय एवं व्यय
गृह अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक महत्त्व पारिवारिक आय का होता है। पारिवारिक आय से आशय उस धनराशि से है, जो किसी परिवार द्वारा एक निश्चित अवधि में अर्जित की जाती है। आय अर्जित करने के लिए कुछ-न-कुछ आर्थिक प्रयास करने पड़ते हैं। व्यापक अर्थ में पारिवारिक आय में आर्थिक प्रयासों के बदले में मिलने वाली धनराशि के अतिरिक्त उन सुविधाओं को भी सम्मिलित किया जाता है, जो इन प्रयासों के बदले में उपलब्ध होती हैं।
प्रो० ग्रास तथा प्रो० केण्डल ने पारिवारिक आय की परिभाषा इन शब्दों में प्रतिपादित की है, ‘पारिवारिक आय मुद्रा, वस्तुओं, सेवाओं तथा सन्तोष का वह प्रवाह है जो परिवार के अधिकार में उसकी आवश्यकताओं और इच्छाओं को पूर्ण करने तथा उत्तरदायित्वों के निर्वाह हेतु आता है। पारिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जिस धन को व्यय किया जाता है उसे ही पारिवारिक व्यय कहा जाता है। सामान्य रूप से, परिवार के लिए मासिक अथवा वार्षिक अवधि में होने वाले व्यय को ही पारिवारिक व्यय के रूप में स्वीकार किया जाता है। व्यय वास्तव में आवश्यकताओं की पूर्ति का एक साधन है।
पारिवारिक व्यय को हम इन शब्दों में परिभाषित कर सकते हैं-‘किसी निश्चित अवधि में सम्बन्धित परिवार द्वारा अर्जित आय के उस अंश को पारिवारिक व्यय माना जा सकता है, जो परिवार के सदस्यों की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय हुआ है।”
आय-व्यय में सन्तुलन बनाने के लिए सावधानियाँ
(1) विवेकपूर्ण व्यय-जो व्यक्ति प्रत्येक आवश्यकता के महत्त्व को समझकर उसी के अनुरूप अपने विवेक से धन का व्यय निश्चित करता है वही आय का पूर्ण और उचित लाभ उठाता है।
(2) दैनिक व्यय के आधार पर बजट में संशोधन–बजट के अनुसार व्यय के लिए दैनिक हिसाब रखना आवश्यक है। यदि किसी महीने में किसी कारणवश महीना पूरा होने से पहले ही धन समाप्त होने लगता है तब हम बजट के आधार पर यह देख सकते हैं कि हमारा धन कौन-सी आवश्यकता पर अधिक व्यय हुआ है, जिससे उस मास के व्यय में धन की कमी पड़ रही है। इससे सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि अगले महीने के बजट में उचित सुधार किया जा सकता है।
(3) बजट से अधिक व्यय हो जाने पर समायोजन—कुछ उत्सवों; जैसे-दीपावली, दशहरा तथा जन्मदिन; पर अधिक धन खर्च हो जाता है, तब बजट के अनुसार हम अगले महीने में खर्च हुए धन के व्यय में उचित समायोजन कर सकते हैं।
(4) बचत करना–गृहिणी को शुरू से ही आवश्यक बचत करते रहने की आदत डालनी चाहिए तथा ऋण लेने की बात कभी नहीं सोचनी चाहिए। भविष्य की आकस्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए धन की बचत करना गृहिणी का प्रमुख कर्तव्य है। यदि वह बचत करने की अपेक्षा हर महीने होने वाली आमदनी का सारा पैसा खर्च करती रहती है तो भविष्य में जरूरत पड़ने पर एक भयंकर समस्या सामने आती है तथा इस समय उसे दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ेगा और जिसे वह काफी समय तक चुकता करने में असमर्थ रहेगी।
(5) नियन्त्रित व्यय–बजट बनाने से मनुष्य अपनी सीमित आय से सभी आवश्यकताओं की पूर्ति मितव्ययिता के साथ करता है तथा अनावश्यक व्यय से बच जाता है। बजट बनाकर व्यय करने से व्यक्ति अपनी आय के अन्दर व्यय करने का अभ्यस्त हो जाती है।
(6) वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताओं के बीच उचित वितरण-अपनी सीमित आय के अन्दर व्यक्ति वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ भविष्य में आने वाली आकस्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति भी चाहता है; जैसे—दुर्घटना, बीमारी, शादी आदि। इनके लिए भी धन की बचत की आवश्यकता होती है। जीवन बीमा आदि कराना भी इसी मनोवृत्ति का परिणाम है।
(7) आवश्यकता के आधार पर बजट में व्यय के प्रावधान में अन्तर करना—बजट के अन्तर्गत आने वाली आवश्यकताओं के महत्त्व को जानकर यह निश्चित किया जाता है कि किस आवश्यकता को पहले पूरा किया जाए तथा किसे बाद में। यदि किसी अनिवार्य आवश्यकता की पूर्ति में धन की कमी पड़ रही है, तब गृहिणी को मनोरंजन एवं विलासिता सम्बन्धी आवश्यकताओं के व्यय में कमी करनी पड़ती है, इस विधि को सम-सीमान्त उपयोगिता का नियम कहते हैं।
(8) पारिवारिक आय-व्यय का अनुमान-पत्र बनाने की आवश्यकता–बजट के अभाव में गृहस्थी का खर्च चलाना बहुत मुश्किल पड़ता है। इसलिए घर की आय-व्यय का अनुमान-पत्र बनाना बहुत ही जरूरी है। अनुमान-पत्र द्वारा हमें पहले से ही व्यय होने वाली मदों का पता चल जाता है, क्योंकि आय तो सीमित होती है और आवश्यकताएँ दिन-पर-दिन बढ़ती जाती हैं। कोई भी वस्तु घर में नहीं आती और सारा धन व्यय होता मालूम पड़ता है, इसलिए एक कुशल गृहिणी के लिए बजट बनाना बहुत आवश्यक हो गया है, जिसके अच्छे परिणाम ही सामने आते हैं। पारिवारिक आवश्यकताओं की अधिक-से-अधिक पूर्ति करने के लिए आय-व्यय का सबसे अच्छा साधन बजट है। अत; बजट बनाकर ही एक कुशल गृहिणी अपने घर को सुचारु रूप से चला सकती है। इसके द्वारा ही वह घर में सुख व शान्ति को बनाए रख सकती है।
प्रश्न 9.
बीमा कराने से क्या लाभ हैं? भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा संचालित कुछ महत्त्वपूर्ण योजनाओं का संक्षिप्त विवरण दीजिए। [2007 ]
या
विभिन्न जीवन बीमा योजनाओं का वर्णन कीजिए।
या
बीमा कराने के लाभ लिखिए। [2007, 2, 3, 14, 17, 18 ]
उत्तर:
बीमा कराने से लाभ
भारतीय जीवन बीमा निगम ने अनेक जनहितकारी योजनाएँ प्रस्तुत की हैं। इनसे होने वाले प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं|
- इससे अनिवार्य रूप से बचत हो जाती हैं।
- बीमाधारक के आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा प्राप्त होती है तथा बीमे की अवधि समाप्त होने पर जीवित रहने की स्थिति में बीमाधारक को डिविडेण्ड के लाभ सहित बीमाकृत राशि वापस मिल जाती है। इसके अतिरिक्त बीमाधारक की असमय मृत्यु हो जाने की दशा में बीमा राशि उसके परिजनों को प्राप्त हो जाती है।
- आवश्यकता पड़ने पर बीमा कम्पनी से कम ब्याज पर ऋण प्राप्त किया जा सकता है।
- बीमे के प्रीमियमों के भुगतान की धनराशि पर आयकर में छूट भी मिलती है।
प्रमुख बीमा योजनाएँ
(1) बन्दोबस्ती बीमा पॉलिसी-इसमें एक निर्धारित अवधि के लिए प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। अवधि पूरी होने पर बीमे का पूरा धन बोनस के साथ बीमाधारक को मिल जाता है। आकस्मिक मृत्यु होने पर नामांकिती (Nominee) को बीमे का पूरा धन मिल जाता है। यह पॉलिसी बच्चों की उच्च शिक्षा एवं विवाह आदि महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए अत्यन्त लाभप्रद है।
(2) जीवन बीमा योजना-यह एक लम्बी अवधि की योजना है जिसमें प्राप्त होने वाली धनराशि अधिक एवं प्रीमियम की धनराशि कम होती है। योजना के मध्य में मृत्यु होने पर बीमे की सम्पूर्ण धनराशि नामांकिती को मिलती है।
(3) निश्चित अवधि शिक्षा वृत्ति योजना-इस योजना वाले बीमाधारक व्यक्ति की मृत्यु यदि बीमा अवधि के मध्य में हो जाती है तो शेष प्रीमियम की धनराशि का भुगतान नहीं करना पड़ता तथा अवधि पूर्ण होने पर बीमाकृत धनराशि वार्षिक अथवा अर्द्धवार्षिक वृत्ति के रूप में नामांकिती को 6 वर्षों तक मिलती रहती है।
(4) जीवन मित्र योजना-इस योजना के अन्तर्गत बीमा कराने वाला व्यक्ति 18 से 50 आयु-वर्ग का होना चाहिए तथा बीमा पूर्ण होने की अवधि पर बीमाधारक की अधिकतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए। बीमे की अवधि 15, 20 अथवा 25 वर्ष होती है। इसमें दुर्घटना में मृत्यु होने पर नामांकिती को बीमे की धनराशि की तीन गुना धनराशि तथा प्राकृतिक मृत्यु होने पर दोगुना राष्ट्रि मिलती है।
(5) जीवनधारा–इस योजना की प्रमुख विशेषताएँ र 30000 के वार्षिक प्रीमियम पर आयकर में 100% छूट तथा अवधि पूर्ण होने पर बीमाधारक को आयुपर्यन्त मासिक वृत्ति का मिलना है।
जीवन बीमा की समय-समय पर अन्य अनेक योजनाएँ भी प्रस्तुत की जाती हैं, जिनकी शर्ते एवं लाभ भी अलग-अलग होते हैं। कोई भी व्यक्ति अपनी आयु, परिस्थितियों तथा भुगतान की क्षमता को ध्यान में रखकर उपयुक्त योजना को अपना सकता है।
प्रश्न 10.
गृह-व्यय में मितव्ययिता के लिए किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है? [2016, 17]
उत्तर:
गृह-व्यय में मितव्ययिता के लिए सुझाव
सुचारु गृह-अर्थव्यवस्था तथा पारिवारिक बजट की सफलता के लिए सर्वाधिक आवश्यक है-गृह-व्यय में मितव्ययिता को अपनाना। मितव्ययिता कंजूसी नहीं है, यह अपव्यय से बचने का एक उपाय है। मितव्ययिता में परिवार की आवश्यकताओं की अवहेलना नहीं की जाती, वरन् उन्हें सूझ-बूझ द्वारा रूपान्तरित किया जाता है। मितव्ययिता के लिए वस्तुओं की कीमतों की पूर्ण जानकारी, कीमतों की तुलना, विभिन्न वस्तुओं के गुण-दोष की जानकारी तथा उनके कम कीमत में उपलब्ध होने वाले स्थान की जानकारी आवश्यक होती है। मितव्ययिता के लिए निम्नलिखित बातों को अनिवार्य रूप से ध्यान में रखना चाहिए ।
(1) आवश्यकतानुसार खरीद-खरीद आवश्यकतानुसार ही करनी चाहिए। कुछ गृहिणियाँ प्रत्येक वस्तु को थोक में खरीदती हैं। यह आदत जहाँ कुछ बचत करती है, वहीं वस्तु के प्रयोग में लापरवाही होने के कारण उससे हानि भी होती है।
(2) नकद भुगतान-मितव्ययिता की धारणा के अनुसार समस्त घरेलू वस्तुएँ यथासम्भव नकद भुगतान द्वारा ही खरीदनी चाहिए। आजकल बहुत-सी वस्तुएँ किस्तों पर भी मिलने लगी हैं। इन वस्तुओं को किस्तों पर लेने पर ब्याज भी चुकाना पड़ता है। उधार अथवा किस्तों पर सामान लेने की आदत विकसित हो जाने पर अनावश्यक वस्तुएँ भी खरीद ली जाती हैं जिससे पारिवारिक बजट बिगड़ जाता है।
(3) सही स्थान से खरीदारी–घर का प्रत्येक सामान, चाहे वह खाने का हो या पहनने का, सदैव विश्वसनीय दुकान से ही खरीदना चाहिए। इससे उचित कीमत पर अच्छा सामान मिलेगा।
(4) गुणों की पहचान-गृहिणी को अच्छी, शुद्ध एवं ताजी वस्तुओं की पहचान होनी चाहिए। उसे सस्ते व पौष्टिक गुणों वाले खाद्य पदार्थों का ही प्रयोग करना चाहिए।
(5) कुछ वस्तुएँ थोक में खरीदना-कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं, जिनकी वर्ष भर आवश्यकता बनी रती है; उदाहरण के लिए-गेहूँ एवं चावल। इस प्रकार की वस्तुओं को फसल की कटाई के अवसर पर आवश्यकतानुसार खरीद लेना चाहिए। इस अवसर पर ये सस्ती मिल जाती हैं तथा इससे मितव्ययिता में योगदान प्राप्त होता है।
(6) संरक्षण विधि का ज्ञान-यदि गृहिणी को खाद्य-सामग्री के संरक्षण का ज्ञान है तो वह घर पर ही अचार, मुरब्बे, टमाटर की चटनी आदि तैयार कर सकती है। मितव्ययिता के दृष्टिकोण से इन वस्तुओं को घर पर ही तैयार कर लेना चाहिए।
(7) गृह-कार्यों के लिए कम-से-कम सेवक रखना–घर के आवश्यक कार्यः जैसे-खाना बनाना, कपड़े धोना, घर की सफाई आदि; गृहिणी को स्वयं ही करने चाहिए। इससे धन की काफी बचत हो जाती है। यह तथ्य कामकाजी महिलाओं पर लागू नहीं होता।
(8) बालकों को स्वयं पढ़ाना-बालकों को स्वयं पढ़ाना भी गृहिणी के लिए अति आवश्यक है। इससे रुपये की बचत के साथ-साथ बालकों को स्वयं पढ़ने की आदत डाली जा सकेगी।
(9) घर की वस्तुओं की देखभाल तथा मरम्मत करना–मितव्ययिता के लिए आवश्यक है। कि समस्त घरेलू वस्तुओं एवं उपकरणों की अच्छी तरह से देखभाल की जाए तथा इनके उत्तम रख-रखाव और मरम्मत की उचित व्यवस्था की जाए। इससे इनके अपव्यय से भी बचा जा सकता है।
(10) जरूरी वस्तुओं का सावधानीपूर्वक प्रयोग–पानी, ईंधन व प्रकाश (बिजली) जैसी जरूरी वस्तुओं का सावधानीपूर्वक प्रयोग करना चाहिए। आवश्यकता न होने पर इनका खर्च रोक देना चाहिए। [
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
‘बचत तथा ‘धन के संचय’ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामान्य रूप से कुछ लोग बचत तथा धन के संचय के मध्य अन्तर नहीं समझते। यदि धन को भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में व्यय न करके घर पर ही एकत्र करके रख लिया जाता है तो उसे धन का संचय कहा जाता है। यदि बचाए गए धन का समुचित विनियोग किया जाए तो उसे बचत कहा जाता है। उचित विनियोग द्वारा बचाए गए धन में निरन्तर वृद्धि होती है, जब कि संचित धन का क्रमशः मूल्य घटता जाता है तथा साथ ही चोरी आदि की चिन्ता भी बनी रहती है। अतः पारिवारिक बचत का समुचित विनियोग किया जाना चाहिए।
प्रश्न 2.
चेक भरते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? [2016]
उत्तर:
चेक भरते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए
1. दिनांक-चेक पर दिनांक लिखना अत्यावश्यक है। साधारणत: जिस दिन चेक लिखा जाता है, वही दिनांक चेक पर लिखी जाती है। कभी-कभी चेक पर आगे की दिनांक डाल दी जाती है। ऐसा प्रायः उस दशा में किया जाता है, जब लेखक भविष्य में किसी निश्चित दिनांक को ही रुपया अदा करना चाहता है। इस दशा में जब तक वह दिनांक नहीं आती है, तब तक चेक का भुगतान प्राप्त नहीं किया जा सकता। इस प्रकार के चेक को ‘आगामी दिनांक का चेक’ (Post-dated Cheque) कहते हैं। कभी-कभी कुछ चेकों पर पिछली (पूर्व की) दिनांक भी डाल दी जाती है। इस प्रकार के चेक को ‘पिछली दिनांक का चेक’ (Ante-dated Cheque) कहते हैं। संक्षेप में किसी भी चेक का रुपया चेक पर अंकित दिनांक से 3 माह के अन्दर लिया जा सकता है। इस नियत अवधि से अधिक दिन हो जाने पर बैंक चेक का भुगतान नहीं करता। 3 माह से अधिक पुराना चेक ‘बासी चेक’ (Stale Cheque) कहलाता है।
2. पाने वाले का नाम-चेक में प्राप्तकर्ता का नाम स्पष्ट रूप से लिखना चाहिए। प्राप्तकर्ता का नाम लिखते समय आदरसूचक शब्द एवं डिग्री; जैसे-श्री, श्रीमान, पण्डित, श्रीयुत्, डॉक्टर, प्रोफेसर, इंजीनियर आदि नहीं लिखा जाता। यदि चेक का लेखक स्वयं रुपया निकालना चाहता है तो उसे नाम के स्थान पर ‘स्वयं’ (Self) शब्द लिख देना चाहिए। ऐसे चेक का भुगतान लेखक को या उसके आदेशानुसार किसी भी अन्य व्यक्ति को दे दिया जाता है।
3. चेक की राशि-चेक में लिखी जाने वाली रकम में किसी भी प्रकार की काट-छांट या उपरिलेख (Cutting or Overwriting) नहीं होनी चाहिए। यदि कोई कटिंग (काट-छाँट) हो तो उस पर अपने नमूने के हस्ताक्षर कर देने चाहिए। चेक में शब्दों एवं अंकों में लिखी जाने वाली रकम में भी अन्तर नहीं होना चाहिए। शब्दों में रकम लिखने के पश्चात् केवल’ (Only) शब्द का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। जालसाजी से बचने के लिए आजकल चेक संरक्षक यन्त्र’ (Cheque Protector) का प्रयोग किया जाता है।
4. लेखक के हस्ताक्षर-चेक पर लेखक के हस्ताक्षर होना आवश्यक है। हस्ताक्षर सावधानी से करने चाहिए तथा वही हस्ताक्षर करने चाहिए जो नमूने के हस्ताक्षर के रूप में बैंक की ‘हस्ताक्षर-पुस्तिका’ में हैं। हस्ताक्षर न मिलने पर बैंक चेक का भुगतान नहीं करता! हस्ताक्षर पेंसिल से या मुहर लगाकर कभी भी नहीं करने चाहिए।
5. प्रतिपर्ण भरना-चेक के बाईं ओर वाले भाग को ‘प्रतिपर्ण’ कहते हैं। लेखक को चेक के प्रतिपर्ण को भी सावधानी से भरना चाहिए। इस पर दिनांक, प्राप्तकर्ता का नाम, रकम एवं भुगतान करने का उद्देश्य अवश्य भर लेना चाहिए। इससे भावी सन्दर्भ में सुविधा रहती है।
प्रश्न 3.
पारिवारिक स्तर को ऊँचा उठाने के लिए गृहिणी को क्या करना चाहिए?
उत्तर:
पारिवारिक स्तर को ऊँचा उठाने के लिए गृहिणी को-
- पारिवारिक आय का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।
- आवश्यकताओं की प्राथमिकता के क्रम में धन का व्यय करना चाहिए।
- अधिक मूल्य वाले खाद्य-पदार्थों के स्थान पर समान पौष्टिक गुणों वाले कम मूल्य के खाद्य-पदार्थ खरीदने चाहिए।
- फसल के समय अनाज खरीदकर उनका संरक्षण कर लेना चाहिए।
- पारिवारिक आय में वृद्धि के उपाय अपनाने चाहिए, क्योंकि अधिक आय एवं बचत द्वारा ही पारिवारिक स्तर ऊँचा उठाया जा सकता है।
प्रश्न 4
भविष्य निधि योजना के विषय में आप क्या जानती हैं?
उत्तर:
भविष्य निधि योजना प्राय: सरकारी, अर्द्ध-सरकारी एवं पंजीकृत संस्थानों के कर्मचारियों के लिए होती है। यह एक अनिवार्य बचत योजना हैं जिसमें प्रायः कर्मचारी के वेतन का प्रति माह 5% से 8% कटता है तथा इतनी ही धनराशि प्रति माह सम्बन्धित संस्था अथवा सरकार द्वारा जमा की जाती है। इस प्रकार प्रत्येक कर्मचारी के भविष्य निधि खाते में प्रति माह उसके मूल वेतन का कुल 10% से 16% जमा होता है। इस धनराशि पर निर्धारित दर से ब्याज भी मिलता है तथा आयकर में छूट भी मिलती है। यह धनराशि ब्याज सहित कर्मचारी को उसका सेवाकाल पूर्ण होने पर मिलती है। भविष्य निधि खाता डाकघर अथवा बैंक मे भी खोला जाता है।
प्रश्न 5
टिप्पणी लिखिए-सार्वजनिक प्रॉविडेण्ट फण्ड योजना।
उत्तर:
बचत विनियोग के लिए हमारी सरकार ने वर्ष 1972-73 में सार्वजनिक प्रॉविडेण्ट फण्ड योजना (Public Provident Fund Scheme) चलाई थी। इस योजना के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति अपनी पारिवारिक बचत की राशि को एक विशेष खाता खोलकरे जमा कर सकता है। यह खाता ‘भारतीय स्टेट बैंक’ की मुख्य शाखा अथवा मुख्य डाकघर में खोला जा सकता है। इस योजना के अन्तर्गत प्रति वर्ष कम-से-कम 500/- तथा अधिक-से-अधिक 1,50,000/- जमा किए जा सकते हैं। जमा धन पर 8% वार्षिक दर से चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है। ब्याज दर समय-समय पर बदलती रहती है।
इस योजना में जमा की जाने वाली धनराशि पर आयकर में भी छूट मिलती है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि इस योजना के अन्तर्गत जमा धन पर मिलने वाला ब्याज पूर्ण रूप से आयकर से मुक्त है। इस खाते में जमा धन की किसी भी न्यायालय द्वारा कुक भी नहीं की जा सकती। यह योजना 15 वर्ष के लिए होती है। नियमों के अनुसार जमा धन में से ऋण लिया जा सकता है। योजना के छठे वर्ष से नियमानुसार आंशिक धन वापस भी लिया जा सकता है। इस योजना को 15 वर्ष के उपरान्त 5-5 वर्ष के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है।
प्रश्न 6.
टिप्पणी लिखिए-राष्ट्रीय बचत-पत्र।[2007, 0, 12, 13, 14]
उत्तर:
पारिवारिक बचत का एक अच्छा साधन ‘राष्ट्रीय बचत पत्र’ (National Saving Certificate) भी है। इस योजना का संचालन डाकघर के माध्यम से किया जाता है। इस योजना में धन जमा करने पर आयकर में नियमानुसार छूट मिलती है। ये बचत-पत्र र 100, र 500, र 1000, र 5000 तथा र 10000 मूल्य-वर्ग में मिलते हैं। ये बचत-पत्र एक नाम से अथवा संयुक्त नामों से भी लिए जा सकते हैं तथा इनमें नामांकन की सुविधा भी उपलब्ध हैं। यह योजना दो प्रकार की है-पाँच वर्षीय योजना तथा दस वर्षीय योजना। दोनों में मिलने वाले ब्याज में कुछ अन्तर रहता है। ब्याज दर समय-समय पर बदलती रहती है।
प्रश्न 7.
बैंक के बचत खाते और चालू खाते में क्या अन्तर है? दोनों की उपयोगिता लिखिए। या चालू खाते और बचत खाते में अन्तर बताइए।[09]
उत्तर:
बैंक में खोले जाने वाले दो मुख्य खाते होते हैं-‘बचत खाता’ तथा ‘चालु खाता’। इन दोनों खातों में मुख्य अन्तर निम्नलिखित हैं-
- बचत खाता व्यक्तिगत रूप से पारिवारिक बचत के लिए खोला जाता है, जब कि चालू खाता व्यापारिक लेन-देन के लिए व्यापारियों द्वारा खोला जाता है।
- बचत खाते में जमा धनराशि पर निर्धारित दर से ब्याज दिया जाता है, जब कि चालू खाते में जमा धन पर किसी प्रकार का ब्याज नहीं दिया जाता, बल्कि खाताधारी से कुछ सेवा-शुल्क लिया जाता है।
- बचत खाते में से एक निश्चित मात्रा में ही धन निकाला जा सकता है, जब कि चालू खाते में से दिन में जितनी बार चाहें, धन निकाला जा सकता है।
यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि बचत खाता घरेलू बचत के दृष्टिकोण से तथा चालू खाता व्यापारिक लेन-देन को अधिक सुविधाजनक बनाने के दृष्टिकोण से उपयोगी है।
प्रश्न 8.
पास-बुक और चेक-बुक में क्या अन्तर है? वर्णन कीजिए।[2008, 9, 11, 12, 14, 15, 16, 17 ]
या
चेक-बुक क्या है?(2016)
या
बैंक के कार्य लिखिए।
चेक-बुक तथा पास-बुक में अन्तर लिखिए। [2009, 17]
उत्तर:
बैंक के कार्य-पारिवारिक बचत का सर्वोत्तम तथा सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम बैंक है। वैको में धन जमा करने के साथ-साथ हम अपने आभूषण भी कुछ भुगतान करके जमा कर सकते हैं। बैंक हमारे धन को सुरक्षित रखते हैं और उस पर ब्याज भी देते हैं। हमारे व्यवसाय को उन्नत करने के लिए निश्चित दरों पर ऋण उपलब्ध कराते हैं। बेरोजगार युवाओं एवं युवतियों को अपना व्यापार, शिक्षा आदि के लिए भी धन उपलब्ध कराते हैं। बैंक हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं।
पास-बुक-बैंक प्रत्येक जमाकर्ता को खाता खोलने पर एक लेखा-पुस्तिका अर्थात् पास-बुक देता है। पास-बुक में खाताधारी का नाम, पता, खाता संख्या तथा जमा धनराशि अंकित होती है। खाते में धन जमा करते अथवा निकालते समय जमाकर्ता अपनी पास-बुक सम्बन्धित लेखा कर्मचारी को देता है जो जमा की गई अथवा निकाली गई धनराशि को पास-बुक में अंकित कर जमाकर्ता को लौटा देता हैं। अब यह कार्य कम्प्यूटर या मशीन से होने लगा है।
चेक-बुक-खाताधारक द्वारा माँगने पर बैंक उसे चेक-बुक की सुविधा प्रदान करता है। इसके लिए खाताधारक को अपने खाते में सदैव एक निश्चित धनराशि शेष रखनी पड़ती है। चेक-बुक में चेकों की संख्या 10, 25 अथवा 50 तक होती है। चेक-बुक लेते समय इसके कुल चेकों को भली प्रकार गिन लेना चाहिए। चेक-बुक को सदैव सुरक्षित स्थान पर अपनी निगरानी में रखना चाहिए। चेक द्वारा धन निकालते समय चेक पर निकाली जाने वाली धनराशि, दिनांक व प्राप्तकर्ता का नाम भरकर खाताधारक को नियत स्थान पर अपने हस्ताक्षर करने होते हैं। अब इसे भरे हुए चेक को प्रस्तुत करने । पर बैंक अधिकारी हस्ताक्षर का मिलान करता है। हस्ताक्षर मिलने पर चेक प्रस्तुत करने वाले को चेक पर लिखी गई धनराशि का भुगतान हो जाता है।
प्रश्न 9
‘यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया’ के विषय में आप क्या जानती हैं? संक्षेप में लिखिए।(2016)
उत्तर:
आजकल बचत का एक अत्यन्त लोकप्रिय, लाभदायक और पूर्णतया सुरक्षित साधन ‘यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया’ द्वारा प्रसारित विभिन्न प्रकार की जमा योजनाएँ हैं। यूनिट एक प्रकार की अंश पूँजी होती है, जिसकी कीमत 10 होती है। हम यूनिट ट्रस्ट के किसी भी एजेण्ट के माध्यम से, आवेदन-पत्र देकर तथा धनराशि को क्रॉस चेक द्वारा देकर यूनिट्स खरीद सकते हैं। यूनिट्स के माध्यम से प्राप्त धन को सरकार विभिन्न सरकारी उद्योगों में लगाती है तथा प्राप्त लाभांश का 90% यूनिट्स के खरीदारों को वर्ष के अन्त में लाभांश (Dividend) के रूप में देती है। ये यूनिट्स रुपये की आवश्यकता पड़ने पर कभी भी बेचे जा सकते हैं। यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया द्वारा समय-समय पर विभिन्न आकर्षक एवं लाभकारी योजनाएं चलायी जाती हैं।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
बचत क्या है?[2008, 09, 10, 12, 18]
उत्तर:
पारिवारिक आय में से परिवार की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय करने के उपरान्त जो धनराशि शेष रह जाती है, वह बचते कहलाती है।
प्रश्न 2
प्रत्यक्ष आय और अप्रत्यक्ष आय में क्या अन्तर है ? [2011]
उत्तर:
प्रत्यक्ष आय धन (वेतन आदि) के रूप में होती है जबकि अप्रत्यक्ष आय सुविधाओं (बिना किराये का मकान, नि:शुल्क चिकित्सा एवं शिक्षा आदि) के रूप में होती है।
प्रश्न 3
डाकघर में बचत खाता खोलने से क्या लाभ होता है? समझाइए। 2015
उत्तर:
डाकघर में बचत खाता खोलने से निम्नलिखित लाभ हैं
- बचत की आदत को प्रोत्साहन मिलता है।
- जमा धनराशि सभी प्रकार से सुरक्षित रहती है।
- व्यक्तिगत तथा संयुक्त खातों पर निर्धारित दर से वार्षिक ब्याज मिलता है।
प्रश्न 4
‘किसान विकास-पत्र के विषय में आप क्या जानती हैं?
उत्तर:
घरेलू बचतों के विनियोग के लिए एक उत्तम योजना किसान विकास–पत्र भी है। यह योजना डाकघर के माध्यम से चलाई जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत जमा की गई धनराशि 9 वर्ष 5 माह में दोगुनी हो जाती है। किसान विकास-पत्र को किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में गिरवी रखकर ऋण प्राप्त किया जा सकता है। इस योजना के अन्तर्गत की गई बचत पर किसी प्रकार की आयकर सम्बन्धी छूट नहीं मिलती।
प्रश्न 5
बचत के चार उद्देश्य लिखिए। [2007, 08, 09, 11, 13, 14]
उत्तर:
बचत के चार उद्देश्य हैं
- वृद्धावस्था में आर्थिक सुरक्षा,
- बच्चों के विवाह में सहायता,
- आकस्मिक संकटों का सामना तथा
- सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि।
प्रश्न 6
यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया से आप क्या समझती हैं?
उत्तर:
यह योजना 1964 ई० में आरम्भ की गई थी। इसमें पारिवारिक बचत को एकत्रित कर विभिन्न उद्योगों में लगाया जाता है। लाभांश यूनिट धारकों के मध्य वितरित कर दिया जाता है।
प्रश्न 7
बैंक में धन रखना क्यों अच्छा माना जाता है? या बैंक में बचत खाता खोलने के क्या लाभ हैं? [2009, 14, 17]
उत्तर:
बैंक में बचत खाता खोलने के निम्नलिखित लाभ हैं
- धन पूर्ण रूप से सुरक्षित रहता है।
- धन सरलतापूर्वक जमा किया व निकाला जा सकता है।
- चेक की सुविधा उपलब्ध होती है।
- जमा धनराशि पर ब्याज भी मिलता है।
- ए०टी०एम तथा ई बैकिंग की सुविधा उपलब्ध है।
प्रश्न 8.
बैंक के कार्य लिखिए। [2008]
उत्तर:
बैंक विश्वव्यापी मुख्य वित्तीय व व्यावसायिक संस्थाएँ हैं। ये धन के लेन-देन का कार्य उच्च स्तर पर करते हैं। हम यहाँ अपनी बचत का धन जमा भी कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर ऋण भी ले सकते हैं।
प्रश्न 9.
पास बुक की उपयोगिता बताइए।[2011, 14, 17]
उत्तर:
पास बुक में दिए गए विवरण से व्यक्ति को अपने खाते में हुए समस्त लेन-देन तथा ब्याज आदि की सही जानकारी प्राप्त हो जाती है।
प्रश्न 10.
चेक-बुक की क्या उपयोगिता है?
[2007, 09, 10, 11, 12, 15, 16, 17, 18]
या
चेक-बुक रखने से क्या लाभ है? [2008]
उत्तर:
बैंक द्वारा उपलब्ध कराई गई चेक-बुक के माध्यम से धन का लेन-देन सरल एवं सुरक्षित हो जाता है। एक नगर से दूसरे नगर तक धन को भेजना भी सम्भव हो जाता है।
प्रश्न 11.
चेक कितने प्रकार के होते हैं?[2014, 17]
उत्तर:
चेक प्राय: तीन प्रकार के होते हैं
- साधारण चेक,
- उपहार चेक तथा
- ट्रैवलर चेक।
प्रश्न 12.
वाहक चेक किसे कहते हैं? इसका लाभ बताइए।[2012]
उत्तर:
वाहक चेक उस चेक को कहते हैं जिसे ले जाकर कोई भी व्यक्ति बैंक से नकद राशि ले सकता है। इस प्रकार का चेक अपने किसी भी विश्वसनीय व्यक्ति को देकर बैंक से धन निकलवाया जा सकता है।
प्रश्न 13.
उपहार चेक किसे कहते हैं?[2013]
उत्तर:
उपहार चेक र 21, 51, 101 तथा 151 तक की धनराशि के होते हैं तथा जन्म-दिन, विवाह आदि शुभ अवसरों पर भेंट किए जाते हैं।
प्रश्न 14.
ट्रैवलर चेक से आप क्या समझती हैं? या ट्रैवलर चेक की उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:
बैंक में धन जमा कर ट्रैवलर चेक प्राप्त किए जा सकते हैं। ये प्रायः र 50/-, र 100/- एवं र 1000/- के होते हैं। ये देश के किसी भी शहर में, जहाँ पर जारीकर्ता बैंक की शाखा है, भुनाए जा सकते हैं। यात्रा आदि में धन सुरक्षित ले जाने का ये उपयुक्त माध्यम हैं। प्रश्न 15 धोखाधड़ी से बचने के लिए किस प्रकार का चेक दिया जाना चाहिए? उत्तर धोखाधड़ी से बचने के लिए रेखांकित चेक दिया जाना चाहिए।
प्रश्न 16.
रेखांकित चेक किसे कहते हैं? [2007, 08, 09, 10, 12, 15, 16, 17, 18]
उत्तर:
किसी खाताधारक द्वारा जारी वह चेक रेखांकित चेक कहलाता है जिसके बाईं ओर उसके द्वारा दो समान्तर रेखाएँ खींच दी जाती हैं। इस चेक का पैसा प्राप्तकर्ता केवल अपने खाते में ही जमा कराकर प्राप्त कर सकता है। इस चेक का नकद भुगतान नहीं किया जा सकता। इस प्रकार रेखांकित वेक द्वारा लेन-देन सुरक्षित माना जाता है।
प्रश्न 17.
जीवन बीमा से क्या लाभ हैं? । [2010]
उत्तर:
जीवन बीमा के अन्तर्गत बीमाधारक को दोहरा लाभ प्राप्त होता है। बीमा अवधि के मध्य दुर्घटना में अथवा बीमारी से बीमाधारक की मृत्यु हो जाने की दशा में नामांकिती को आर्थिक सुरक्षा के रूप में बीमा को धनराशि मिल जाती है, जब कि बीमे की अवधि पूर्ण होने तक जीवित रहने पर बीमाधारक को बोनस सहित बीमा धनराशि प्राप्त हो जाती है।
प्रश्न 18
डाकघर की किन्हीं दो बचत योजनाओं के नाम लिखिए।[2008, 15]
उत्तर:
प्रमुख दो बचत योजनाएँ हैं-
- बचत खाता योजना तथा
- संचयी सावधि जमा खाता।
प्रश्न 19
मितव्ययिता से क्या तात्पर्य है? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।[2007]
उत्तर:
सोच-समझकर उचित कार्य में कम-से-कम व्यय करना मितव्ययिता कहलाती है।
प्रश्न 20
कोई दो बचत योजनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
ऐसी दो योजनाएँ हैं
- किसान विकास-पत्र तथा
- राष्ट्रीय बचत-पत्र योजना।
प्रश्न 21
बचत का विनियोजन करने वाली संस्थाएँ कौन-कौन सी हैं?
या
बचत को सुरक्षित रखने वाली किन्हीं दो सरकारी संस्थाओं के नाम लिखिए। [2008]
धन जमा करने की दो सरकारी संस्थाओं के नाम लिखिए। [2008, 11]
उत्तर:
ऐसी सरकारी संस्थाएँ हैं
- डाकघर,
- बैंक,
- भारतीय जीवन बीमा निगम,
- यूनिट ट्रस्ट,
- भविष्य निधि,
- चिट-फण्ड,
- सहकारी समितियाँ आदि।
प्रश्न 22
डाकघर में कितने प्रकार के खाते खोले जा सकते हैं?
उत्तर:
डाकघर में निम्न खाते खोले जा सकते हैं
- डाकघर बचत बैंक,
- डाकघर सावधि जमा खाता,
- 5 वर्षीय डाकघर आवर्ती जमा खाता,
- 15 वर्षीय लोक भविष्य निधि खाता,
- राष्ट्रीय बचत योजना खाता
- किसान विकास पत्र तथा
- सुकन्या समृद्धि खाता।
प्रश्न 23
राष्ट्रीय बचत-पत्र क्या है? [2007, 08, 09, 12, 13, 14, 16, 17]
उत्तर:
राष्ट्रीय बचत-पत्र र 100/-, र 500/-, र 1,000/-, र 5,000/- तथा र 10,000/- मूल्य वर्ग में उपलब्ध होते हैं। ये बचत का बहुत अच्छा साधन हैं। यह योजना 5 वर्षीय तथा 10 वर्षीय होती है। और इसमें आयकर में छूट भी मिलती है।
प्रश्न 24
आय कितने प्रकार की होती है?[2008]
उत्तर:
आय दो प्रकार की होती है
- प्रत्यक्ष आय तथा
- अप्रत्यक्ष आय।
प्रश्न 25
बैंक के दो प्रकार के खातों के नाम लिखिए। 09
उत्तर:
- बचत खाती तथा
- चालू खाता।
प्रश्न 26
आय के साधन लिखिए।
उत्तर:
पारिवारिक आय के सम्भावित साधन हैं-वेतन, पेंशन, दैनिक मजदूरी, कृषि, व्यापार या व्यवसाय, घरेलू उद्योग-धन्धे, पशुपालन, ब्याज, उपहार तथा कुछ अन्य स्रोत।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न-निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए
प्रश्न 1.
आय-व्यय में सन्तुलन हेतु निम्नलिखित में से कौन-सा साधन उपयुक्त होगा?
(क) वार्षिक बजट
(ख) मासिक बजेट
(ग) साप्ताहिक बजट
(घ) दैनिक बजट
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सी वस्तु पूँजी नहीं है ?
(क) दस का नोट
(ख) फैक्टरी भवन
(ग) टैक्सी
(घ) औजार
प्रश्न 3.
बचत का मुख्य प्रयोजन है 2011, 16, 17
(क) भविष्य के आवश्यक और आकस्मिक व्यय के लिए
(ख) मनोरंजन के लिए
(ग) विलासात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए
(घ) सुख-प्राप्ति के लिए ।
प्रश्न 4.
बचत को सुरक्षित रखने का प्रमुख साधन है। 2012, 17
(क) बॉक्स में रखना।
(ख) बैंक में जमा करना
(ग) पड़ोसियों के घर रखना
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 5.
बचत आर्थिक सुरक्षा का साधन है।
(क) स्कूली बच्चों के लिए।
(ख) पड़ोसियों के लिए
(ग) स्वयं तथा आश्रितों के लिए
(घ) मेहमानों के लिए
प्रश्न 6.
यदि पारिवारिक आय से व्यय कम हो तो शेष धन को कहते हैं
(क) फालतू धन ।
(ख) अनावश्यक धन
(ग) पारिवारिक बचत
(घ) व्यावसायिक आय
प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से किसे निःसंचय कहेंगे?
(क) व्यय के बाद बचे धन को जमीन में गाड़ देने को
(ख) उपलब्ध धन को तिजोरी में बन्द करके रखने को
(ग) कीमती आभूषण बनवाने को
(घ) उपर्युक्त सभी को
प्रश्न 8.
बैंक में कम-से-कम कितनी राशि से खाता खोला जा सकता है? [2013]
(क) र 1,000
(ख) र 200
(ग) र 100
(घ) र 500।
प्रश्न 9.
जीवन बीमा मुख्य रूप से सुरक्षा का साधन है।
(क) स्वयं के लिए।
(ख) पड़ोसियों के लिए
(ग) आश्रितों के लिए
(घ) किसी के लिए नहीं
प्रश्न 10.
किसी शुभ अवसर पर दिया जाने वाला चेक कहलाता है। 2009, 10, 17
(क) ट्रैवलर चेक
(ख) क्रॉस चेक
(ग) उपहार चेक
(घ) ऑर्डर चेक
प्रश्न 11.
उपहार चेक की राशि होती है ।
(क) र 25
(ख) र 21
(ग) र 30
(घ) र 50
प्रश्न 12.
संचायिका जमा खाता किसके लिए लाभदायक है? [2009, 11, 13]
(क) वृद्धों के लिए।
(ख) स्कूली बच्चों के लिए
(ग) नौकरी करने वालों के लिए।
(घ) गृहिणी वर्ग के लिए
प्रश्न 13.
यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया योजना किस वर्ष में प्रारम्भ की गई थी?
(क) 1967 ई० में
(ख) 1966 ई० में
(ग) 1964 ई० में
(घ) 1974 ई० में
प्रश्न 14.
दैनिक जीवन में किसकी बचत अति आवश्यक है ? [2009
(क) समय
(ख) धन
(ग) श्रम
(घ) इन सभी की
प्रश्न 15.
सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के उपरान्त प्राप्त होता है। [2014]
(क) वेतन
(ख) पेंशन
(ग) बोनस
(घ) इनमें से कुछ नहीं
प्रश्न 16.
बचत की आवश्यकता है। [2016, 17 ]
(क) मनोरंजन के लिए।
(ख) बँगला खरीदने के लिए।
(ग) भविष्य के आकस्मिक खर्चे के लिए
(घ) ये सभी
प्रश्न 17.
जीवन बीमा का मुख्य उद्देश्य है। [2015]
(क) शादी विवाह के लिए धन उपलब्ध कराना
(ख) बीमाधारक को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना
(ग) अधिक ब्याज देना
(घ) बीमा धारक के आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना
प्रश्न 18.
किसान विकास-पत्र योजना है। [2016]
(क) जीवन बीमा की
(ख) डाकखाने की
(ग) बैंक की
(घ) इनमें से कोई नहीं इतर
उत्तर:
- (ख) मासिक बजट,
- (घ) औजार,
- (क) भविष्य के आवश्यक और आकस्मिक व्यय के लिए,
- (ख) बैंक में जमा करना,
- (ग) स्वयं तथा आश्रितों के लिए,
- (ग) पारिवारिक बचत,
- (घ) उपर्युक्त सभी को,
- (ग) र 100,
- (ग) आश्रितों के लिए,
- (ग) उपहार चेक,
- (ख) र 21,
- (ख) स्कूली बच्चों के लिए,
- (ग) 1964 ई० में,
- (घ) इन सभी की,
- (ख) पेंशन,
- (घ) ये सभी,
- (घ) बीमा धारक के आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना,
- (ख) डाकखाने की।
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