UP Board Solutions for Class 7 Hindi प्रार्थना-पत्र (पत्र-लेखन)

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi प्रार्थना-पत्र (पत्र-लेखन)

मनुष्य अपने भाव व विचार मौखिक तथा लिखित रूप से व्यक्त करता है। जब मनुष्य को किसी व्यक्ति से सीधा सम्पर्क करके अपनी बात कहने का अवसर नहीं मिलता, तो वह अपने विचार उस तक पहुँचाने के लिए लिखित भाषा अपनाता है। दूसरे व्यक्तियों से  अपना सम्पर्क बनाए रखने के लिए तथा अपने भावों को उन तक पहुँचाने के लिए मनुष्य पत्र का माध्यम अपनाता है। पत्र लेखन एक कला है। इस कला में दक्ष होना मनुष्य के व्यक्तित्व को चार चाँद लगा देता है। इसी उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के पत्रों के नमूने दिए जा रहे हैं।

 

पत्रों के प्रकार

 

पत्र मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं

1. व्यक्तिगत पत्र:
इन्हें निजी या घरेलू पत्र भी कहते हैं। इस प्रकार के पत्र अपने सगे सम्बन्धियों, मित्रों व परिचितों को अपनी कुशलता बताने व औरों की कुशलता पूछने के उद्देश्य से लिखे जाते हैं।

2. व्यापारिक पत्र:

इस प्रकार के पत्र व्यापार सम्बन्धी बातों के लिए लिखे जाते हैं। इसे दुकानदार,  मिल मालिक तथा कारखाने वाले अपना सामान मँगवाने, भिजवाने या रद्द कराने आदि के लिए लिखते हैं।

3. सरकारी पत्र:

जो पत्र किसी अधिकारी को या अधिकारी द्वारा किसी अधीनस्थ अथवा साथी को लिखे जाते हैं, वे इसी श्रेणी में आते हैं।

 

पुत्र का पत्र पिता के नाम

101, ब्राह्मण छात्रावास, लखनऊ
दिनांक : 11.07.20XX
परमादरणीय प्रातः स्मरणीय पूज्य पिता जी,
सादर चरणस्पर्श!
आपके द्वारा भेजे हुए हैं 1000 तथा अन्य सामान मुझे प्रातः अंकल जी के घर से प्राप्त हो गया है। आपके आदेशानुसार मैंने पाँच सौ पचास रुपये पास के एक डाकखाने में जमा कर दिए हैं। यद्यपि कक्षाएँ प्रारम्भ हो गई हैं परन्तु शिक्षण कार्य में अभी नियमितता नहीं आ पाई है। मैंने अपनी पूरी फीस जमा कर दी है और आवश्यक पुस्तकें व कॉपी आदि खरीद लिए हैं। बड़े भाई साहब से कहिएगा कि वे पत्र लिख दिया करें।
पूज्य माता जी को प्रणाम, रानी व मुन्नु को प्यार वे दुलार।
आपका प्रिय पुत्र
अक्षित बहुगुणा

 

निमन्त्रण पत्र

प्रिय महोदय,
परम पिता परमात्मा की असीम कृपा से मेरे पुत्र चि० हरेन्द्र कुमार की शुभ वर्षगाँठ  15 जुलाई को है। इस उपलक्ष्य में सायं पाँच बजे जलपान का आयोजन किया गया है।
आपसे निवेदन है कि इस अवसर पर सपरिवार पधार कर हमें कृतार्थ करें।
दर्शनाभिलाषी
मदन किशोर
दिनांक : 11.07.20XX

 

शोक पत्र

 

लखनऊ
दिनांक : 18.07.20XX
आदरणीय भाई श्री महेश जी, आपकी परम पूज्य माता जी के निधन का समाचार पाकर मन को बड़ा दुख हुआ। इस समाचार से सारा परिवार ही स्तब्ध रह गया। पिछले सप्ताह तो वे स्वस्थ थीं। उनकी ममतामयी छवि मेरी आँखों के सामने बार-बार उभर  आती है। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करें। मित्र! ईश्वर की इच्छा बलवती है। इसके आगे किसी का वश नहीं चलता। मृत्यु जीवन का परम सत्य है। यही समझकर इस आघात को सहन करो।। परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति दें और आपको इस वज्रपात को सहन करने की शक्ति दें।
आपका मित्र
नीरज कान्त

व्यापारिक पत्र

अशोक प्रकाशन (रजि०)
डिप्टी गंज, बुलन्दशहर।
प्रिय महोदय,
मुझे आपको यह सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि हम आपके द्वारा प्रकाशित पुस्तकें बीस हजार रुपये से अधिक मूल्य की बेच चुके हैं। अतः आपसे निवेदन है कि आप अपनी नियमावली के अनुसार 5 प्रतिशत अतिरिक्त कमीशन देने की कृपा करें।  कृपया निम्नलिखित माल सवारी गाड़ी द्वारा तुरन्त भेज दीजिए

  1.  राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा- 6 100 प्रतियाँ
  2. राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा- 7 100 प्रतियाँ
  3.  राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा- 8 100 प्रतियाँ

भवदीय
(दीपक बुक डिपो)
बरेली
दिनांक 15.07.20XX

 

प्रधानाचार्य को अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र

श्रीयुत प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय इंटर कॉलेज, मुरादाबाद।
महोदय,
विनम्र निवेदन यह है कि कल रात से अचानक ज्वर आ जाने  के कारण मैं विद्यालय में उपस्थित होने में असमर्थ हैं। अतः प्रार्थना है कि दिनांक 10 व 11 जुलाई, 20XX का अवकाश स्वीकृत करने की कृपा करें।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
गौरव कक्षा 7 (ब)
दिनांक 10 जुलाई, 20XX

शुल्क माफी हेतु प्रार्थना-पत्र

प्रधानाचार्य,
नेशनल इंटर कॉलेज, लखनऊ।
महोदय,
निवेदन यह है कि मैं एक निर्धन विधवा माँ का पुत्र हैं। हमारी आय का साधन केवल मेहनत-मजदूरी है। मेरी इच्छा है कि मैं योग्य व्यक्ति बनें और उच्चतम शिक्षा प्राप्त करूं, परन्तु आर्थिक कठिनाई मेरे मार्ग में बाधक हो रही हैं। अतः आपसे नम्र निवेदन  एवं करबद्ध प्रार्थना है कि विद्यालय के शुल्क से मुझे पूर्ण-मुक्ति प्रदान करने की कृपा करें।
गत वर्ष की परीक्षा में मैंने 84% अंक प्राप्त किए थे। परीक्षाफल की प्रमाणित प्रतिलिपि एवं दो। सम्मानित व्यक्तियों की संस्तुति भी प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न है।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
सौरभ कक्षा 7 (अ)
दिनांक 18.07.20XX

 

मित्र का मित्र को पत्र

इलाहाबाद
01.07.20XX
प्रिय स्नेही मित्र सपन,
सप्रेम नमस्कार!
मित्र! यहाँ पर मैं सपरिवार आनन्द में हैं। बहुत दिनों से न तो तुम्हारे दर्शन ही हुए और न कोई
कुशल-पत्र ही प्राप्त हुआ। कोई नाराजगी है? यदि कोई भूल हो गई हो तो क्षमा करना।
इस वर्ष परीक्षा देने के बाद मैं अपने मामा के यहाँ जाऊँगा। वहीं से तुम्हारे  यहाँ आऊँगा। फिर दोनों साथ-साथ सुरेश के गाँव चलेंगे।
पूज्य चाची जी व चाची जी से मेरा प्रणाम कहना।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
नीरज शर्मा