UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 5 विनिमय-विपत्र, प्रतिज्ञा-पत्र व हुण्डी
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 5 विनिमय-विपत्र, प्रतिज्ञा-पत्र व हुण्डी are the part of UP Board Solutions for Class 10 Commerce. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 5 विनिमय-विपत्र, प्रतिज्ञा-पत्र व हुण्डी.
बहुविकल्पीय प्रश्न ( 1 अंक)
प्रश्न 1.
विनिमय-तिपत्र का लेखक होता है। (2016)
अथवा
विनिमय-विपत्र “………….” द्वारा तिखा जाता है। (2018)
(a) आहर्ती
(b) लेनदार
(c) स्वीकर्ता
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) लेनदार
प्रक्न 2.
विनिमय-विपत्र में …………… पक्ष होते हैं।
(a) तीन
(b) दो
(c) पॉम
(d) चार
उत्तर:
(a) तीन
प्रश्न 3.
विनिमय-वपत्र …………… द्वारा स्वीकार किया जाता है। (2013)
(a) आहत के
(b) अदाकत के
(c) आदाता के
(d) बैंकर के
उत्तर:
(b) अदाकत के
प्रश्न 4.
विनिमय-विपत्र के भुगतान में अनुग्रह दिवस होते हैं (2016)
(a) 2
(b) 3
(c) 5
(d) 6
उत्तर:
(b) 3
प्रश्न 5.
हुण्डी की भाषा होती है। (2014)
(a) हिन्दी
(b) अंग्रेजी
(c) मुड़िया
(d) संस्कृत
उत्तर:
(c) मुड़िया
निश्चित उत्तारीय प्रश्न ( 1 अंक)
प्रश्न 1.
विनिमय-विपत्र की कोई एक विशेषता लिखिए।
उत्तर:
विनिमय-विपत्र एक शर्तरहित लिखित आज्ञा-पत्र होता है।
प्रश्न 2.
विनिमय-विपत्र कब अनादृत होता है? (2013)
उत्तर:
जब भुगतान तिथि पर विपत्र को भुगतान नहीं होता है।
प्रश्न 3.
विनिमय-विपत्र का बेचान किया जा सकता है। (सत्य/असत्य) (2010)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 4.
अनुग्रह विनिमय-विपत्र व्यापारिक सौदों के लिए लिखा जाता है। (सत्य/असत्य) (2012)
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 5.
क्या प्रतिज्ञा-पत्र में मूल्यानुसार टिकट लगाया जाता है?
उत्तर:
हाँ
प्रश्न 6.
प्रतिज्ञा-पत्र लेनदार द्वारा लिखा जाता है। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 7.
हुण्डी कितने प्रकार की होती है?
उत्तर:
दो
अतिलघु उत्तारीय प्रश्न (2 अंक)
प्रश्न 1.
विनिमय-विपत्र को परिभाषित कीजिए। (2014)
उत्तर:
भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम, 1881 की धारा 5 के अनुसार, “विनिमय-विपत्र (Bill of Exchange) एक लिखित एवं शर्तरहित आज्ञा-पत्र है, जिस पर लिखने वाले के हस्ताक्षर होते हैं तथा जिसमें लिखने वाला किसी व्यक्ति अथवा संस्था को यह आज्ञा देता है कि वह निश्चित धनराशि का भुगतान उसे अथवा किसी व्यक्ति को उसकी आज्ञानुसार या विपत्र के वाहक को माँगने पर अथवा एक निश्चित अवधि के समाप्त होने पर कर दे।”
प्रश्न 2.
विनिमय-विपत्र क्या है? इसकी दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। (2017, 15)
उत्तर:
विनिमय-विपत्र का अर्थ इसके लिए अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 1 देखें। विनिमय-विपत्र की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 1
उत्तर:
भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम, 1881 की धारा 5 के अनुसार, “विनिमय-विपत्र (Bill of Exchange) एक लिखित एवं शर्तरहित आज्ञा-पत्र है, जिस पर लिखने वाले के हस्ताक्षर होते हैं तथा जिसमें लिखने वाला किसी व्यक्ति अथवा संस्था को यह आज्ञा देता है कि वह निश्चित धनराशि का भुगतान उसे अथवा किसी व्यक्ति को उसकी आज्ञानुसार या विपत्र के वाहक को माँगने पर अथवा एक निश्चित अवधि के समाप्त होने पर कर दे।”
प्रश्न 2.
- लिखित आज्ञा-पत्र विनिमय-विपत्र एक लिखित आज्ञा-पत्र होता है।
- लेखक के हस्ताक्षर विनिमय-विपत्र में लेखक के हस्ताक्षर होते हैं।
प्रश्न 3.
विनिमय-विपत्र क्या है? विनिमय-विपत्र के दो पक्षकारों के नाम लिखिए। (2015)
उत्तर:
विनिमय-विपत्र का अर्थ इसके लिए अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 1 देखें। विनिमय-विपत्र के दो पक्षकार निम्नलिखित हैं
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 1
उत्तर:
भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम, 1881 की धारा 5 के अनुसार, “विनिमय-विपत्र (Bill of Exchange) एक लिखित एवं शर्तरहित आज्ञा-पत्र है, जिस पर लिखने वाले के हस्ताक्षर होते हैं तथा जिसमें लिखने वाला किसी व्यक्ति अथवा संस्था को यह आज्ञा देता है कि वह निश्चित धनराशि का भुगतान उसे अथवा किसी व्यक्ति को उसकी आज्ञानुसार या विपत्र के वाहक को माँगने पर अथवा एक निश्चित अवधि के समाप्त होने पर कर दे।”
प्रश्न 4.
विनिमय-विपत्र कब अनादृत होता है? (2013)
उत्तर:
जब विनिमय-विपत्र का स्वीकर्ता बिल की भुगतान तिथि पर विपत्रे का भुगतान करने से इन्कार कर देता है अथवा उसे स्वीकार करने में असमर्थता प्रकट करता है, तो उसे विनिमय-विपत्र का अनादरण या तिरस्कृत (Dishonour) होना कहते हैं।
प्रश्न 5.
प्रतिज्ञा-पत्र को परिभाषित कीजिए। इसके पक्षकारों के नाम लिखिए। (2016)
अथवा
प्रतिज्ञा-पत्र क्या है? इसके दो पक्षों के नाम बताइए।
अथवा
प्रतिज्ञा-पत्र को परिभाषित कीजिए। (2013)
अथवा
प्रतिज्ञा-पत्र से आप क्या समझते हैं? (2012)
उत्तर:
भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम, 1881 की धारा 4 के अनुसार, “प्रतिज्ञा-पत्र (Promissory Note) एक लिखित एवं शर्तरहित विलेख (Document) है, जिस पर लिखने वाले के हस्ताक्षर होते हैं तथा लेखक की ओर से यह प्रतिज्ञा होती है कि वह किसी विशेष व्यक्ति को या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या वाहक को एक निश्चित धनराशि का भुगतान कर देगा। प्रतिज्ञा-पत्र के पक्षकार इसके निम्नलिखित दो पक्षकार होते हैं
- लेखक यह व्यक्ति देनदार के रूप में भुगतान करने की प्रतिज्ञा करता है।
- प्राप्तकर्ता या आदाता इस व्यक्ति द्वारा प्रतिज्ञा-पत्र का भुगतान प्राप्त किया जाता है।
प्रश्न 6.
प्रतिज्ञा-पत्र को परिभाषित कीजिए और इसके महत्त्व का वर्णन कीजिए। (2016)
उत्तर:
प्रतिज्ञा-पत्र से आशय इसके लिए अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 5 देखें। प्रतिज्ञा-पत्र का महत्त्व प्रतिज्ञा-पत्र का महत्त्व निम्न प्रकार है
- प्रतिज्ञा-पत्र एक लिखित आज्ञा-पत्र होता है।
- प्रतिज्ञा-पत्र की धनराशि तथा भुगतान का समय निश्चित होता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)
प्रश्न 1.
विनिमय-विपत्र और चैक में अन्तर कीजिए। (2014)
उत्तर:
विनिमय-विपत्र और चैक में अन्तर अन्तर
प्रश्न 2.
विनिमय-विपत्र और चैक में अन्तर कीजिए। विनिमय-विपत्र का नमूना भी प्रस्तुत कीजिए। (2008)
उत्तर:
विनिमय-विपत्र और चैक में अन्तर अन्तर
विनिमय-विपत्र का नमूना
प्रश्न 3.
विनिमय-विपत्र और चैक में क्या अन्तर है? विनिमय-विपत्र और चैक के नमूने बनाइए। (2007)
उत्तर:
विनिमय-विपत्र और चैक में अन्तर अन्तर
विनिमय-विपत्र का नमूना
चैक का नमूना
प्रश्न 4.
विनिमय-विपत्र (बिल) के अनादरण पर क्या कदम उठाए जाते हैं? (2007)
उत्तर:
विनिमय-विपत्र या बिल के अनादरण पर उठाए जाने वाले कदम या प्रक्रिया जब विनिमय-विपत्र का अनादरण हो जाता है, तब लेखक इसके प्रमाण के लिए विपत्रालोकी द्वारा प्रमाणित कराता है। विपत्रालोकी द्वारा इसे स्वीकर्ता के पास भुगतान के लिए भेजा जाता है। यदि स्वीकर्ता पुनः भुगतान करने से मना कर देता है, तो विपत्रलोकी विनिमय-विपत्र की पीठ पर अनादरण का कारण लिखकर अपने हस्ताक्षर तथा दिनांक अंकित करके विनिमय-विपत्र लेखक को वापस करे देता है।
विपत्रालोकी के इस कार्य को नोटिंग का कार्य’ कहते हैं। इस कार्य हेतु विपत्रालोकी को जो शुल्क दिया जाता है, उसे ‘निकराई व्यय’ कहते हैं। यह शुल्क प्रारम्भ में विनिमय-विपत्र के धारक द्वारा अदा किया जाता है तथा बाद में स्वीकर्ता से वसूल कर लिया जाता है।
बिल का नवीनीकरण जब विपत्र के स्वीकर्ता को यह विश्वास हो जाता है कि वह भुगतान तिथि पर नहीं कर सकेगा, तो वह विपत्र के लेखक से नया विपत्र लिखने का आग्रह करता है और यदि लेखक द्वारा उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली जाती है, तो लेखक नया बिल लिखता है।
प्रश्न 5.
व्यापारिक बिल से क्या आशय है? सावधि बिल एवं दर्शनी बिल का प्रारूप प्रस्तुत कीजिए। (2009)
उत्तर:
व्यापारिक बिल से आशय व्यापारिक बिल वह विपत्र है, जिसका प्रयोग दैनिक रूप से किए जाने वाले क्रय-विक्रय के सम्बन्ध में किया जाता है। व्यापार के ऋणों और उधार सौदों के भुगतान के लिए इन बिलों का ही प्रयोग किया जाता है। विक्रेता द्वारा लिखे गए विपत्र को क्रेता स्वीकार करता है और निश्चित समय के पश्चात् बिल का भुगतान कर देता है। अतः माल के क्रय-विक्रय से हुई देनदारी के आधार पर जो बिल लिखे जाते हैं, उन्हें व्यापारिक बिल कहा जाता है।
सावधि बिल का प्रारूप
दर्शनी बिल का प्रारूप
प्रश्न 6.
अनुग्रह बिल से क्या आशय है? व्यापारिक बिल और अनुग्रह बिल में क्या अन्तर है?
उत्तर:
अनुग्रह बिल वे विनिमय-विपत्र या बिल, जो एक-दूसरे की सहायतार्थ लिखे जाते हैं, उन्हें सहायतार्थ या अनुग्रह-विपत्र कहा जाता है। इसमें धन का भुगतान करने वाले को बदले में कोई मूल्य प्राप्त नहीं होता है। स्वीकृति के उपरान्त उस विपत्र को बैंक से बट्टे पर भुना लिया जाता है तथा प्राप्त धनराशि को आपस में पूर्व तय की गई शर्तों के अनुसार बाँट लिया जाता है। व्यापारिक बिल और अनुग्रह बिल में अन्तर इसके लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 3 देखें।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 3
उत्तर:
चैक का नमूना
प्रश्न 7.
हुण्डी एवं प्रतिज्ञापत्र से आप क्या समझते हैं? प्रतिज्ञा-पत्र का नमूना दीजिए। (2010, 08)
अथवा
प्रतिज्ञा-पत्र से आप क्या समझते हैं? प्रतिज्ञा-पत्र का नमूना दीजिए। (2010)
उत्तर:
हुण्डी से आशय हुण्डी एक लिखित एवं हस्ताक्षरयुक्त प्रपत्र होता है, जिसमें किसी व्यक्ति को यह आज्ञा दी जाती है कि वह हुण्डी में उल्लिखित व्यक्ति को या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या उसके वाहक को उसमें उल्लिखित धनराशि का भुगतान कर दे। डॉ. गणतन्त्र कुमार गुप्ता के अनुसार, “हुण्डी भारतीय भाषा में लिखा गया एक साख-पत्र होता है, जिसमें लिखने वाला किसी निश्चित व्यक्ति को आदेश देता है कि वह उसमें लिखित धनराशि का भुगतान स्वयं को, किसी आदेशित व्यक्ति को अथवा उसके आदेशानुसार व्यक्ति या धारक को कर दे।”
प्रतिज्ञा-पत्र से आशय प्रतिज्ञापत्र एक ऐसा महत्त्वपूर्ण साख-पत्र है, जिसका प्रयोग सामान्यतया ऋणों के लेन-देनों में किया जाता है। भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम, 1881 की धारा 4 के अनुसार, प्रतिज्ञा-पत्र एक लिखित एवं शर्तरहित विलेख है, जिस पर लिखने वाले के हस्ताक्षर होते हैं तथा लेखक की ओर से यह प्रतिज्ञा होती है कि वह किसी व्यक्ति विशेष को या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या वाहक को एक निश्चित धनराशि का भुगतान कर देगा।
प्रतिज्ञा-पत्र का नमूना
प्रश्न 8.
विनिमय-विपत्र और प्रतिज्ञा-पत्र में क्या अन्तर है? विनिमय-विपत्र और प्रतिज्ञा-पत्र के नमूने भी बनाइए। (2016)
उत्तर:
हुण्डी से आशय हुण्डी एक लिखित एवं हस्ताक्षरयुक्त प्रपत्र होता है, जिसमें किसी व्यक्ति को यह आज्ञा दी जाती है कि वह हुण्डी में उल्लिखित व्यक्ति को या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या उसके वाहक को उसमें उल्लिखित धनराशि का भुगतान कर दे। डॉ. गणतन्त्र कुमार गुप्ता के अनुसार, “हुण्डी भारतीय भाषा में लिखा गया एक साख-पत्र होता है, जिसमें लिखने वाला किसी निश्चित व्यक्ति को आदेश देता है कि वह उसमें लिखित धनराशि का भुगतान स्वयं को, किसी आदेशित व्यक्ति को अथवा उसके आदेशानुसार व्यक्ति या धारक को कर दे।”
प्रतिज्ञा-पत्र से आशय प्रतिज्ञापत्र एक ऐसा महत्त्वपूर्ण साख-पत्र है, जिसका प्रयोग सामान्यतया ऋणों के लेन-देनों में किया जाता है। भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम, 1881 की धारा 4 के अनुसार, प्रतिज्ञा-पत्र एक लिखित एवं शर्तरहित विलेख है, जिस पर लिखने वाले के हस्ताक्षर होते हैं तथा लेखक की ओर से यह प्रतिज्ञा होती है कि वह किसी व्यक्ति विशेष को या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या वाहक को एक निश्चित धनराशि का भुगतान कर देगा।
प्रतिज्ञा-पत्र का नमूना
प्रश्न 9.
हुण्डी से क्या आशय है? इसका नमूना दीजिए। (2013)
अथवा
हुण्डी किसे कहते हैं? (2012)
उत्तर:
हुण्डी से आशय
हुण्डी से आशय हुण्डी एक लिखित एवं हस्ताक्षरयुक्त प्रपत्र होता है, जिसमें किसी व्यक्ति को यह आज्ञा दी जाती है कि वह हुण्डी में उल्लिखित व्यक्ति को या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या उसके वाहक को उसमें उल्लिखित धनराशि का भुगतान कर दे। डॉ. गणतन्त्र कुमार गुप्ता के अनुसार, “हुण्डी भारतीय भाषा में लिखा गया एक साख-पत्र होता है, जिसमें लिखने वाला किसी निश्चित व्यक्ति को आदेश देता है कि वह उसमें लिखित धनराशि का भुगतान स्वयं को, किसी आदेशित व्यक्ति को अथवा उसके आदेशानुसार व्यक्ति या धारक को कर दे।”
प्रतिज्ञा-पत्र से आशय प्रतिज्ञापत्र एक ऐसा महत्त्वपूर्ण साख-पत्र है, जिसका प्रयोग सामान्यतया ऋणों के लेन-देनों में किया जाता है। भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम, 1881 की धारा 4 के अनुसार, प्रतिज्ञा-पत्र एक लिखित एवं शर्तरहित विलेख है, जिस पर लिखने वाले के हस्ताक्षर होते हैं तथा लेखक की ओर से यह प्रतिज्ञा होती है कि वह किसी व्यक्ति विशेष को या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या वाहक को एक निश्चित धनराशि का भुगतान कर देगा।
हुण्डी का नमूना
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8 अंक)
प्रश्न 1.
विनिमय-विपत्र को परिभाषित कीजिए। यह प्रतिज्ञा-पत्र से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
विनिमय-विपत्र तथा प्रतिज्ञा-पत्र में अन्तर
प्रश्न 2.
‘विनिमय-विपत्र की तिरस्कृति’ से आप क्या समझते हैं? आहर्ता और आहर्ती की पुस्तकों में विनिमय-विपत्र के तिरस्कृत सम्बन्धी जर्नल लेखे दीजिए। (2011)
उत्तर:
विनिमय-विपत्र का अनादरण या तिरस्कृत होना जब किसी विपत्र का स्वीकर्ता बिल की भुगतान तिथि पर विपत्र का भुगतान करने से इन्कार अथवा उसे स्वीकार करने में असमर्थता प्रकट करता है, तो उसे ‘विनिमय-विपत्र की अप्रतिष्ठा’, ‘अनादरण’ या ‘तिरस्कृत होना’ कहते हैं। विनिमय-विपत्र का अनादरण या तिरस्कृत निम्नलिखित परिस्थितियों में हो सकता है-
- जब विनिमय-विपत्र को बैंक से बट्टे पर भुना लिया जाता है।
- जब संग्रह के लिए विनिमय-विपत्र को बैंक में जमा करा दिया जाता है।
- जब विनिमय-विपत्र लेखक के पास रखा हुआ होता है।
- जब भुगतान तिथि से पूर्व विनिमय-विपत्र का बेचान कर दिया गया हो।
विनिमय-विपत्र के अनादरण या तिरस्कृत के सम्बन्ध में जर्नल लेखे
1. लेखक या आहर्ता की पुस्तकों में लेखे
(i) विनिमय-विपत्र लेखक के पास होने पर
स्वीकर्ता का व्यक्तिगत खाता ऋणी
प्राप्य विपत्र खाते का
(विनिमय-विपत्र तिरस्कृत हुआ)
(ii) विनिमय-विपत्र को बैंक से बट्टे पर भुनाने पर
स्वीकर्ता का व्यक्तिगत खाता ऋणी
बैंक खाते का
(विनिमय-विपत्र तिरस्कृत हुआ)
(iii) विनिमय-विपत्र बेचानपात्र के पास होने पर
स्वीकर्ता का व्यक्तिगत खाता ऋणी
लेनदार के खाते का
(विनिमय-विपत्र तिरस्कृत हुआ)
(iv) विनिमय-विपत्र संग्रह के लिए बैंक के पास होने पर
स्वीकर्ता का व्यक्तिगत खाता ऋणी
बैंक में संग्रह के लिए विपत्रे खाते का
(विनिमय-विपत्र तिरस्कृत हुआ)
2. स्वीकर्ता या आहर्ती की पुस्तकों में लेखे
बिल का अनादरण उपरोक्त किसी भी परिस्थिति में हो, प्रत्येक दशा में निम्नांकित लेखा किया जाता है-
देय विपत्र खाता ऋणी
लेनदार/लेखक के व्यक्तिगत खाते का
(विनिमय-विपत्र तिरस्कृत हुआ)
प्रश्न 3.
व्यापारिक बिल और अनुग्रह बिल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
विनिमय-विपत्र के विभिन्न लाभों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यापारिक बिल और अनुग्रह बिल में अन्तर
विनिमय-विपत्र के विभिन्न लाभ
विनिमय-विपत्र से विभिन्न वर्गों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं
1. लेखक वर्ग को लाभ
- विपत्र के बेचने की सुविधा यदि लेखक चाहे तो अपने किसी लेनदार को ऋण के भुगतान में विपत्र का बेचान कर सकता है।
- बकाए से छुटकारा व्यापारी को समय-समय पर अपने देनदारों के पास बकाया भुगतान की माँग करने के लिए तकादा नहीं करना पड़ता है।
- ऋण का लिखित प्रमाण इस विपत्र के आधार पर विक्रेता व्यापारी उधार माल बेचकर अपनी बिक्री की वृद्धि कर सकता है, क्योंकि यह बिक्री का लिखित प्रमाण भी होता है।
- विदेशी भुगतान में सरलता इस विपत्र द्वारा विदेशी भुगतान भी सरलतापूर्वक किए जा सकते हैं।
- बैंक से बट्टे पर भुनाने की सुविधा यदि विनिमय-विपत्र के लेखक को शीघ्र रुपये की आवश्यकता हो, तो वह विपत्र को बैंक से बट्टे पर , भुनाकर सरलता से धनराशि प्राप्त कर सकता है।
2. स्वीकारक वर्ग को लाभ
- साख में वृद्धि भुगतान तिथि पर भुगतान हो जाने से स्वीकर्ता की साख में वृद्धि होती है। सम्बन्ध
- पूँजी की कमी महसूस न होना इस विपत्र के द्वारा उधार माल खरीदने में सहायता मिलती है, जिससे पूँजी की कमी महसूस नहीं होती है।
- भुगतान के लिए समय मिलना विनिमय-विपत्र के प्रयोग से क्रेता को इतना समय मिल जाता है कि वह सरलता से माल बेचकर उस अवधि में विक्रेता को भुगतान कर दे।
3. राष्ट्र को लाभ
- बैंकों को लाभ इन विपत्रों को बैंक से भुनाया जा सकता है तथा बैंक देय तिथि पर स्वीकर्ता से इनकी राशि वसूल कर सकता है।
- धातुओं की घिसावट से बचत विनिमय-विपत्र का अधिकं प्रयोग होने के कारण धातु मुद्रा घिसने से बच जाती है। इस प्रकार धातुओं की घिसावट से होने वाली हानि से राष्ट्र को बचाया जा सकता है।
- उत्पादन बढ़ने से लागत मूल्य में कमी विनिमय-विपत्रों के द्वारा माल की बिक्री में वृद्धि होने से उत्पादन में वृद्धि होती है तथा उत्पादन में वृद्धि से लागत मूल्य में कमी आती है, जिससे राष्ट्र की आय में वृद्धि होती है।
क्रियात्मक प्रश्न (8 अंक)
प्रश्न 1.
1 जनवरी, 2011 को सुकेश ने ₹ 25,000 का माल नीलेश को बेचा।
सुकेश ने दो माह की अवधि का एक विपत्र लिखा। नीलेश द्वारा विपत्र स्वीकार कर लिया गया। 16 जनवरी, 2011 को सुकेश ने अपने बैंक से 15% वार्षिक की दर से विनिमय-विपत्र को भुना लिया। देय तिथि पर नीलेश ने विनिमय-विपत्र का भुगतान कर दिया। सुकेश और नीलेश की पुस्तकों में जर्नल लेखे कीजिए। (2011)
हल
सुकेश की पुस्तकों में जर्नल लेखे
नीलेश की पुस्तकों में जर्नल लेखे
नोट छूट =
1 जनवरी, 2010 को आनन्द ने सुनील द्वारा लिखा हुआ एक तीन माह का ₹ 20,000 का विनिमय-विपत्र स्वीकार कर लिया। सुनील ने इसे उसी दिन अपने बैंक से 5% वार्षिक कटौती पर भुना लिया।
देय तिथि से एक दिन पूर्व सुनील ने सम्पूर्ण राशि आनन्द को चुकता कर दी। देय तिथि पर आनन्द ने विनिमय-विपत्र का भुगतान कर दिया। (2010)
हल
आनन्द की पुस्तकों में जर्नल लेखे
सुनील की पुस्तकों में जर्नल लेखे
प्रश्न 3.
1 सितम्बर, 2001 को राहुल ने सौमित्र को ₹ 20,000 का माल बेचा औरतीन माह का विपत्र प्राप्त किया। उसी दिन राहुल ने इस विपत्र को अपने लेनदार सचिन के नाम बेचान कर दिया। भुगतान की तिथि पर विपत्र अनादृत हो गया और सचिन ने ₹ 100 देकर नोटिंग कराया। राहुल, सौमित्र तथा सचिन की पुस्तकों में जर्नल लेखे कीजिए। (2008)
हल
राहुल की पुस्तकों में जर्नल लेखे
सौमित्र की पुस्तकों में जर्नल लेखे
सचिन की पुस्तकों में जर्नल लेखे
प्रश्न 4.
1 मार्च, 2007 को संजीव ने अमित को ₹ 2,000 का माल बेचा और तीन माह का विपत्र प्राप्त किया। उसी दिन संजीव ने इस विपत्र को अपने लेनदार प्रकाश के नाम बेचान कर दिया। भुगतान की तिथि पर विपत्र अस्वीकृत हो गया और प्रकाश ने ₹ 50 देकर नोटिंग कराया। संजीव, अमित तथा प्रकाश की पुस्तकों में जर्नल लेखे कीजिए। (2008)
हल
संजीव की पुस्तकों में जर्नल लेखे
अमित की पुस्तकों में जर्नल लेखे
प्रकाश की पुस्तकों में जर्नल लेखे
प्रश्न 5.
1 जनवरी, 2007 को भवेश ने राजेन्द्र से ₹ 30,000 का माल क्रय किया। उसी तिथि पर भवेश ने राजेन्द्र द्वारा उसी राशि से लिए गए चार माह की अवधि के विनिमय-विपत्र को स्वीकार करके लौटा दिया। 1 फरवरी, 2007 को राजेन्द्र ने उसे अपने बैंक से 6% वार्षिक दर से भुना लिया। देय तिथि पर विनिमय-विपत्र का नियमानुसार भुगतान हो गया। दोनों पक्षों की पुस्तकों में जर्नल लेखे कीजिए। (2007)
हल
राजेन्द्र की पुस्तकों में जर्नल लेखे
भवेश की पुस्तकों में जर्नल लेखे
नोट प्राप्य बिल = ₹ 30,000
छूट =
(बैंक द्वारा ब्याज तीन महीने का लिया जाएगा।)
प्रश्न 6.
1 जनवरी, 2006 को सुधीर ने 1,500 का एक तीन माह का बिल स्वीकार किया, जिसे सुनील ने लिखा था। सुनील ने इस बिल को बैंक से 5% वार्षिक दर पर कटौती करा लिया तथा सम्पूर्ण रकम सुधीर को देय तिथि से एक दिन पूर्व भेज दी। सुधीर ने देय तिथि पर बिल का भुगतान कर दिया। सुनील और सुधीर की पुस्तकों में आवश्यक जर्नल लेखे कीजिए। (2007)
हल
सुधीर की पुस्तकों में जर्नल लेखे
सुनील की पुस्तकों में जर्नल लेखे
प्रश्न 7.
1 मार्च, 2005 को तुषार ने बादल को ₹ 22,000 का माल बेचा और उसी धनराशि का एक बिल लिखा, जो तीन माह के पश्चात् देय था। बादल ने उसी दिन बिल स्वीकार करके तुषार को लौटा दिया। अगले दिन तुषार ने बिल को अपने लेनदार प्रतीक के नाम बेचान कर दिया। भुगतान की तिथि पर बिल का भुगतान हो गया। तुषार, बादल और प्रतीक की पुस्तकों में आवश्यक जर्नल लेखे कीजिए। (2006)
हल
तुषार की पुस्तकों में जर्नल लेखे
बादल की पुस्तकों में जर्नल लेखे
प्रतीक की पुस्तकों में जर्नल लेखे
प्रश्न 8.
1 जनवरी, 2006 को मोहन ने सोहन को ₹ 15,000 का माल बेचा। सोहन ने मोहन द्वारा उसी राशि से लिखे गए एक चार माह के बिल को उसी दिन स्वीकार करके लौटा दिया और मोहन ने उसे अपने बैंक से ₹ 14,600 में भुना लिया। देय तिथि पर विपत्र का नियमानुसार भुगतान कर दिया गया। दोनों पक्षों के जर्नल में आवश्यक लेखे कीजिए। (2006)
हल
मोहन की पुस्तकों में जर्नल लेखे
सोहन की पुस्तकों में जर्नल लेखे
प्रश्न 9.
1 मार्च, 2016 को आर्यन ने ₹ 6,000 का माल देव को उधार बेचा आर्यन ने देव के ऊपर 3 माह का एक विपत्र लिखा, जिसे देव ने स्वीकार कर आर्यन को वापिस कर दिया। देय तिथि पर विपत्र प्रतिष्ठित हो गया। निम्नलिखित प्रत्येक परिस्थिति में आर्यन की पुस्तकों में जर्नल के लेखे कीजिए
- जब आर्यन विपत्र को अपने पास रखता है और देय तिथि पर भुगतान प्राप्त करता है।
- जब आर्यन 4 मार्च, 2016 को विपत्र को अपने बैंक से है ₹ 5,850 में भुना लेता है।
- जब आर्यन 10 मार्च, 2016 को अपने लेनदार सागर को ₹ 6,100 के ऋण के पूर्ण भुगतान में विपत्र का बेचान कर देता है। (2017)
हल
आर्यन की पुस्तकों में जर्नल लेखे
प्रश्न 10.
1 मार्च, 2000 को श्यामल ने राम को ₹ 4,000 का माल बेचा और उसके भुगतान में तीन माह की अवधि का एक विपत्र प्राप्त किया। उसी दिन श्यामल ने 6% की वार्षिक दर से विपत्र को बैंक से भुना लिया। भुगतान की तिथि पर विपत्र अस्वीकृत हो गया और बैंक ने ₹ 25 नोटिंग का भुगतान किया। श्यामल और राम की पुस्तकों में आवश्यक जर्नल लेखे कीजिए। (2006)
हल
श्यामल की पुस्तकों में जर्नल लेखे
राम की पुस्तकों में जर्नल लेखे
प्रश्न 11.
श्री अग्रवाल ने श्री गुप्ता को ₹ 4,000 का माल 1 जनवरी, 2003 को बेचा और बदले में दो माह की अवधि का एक विपत्र प्राप्त किया। भुगतान की तिथि को गुप्ता ने विपत्र का भुगतान करना अस्वीकार कर दिया। अग्रवाल ने विपत्र का नोटिंग कराया और ₹ 5 नोटिंग व्यय दिया। श्री अग्रवाल और श्री गुप्ता की पुस्तकों में आवश्यक जर्नल लेखे कीजिए। (2006)
हल
श्री अग्रवाल की पुस्तकों में जर्नल लेखे
श्री अग्रवाल की पुस्तकों में जर्नल लेखे
प्रश्न 12.
1 फरवरी, 2004 को अशोक ने विवेक से ₹ 15,000 के भुगतान के बदले दो माह का एक बिल प्राप्त किया। 13 फरवरी को अशोक ने इस बिल का अपने लेनदार नरेश के पक्ष में बेचान कर दिया। नियत भुगतान तिथि पर विवेक ने बिल का भुगतान नहीं किया। अशोक तथा विवेक की पुस्तकों में प्रविष्टियाँ कीजिए।
हल
अशोक की पुस्तकों में जर्नल लेखे
विवेक की पुस्तकों में जर्नल लेखे
प्रश्न 13.
रीतिका ने ₹ 6,000 का माल मौली को बेचा और एक विनिमय विपत्र 3 माह का उससे स्वीकार कराया। उसने तीन दिन बाद ₹ 200 छूट देकर बिल बैंक से भुना लिया। देय तिथि पर बिल तिरस्कृत हो गया तथा बैंक को ₹ 50 नोटिंग व्यय देने पड़े। दोनों पक्षों की पुस्तकों में आवश्यक जर्नल के लेखे कीजिए। (2018)
हल
रीतिका की पुस्तकों में जर्नल लेखे
मौली की पुस्तकों में जर्नल लेखे
We hope the UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 5 विनिमय-विपत्र, प्रतिज्ञा-पत्र व हुण्डी help you.